Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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उत्तराध्ययन सूत्र - बाईसवाँ अध्ययन
शंख, चक्र, गज, अश्व, छत्र, समुद्र, विमान आदि १००८ शुभलक्षण होते हैं। ये लक्षण हाथ, पैर आदि शरीर के अवयवों में होते हैं।
३. गौतम गोत्रीय - अरिष्टनेमि को यहां गौतम नामक प्रशस्त उच्च गोत्रीय कहा गया है। ४. श्याम कांतिमय शरीर अरिष्टनेमि का शरीर श्याम वर्ण का तेजस्वी और कांतिमय था । हेमचन्द्राचार्य कृत त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र में ६३ महापुरुषों का जीवन चरित्र दिया गया है यथा २४ तीर्थंकर, १२ चक्रवर्ती, बलदेव, ६ वासुदेव, प्रतिवासुदेव । इनको शलाका पुरुष या श्लाघ्य पुरुष भी कहते हैं। इनमें से सभी यादव कुल में तीन महापुरुष मौजूद थे। यथा - तीर्थंकर (अरिष्टनेमि), बलदेव ( बलभद्र ) और वासुदेव ( श्रीकृष्ण ) । इन महापुरुषों के कारण अभी यादव वंश उन्नति के शिखर पर था ।
वज्जरसह - संघयणो, समचउरंसो झसोयरो |
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तस्स राईमई कण्णं, भज्जं जायड़ केसवो ॥ ६ ॥ कठिन शब्दार्थ - वज्जरिसह संघयणो समचतुरस्र संस्थान वाले, झसोयरो कन्या राजीमती, भज्जं - भार्या, जायइ वे अरिष्टनेमि कुमार वज्रऋषभनाराच संहनन वाले, समचतुरस्र संस्थान वाले
वज्रऋषभनाराच संहनन वाले, समचउरंसो उदर मत्स्य (झष) के समान कोमल, राईमई कण्णं याचना की, केसवो केशव (श्रीकृष्ण) ने।
भावार्थ
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और इस उदर इस अर्थात् मछली के उदर के समान सुन्दर उदर वाले थे। केशव वासुदेव श्री कृष्ण ने उस अरिष्टनेमि कुमार की भार्या बनाने के लिए उग्रसेन राजा से उनकी कन्या राजीमती की याचना की ।
अह सा रायवरकण्णा, सुसीला चारुपेहिणी ।
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सव्वलक्खण-संपण्णा, विज्जुसोयामणिप्पभा ॥७॥
कठिन शब्दार्थ रायवरकण्णा नृप श्रेष्ठ उग्रसेन की कन्या, सुसीला - सुशीला, चारुपेहिणी - सुंदर दर्शन वाली, सव्वलक्खणसंपण्णा सभी शुभ लक्षणों से सम्पन्न, विज्जुसोयामणिप्पभा - शरीर की प्रभा चमकती हुई विद्युतप्रभा के समान ।
भावार्थ अथ वह उग्रसेन राजा की श्रेष्ठ कन्या राजीमती, सुशीला उत्तम आचार वाली, सुन्दर दृष्टि वाली स्त्री के सभी शुभ लक्षणों से संपन्न, विद्युत् (विशेष चमकने वाली ) और सौदामिनी (बिजली की लता) के समान प्रभा वाली थी ।
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