Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
View full book text
________________
दे रखी है
१९७५ भक्तामर स्तोत्र मंत्र विधि |
भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २७ साइज ६४३॥ इच। मंत्र बोलने वाले आदि सभी के लिये विधि
'+'
प्रनिं० २. पत्र संख्या २५. साइज ६४५ इव । प्रति पूर्ण है।
|
* श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य *
१७६ भक्तामर भाषा |
कर्त्ता श्री नथमल | भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ६० साइज ६४६ इव । रचना १८२६. लिपि संवत् १८७६. पं० रतन चन्दजी के शिष्यलाल ने प्रतिलिपि बनायी ।
१७७ भर्तृहरिशतक |
प्रशस्ति है ।
भाषाकार महाराज श्री सवाई
| प्रथम पत्र नहीं है। लिपि संपि संवत् १३१७.
१७८ भाव संग्रह |
रचयिता श्री वामदेव | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३६. साइज १०||४५ इव । लिपि संवत् १६१७.
सिंह जी । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ५७ साइज ४४ ३ ||
१७६ भावसार संग्रह |
रचयिता श्री चामुंडराय । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६६ साइज १०|| ४ || इञ्च | लिपि संवत् १७७२. लिपिकर्त्ता भट्टारक श्री देवेन्द्रकीर्त्ति । लिपिस्थान श्रामेर (जयपुर)
१८१ मदन पराजय |
१८० भैरव पद्मावती कन्प |
रचयिता श्री मल्लिपे | भाषा संकृत | पत्र संख्या ५६. साइज १५४७ इव । प्रति सटीक है। प्रशस्ति है| विषय - मन्त्र शास्त्र । प्रथम चार पत्र नहीं है ।
म
रचयिता श्री जिनदेव | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६७ साइज १०३ ॥ इव । प्रति पूर्ण है ।
१८२ महापुराण |
रचयिता पुष्पदंत | भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ५६३. साइज १२५५ । लिपि संवत् १६०६.
एक सौ निन्यानवे