Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार के प्रन्थ *
प्रक्रियासार
रचयिता सर्व विद्याविशारद श्री काशीनाथ | भावा संस्कृत | पत्र संख्या ११८. साइज २००४ || ६ | प्रत्येक पृष्ठ पर १७ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ४८-५४ अक्षर | लिपि काल - मंगसिर बुदी १३ संवत् १६०६ विपव-व्याकरण |
प्रताप काव्य सटीक |
रचयिता अज्ञात | टीकाकार अज्ञात भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४८. साइज १२||४६ इन्च | जयपुर के महाराजा प्रतापसिंह के यश तथा वीरता के गुणगान गाये गये हैं। अनेक अलंकार की प्रधानता है । प्रति षपूर्ण है। प्रारम्भ के २४ पृष्ठ नहीं है ।
प्रति क्रमण |
रचयिता गौतमत्वामी । भाषा प्राकृत संस्कृत | पत्र संख्या १६. साइज ११||४५ इव विषयसामायिक राठ ।
प्रति नं० २ संख्या १७. साइज १९०४ इव । लिपि संवत् १७२४ आवण बुदि १०. लिपिस्थान वात (आमेर) |
प्रति नं० ३. पृष्ठ संख्या ५४. साइज ११४४ || इन् । लिपि संवत् १७२० फागुण सुट्टी १२. लिपि स्थान जयपुर | लिपिकार ने महाराजा जयसिंह के राज्य का उल्लेख किया है ।
प्रति नं० ४. पत्र संख्या १७. साइज ११||४५ छ । प्रति अपूर्ण है।
घनचरित्र |
रचयिता आचार्य सोमकीति । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २५५. साइज १०||४४ इञ्च लोक प्रमाण ५००० (पांच हजार ) | रचना संवत् १००३. लिपि संवत् १७१०.
प्रति नं० २. पत्र संख्या २७१ साइज १०x४ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में (२५-३० अक्षर । लिपि संवन १८ ग्रन्थ में श्रीकृष्ण, घुम्न, अनिरुद्ध आदि महापुरुषों का वर्णन किया है । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ११७. साइज १० || ४ || इन | पत्र संख्या ११७. लिपिसंवत् १५७७. हरी नगर में पांडे गूजर ने प्रतिलिपि करवाई ।
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प्रति नं० ४ पत्र संख्या ११५. साइज १० ||४|| इञ्च | लिपि संवत् १५७७ लाखपुरी में ववेरवाल
बाति में उत्पन्न श्री श्रीइल ने प्रतिलिपि करवाई ।
प्रति si
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5. ति नं० ५. पत्र संख्या १६३. साइज १०||४|| इञ्च |
चौरानवे