Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार क पन्ध *
इति श्री महारक श्री शुभचन्द्रशिष्याचार्य श्रीस भूषणविरचितायामुपदेशनमालायां पटकर्म
प्रकाशिकाबां पोदानवर्णनो नामाष्टादशमः परिच्छेदः ।।
उपदेश माला।
रचयिता श्री यमदासगरिए । भाया अपभ्रंश। पन्न संस्बा ?८. साइज १०४४ इञ्च । प्रत्येक मुष्ठ पर १६ पंक्ति तथा प्रां पंक्ति में अन्नर । प्रति प्राचीन है। कुछ कुछ पत्र नल ने भी लग गये हैं :
मंगलाचामा -
नाम ऋण जिणबरिट इंदनरिंदविगतल्लाय गुन् । उबए. समालमिणमो बुछाम गुरुवएसण ।। १ ।। जगन्डामणिशूब उस भोरातिलोयांसार तिल।
लगाउमोए गोचरकः तिहुयणम ॥२
अन्तिम पठ
इत्यधम्मदासगणिया जिरणव यशुधारसकम्नमालाए। मा.नुवनिविहकुसुमा कहियाई मुसीसबग्गन्स ।। १ ।। नातकरी बुद्धिकरी कल्लाहकरी सुमंगलकरीय । दोर कहगस्सपरिसाए तह य निव्यारा फल दाई ।।२।। इन्य समय इगामी माला परसपगार यगयं । नाहाणं सुव्य पंचसयायचा जीसा ।। ६ ।। जावइ लवणसमुदो जावडमकत्तमटिमरु ।
तावय रईबामाला जयाममिवाबगहा ।।४।। प्रति नं० २ पत्र संख्या २० साइज १० प्रति पूर्ण तथा शुद्ध है। उपासकाध्ययन।
रचयिता प्राचार्य वसुर्नान्द । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ५. साइज ११४५ इन्च । लिपि संवन्त १६०२. चैत्र शुक्ला चतुर्दशी । लिपि स्थान-तक्षक महादुर्ग
प्रति नं. २ पत्र संख्या २६. साइज ||४५ इञ्च । लिपि संवत् १६१२. लिपिस्थान तक्षकगढ नहा
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अठारह