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षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, विस्तृत विषयानुक्रम
क्रम विषय . श्लोक नं. पृ. नं. | क्रम विषय श्लोक नं. पृ. नं.. ३८० धर्मास्तिकाय-अधर्मास्तिकाय
|४०३ बौद्धमत में मुक्ति का स्वरूप (५२) ७८१ आकाश का निरुपण (४८-४९) ७३० |४०४ बौद्धो को मान्य मुक्ति के स्वरूप ३८१ काल का निरुपण
(४८-४९) ७३२ का खंडन
(५२) ७८४ ३८२ पुद्गल का निरुपण (४८-४९) ७३५ |४०५ दिगंबरो के द्वारा स्त्री की मुक्ति का निषेध ३८३ धर्मास्तिकाय-अधर्मास्तिकाय
तथा श्वेतांबरो के द्वारा स्त्री की मुक्ति आकाशास्तिकाय की सिद्धि (४८-४९) ७३८
का व्यवस्थापन
(५२) ७९१ ४०६ चारित्र की योग्यता (४८-४९) ७४७
(५३) ३८४ काल की सिद्धि
८०० ३८५ पुद्गल की सिद्धि
(४८-४९) ७४८ |४०७ सम्यक्त्व - ज्ञान-चारित्रवान् आत्मा
(५४)
मोक्ष का भाजन ३८६ शब्द की पुद्गलद्रव्य के रूप में सिद्धि(४८-४९)७५०
८०१
४०८ प्रमाण का सामान्यलक्षण (५४) ३८७ अंधकार और छाया की पुद्गलद्रव्य
८०३ ४०९ सामान्यलक्षणगत विशेषणो के द्वारा के रुप में सिद्धि
(४८-४९) ७५१
अन्यमत को मान्य प्रमाण के ३८८ आतप-उद्योत की पुद्गलद्रव्य के
स्वरुप का खंडन ___(५४) ८०४ रुप में सिद्धि
(४८-४९) ७५२
| ४१० प्रमाण की संख्या और प्रमाण का विषय (५५)८०६ ३८९ पुण्यतत्त्व का स्वरुप (४८-४९) ७५३
| ४११ जैनदर्शन को मान्य दो प्रमाण में अन्यदर्शन ३९० पाप और आश्रवतत्त्व की व्याख्या (५०) ७५३
___को मान्य प्रमाणो का अन्तर्भाव (५५) ८०९ ३९१ पुण्य और पापतत्त्व की सिद्धि (५०) ७५४
४१२ अभावप्रमाण के तीन रुप ३९२ आश्रवतत्त्व का निरुपण (५०) ७५८
|४१३ प्रत्यक्ष प्रमाण का लक्षण और ३९३ संवर और बंधतत्त्व की व्याख्या (५१) ७६०
उसके दो भेद
(५५) ८१४ ३९४ संवर के दो प्रकार
(५१) ७६२
|४१४ परोक्ष प्रमाण का स्वरुप और ३९५ निर्जरा और मोक्षतत्त्व का निरुपण (५२) ७६३
स्मृति आदि पांच भेद ३९६ निर्जरा के दो भेद
(५२) ७६४|४१५ स्मति और प्रत्यभिज्ञा का स्वरुप ३९७ मोक्ष का स्वरुप (५२) ७६४४१६ तर्क का स्वरुप
(५५) ८१९ ३९८ मोक्ष के स्वरुप में अन्य द्वारा दी गई।
|४१७ अनुमान प्रमाण का स्वरुप अनुपपत्तिओ का परिहार (५२) ७६५
तथा उसके दो प्रकार (५५) ८१९ ३९९ वैशेषिक मत में मुक्ति का स्वरुप (५२) ७६९ |
|४१८ दृष्टांत के दो भेद (५५) ८२० ४०० वैशेषिको को मान्य मुक्ति के स्वरूप
४१९ प्रतिज्ञादि पांच अवयव का स्वरुप (५५) ८२१ का खंडन
___(५२) ७७१ ४२० आगम प्रमाण का स्वरुप (५५) ८२३ ४०१ सांख्यो के मत में मुक्ति का स्वरुप (५२) ७७५ |४२१ प्रमाण का विषय अनंतधर्मात्मक वस्तु (५५) ८२५ ४०२ सांख्यो के मान्य मुक्ति के स्वरूप
४२२ सुवर्ण के घट के दृष्टांत से विस्तारपूर्वक का खंडन
(५२) ७७६ वस्त की अनंतधर्मात्मकता की सिद्धि (५५)८२५
(५५)
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