Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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मोक्षमार्ग गति - मोक्षमार्ग का फल 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
कठिन शब्दार्थ - एस - यह, मग्गोत्ति - मार्ग है, जिणेहिं - जिनेन्द्र देवों ने, वरदंसिहिं - वरदर्शी - केवलज्ञानी, केवलदर्शी - सर्वज्ञ सर्वदर्शी।
भावार्थ - वरदर्शी-संसार के समस्त पदार्थों को देखने वाले सर्वज्ञ-सर्वदर्शी जिनेन्द्र देवों ने ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप रूप. यह मोक्ष का मार्ग फरमाया है। ___विवेचन - सम्यग्ज्ञानादि का स्वरूप - नय और प्रमाण से होने वाला जीवादि पदार्थों का यथार्थ बोध सम्यग्ज्ञान है। जिस गुण अर्थात् शक्ति के विकास से तत्त्व (सत्य) की प्रतीति हो, जिसमें हेय, ज्ञेय और उपादेय के यथार्थ विवेक की अभिरुचि हो, वह सम्यग्दर्शन है। सम्यग्ज्ञान पूर्वक काषायिक भाव यानी राग-द्वेष और योग की निवृत्ति से होने वाला स्वरूप रमण सम्यग्चारित्र है। एवं पुरातन कर्मों का क्षय करने के लिए द्वादश प्रकार की जो तपश्चर्या वर्णन की गई है वही तप है। इस प्रकार कैवल्यदर्शी-प्रधानद्रष्टा जिनेन्द्र देवों ने ये पूर्वोक्त चार मोक्ष के कारण बतलाये हैं अर्थात् सम्यग्-ज्ञान, सम्यग्-दर्शन, सम्यक्-चारित्र और सम्यक्-तप, इन चारों के द्वारा मोक्ष की उपलब्धि हो सकती है। -
यद्यपि मूल गाथा में सम्यक् तप का उल्लेख नहीं है तथापि 'वरदर्शिप्रतिपादित' ऐसा कहने से, संशय, विपर्यय और अनध्यवसायात्मक मिथ्या ज्ञान की निवृत्ति हो जाने पर परिवेश में सम्यग् ज्ञानादि ही लिये जाते हैं तथा चारित्र से पृथक् जो तप का ग्रहण किया है उसका तात्पर्य कर्म-क्षय में तप को प्रधानता देना हैं अर्थात् तप के द्वारा कर्मों का विशेष क्षय होता है एवं 'जिन' इस शब्द के ग्रहण से मोक्ष मार्ग की संप्रयोजनता सिद्ध की गई है।
. मोक्षमार्ग का फल . णाणं च दंसणं चेव, चरित्तं च तवो तहा। . . एयं मग्ग-मणुपत्ता, जीवा गच्छंति सुग्गइं॥३॥
कठिन शब्दार्थ - एयं - इस, मगं - मार्ग को, अणुपत्ता - प्राप्त करने वाले, जीवा - जीव, गच्छंति - प्राप्त करते हैं, सुग्गइं - सुगति-मोक्ष को।
भावार्थ - ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप, यह मोक्ष का मार्ग है। इस. मार्ग का आचरण करके जीव सुगति - मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
विवेचन - अष्टविध कर्मों के बन्धन से सर्वथा मुक्त होना - मोक्ष है, उसका मार्ग
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