Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* श्री महावीर भंडार के अन्य *
प्रति नं० २. पत्र संख्या ८२. साइज २ixIl- .. ... ... ...
प्रति नं० ३. पत्र संख्या ८६. प्रति नवीन है। २४७ श्रीपाल चरित्र ।
... रायता भट्टारक श्री सकलकीत्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३१. साइज १०४४|| इञ्च 1 सम्पूर्ण पद्य संख्या १८०४. लिपि संवत् १६४६. श्री पद्मकीत्ति के शिष्य केशव ने ग्रंथ की प्रतिलिपि बनवायो । प्रति पूर्ण है लेकिन जीर्णावस्था में है। २४८ श्रीपाल चरित्र भाषा।
__ भाषाकार श्री विनोदीलाल । भाषा हिन्दी (पद्य) पत्र संख्या ८१. साइज ११||४५|| इश्व । सम्पूरा पद्य संख्या १३५४. रचना संवत् १७५०, लिपि संवत् १६१६. प्रति पूर्ण है लेकिन अन्तिम पृष्ठ फटा हुआ है। ग्रन्थ के अन्त में भाषाकार ने एक विस्तृत प्रशस्ति लिखी है जिसमें अपने बंश परिचय के अतिरिक्त तत्कल न बादशाह तथा उसके शासन का भी उल्लेख किया है। .. .... :::: २४६ श्रतस्कंध पूजा।
लिपिक श्री मनोहर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइज १०||x५ इन्च । लिपि संयत् १७८५. २५ श्रत मागर व्रत कयाकाष । . ................ .....:
रचयिता श्री प्रतसागराचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या . माइज १११४५ इञ्च । लिपि संबन १८२७. लिपिका पं० रायचंद । २४ कथायें हैं। प्रति की अवस्था साधारण है।
२५१ श्रेणिक चरित्र ! .......... रचयिता श्री शुभचन्द्राचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२२, साइज ११४४ नश्च । लिपि संबन - १६५२. ग्रन्धकार तथा लिपिकार दोनों के द्वारा ही प्रशस्तियां दी हुई है। ग्रन्थ पूर्ण है। २५२ श्रेणिक चरित्र भाषा ।
भाषाकार भट्टारक श्री विजयकीर्ति । भाषा हिन्दी (पद्य)। पृष्ठ संख्या १५. साइज १२४५।। इञ्च । रचना संवत १८२७,लिपि संवत् १८६४, प्रशस्ति दी हुई है। प्रति पूरणं तथा
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२५३ षट् दर्शनसमुच्चय सटीक । 1... रचयिता श्री हरिभद्रसूरि । टीकाकार श्री गुणरत्नाचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११५. साइज
घोसी नो