Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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खलुंकीय - कुशिष्य और गर्गाचार्य c000000OOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOcccccOOOOOOOOOOOOG00000000000000000mm
. कठिन शब्दार्थ - छिण्णाले - दुष्ट बैल, छिंद - तोड़ देता है, सेल्लिं - रस्सी को, दुईतो - दुर्दान्त, जुगं - जुए को, भंजए - तोड़ डालता है, सुस्सुयाइत्ता - सूं सूं करके, उज्जहित्ता - छोड़ कर, पलायए - भाग जाता है।
'भावार्थ - कोई दुष्ट बैल रश्मि-रस्सी को तोड़ देता है, दुर्दान्त (कठिनाई से वश में ... किया जा सकने वाला) कोई बैल जुए (धूसरे) को तोड़ डालता है और फिर वह दुष्ट बैल फुफकार मार कर गाड़ीवान् के हाथ से छूट कर भाग जाता है। .
खलुंका जारिसा जुज्जा, दुस्सीसा वि ह तारिसा। जोइया धम्म-जाणम्मि, भजति धिइदुब्बला॥॥ . कठिन शब्दार्थ - जारिसा - जैसे, जुज्जा - जोते हुए, दुस्सीसा - दुष्ट शिष्य, . तारिसा - वैसे, धम्मजाणम्मि - धर्मयान में, भज्जंति - दूर भागते हैं, धिइदुब्बला - धैर्य . से दुर्बल। . .
.. ___भावार्थ - जैसे गाड़ी में जोते हुए धृष्ट-गलियार बैल गाड़ी को तोड़ कर एवं गाड़ीवान् को दुःखी करके भाग जाते हैं वैसे ही धर्म रूपी गाड़ी में जुते हुए धृतिदुर्बल-अधीर एवं कायर दुष्ट स्वच्छन्दी शिष्य भी संयम-धर्म को भंग कर देते हैं।
कुशिष्य और गर्गाचार्य इडी-गारविए एगे, एगेऽत्थ रस-गारवे। साया-गारविए एगे, एगे सुचिर-कोहणे॥६॥
कठिन शब्दार्थ - इड्डी गारविए - ऋद्धि गौरव से युक्त, एगे - कोई, रस गारवे - रस गौरवं से युक्त, सायागारविए - सुख साता. का गौरव (गर्व) करने वाला, सुचिरकोहणे - . चिरकाल तक क्रोध रखने वाला।
भावार्थ - गर्गाचार्य अपने शिष्यों के विषय में कहते हैं कि - अत्र-मेरे इन शिष्यों में से कोई एक शिष्य ऋद्धि से गर्वित बने हुए हैं। कोई एक रसलोलुप बन गये हैं। कोई एक साताशील (सुख शीलिये) बन गये हैं और कोई चिर क्रोधी हैं।
भिक्खालसिए एंगे, एगे ओमाण-भीरुए। थद्धे एगे अणुसासम्मि, हेऊहिं कारणेहि य॥१०॥
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