Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* श्री महावीर शास्त्र भंडार के ग्रन्थ *
२३६ शान्तिपूजा विधान ।
नया संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज १०||2|| उच्च । अनेक देवी देवताओं को पूजा में निमन्त्रित किया गया है तथा उनको शान्ति के लिये प्रार्थना को गयी है। प्रति पूर्ण है। लिखावट अच्छी है।
२४० शील कथा ।
रचयिता पं० भारमल । भाषा हिन्दो पद्य । पत्र संख्या ५६. साइज १०||४५ इञ्च । प्रति पूर्ण है। २४१ शीलकथा ।
भाषा हिन्दी पद्य। पत्र संख्या २१. साइज १२||x७ इञ्च । लिपि संवत् १६८५. प्रति नवीन है। लिखावट सुन्दर है। २४२ श्रावकाचार ।
रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १४. साइज १०x१!! इञ्च । श्रावकाचार के विषय में संक्षेष रूप से वर्णन किया गया है।
२४३ श्रावकाचार ।
रचयिता आचार्य अमितिगति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४२. साइज १२४५।। इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियों तथा प्रति पंक्ति में ४५-४८ अक्षर । लिपि संवत् १६६१. ग्रन्थ पूर्ण है।
२४४ श्रीपाल कथा ।
रचयिता अज्ञात । भापा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ४५. साइज ११४शा इञ्च | लिपि संवत् १६२८, लिपि स्थान जयपुर ! २४५ श्रीपाल चरित्र ।
__ रचयिता श्री नरसेन । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या ४१. साइज १०||४|| इञ्च । लिपि संवत् १५२३. लिपि स्थान गोपाचल गढ ।
२४६ श्रीपाल चरित्र ।
रचयिता श्री कविवर परिमल्ल । भापा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ७. साइज १२८। इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या ३०००. ग्रन्थ कर्ता ने अन्त में अपना परिचय लिखा है। प्रशस्ति में प्रकार के शासन काल का भी उल्लेख किया है । प्रति नव न है ।
दोसौ आठ