Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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१४४ . .. उत्तराध्ययन सूत्र - अट्ठाईसवाँ अध्ययन 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 जिनोक्त सम्यग् ज्ञान-दर्शन-चारित्र-तप स्वरूप है। उक्त मोक्षमार्ग में शुद्ध गति-प्राप्ति या सिद्धिमोक्ष मार्ग गति है। ___ यद्यपि उपर्युक्त गाथाओं में ज्ञानादि के पूर्व 'सम्यक्' विशेषण नहीं लगाया गया है किंतु . 'तच्चं' और 'जिणभासियं' ये दो शब्द ऐसे हैं जो दर्शन, ज्ञान आदि की सम्यक्ता के ही सूचक हैं। जिन्होंने सम्यग्ज्ञान आदि रूप मोक्षमार्ग की सम्यक् रूप से साधनां-आराधना की है वे अवश्य ही सुगति - सिद्धि गति को प्राप्त करते हैं।
सम्यग्ज्ञान के भेद.. तत्थ पंचविहं णाणं, सुयं आभिणिबोहियं।
ओहिणाणं तु तइयं, मणणाणं च केवलं॥४॥
कठिन शब्दार्थ - तत्थ - उनमें, पंचविहं - पंचविध-पांच प्रकार का, गाणं - ज्ञान, सुयं - श्रुत, आभिणिबोहियं - आभिनिबोधिक, ओहिणाणं - अवधिज्ञान, तइयं - तीसरा, मणणाणं - मनःपर्यय ज्ञान, केवलं - केवलज्ञान। ___भावार्थ - मोक्ष के. जो चार कारण बताये गये हैं उनमें ज्ञान पाँच प्रकार का है। आभिनिबोधिक (मतिज्ञान), श्रुतज्ञान, तीसरा अवधिज्ञान, मनःपर्यय ज्ञान और केवलज्ञान।।
विवेचन - आभिनिबोधिक (मतिज्ञान) आदि पांच ज्ञानों का विस्तृत रूप से वर्णन नंदी सूत्र में तथा ठाणांग ५ उद्देशक ३ में है। संक्षेप में इनका स्वरूप इस प्रकार हैं - -
१. मतिज्ञान (आभिनिबोधिक ज्ञान) - इन्द्रिय और मन की सहायता से योग्य देश में रही हुई वस्तु को जानने वाला ज्ञान मतिज्ञान (आभिनिबोधिक ज्ञान) कहलाता है। . २. श्रुतज्ञान - वाच्य - वाचक भाव सम्बन्ध द्वारा शब्द से सम्बद्ध अर्थ को ग्रहण कराने वाला इन्द्रिय मन कारणक ज्ञान श्रुतज्ञान है। जैसे - इस प्रकार कम्बुग्रीवादि आकार वाली वस्तु जलधारणादि क्रिया में समर्थ है और घट शब्द से कही जाती है। इत्यादि रूप से शब्दार्थ की पर्यालोचना के बाद होने वाले त्रैकालिक सामान्य परिणाम को प्रधानता देने वाला ज्ञान श्रुतज्ञान है। अथवा - ___मतिज्ञान के अनन्तर होने वाला और शब्द तथा अर्थ की पर्यालोचना जिसमें हो, ऐसा ज्ञान श्रुतज्ञान कहलाता है। जैसे कि घट शब्द के सुनने पर अथवा आँख से घड़े के देखने पर उसके बनाने वाले का, उसके रंग का और इसी प्रकार तत्सम्बन्धी भिन्न-भिन्न विषयों का विचार करना श्रुतज्ञान है।
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