Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 387
________________ ३६२ - उत्तराध्ययन सूत्र - छतीसवाँ.अध्ययन 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 जोयणस्स उ जो तत्थ, कोसो उवरिमो भवे। तस्स कोसस्स छब्भाए, सिद्धाणोगाहणा भवे॥६३॥ . कठिन शब्दार्थ - जोयणस्स - योजन के, कोसो - कोस, उवरिमो - ऊपर वाला, कोसस्स - कोस के, छब्भाए - छठे भाग में, सिद्धाणोगाहणा - सिद्धों की अवगाहना। भावार्थ - वहाँ योजन का जो ऊपर वाला कोस है, उस कोस के छठे भाग में सिद्धों की अवगाहना (अवस्थिति) है। . विवेचन - सब शाश्वत वस्तुओं का परिमाण प्रमाण अंगुल से बतलाया गया है। किन्तु जो यहाँ पर बतलाया गया है कि - ईषतप्राग्भारा पृथ्वी से एक योजन ऊपर लोक का अन्त होता है। यह ऊपर का एक योजन उत्सेधांगुल से लेना चाहिए। उस योजन के (चार कोस का एक योजन) ऊपर के कोस के छठे भाग में सिद्ध भगवन्तों का अवस्थान है। चार गति के जीवों की अवगाहना उत्सेधांगुल से बताई गई है। मनुष्यों की उत्कृष्ट अवगाहना वाले अर्थात् ५०० धनुष वाले सिद्ध हो सकते हैं। उन ५०० धनुष वालों की अवगाहना सिद्ध अवस्था में ३३३ धनुष और ३२ अङ्गल (एक हाथ आठ अङ्गल) ही होती है। यह सिद्धों की उत्कृष्ट अवगाहना । है। इसलिए ऊपर के एक योजन का परिमाण उत्सेध अङ्गुल से लेने पर यह सिद्धों की अवगाहना ठीक बैठ सकती है। उत्सेध अङ्गुल से प्रमाण अङ्गल १००० गुणा. बड़ा होता है। चौबीस अंगुलों का एक हाथ होता है। चार हाथ का एक धनुष होता है। दो हजार धनुष का एक कोस होता है। इसका छठा भाग ३२ अंगुल युक्त ३३३ धनुष होता है। इतनी जगह में सिद्धों का निवास है। तत्थ सिद्धा महाभागा, लोगग्गम्मि पइट्टिया। भवप्पपंचओ मुक्का, सिद्धिं वरगई गया॥६४॥ कठिन शब्दार्थ - महाभागा - महाभाग्यशाली, लोगग्गम्मि - लोक के अग्रभाग पर, भवप्पपंचओ - संसार के प्रपंच से, मुक्का - मुक्त, वरगई - वर गति - श्रेष्ठगति को, गया- प्राप्त। भावार्थ - संसार के प्रपंच से मुक्त सिद्धिरूप वरगति - श्रेष्ठ गति को प्राप्त हुए महा भाग्यशाली सिद्ध भगवान् वहाँ लोक के अग्रभाग पर प्रतिष्ठित - विराजमान हैं। उस्सेहो जस्स जो होइ, भवम्मि चरिमम्मि उ। तिभागहीणा तत्तो य, सिद्धाणोगाहणा भवे॥६५॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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