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षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, विस्तृत विषयानुक्रम
४६०
४१५
४६४
४२१
क्रम विषय श्लोक नं. पृ. नं. | क्रम विषय
श्लोक नं. प्र. नं. - अनिर्वचनीय ख्याति आदि का स्वरूप ४१३ - जगत्
४५८ २८० ब्रह्मस्वरूपोद्घाटक महावाक्य ४१४ - पुष्टिमार्ग
४५८ - उपदेशवाक्य की अर्थनिष्पत्ति ४१४ (४) द्वैताद्वैत मत
४५९ - तीन प्रकार के संबंध
४१४
- पदार्थ मीमांसा - तीन प्रकार की अभिधा
- जडतत्त्व
४६२ - अनुभववाक्य का अर्थदर्शन
४१७ - जीव की दो दशा
४६२ २८१ कारण-कार्य संबंध
- साधन मार्ग
४६३ - सत्कार्यवाद-असत्कार्यवाद
४१८ (५) द्वैत सिद्धान्त
४६३ - तीन वाद
- पदार्थ मीमांसा - विवर्त और विकार का भेद ४२० - परमात्मा
४६४ २८२ कर्मविचार-तीन प्रकार के कर्म ४२१ - लक्ष्मी
४६५ २८३ वेदांत मत में बद्ध संसारी जीव की
- जीव
४६५ तीन अवस्था
- साधन मार्ग
४६६ २८४ सुषुप्ति के विषय में समीक्षा
४२३ (६) भेदाभेद सिद्धान्त
४६६ २८५ जाग्रदवस्था के तीन प्रकार
४६७ ४४३
(७) अविभागाद्वैतवाद २८६ स्वप्नावस्था के तीन प्रकार
(८) शैवविशिष्टाद्वैतवाद
४६७ ४४३
४६८ २८७ सुषुप्ति अवस्था के तीन प्रकार
(९) वीरशैवविशिष्टाद्वैतवाद
४६८ ___ - अध्यात्मिक दृष्टिकोण से तीन अवस्था
२८९ अचिन्त्य भेदाभेद वाद २८८ वेदांत के विभिन्न संप्रदाय और
- चैतन्यमत में भगवान
४६९ उनकी मान्यतायें ४४५ - भगवान् की शक्तियाँ
४७० (१) निर्विशेषाद्वैत-केवलाद्वैत मत
- जगत्
४७० (२) विशिष्टाद्वैत मत
- साधनमार्ग
४७१ - तत्त्वमीमांसा
४४७
| २८९ (१) वेदांत दर्शन की पदार्थ - अंश-अंशी विचार
४४९ व्यवस्था का चार्ट
४७२ - सृष्टि विचार
परिशिष्ट-२ - योगदर्शन - जगत् - साधन मार्ग - ईश्वर भक्ति
२९० योगदर्शन (३) शुद्धाद्वैत मत
४५३ | २९१ ईश्वर का स्वरुप
४७३ - तत्त्वमीमांसा
४५५
| २९२ क्लेश के पाँच भेद (अविद्यादि) ४७३ - ब्रह्म ४५५ | २९३ योग का स्वरुप
४७६ - जीव के प्रकार ४५७ २९४ चित्तवृत्ति
४७७
४४३
४४४
४४५
४४६
४५०
४५१
४७३
४५२
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