Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंदिर परियों का जपपुर अामेर शास्त्र भण्डार, जयपुर .... गन्ध सूची सम्पादकःकस्तूरचन्द कासलीवाल एम० ए०, शास्त्रो प्रकाशक:-- रामचन्द्र खिन्दूका मन्त्री:-श्री दि० जैन महावीर अतिशय क्षेत्र कमेटी महावीर पार्क रोड, जयपुर। Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथम संस्करण ज्येष्ठ वी० नि० २४७५ मूल्य ५ ) ३०० १ " मुद्रक - पॅ० भँवरलाल जैन न्यायती श्री वीर प्रेस, जयपुर | Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राक्कथन प्राचीन काल में मन्दिरों में बडे बडे शास्त्र भण्डार हुआ करते थे। इन शास्त्र भण्डारों का प्रवन्ध समाज द्वारा होता था। कुछ ऐसे भी शास्त्र भण्डार थे जिनका प्रवन्ध बट्टारकों के हाथों में था। भट्टारक[स्था ने प्राचीन काल में जैन साहित्य की अपूर्व सेवा ही नहीं की; किन्तु उसे नष्ट होने से भी बचाया २ | नवीन साहित्य के सर्जन में तो इस संस्था का महत्त्वपूर्ण हाथ रहा है। लेकिन जब इनका पतन होने जगा तो इनकी असावधानी से सैंकड़ों शास्त्र दीमक के शिकार बन गये, सैकड़ों स्वयमेव गल गये और सैकड़ों पत्रों को विदेशियों के हाथों में बेच डाला गया। इस तरह जैन साहित्य का अधिकांश भाग सदा के ...ये लुप्त हो गया। लेकिन इतना होने पर भी जैन शास्त्र भण्डारों में अब भी अमुल्य साहित्य बिखरा पड़ा. और उसको प्रकाश में लाने का कोई प्रबन्ध नहीं किया जाता । यदि अब भी इस बिखरे हुये साहित्य ही संकलन किया जावे तो हजारों की संख्या में अप्रकाशित तथा अज्ञात मन्त्र मिल सकते हैं । ? आमेर शास्त्र भण्डार, जयपुर, जिसका विस्तृत परिचय पाठक गए श्री मन्त्री महोदय के वक्तव्य से जान सकेंगे, राजस्थान में ही क्या, सम्पूर्ण भारत के जैन शास्त्र भण्डारों में प्राचीन तथा महत्त्वपूर्ण है। इसमें • संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी आदि भाषाओं के १६०० के लगभग इस्तलिखित प्रन्थों का बहुत ही अच्छा संग्रह है। जिनमें बहुत से ऐसे ग्रन्थ हैं जो अभी तक न तो कहीं से प्रकाशित ही हुये हैं और न सर्वसाधारण की जानकारी में ही आये हैं । अपभ्रंश साहित्य के लिये तो उक्त भण्डार भारत में अपनी कोटिका शायद अन्ना ही है । इस भाषा के अधिकांश मन्त्र अभी तक अप्रकाशित हैं। हिन्दी साहित्य भी यहां काफी मात्रा में है । १५ वीं शताब्दी 'लेकर १६ वीं शताब्दी का बहुत सा साहित्य यहां मिल सकता । भट्टारक सकलकीप्ति, ब्रह्मजिनदास, भट्टारक ज्ञानभूषण, पं० धर्मदास, ब्रह्म रायमल्ल, पं० रूपचन्द, ० श्रखयराज आदि अनेक ज्ञात एवं अज्ञात कवियों और लेखकों के साहित्य का यहां अच्छा संग्रह है। संस्कृत भाषा का साहित्य भी कम महत्वपूर्ण नहीं है । काव्य, न्याय, धर्मशास्त्र, दर्शन, ज्योतिष, युर्वेद आदि सभी विषयों के प्राचीन ग्रन्थों की प्रतियां हैं। कुछ ऐसा साहित्य भी है जो अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है। इस भण्डार में संस्कृत प्राकृत आदि भाषाओं के लगभग निम्न संख्या वाले प्रन्थ है संस्कृत ५०० हिन्दी १५० अपभ्रश प्राकृत टीका पन्थ ७० ४० 文 इनके अतिरिक्त शेष इन्हीं ग्रन्थों की प्रतियां हैं। शास्त्रों में साहित्य, दर्शन, धर्मशास्त्र, आयुर्वेद, ज्याकरण, स्तोत्र आदि अनेकानेक विषयों का विवेचन किया हुआ मिलता है । प्रन्थों की प्रतियां प्राचीन . है । भण्डार में सबसे प्राचीन प्रति संवत् १३६१ की महाकवि पुष्पदंत द्वारा रचित महापुराण की है। इसक अतिरिक्त १४ वीं शताब्दी से लेकर १८ वीं शताब्दी तक की ही अधिक प्रतियां हैं १६ वीं और २० Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -श्राशताब्दी को तो बहुत ही कम प्रतियां हैं। इससे मालूम होता है कि भण्डार का कार्य १८ वी शताब्दी तक तो सुचारू रूप से चलता रहा किन्तु शेष दो शताब्दियों में नवीन कार्य प्रायः बन्द सा होगया। शास्त्रों की प्राचीन प्रतियों में विद्वानों को साहित्य और इतिहास के अनुसंधान में काफी सहायता मिल सकेगी। विवादग्रस्त कवियों के समय आदि को समस्या को सुलझाने में प्रस्तुत सूची बहुत सहायक होगी ऐसी आशा है। श्री महावीर शास्त्र भण्डार' श्री महावीरजी, उतना अधिक पुराना नहीं है । इस भण्डार में प्राचीन प्रतियां प्रायः जयपुर, आमेर या अन्य शास्त्र भण्डारों से गयी हुई मालूम होती हैं। यहाँ १६ वी तथा २० वीं शताब्दी की जो प्रतियां हैं वे यहीं पर लिखी हुई है। उक्त भण्डार में अधिकतर पूजा साहित्य तथा स्तोत्र संग्रह है। उक्त दोनों भण्डारों में ही जैनेतर साहित्य भी पर्याप्त रूप में है। हिन्दी भाषा की अपेक्षा संस्कृत भाषा का अधिक साहित्य है। उपनिषदों से लेकर न्याय, साहित्य, व्याकरण, आयुर्वेद और ज्योतिष माहित्य का भी अच्छा संग्रह है । कितनी ही प्रतियां तो प्राचीन हैं 1 इस संग्रह से जैन विद्वानों की उदारता का पता लगाया जा सकता है। श्रो महाबीर अतिशय क्षेत्र कमेटी को बहुत से दिनों से अनुसंधान विभाग खोलने की इच्छा थी। पद्याय क्षेत्र की ओर से समय २ पर थोडा बहुत अन्य प्रकाशन का काम होता रहा है लेकिन व्यवस्थित रूप से लगभग २। वर्ष से अनुसंधान का काम चल रहा है। इस अनुसंधान के फल स्वरूप आमेर शास्त्र भएद्वार, अयपुर तथा श्री महावीर शास्त्र रडार, महावीरजी का विस्तृत सूचीपत्र पाठकों के सामने है। इस सूचीपत्र के अतिरिक्त प्रामर भण्डार प्रशारत-संग्रह प्रेस में दिया जा चुका है जो शीघ्र ही पाठकों के सामने आने वाला है । प्राचीन माहित्य के खोज का कार्य चल रहा है। अज्ञात और महत्त्वपूर्ण रचनायें प्रकाशित होकर समय २ पर समाज के सामने आती रहेंगी । ___प्राचीन साहित्य की खोज करने का मेरा प्रथम अवसर है, इसलिये बहुत सी वटियों तथा कमियों का रहना संभव है। लेकिन मुझे प्राशा है कि विद्वान पाठक इनकी ओर उदारता पूर्वक ध्यान देकर मुझे सूचित करने की कृपा करेंगे। श्री महावीर अतिशय क्षेत्र कमेटी तथा विशेषतः श्रीमान माननीय मन्त्री महोदय धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने इस अनुसंधान के कार्य को प्रारम्भ करके अपनी साहित्य-प्रियता का परिचय दिया है तथा अन्य तीर्थ क्षेत्र कमेटियों के सामने साहित्य सेवा का श्रादश उपस्थित किया है। श्रद्धय गुरुवर्य पंडित चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ को तो धन्यवाद देना सूर्य को दीपक दिखाना है-जो कुछ मैं हूँ सब उन्हीं कृपा का फल है। जयपुर, दिनाङ्क १५ मई सन् १६४६ कस्तूरचन्द कासलीवाल Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ---प्रकाशकीय वक्तव्य राजपूताना की रियासतों में जयपुर एक ऐसी रियासत है जिससे जैनों का सैकड़ों वर्षों से सम्बन्ध चला आ रहा है। आमेर इसी वर्तमान जयपुर राज्य को प्राचीन राजधानी है । आमेर या अम्बर शहर जयपुर से करीब ५ मील उत्तर में पहाडियों के बीच में बसा हुआ है। जिस समय जयपुर नहीं बना था अप्त समय आमेर ही प्रमुख शहर गिना जाता था और उसमें जैनों के कई बड़े बडे शिखरवंद मंदिर थे जिनकी कारीगरी आज भी देखने योग्य है। आमेर के बाद नई राजधानी जयपुर विक्रम संवत् १७८४ में बनी। उस समय महाराजा सवाई जयसिंहजी कछवाहा राज्य करते थे। महाराजा जनसिंहजी के जमाने में राज्य के मुख्य मुख्य काम दि० जैनों के ही हाथ में थे किन्तु उन के पश्चात इनके द्वितीय पुत्र सवाई माधोसिंहजो जब उदयपुर से आकर अपने बडे भाई महाराज ईश्वरीसिंहजी की जगह राज्य सिंहासन पर बैठे तो उनके साथ उदयपुर के कुछ शंच राजगुरु जयपुर में आये और जैनों से वध भाव रख कर उनके कई विशाल मन्दिरों को हथिया लिया । जैन प्रतिमाओं को तोड दिया गया और उनकी जगह शिवलिंग स्थापित कर दिये गये । उस जमाने में जेलों पर अगणित अत्याचार हुए उनका नमूना आज भी जीर्ण शीर्ण आमेर नगरी में प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर हो रहा है । आमेर के जिन बैन मन्दिरों को बरबाद कर दिया गया वे अाज भी अपने पुराने वैभव तथा अत्याचारियों के अन्याय को दुनिया के सामने प्रकट कर रहे हैं। उन प्राचीन व विशाल मन्दिरों और मूर्तियों के साथ में हमारा कितना ज्ञान भण्डार आततायियों द्वारा नष्ट हुआ होगा उसका कोई अन्दाजा नहीं लगाया जा सकता। उन प्राचीन जैन मन्दिरों में से सिर्फ एक श्री नेमिनाथ भगवान का मंदिर जो सांवलाजी के नाम से प्रसिद्ध है किसी प्रकार बच गया था। इस मंदिर में एक शास्त्र भएडार भी था जो प्राचीन भट्टारकों ने किसी प्रकार बचा कर रख लिया था। भट्टारक श्रा देवेन्द्रकीर्तिजी तक यह भंडार ज्यों का त्यों सुरक्षित रहा, किन्तु इनके बाद करीब ३०४० वर्ष तक देवेन्द्र कीर्ति के उचराधिकारी भट्टारक श्री महेंद्रकी त्तिजी तथा अन्य शिष्यों में मनोमालिन्य रहा और उस जमाने में नहीं कहा जा सकता कि इस शास्त्र भंडार में से कितने ग्रन्थ निकल गये और किस किस के हाथ में जा पडे तथा कितने ग्रंथ चूहों व दीमकों का आहार बन गये। भट्टारक श्री महेंद्र कीर्तिजी के स्वर्गवास के पश्चात् जयपुर पंचायत ने उक्त मंदिर व शास्त्र भंडार को वापिस अपने अधिकार में लिया और तभी से इसको खोल कर देखने व बचे खुचे ज्ञान भंडार की रक्षा करने का सवाल समाज के सामने आया । उस समय जैन धर्म भूषण, ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी ने भी इसके लिये समाज को बहुत प्रेरणा दी। गत कई वर्षों में मुनि महाराजों के चतुर्मास जयपुर में हुये और उनके आग्रह से कई वार उक्त भंडार को खोलने का अवसर भी आया । जो भी शास्त्र भंसार को देखने आमेर गये वे वहां एक को दिन से अधिक नहीं ठहर सके इस लिये ग्रन्थों के वेष्टनों के दर्शन के अतिरिक्त और कोई विशेष लाभ नहीं हो सका। Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -- जब जयपुर दि० जैन पंचायत की तरफ से श्री महावीर क्षेत्र को प्रयत्व कारिणी समिति बनी तो उसने इस मन्दिर व शास्त्र भंडार को अपने अधिकार में लिया । उसने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और शास्त्र भंडार को भी खुलाकर देखा गया । शास्त्र भंडार में कैसे २ ग्रंथ रत्न हैं इसको देखने के लिये श्रीमान् श्रद्धेय पं० चैनसुखदासजी न्यायतार्थ ने बहुत प्रेरणा दी और उनके शिष्यों ने जिनमें पं० श्री प्रकाशजी शास्त्री. पं० भंवरलालजी न्यायतीथं आदि मुख्य हैं, पांच-सात दिन आमेर ठहर कर प्रन्थों की सूची भी बनाई, किन्तु उससे न तो पंडित चैनसुखदासजी को ही संतोष हुआ और न प्रबन्ध कारिणी समिति को हो । इसके पश्चात कई जैन विद्वानों से आग्रह किया गया कि वे महीने दो महीने आमेर में रह कर पूरा सूचीपत्र तो बनावें किन्तु किसा ने भी इस पुनीत कार्य को करने की तत्परता नहीं दिखायी। आखिर यही निश्चित हुआ कि जब तक यह मंदार जयपुर न लाया जावे इसकी न तो सूची ही बन सकती है और न कुछ उपयोग ही हो सकता है। फलतः प्रन्थ भंडार को जयपुर लाया गया और श्रीयुत भाई साहब सेठ बंधीचंदजी गंगवाल की हवेली में ही एक कमरा उनसे मांग कर मन्थों को उनाइल पडितजी साहब ने वर्गीय भाई मानभन्द्रजी आयुर्वेदाचार्य को सूची बनाने के लिये नियत किया और उन्होंने स्वयं तथा अपने अन्य साथियों को लेकर एक सूची पत्र बना दिया | इसके पश्चात् क्षेत्र को प्रबन्ध कारिणी समिति ने पंडित चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ की सम्मति के अनुसार भंडार का बड़ा सूची पत्र बनाने व प्रशस्ति संबध आदि अनुसंधान कार्य के लिये भाई कस्तूरचंद जी शास्त्री एम. ए. को नियत किया और उन्होंने नियमित रूप से कार्य करके यह सूची पत्र तैयार किया जो आज आप महानुभावों के समक्ष उपस्थित है I ha २ वर्ष से क्रडार का अनुसंधान कार्य व्यवस्थित रूप से चल रहा है। इस थोड़े से समय में ही भण्डार का विस्तृत सूचीपत्र और वृहद् प्रशस्ति-संग्रह तैयार हो चुके हैं । सूचीपत्र तो आपके सामने है तथा प्रशस्ति-संग्रह भी प्रेस में दिया जा चुका है। उक्त दोनों पुस्तकें साहित्य के अनुसंधान कार्य में काफी महत्वपूर्ण तथा उपयोगी साबित होंगी ऐसी आशा है । इसी विभाग की ओर से समय २ पर "वीरवाणी" आदि प्रसिद्ध जैन पत्रों में अनेक खोजपूर्ण लेख प्रकाशित कराये चुके हैं। अभी तक ब्रह्म रायमल्ल, ब्रह्मजिनदास, भट्टारक ज्ञानभूषण, पं० धमदास, पंडित श्रखयारज, पंडित रूपचंद, कविवर त्रिभुवनचन्द्र श्रादि लेखकों और कवियों के साहित्य पर खोज पूरा लेख प्रकाशित हो चुके हैं। चतुर्दश गुणस्थान चर्चा नामक महत्वपूर्ण हिन्दी गद्य के प्रन्थ का सम्पादन भो प्रारम्भ हो गया है। उक्त प्रन्थ शीघ्र ही प्रकाशित होकर स्वाध्याय प्रेमियों के सामने आने वाला है । जयपुर में जब अखिल भारतीय हिस्टारिकल रिकार्डस कमीशन (All India Historical Records Commission ) का २४ वां अधिवेशन हुआ था जब उसके तत्वावधान में ऐतिहासिक सामग्री की एक प्रदर्शिनी भी हुई थी । प्रदर्शिनी में उक्त भण्डार के प्राचीन प्रन्थों को रखा गया था। प्रन्थों की प्रशस्तियों में लिखित ऐतिहासिक सामग्री को पढकर बड़े विद्वानों ने सराहना की थी। Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री कोर सेवा मन्दिर सरसावा की तरफ से पं० परमानन्दजी ने भी कई दिन तक जयपुर में ठहर कर इस ग्रंथ भण्डार का निरीक्षण किया है तथा खास खास ग्रंथों की प्रशस्ति आदि भी नोट करते गये हैं। इन प्रन्थों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो, इसके लिये बाहर की सुप्रसिद्ध ग्रंथ प्रकाशन संस्थाओं, जैसे शान्ति निकेतन बोलपुर, भारतीय ज्ञानपीठ काशी, वीर सेवा मंदिर सरसावा आदि को समय २ पर प्राचीन प्रतियां भेज कर उनके कार्य में पूरा सहयोग दिया जाता है। प्रबन्ध कारिणी समिति का विचार है कि अब इस भंडार को अधिकाधिक उपयोगी बनाया जाय और जगह जगह से अलभ्य ग्रंथों को लाकर या उनकी प्रतिलिपियां मंगाकर बडा ग्रंथालय स्थापित किया जाय ताकि विद्वान् लोग इससे लाभ उठा सकें। इस कार्य के लिये जयपुर के नये बनने वाले त्रिपोलिया ( चौडा रास्ता ) सदर बाजार में एक बड़ी बिल्डिंग खरीद भी ली गयी है । उसी बिल्डिंग में एक बड़ा हाल बनवा कर उसमें इस प्रन्थालय की स्थापना करने का विचार किया गया है । जैन समाज के विद्वान् तथा साहित्यप्रेमियों से हमारी प्रार्थना है कि वे प्राचीन हस्तलिखित प्रन्थ इस प्र'थालय को भेट करें तथा अन्य सभी प्रकार की सहायता द्वारा इसे समृद्ध बनान में सहयोग दें | वर्तमान काल में जैनघम के प्रचार तथा सच्ची प्रभावना का इससे बढ़िया और कोई उपाय नहीं है। जैन समाज को जीवित रहना है तो उसको चाहिये कि सबसे पहले अपने साहित्य की रक्षा तथा प्रचार करने के लिये दृढ संकल्प कर लें और बृहत् राजस्थान की संभावित राजधानी जयपुर नगर में जो कि हमेशा से जैनियों का केन्द्र रहा है, इस मंथालय को उन्नत बना कर जैनधर्म की सच्ची सेवा व प्रभावना में हमारा हाथ बटावे - सबसे हमारी यही प्रार्थना एवं अनुरोध है । समाज का नम्र सेवक रामचन्द्र विन्दुका मन्त्री - प्रबन्ध कारिणी कमेटी भी दि० जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी जयपुर | Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृष्ठ २ Y १४ १५ 头 ५३ ५३ ゆう ર ७५ ७८८ ६६ ३.७ ११८ १५४ १५६ १६६ ११ १६३ १६७ पंक्ति ६ xx.m १४ ४ २८ १० १२ १२ ११ ११ १४ ६. ५. २० ३ १६ ५. = १६ शुद्धाशुद्धि पत्र अशद्ध 3 अतरायमना माणिक्क गौतम स्वामी प्राकृत सिन्दी गोवालोत्तर दशन रचना लिपि गोहीका नन्दितादिद गय रचयिता ब्रह्मजिनदास अछे दिन्दी नसुनन्दि अन्मित शुद्ध 'तरायमन माणिक्कराज पूज्यपाद स्वामी अपभ्रंश हिन्दी गोपालोत्तर दर्शन लिपि रचना गोदी का नन्दिछंद भाषाकार पांडे जिनदास पद्य अव हिन्दी वसुनन्दि अन्तिम जोडिये टीकाकार महेन्द्रसूरि · रचयिता हरिभद्रसूरि ararara गुणरत्नसूर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री दिगम्बर जैन शास्त्र भण्डार, आमेर ( जयपुर ) ग्रन्थ-सूची 哥 कुरारोपण विधान रचयिता पं० आशधर । भाषा-संस्कृत | पत्र संख्या ६ साइज १० | ५|| विषय - धार्मिक । पं० आशावर कृत प्रतिष्ठापाठ में से उक्त प्रकरण लिया गया है Į अजित शांति स्तोत्र रचयिता-ज्ञात भाषा प्राकृत | पृष्ठ संख्या ३. गावा संख्या ४०. प्रति नं० २. पत्र संख्या २ साइज १०||४४ इञ्च । लिपि संवत् १६२६. लिपिकर्त्ता ने बादशाह अकबर के शासन काल का उल्लेख किया है। अजीर्ण मंजरी 'रचयिता-अज्ञात । पृष्ठ संख्या ३. साइज १३४५॥ इव । विषय आयुर्वेद | प्रति नं० २, पत्र संख्या ३. साइज ११४४ || इन । लिपिकत्ती पं० तेजपाल । अनुगीता रचयिता - अशात | भाषा-संस्कृत | पत्र संख्या ७. साइज २०४४ || इश्र्च | श्री कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत युद्ध के समय जो कर्मयोग का पाठ पढाया था उसी विषय का इसमें वर्णन किया गया है । अठारह नाता रचयिता-अज्ञात । भाषा - हिन्दी । पत्र संख्या ४. साइज १०x४. मनुष्य के भव परिवर्तन से उसके सम्बन्धों का भी किस प्रकार परिवर्तन हो जाता है, आदि वर्णन बड़े 'सुन्दर ढंग से इसमें किया गया है I 85 एक Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * का भंडार अन्य অস্ত্র বিকিনি रचयिता-श्री मुनि शिवदन । भाषा-स्कृत ! पत्र संख्या २६. साइज १२||xe इञ्च । दीमक लग जाने से प्रारम्भ के १० पृष्ठ फट गये हैं। मंगलाचरण इस प्रकार है ऋपभाटिबर्द्धमानांतान जिनान नत्वा स्वभक्तितः । सार्दू पढीपजिनः पूजां विरच यान्यहं ।। १ ।। प्रतिगयनमा रचयिता-अज्ञात । भाषा--हिन्दी । पत्र संख्या २ साइज ||| इञ्च । प्रतिलिपि संवत् १७२७. मंगलाचरण इस प्रकार है इंदं सबंचियचलऐति दुणवरनाणंद सण पईवो । वंदे अगह वोत्थं समासः अतंरायमलं ।। १ ।। अनमारधर्मामृत रचयिता-महा पं० आशाधर । भाषा-संस्कृत । पत्र संख्या ६०. साइज १२४५. इञ्च । विषय-साधुओं के आचार धर्म का वर्णन । लिपि संवत् १८२७. सिरोंज नगर निवासी श्री धरमचन्द ने उक्त ग्रन्थ की प्रतिलिपि करवाई। पति न० २. पत्र संख्या ४५. माइज ||४५ इञ्च । ग्रन्थ अपूर्ण । ४५. से आगे के पृष्ठ नहीं हैं। प्रति नं० ३. पत्र संन्या ३४४. साइज ११||४|| इञ्च । लिपि संवत् १५४६ प्रति सटीक है। दीका का नाम भव्यकुमुद चन्द्रिका है। अनघरावर रचयिता-श्री मुरारी । भाषा-संस्कृत । पत्र संख्या ६४. साइज ११||४|| इञ्च । लिपि संवत् १८३६. विषय श्री रामचन्द्र का जीवन चरित्र का वर्णन । प्रति नं० २. पत्र संख्या ३०. साइज ??||४|| प्रति अपूर्ण है। अनंतजिन पूजा ___रचयिता-अज्ञात । भापा-हिन्दी । पत्र संख्या ५. साइज़ ११४५।। इश्च । प्रति अपूर्ण है। अन्तिम पृष्ठ नहीं है । विषय-श्री अनंतनाथ की पूजा । Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के प्रन्थ'* प्रति नं० २. पत्र संख्या ८. साइज १०x४॥ इञ्च लिपि नंवत १५६०. अनंत व्रत कथा रचयिता-श्री जीवणराम गोधा । हिन्दी पत्र संख्या ३. साइज ११४५. इञ्च । रचना संवत् १८७१. रचना करने का स्थान रेणी ( जयपुर ) अनंत व्रत कथा रचयिता-ब्रह्म श्री अतसागर । भाषा-संस्कृत । पत्र संख्या ३. साइज १२x41 इञ्च ! लिपि संवत् १८६५. लिपिकर्ता बिजयराम | प्रति नं० २. पत्र संख्या ३. साइज १२४५।। इञ्च । अनंतव्रत लघु कथा रचयिता-अज्ञात । पत्र संख्या १. भाषा-हिन्दी (पद्य) साइज ११||४५ इञ्च । पद्य संख्या २४. अन्नपान विधि रचयिता-अज्ञात । भाषा-संस्कृत। पत्र संख्या ४८. साइज १०४॥ इञ्च । अन्य अपूर्ण है। विषय खाने पीने के विधान का वर्णन । प्रति नं० २. पत्र संख्या -४६. साइज १०४६ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। अनिट् कारिकावृत्ति रचयिता-अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३. साइज १०॥।इञ्च । विषय व्याकरण प्रति नं० २. पत्र संख्या ६. साइज १०||xx . प्रकाश १ अनुप्रेक्षा प्रकाश रचयिता-आचार्य कुन्दकुन्द । भाषा-प्राकृत । पत्र संख्या ६. गाथा संख्या ८५. साइज ||४. विषय-बारह अनुप्रेक्षाओं का वर्णन। Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * २ अनुप्रेक्षा रचिता-श्री जोगेन्द्रदेव लक्ष्मीचन्द्रदेव । भाषा-प्राकृत। पत्र संख्या ३, साइज ६x४. इञ्च अनेकार्थध्वनि मंजरी रचयिता-श्री नन्ददास। भाषा-हिन्दी । पत्र संख्या ६. साइज १२४५. इश्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या १५६.रचना संवत् १८२४. नंगसिर कृष्णा दशमी । विषय-शद्धकोप । मंगलाचरण यह है यो प्रभु ज्योतिमय जगतमय कारन करत अभेव । विधन इरन सब शुभ करन नेम नमो भा देव ।। अन्तिम पाठ मार्गशीर्ष दशमी ग्वा असित पक्ष शुभ जानि ! अन्द प्रातारह से बपि ऊपर चौविस मान ।। २॥ पठन काज लिखि प्रेम कर नंदरिसोर विवेद । ज्ञानी लेहु सुधारि कवि अक्षर ही को भेद ।। २ ।। अनेकार्थ नाम माला वृत्ति रचयिता आचार्य हेमचन्द्र। भाषा--संस्कृत । पत्र संख्या २५६. साइज १०||४|| इश्च । ग्रन्थ लोक संख्या १२६१०. इसाचार्य श्री हेमचन्द्र विरचितायामनेकाथाकोर वाकर कौमुदीत्यभिधानायां स्वापज्ञानेकार्थ संप्रटीकायामानेकार्थी शपाव्ययः कांडः समाप्तः । श्री हेमसूरिशिष्येण श्रीमन्महेंद्रसुरिणा । भक्तिनिष्टेन टीकायां तन्नाम्नेव प्रतिष्ठिता ।। १ ।। सम्यक ज्ञानानधेर्गुणो रनवाधः श्रीहेमचन्द्रप्रभोः। अथव्याकृतिकोशल व्यसति वास्मादशा तादृशं ।। व्याख्यामः स्म तथापि तं पुनरिंद नाश्चर्यमंतर्मन स्तस्या स्रजमपि स्थितस्य हिमवयं व्याख्याम तु ब्र मह ॥२॥ यल्लक्ष्यं स्मृतिगोचरसमभवत् दृष्ट' व शास्त्रांतर । तत् सर्वे समदशि किंतु कतिचित् नादृष्ट लक्ष्याः क्वचित् ।। असूक्ष्यं स्वयमेव तेषु सुमुस्विः शाकेषु लक्ष्यं बुधेः । चार Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ * यमान संप्रति तुम्छकश्मलधियां ज्ञानं कुतः सर्वत; ।।३।। । इति श्री अनेकार्थनाममालावृत्ति संपूर्ण । ) अनेकार्थ मञ्जरी । - रचयिता' अज्ञात । भाषा हिन्दी (पद्य) पत्र संख्या २०. साइज =||५|| इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या १२२. अनेकार्थ । ___ रचयिता प्राचार्य हेमचन्द्र । भाषा संस्कृत'। पत्र संख्या ३३. साइज १०x४) इचलिपि संवत् १५५६. विषय-शब्दकोष । अमरकोश । रचयिता श्री अमरसिंह । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५३. साइज २० इञ्च । लिपि संवत् १८०२.. प्रति नं० २ पत्र संख्या ३१. साइन ११४५ इञ्च । प्रति सटीक है। टीकाकार का कहीं पर भी नाम: नहीं लिखा हुआ है। कोश अंपूर्ण है। ३१ से आगे के पृष्ठ नहीं है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या ४६. साइज १२॥ ६ इञ्च । कोष अपूर्ण है। केवल २ ही अध्याय हैं। प्रति नं० १. पत्र संख्या १२५. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १८८०. लिपि स्थान तक्षकपुर । लिपिकार श्री गुमानीराम । प्रति नं० ५ पत्र संख्या १४६. साइज १०||४|| इश्च । लिपि संवत् १६२०: लिपिस्थान यगर लिपिकार भी उदयराज.! ... ... ... ... ... .. ... :: : प्रति नं०६. पत्र संख्या ३०८ साइज १०||AT इश्च। टीकाकार पं० क्षीर स्वामी लिपि संवत् १७४६. प्रति नं०७, पत्र संख्या:४२: साइन १६x४|| इञ्च । : .. प्रति नं०८, पत्र संख्या १०८: साइज १०x४|| इश्व ।।५४ से पहिले के तथा १०८ से आगेके पत्र नहीं है। पांच Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * - प्रति नं०६ भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३६, माइज १०x४|| इञ्च । लिपि संवत १७७२. लिपिस्थान पाट जो पुत्र । अमर सेन चरित्र । रचयिता श्रीमाणिक क । भाया अपभ्रंश । पत्र संख्या ६६. साइज १०||४|| इञ्च । लिपि संवत् १५७७. प्रति अपूर्ण तथा जीए शीरण हो चुकी है । ५७ पृष्ठ पर एक मोहर है जिसमें अरवी भाषा में शब्द लिव हुये है। अलंकार शेखर । रचयिता न्यायाचार्य श्री केशमिश्र । भाषा संस्कृत ! प नख्या ३४. साइज १०४५।। इंश्च । विषय-अलंकार शास्त्र । लिपि संवत् १७७४. रचयिता अज्ञात । भापा-संस्कृत । पत्र संस्था ३. साइज १०|||| इञ्च । विषय-व्याकरण अस्तिनाम्निविवेकनिगमनिर्णय । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २००. साइज १२x६ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २८ । ३. अतर । अन्ध न्याय शास्त्र का है। २२ अध्याय हैं। अश्व चिकित्सा। रचयिता श्री नकुल । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २०. साइज १०४६ इश्च । प्रति अपूर्ण है। अष्ट कर्म प्रकृति वर्णन ! रचयिता श्री दलराम ! भाषा हिन्दिी ( प ) पत्र संख्या २६. साइज १२||५|| इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या २०५. प्रारम्भ के तीन पृष्ठ नहीं है। प्रति सुन्दर तथा स्पष्ट है। अन्तिम भाग करमकांड पागम अगम बरनें कु कवि एव । कै जाने जिन केवली के जाने गनदेव ।।१।। स्यादवाद् जिनवर अचन सस्य करि गहै सयान । सो भवि कर्म निवारिकै लई मुक्ति पुरथांन ।। २ ।। Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * अामेर भंडार के अन्य * टीका सूत्र सिद्धांत सों कर्मकांड गुन गाय । जथा सकति कछु बरनयो बाल बोध हित लाय ।। ३ ।। यह करम की परकति बखानत एकसो अठताल । तस मांहि बंध अवध वरनन कटत कर्म जंजाल ।। दलराम केवल वचन सरदहि सत्य करि परमान । सो भेद कर्म विनासि भवि जन लदत शिवपुर थान ।। १ ।। अष्टम चक्रवर्ति कथा भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २. साइज १०x४।। इञ्च । पद्य संख्या १६. उक्त कथा, 'कथा-कोश' में से ली गयी है। अष्ट सहस्त्री। रचयिता श्री विद्यानन्दि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २०६. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १६११ लिपि स्थान गिरिसोपा-दुर्ग ( कर्णाटक प्रान्त ) विपय-जैन न्याय । अष्टाध्यायी सूत्र । रचयिता प्राचार्य श्री पाणिनी । लिपी कर्ता श्री सूरि जगन्नाथ । पत्र संख्या ४६. साइज ११||४५ इश्च । लिपि संवत् १७००. विषय-व्याकरण । ___ प्रति नं०२ पत्र संख्या ३६. साइज ११४५।। इञ्च । । अष्टावक्रा .. .: .. . . रायता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १. साइज ११४५।। इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १४ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३८/४४ अक्षर । विषय-साहित्य । अष्टाह्निका कथा । रचयिता भहारक श्री सुरेन्द्र कीर्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज ११३५ इञ्छ । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियों तथा प्रति पंक्ति पर ४७/५२ अक्षर । कथा के अन्त में कवि ने अपना परिचय दिया है। . सात Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के प्रन्थ अष्टाह्निका कथा | रचयिता पं० खुशाल चन्द्र भाषा हिन्दी पत्र मंख्या ४ साइज १२०५ इञ्च | रचना संवत् १७७४ सम्पूर्ण पद्य संख्या- ११७. प्रति सुन्दर है । अष्टाका कथा | रचयिता आचार्य शुभचन्द्र भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ७. साइज १० ।। ४५ । लिपि संवत् १८४६. लिपिस्थान, जयपुर | प्रति ०२ पत्र संख्या ६ साइज ११||४६ इञ्च लिपि संवत् १८६१ | प्रति नं० ३. पत्र संख्या ४. साइज १२४६ च । J. श्रष्टाका कथा | रचयिता अज्ञात भाषा हिन्दी | साइज २० fare श्री इञ्च रचना संवत १८७२ "रेणी नगर के राम के लिये ग्रन्थ की रचना की गयी" उक्त शब्द प्रशस्ति में लिखे हुये हैं । अष्टाहिका व्रतोद्यापन पूजा । रचयिता श्रज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. साइज १२५|| ३ | लिपि संवत् १८३६. लिपि - स्थान सवाई माधोपुर ( जयपुर ) लिपिकार भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीति । अज्ञान वोधिनी ।: रचयिता श्री शंकराचार्य | भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १३ साइज १०४५ || इश्र्व | विषय न्याय अक्षयनिधि पूजा | रचयिता अज्ञात | पत्र संख्या ५. भाषा संस्कृत । साइज ११४४ ॥ इव लिपि संवत् १७६८, लिपिकारं पं० दोदराज | प्रति नं० २ पृष्ठ संख्या २१. साइज ११||४|| इश्र्व पुस्तक में अन्य पूजाएँ भी हैं। श्र आकाश पंचमीत्रत कथा | रचयिता अज्ञात भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५. साइज ११४४॥ उ । लिपि संवत १६७० प्रतिपूर्ण हैं । आठ Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - * मेर भंडार के अन्य * अाचारांग सटीक । टीकाकार प्राचार्य श्री शीलाका । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पृष्ठ संख्या १४३. साइज १२ । प्रत्येक पृष्ठ पर २२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ६५-७०, अक्षर। विषय-वार्मिक । लिपि संवत् १६०४. श्री युमरेझमहा दुर्ग में श्री गुण लाभ गरिव ने प्रथ की प्रतिलिपि बनायी। आचासंग सूत्र । । :: । लिपि कर्ता-अज्ञात | भापा प्राकृत । पत्र संख्या ६१. साइज ११४४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। प्रथम तथा अन्तिम पत्र नहीं हैं.। . . . . . . . . आचारसार । रचयिता सिद्धान्त चक्रवर्ति श्री वीरनन्दि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ८३. माइज १० इञ्च ! प्रत्येक पृष्ठ पर ८ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २६-३२ अक्षर । लिपि सवत् १८०४० लिपि स्थान जयपुर । प्रति नम्बर २. पन्न संख्या ६१. साइज १०||४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है दीमक लगी हुई है। आत्म संबोधन काव्य । .. .. - रचयिता अज्ञात । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ४०. साइज १०४४॥ इञ्ज । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पक्ति। और प्रति पंक्ति में २२-२६ अक्षरं । प्रति लिपि संवत् १६०७। प्रारम्भ जयमंगलगारउ वीसभडार उ भुवणसरणकेवलनयां । लोगोत्तम गोत्तमु संजयशोत्तम पाराहमितहो जिणक्यणु।। प्रति नं०२. पत्र संख्या २६. साइज ८४५ इञ्च । लिपि संयत् १४४८. लिपिकत्ता श्री लक्ष्ण प्रथम दो पत्र नहीं है। । प्रति नं० ३. पत्र संख्या २७. साइज १०x४|| दृश्च २२ से २६ तक के पृष्ठ नहीं है। .. ..... ..... प्रति नं० ४. पत्र संख्या ३२. साइज १०x४ इञ्च । प्रत्येक पत्र पर । पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३०४३४ अक्षर लिपि संवत् १५३४।। - Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *आमेर भंडार के ग्रन्थ * .. . आत्म संबोधन पंचासिकाटीका । ३||। प्रति अगों है। टीकाकार अज्ञात । भाषा प्राकृन-संस्कृत । पत्र संख्या १८. साइज प्रारम्भ के तथा अन्तिम पृष्ट नहीं है। आत्मानुशासन । मुलकर्ता आचार्य श्री गुगभद्र। भापाकार- पं० दौलतरामजी। भाषा-संस्कृत-हिन्दी । पत्र संख्या १५८. साइज १०||x६ इन्च । प्रत्येक पृष्ट पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३०-३६ अक्षर। लिपि संवत् १९०५ भाषा सुन्दर और सरल है। . आत्मावलोकन । रचयिता श्री दोषचन्द कासली बाल । पत्र संख्या ६३. भापा-हिन्दी गद्य नाइज ||४५ इञ्छ । प्रारम्भ में प्राकृत भाषा की ११ गाथानों का १७ पृष्ठ तक हिन्दी गद्य में अर्थ लिखा गया है किन्तु आगे ग्रन्थ समाप्ति तक लेखक स्वयं विना गाधानों के ही विषय को पूरा करता है। भाषा बड़ी अच्छी है। उक्त रचना १ बी शतावित की है। साए किया कहा से की गयी यह भी अभी मोलम नहीं हो सका है। प्रत नं० पत्र संख्या ६८ साइज ११४५ इन्च । लिपि संवत १८८३ लिपिकार पं० दयाराम । आतर प्रत्याख्यान प्रकीर्ण। रचयिता श्री भुवन तुग सूरि । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या : साइज १५सा इञ्च । लिपि संवत' १६०० प्रति अपूर्ण पहिला, तीसरा और अला. पृष्ठ, नहीं.है.. .. .... आदित्यवार कथा । ..... . ... :: . रचयिता हात ।:मस्या हिन्दी । पृष्ठ संख्या १०: साइज १०१।।। 'इच। पद्य संख्या १५२. . .... · आदिपुराण । प्रन्थकर्ता महाकवि पुष्पदन्त ।, पन. संख्या.२५७ साइज -HK४ इचच प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ४५-५५ अक्षर । कागज मोटा है। सीम लगने से बहुत से पत्रों केनर साफ पढेने में Taran वस Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमर भंडारक ग्रन्थ ही प्रति च पर वे कागज में सोलाइन और देश को विचित्र प्रभार ६ बिन भातक स्पष्ट है. जय १८ और १३ में दूसरे के हाथ की लिखावट है। प्रतिलिपि संवत् १४६१ भादवा बुदि। बधवार । 35 परिच्छेद । ग्रन्थ के अन्त में लिखाने वाले ने अपना यश परिचय दिया है लेकिन वह अपूर्ण है। प्रति नं० २. पन संख्या ३.७. साइज ११||४|| इञ्च । लिपि संवत् १६६३. आमेर नगर में श्री महाराजा मानसिंह के राज्य में ग्रन्थ की प्रतिलिपि हुई थी। .. प्रति नं० ३. पत्र संख्या २८८ । साइज १२४४|| इञ्च । लिपि संवत् १६६३ 1 लिपिस्थान बोगदुर्ग। प्रति नं० . पत्र संख्या २७५ । साइत १२४६।। इञ्च । प्रति अपूर्ण है | गाथाओं के ऊपर सस्कृत में भी शब्दार्थ दे रखा है। मति नं. ५. पत्र संख्या २१८ । साइज़ १०11211 इञ्च । । प्रति नं० ६ पत्र संख्या १४५ । साइज १०||४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण है ! -. :.. .. . .....प्रति न० ७. पत्र संख्या ६१ : साइज १३:४६ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। . . . . . . . आदिपुराण । रचयिता- - AT: "नी काx जन सी भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ६७० । साइज ११।४।। इश्च । लिपि संवत् १६८१. लिपिस्थान मोजमावाद (जयपुर ) लिपिकत्ता श्री जोशी राघौ। प्रति न० २. पत्र संख्या ३६६। साइज १२४४।। इश्च । लिपि संवत् १८०३ । लिगिकर्ता श्री हरिकृष्ण प्रति नं० ३. पत्र संख्या ४०४ । साइज १|| इन्छ । लिपि संवत १८०६ ) लिपि.स्थान जयपुर । लिपिकती छाजूरामजी । लिपिकत्ता ने जयपुर के महाराज श्री माधवसिंह जी के शासन काल उल्लेख किया है। प्रति सुदर, स्पष्ट और नवीन है। . . . . : प्रति न ४. पत्र संख्या ३७१ ।' साइज शाईच लिपि चहत प्राचीन का अन्तिम पव कुछ फटा हुआ है। - T. :Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * भामेर भंडार के ग्रन्थ : - .-. -. प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-४० अक्षर । लिपि संवत् १६३२ । लिपिकार ने संग्रामपुर के महाराजा मानसिंह के नाम का तथा जयपुर के दोबान वाल चन्दजी का उनलम्ब किया है। .. . . . प्रति नं० २. पत्र संख्या १६६ । साइज १३४५ इञ्च । प्रति नं. ३। पत्र संस्था १८२ ) साइज ११४ा । लिपि सन १६६२ । लिपि स्थान संग्रामपुर । लिपिकर्ता ने महाराजा मानसिंह के नाम का उल्लेख किया है। प्रति न० ४. पत्र संख्या. १६६ । लाज १३४५ इञ्च । लिगि संबन १.३३ । प्रति नं० ५. पत्र संख्या १८८ । माइज ११४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति क्ति में ३६.४२ अक्षर । प्रति प्राचीन है। आदिनाथपुराण रचयिता ब्रह्म श्री जि नदास । भाषा हिन्दी पन्छ । पत्र संख्या २१५. माउज १०||४६ इञ्च। प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३० ३४१ नर । लिपि संयन १८५६. लिपिकर्ता ब्रह्मचारी प्रेमचन्द । मंगलाचरण आदि जिन्वर आदि जिनेश्वर पारणसेतु सरस्वती मम्मीने बलस्तवु, बुधि सार हू मांगउ निरमल, श्री सकलकीर्तिपाय मणमीने। मुनि भुवनीति गुम्वाहुं सौहजला, ससकरी सी हुरुवडो, तमबरसादसार, श्री आदि जिणंद गुण वर्णवु चारित्र जोडू भवतार ।।१।। प्रति नं० २ । पत्र संख्या १६३ साइज ११४६ इन्न । प्रति अपूर्ण है। .. .. आदीश्वर फाग। रचयिता भट्टारक श्री ज्ञान भूषण । भाषा संस्कृत हिन्दी । पत्र संख्या ३१ । प्रत्येक पृष्ठ पर -११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३०-३= अक्षर । साइज १०||x५ इञ्च । लोक संख्या ५६१ । लिपि संवत् १६३५ । लिपि स्थान मालपुरा । ग्रन्थ में भगवान आदिनाथ के निर्वाण कल्याण का वर्णन किया गया है। प्रारम्भ यो वृदारकवृद यदितपदो जातो युगादौ जया, हत्वा दुर्जयमोहनीयमखिलं शेषं च धातित्रयं । बारह Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ गाइन सध्या केवलबोधनं जगदिदं संबोध्य मुक्ति गत- :। स्तस्कल् योगिक सुरकृतं यात्रणंयामि स्फुटं ॥१॥: : : . .: ।। श्रोहे प्रणमीया 'भगवति । संस्सति जगति विधोधनमाय। - । । ।। गाइस्यू आदि जिणंद मुरंदवि ! बौदित पाय ॥१॥।। . . अानंदस्तोत्र । रचयिता श्री महानन्द भाषा अपभ्रश। पत्र संख्या ४. गाथा संख्या ४३ । सोxx। इश्च । विषय-चरणानुयोग। आलाय पद्धति । । । . .. रचयिता श्री पं० देवसेन । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११ । साइज ११४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर है पंक्तियों तथा प्रति पंक्ति में ३४-५ अक्षर लिपि संवत् १७६४ । लिपि स्थान-बसबा . (जयपुर) विषय तत्व विवेचन । प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ७. साइज १२।।४11. प्रति नं०३. पृष्ठ संख्या २०. १०||४६ इञ्च । लिपि संवत् १७७५ फागुण सुदी ११।... र प्रति नं. ४. पृष्ठ संख्या १८. साइज १०||x४) इश्च । प्रति न० ५. पृष्ठ संख्या १३. साइज १०x४ इन्। प्रति अपूर्ण है। .... ..... प्रति नं० ६. पृष्ठ संख्या १३. साइज १०||४४ इञ्च । प्रति नं० ७. पृष्ठ संख्या ६. साइज १२४५ रुख । प्रति नं०८. पत्र संख्या ८, साइज Exशा इश्च । प्रति अपूर्ण है। १. प्रति नं०१ पत्र संख्या १४ साईज १०॥xit इलिपि संवत् १६६। लिपिकार लूणकरण । प्रति न०१० पृष्ठ संख्या १०, साइज १०x४|| इञ्च । अन्त में नयसंकेतदीपिका भी इसका नाम दे रखा है। प्रति नं० ११. पत्र संख्या में । साईज १०४४ इंच । लिपि संवत् १७७२. लिपिस्थान-पाटलिपुत्र । तेगे Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रारम्भसिद्धि वात्तिक । ..... रचयिता ओ उदयाभ । टीकाकार श्री वाचनाचार्य हेमहंस गगि । भारा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १२८. साइज १०||४|| इन्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में १४:५० अक्षर । रचना संगत् १५१४. विषय-ज्योतिष । ग्रंथ के अन्त में प्रशास्ति दो हुई है। .. पाराधनासार। • रचाचता पं0 देवमेन । भाषा प्राकृत.. पत्र.. संख्या ४१ । साइज .0|| इञ्च । गाथा संख्या ११५ । संस्कृत में भा कहीं - अर्थ द रखा है। विषय-आध्यात्मिक। प्रति न०२. पृष्ठ संख्या ६. साइज ६०||४|| Bछ । प्रति अपूर्ण है। .. प्रति नं. ३. पत्र संख्या, ११, लाइज ६x६ इञ्च । . . . . .. . , ..... प्रति ०.. पृष्ठ संख्या १२. साइज १०४४ इच्न । प्रति अपूर्ण है। १२ पृय से आगे के पृष्ठ नहीं हैं। अराधनासार वृत्ति। रना यता श्री पं० आशावर। भाषा संस्कृत । पन संख्या ७. साइज ११४८|| इस्त्र । लिपि संवत् १५८१. विषय-धार्मिक। श्रात्रेय संहिना। रचयिता श्री आत्रि ऋषि ।' भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १३७. माइज १३.४५ इञ्च । लिपि संवत् १४४०. विषय-आयुर्वेदिक ! ... . .. ... ... .. . टोपदेश । ....... रचयिता गौतमस्थानी । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ६. साइज़ १०||४|| इन्च । पख संख्या ५६. विषय-आध्यात्मिक । . दष्टोपदेश । .... त्यांच ना अज्ञात : भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १६. साइन ६.४५-इञ्च । ..... प्रौदह Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ * उड़ाम सहस्रतन्त्र । रचयिता अज्ञात । पत्र संख्या ३३. साइज ८४|| इञ्च । भाषा संस्कृत । लिपि संवत् १८८२. . उगादि सूत्रवृत्ति । टीकाकार श्री उज्वलदत्त । भाषा संस्कृत पत्र संख्या ५. साइज -४५। इञ्च । लिपि संघत् १८३०, मगलाचरण .... , ..... ... ... .. .. . . ...... हेरवमीश्वरं वाचं नमस्कृत्य पर गुरोः । .:. . . श्रीमदुज्वलदत्तन क्रियते वृत्तिरुत्त ना ।। २ 11. ४... ... .. . :-- उसरपुगण । रचयिता महाकवि पुष्पदन्त । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ४७३. साइज १||४|| इञ्च । प्रत्येक पृथु घर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३८-४४ अक्षर ! प्रन्य अपूर्ण । ४७३. से आगे पृष्ठ नहीं है। उत्तरपुराण ( मटीक)। .. टीकाकार प्रभाचन्द्राचार्य । भाषा अपभ्रश-संस्कृत । पत्र संख्या ५७. साइज १०||४|| इञ्च । प्रत्येक रात्र पर. ११ पेशियां बार प्रति पंक्ति में ३०.४३ अक्षर। टीकाकाल १०८०. लिपि संवत् १५७७) लिपिस्थान नासपर उनर पुराण । रचयिता गुगा भद्राचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३७३. साइज १०||४६ इञ्च । प्रति नवीन ::: ::... - - - - - Hथा प्रति नं० पत्र संख्या २७६. साइज ११||४५।। इञ्च । लिपि संवत् १२०५ ज्येष्ट बुदि ५ बृहस्पतीवार । लिपि स्थान जयपुर । लिपि का पति श्री चिमनसागर । श्री घणराजजी जीवणरामजी ने लिपि करवायी। प्रति के दोनों तरफ कठिन शब्दों का सरल अर्थ दे रखा है। प्राचीन शौधित प्रति है। - - - Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भडार के ग्रन्थ उत्तरपुराण | रचयिता भट्टारक सकलकीर्ति । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २१६. साइन ९०/४५ इञ्च । लिपि संवत् १९०५. प्रति नवोन है । 1. " उदय प्रभारचना । रचयिता श्री उदयप्रभाचार्य । भाषा संस्कृत | पृष्ठ संख्या ४४ राइज: १४५ पंडियां तथा प्रति पंक्ति में ३५-४० अक्षर । विषय-जैन दर्शन । मन्त्र कार ने आचार्य हेमचन्द्र दिवाकर महाराज कुमार पाल आदि का भी उल्लेख किया है । सिद्धसेन दिवाकर विरचित द्वात्रिंशा शका के अनुसार इस ग्रन्थ की रचना की गयी है। ग्रन्थ सटीक है। कारिकाओं की टीका है जो स्पष्ट और सरल है | मन्त्र अपूर्ण है ५४ से आगे के पृष्ठ नहीं है । . मंगलाचरण 11 यस्य ज्ञानमनं तवस्तुविषयं पूज्यते देवतैः । नित्यं यस्य वचो न दुर्नयकृतैः कोलाहलैलुप्यते ॥ रागद्व ेषमुखाद्विषां च परिपंत् क्षिप्ता क्षणायेन सा स श्री वीरप्रभुविधूतकलुषां बुद्धिविधत्तां मम ॥ १ ॥ 65 P विदितर्वार्थान् विश्वद्धिपरिभूषिताम् ।। १ F श्री कुन्दकुन्दनामान यंती संयतमरसर उमास्वातिसमतादिभद्रो संपूज्यपादक || २ || T Hare E पृष्ठ पर १४ सिद्धसेन उपदेशरत्नमाला | रचयिता आचार्य श्री सकल भूषण | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १३६ पत्र संख्या ३३८३. रचना संवत् १६२७. लिपि संवत् १७४५. भट्टारक श्री जगत्कीर्ति के शासनकाल में श्री गंगाराम छावडा श्री वनमाली दास पाड्या, श्री मन सेठी, श्री वेणा पांड्या, श्री माघीसाह, पाटणी, श्री जंगा सोनी, श्री पूरा अं आदि सज्जनों ने उक्त प्रन्थ की प्रतिलिपि कराई । अजमेरा E आरम्भ... तीर्थकरों की स्तुति करने के पश्चात् पूर्व प्रसिद्ध आचार्यों का इस प्रकार स्मरण किया हैश्रीमदुवृषभसेनादिगौतमांतगणेशिनः । TS: 7 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -- -- - * आमेर भंडार के अन्य * - ---- - - अकलंक कलाधारं नेमिचंद्र मुनीश्वरं । विद्यानंद प्रभाचंद्र पद्मनंदं गुरु परं ॥ ३ ॥ श्रीमत्सकलकोयाख्यं भट्टारकशिरोमणिं । नुवनादिसुकीयं तत् गच्छाधीश गुणोद्धरं ।। ४ ।। अन्तिमभान श्रीमूलसंघतिल के बरनंदिसंघे, गछे सरस्वतिसुनाम्नि जगत्प्रसिद्ध । श्रीकुंककुंदगुरुपट्टपरंपरा यां श्रीपद्मनंदि मुनयः समभूजिताक्षः ॥ १॥ पट्टधारी जनचित्तहारी पुराण मुख्योत्तमशास्त्रकारी । ट्रारक श्रीसकलादिक्रीतिः प्रसिद्धतामाजनिा पुण्यमतिः॥२॥ भुवनकीतिगुरुस्ततउजिते भुवनभासनशासनमंडनः । श्रजनि तीस्तपारण जो विविधधर्मसमृद्धिसुदेशकः ।। ३ ।। ज्ञानभूपापरिभूषितांगं प्रसिद्धपांडित्यकलानिधानः।। श्रीज्ञानभूषाख्यगुरुस्तदीय पट्टोदयाद्राविवभानुरासीत् ।। ४ ।। भट्टः२ श्रीविजयादिकीर्तिस्तदीयप? परिलब्धीतिः । हामनामोक्षसुस्वाभिलापी वभूव जैनावनियाच्र्यपादः ॥५॥ मारकः श्री शुभचन्द्रसूरिः तत्पट्टांकेतिग्मरश्मिः । विद्यवंद्यः सकलप्रसिद्धो वादीभसिहोजयतिधरियां ॥६॥ पः तस्य श्रीणितपरिणवर्गः शांतोदांतः शीलशाली सुधीमान्। जीयात्सूरिश्रीसुमत्यादिकीर्तिः गच्छाधीशः कम्रकांतिकलावान ।।७।। तस्याभूच्च गुरुभ्राता नाम्नासकलभूषणः । मूरिर्जिनमते नमनाः संतोषपोएकः ॥८॥ - तेनोपदेशसद्रनमालसंज्ञोसनोहरः। . . . कृता कृतिजनानंद निमित्त प्रथएकः ||६ श्री नेमिचंद्राचार्यादियतीनामाग्रहाकृतः। सबर्द्धमानाद्य लादि प्रार्थनातोमयपकः ॥ १० ॥ सप्तविंशत्यधिक षोडशशतसंवत्सरे सुविक्रमतः। . .. श्रावणमासे शुक्ले पक्षे षब्धं कृतोप थः ॥ ११॥ . .. अच मन्थ का दूसरा नाम षट्कर्मोपदेशरत्नमाला भी है। . सत्तरह Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार क पन्ध * इति श्री महारक श्री शुभचन्द्रशिष्याचार्य श्रीस भूषणविरचितायामुपदेशनमालायां पटकर्म प्रकाशिकाबां पोदानवर्णनो नामाष्टादशमः परिच्छेदः ।। उपदेश माला। रचयिता श्री यमदासगरिए । भाया अपभ्रंश। पन्न संस्बा ?८. साइज १०४४ इञ्च । प्रत्येक मुष्ठ पर १६ पंक्ति तथा प्रां पंक्ति में अन्नर । प्रति प्राचीन है। कुछ कुछ पत्र नल ने भी लग गये हैं : मंगलाचामा - नाम ऋण जिणबरिट इंदनरिंदविगतल्लाय गुन् । उबए. समालमिणमो बुछाम गुरुवएसण ।। १ ।। जगन्डामणिशूब उस भोरातिलोयांसार तिल। लगाउमोए गोचरकः तिहुयणम ॥२ अन्तिम पठ इत्यधम्मदासगणिया जिरणव यशुधारसकम्नमालाए। मा.नुवनिविहकुसुमा कहियाई मुसीसबग्गन्स ।। १ ।। नातकरी बुद्धिकरी कल्लाहकरी सुमंगलकरीय । दोर कहगस्सपरिसाए तह य निव्यारा फल दाई ।।२।। इन्य समय इगामी माला परसपगार यगयं । नाहाणं सुव्य पंचसयायचा जीसा ।। ६ ।। जावइ लवणसमुदो जावडमकत्तमटिमरु । तावय रईबामाला जयाममिवाबगहा ।।४।। प्रति नं० २ पत्र संख्या २० साइज १० प्रति पूर्ण तथा शुद्ध है। उपासकाध्ययन। रचयिता प्राचार्य वसुर्नान्द । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ५. साइज ११४५ इन्च । लिपि संवन्त १६०२. चैत्र शुक्ला चतुर्दशी । लिपि स्थान-तक्षक महादुर्ग प्रति नं. २ पत्र संख्या २६. साइज ||४५ इञ्च । लिपि संवत् १६१२. लिपिस्थान तक्षकगढ नहा 9 ." - . . ran - - अठारह Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -- ---- ----- दुर्ग। लिपि कर्ता ने अन्त में एक लम्बी चौड़ी प्रशस्ति लिम्बी है। प्रशस्ति में महाराजाधिराज श्री रामचन्द्र के राज्य का उल्लेख किया है। प्रति नं० ३ पत्र संख्या ३७. माइज १०x४il इञ्च । लिपि संवत १३२३. लिपि स्थान गढचंपावती। अन्त में प्रतिलिप कराने वाले का अच्छा परिचय द रखा है। उपासको चार । रचयिता आचार्य श्री लक्ष्मीचंद्र। भाषा प्राकृत । पत्र संख्या २० साइज १०४५ इञ्च । सम्पूर्ण माथी संख्या २२४. लिपि संवत १८२१. लिपिस्थान जयपुर। ऊम्म विवेक कोय । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । त्र संन्या १५. साइज 20||x५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर २२ । पंक्ति तथा प्रति पंक्ति में ३०-३८ अक्षर । विषय-व्याकरण । - एकावली व्रतकथा । रचयिता अज्ञात । पत्र संख्या १५. साइज १०x४ इञ्च । भाषा संस्कृत । प्रति अपूर्ण है । लिपि कार संस्कृत ! प्रति अपूर्ण है। लिपि कौर में जगह २ वाली ज्यान छोड गरेवे हैं शायद लिपिकों ने भी अशुद्ध लिपि से प्रतिलिपि बनाई है। एकीभावमात्र । रचयिता श्री वादिराजसूर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०. साइज ११४४। इञ्च । प्रति सटीक है। टीकाकार ने अपना उल्लेख नहीं किया है। प्रति नं० २. साइज १०x४ इञ्च । पत्र संख्या १०, प्रति सटीक है। प्रति नं. ३. पत्र संख्या २३. नाइज १३४५ इञ्च । प्रति सटीक है। टीकाकार श्री प्रतसागर प्रति नं० ४. पत्र संख ८. साइज १२४५ इञ्च । लिपि संवत् १७६६. प्रति सटीक है। . एकोभावस्तोत्र ! मुलकर्ता श्री बादिराज। भाषाकार श्री पंडित दौरानन्द । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ४. साइज १०||2|| इञ्च । : :14NE . " ---- - --- - - गनीस Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के फ्रन्थ * प्रति नं०२ पत्र संख्या ४. साइज ११४४ इञ्च । ऋतु वर्णन। रचयिता अज्ञात । भाषा 1 संस्कृत । पत्र संख्या ३. साइज ११४४|| इश्च । प्रति अपूर्ण है ऋतुसंहार । स्वयिता महाकविकालिदास । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १३. साइज ११||४४।। इञ्च । लिपि संवत २८६६. लिपि स्थान पञ्चेबर । लिपि भट्टारक श्री नरेन्द्र कीर्ति के शिस्य नैनसुख के पढ़ने के लिपि बनायी गयी। प्रति नं० २. पत्र संग्च्या १५. साइज ६x६|| इञ्च । लिपि संवत १८३० । ऋपिमंडलम्तात्र । रचयिता अज्ञात । भाए। संस्कृत । पत्र संख्या १२. साइज Ex५ इन्च । प्रत्ति नवीन है। पिमंडल पूजा । रचयिता गुणनन्दि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १८. साइज ११४४|| लिपिकार पं० झगह। लिपि स्थान टोंक। प्रति न०२. पत्र संख्या २२. साइज १०x४।। इञ्च । लिपि संवन् १७६२. श्री कनककीर्ति के शिष्य श्री सदाराम ने उक्त पूजा की प्रतिलिपि बनायी। कथाकोष । अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३५. साइज १०६x४।। इञ्च । लिपि संवत् १७१७. लिपि स्थान सिलपुर । प्रति अपूर्ण है । प्रथम २३. पृष्ठ नहीं है। प्रन्थ का अन्तिम भाग व्यासेन कथिता पूर्वल्लेखको गणनायकं । तस्यैव चलिता दृष्टिः मनुष्यानां च का कथा ॥१॥ बीस ..'cudai Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथासंग्रह | : * जामे भंडार के अन्थ* संग्रहकर्त्ता अज्ञात भाषा हिन्दी पत्र संख्या ११. साइज ११||४५ ख । दीमक लगजाने से मंथ फट गया 1 कथासंग्रह | संग्रहकर्ता अज्ञात | भाषा हिन्दी ( प ) पत्र संख्या २६. साइज १० ||२५|| इ | प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तिया तथा प्रति पंक्ति में २५-३० अक्षर । संग्रह में बारह व्रत कथा, मौन एकादशी व्रत कथा, श्रतस्कंध व्रत कथा, कोकिला पंचमी व्रत कथा, और रात्रि भोजन कथा है। ये कथायें निम्न कवियों के द्वारा लिखी हुई हैं। नाम कथा कवि नाम बारह व्रत कथा मौन एकादशी व्रत कथा श्रुतस्कंच व्रत कथा कोकिला पंचमी व्रत कथा रात्रि भोजन कथा ब्रह्म चंद्र सागर ब्रह्म ज्ञान सागर 39 इक्कीसं 77 अज्ञात कथाविलास | Ila रचयिता अज्ञात | भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या =० साइज १०|| ४ || ३ | विषय गंगावतरण | प्रति अपूर्ण है । ८० से आगे के पृष्ठ नहीं हैं। प्रति नवीन है। कमलचंद्रायव्रतोद्यापन । रचयिता श्री देवेन्द्र कीर्ति । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ३. साइज ११x४ | इछ। लिपि संवत् १७८२. लिपि स्थान सवाईमाधोपुर । ..... प्रभ प्रति नं० २. पत्र संख्या ४. साइज | ११|| ४ || इश्र्व । लिपि संवत् १८३६ די कर्णामृत पुराण रचयिता भट्टारक श्री विजयकीर्त्ति । भाषा हिन्दी | पृष्ठ संख्या ८२. साइज ८७ इञ्च । विषयभगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर के पूर्व भवों का वर्णन दिया हुआ है । अध्याय श्रडतीस | रचना Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *.आमेर भंडार के अन्य * संबन ६. अन्त में लबक ने अपना भी परिचय दिया है लेकिन ६० से आगे के गुन एक दूसरे के चिपकने से पड़ने में नहीं प्रामकतं । कर्मकांड सटीक । ___ग्रंथ कर्ता श्री नेमिचन्द्रानागें । भाषा प्राकृत । टीकाकार श्री मुमतिकीत्ति मूरि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०. साइज ??x.11 इञ्च ! ग्रंथ प्रभाग १३७५. शोक लिपि संवन् १७७६ । प्रति नं०२. पत्र नंम्मा ५. माइज ११४था इञ्च । लिपि संवन १६२२ । कमचुम्बनोद्यापन। चिता श्रीलनीसेन । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ५. साइज .x। उन्च । लिपि संवत् १८५८. कर्मदान पूजा। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १३. माइज १:४५11 इश्च । प्रति नं० २. पत्र संख्या १५. साइज ?Alx५ इञ्च कर्मप्रकृति । मूलकत्ता आचार्य नेमिचन्द्र । टीकाकार अज्ञात । भाषा प्राकृत-संस्कृत। पत्र संख्या ४६. साइज ax॥ इन्न । विनय-गोम्मटसार क्रम काराष्ट्र की मुख्य गाथाओं का संकलन और उन पर संस्कृत में टीका । टीका सरल और स्पष्ट है । लिपि संवत् १५७७. मंडलाचार्य श्री धर्मचन्द्र के शासनकाल में खंडलबालबंशोत्पन्न श्री प यादल ने नागपुर नगर में प्रथ की प्रतिलिपि कराई। प्रति नं० पृष्ठ संख्या १४. साइज ०४४.३च । जिपि संवत ८००, . प्रति नं० ३. पृष्ठ संग्या इ. साइज १७/१४ इन्च । केवल मूल है। प्रासंख्या : प्रति नं. ४ पृष्ठ संख्या साइनाइच । ' प्रति न० ५. पृष्ठ संख्या १४. साइज १०x४|| इश्च । प्रति नं० ६. लंख्या २०..साइन-४ च । जिपि संवत १७६२..श्रीमान्दरामजी के लिए श्री हेमराज ने लिखी। Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * अमेर भंडार के प्रत्यक - - प्रति नं० ७. पृष्ठ संख्या ५४. साइज ११४४।। इन्न । प्रति सटीक है। टीकाकार श्री सुमतिनीति । टीका संस्कृत में है। प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या २१. साइज १०||४|| इश्च । लिपि संवत् १६२१..लिपिस्थान चंपावती। प्रति ०.६. पत्र संख्या १३. साइज ११|४|| इञ्च । प्रति नं. १०. पृष्ठ संख्या १२. साइज ११|४५ इञ्च । अति नं० ११. पृष्ठ संख्या १३. साइज:१२बाइन प्रति नं० १२. पृष्ठ संख्या १८. स इज १२४। इञ्चः। प्रति न० १३. पृष्ठ संख्या १६. साइज १२x६ इञ्च । कर्मविपाक। रचयिता भट्टारक श्री सकलकार्ति । भाषा संस्कृत.। पत्र संख्या २०. साइज १०x४i इञ्च । अन्तिम अश 'इति भट्टारक सफल कतिदेवविरचितकर्मविपाक प्रय समाप्तः । महिसासनपुरे दिनाथचैत्यालय ब्रह्म साह साख्येन स्वहस्तेन लिखितः । कर्मस्वरूप। टीकाकार पं० श्री जगन्नाथ । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या ५१. साइज १:४६।। इञ्च । लिपि संवत २७६८. श्री मिचन्द्राचार्य के गोमट्टसार कर्मकांड नामक प्रधे से प्रमुख २ गाथाओं का संस्कृत में अर्थ लिखा गया है। आदि के पृष्ठ नहीं हैं। किन्दपस्त्र । . : -:.-: :: . . . . . .-- . रचयिता श्री भद्रबाहु स्वामी । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या १५७. साइज "20xy इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में लिफिसंक्त श्राकृत भाषा से संस्कृत में टोका भी है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ८८ साइज १०||४|| इश्च । लिपि संवत् १५४५. मन्त्री श्री साराक ने श्री बनवनले उपदेश अन्य की प्रतिलिपि मनशायी :: :: :. .: तेइस · Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ कल्याण मंदिरस्तोत्र | रचयिता श्री चन्द्राचार्य । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १४. साइज १०४५ | प्रति सटीक है | प्रथम पृष्ठ फटा हुआ है। प्रति नं० = पत्र संख्या १५. साइज १०|| ४ || इव । लिपि संवत् १५६५ प्रशस्ति है लेकिन अपूर्ण है | लिपि स्थान चंपावती । प्रतिनं० ३. पत्र संख्या १५. साइज १०॥९४ इञ्च । लिपि संवत् १६३६. लिपिस्थान -मालपुरा ( जयपुर ) । प्रतिसदीक है। टीकाकार केशव गरिए हैं । प्रति नं० ४ पत्र संख्या ४. साइज ११||५ इञ्च । लिपि संवत् १५१८. लिपिकार - अमर देवगरण । प्रति नं० ५. पत्र संख्या १५. साइज २०४४ इ । प्रति अपूरों है । प्रथम पृष्ठ नहीं है । प्रति नं० ६ पत्र संख्या १३. साइज २०x४|| इव । प्रति सटीक है । प्रति नं० ७ पत्र संख्या ७. साइज १९४४ इव । प्रति सटीक है I : - प्रति नं० ८ पत्र संख्या २० साइज १२x६ इव । प्रति सटीक है। टीका विस्तृत है। प्रति अपूर्ण । है । २० से आगे के पृष्ठ नहीं है । प्रति नं० . पत्र संख्या ७. साईज १२५ ॥ इव । लिपि संवत् १७८७. प्रति नं० १०. पत्र संख्या = साइज १०x४ इञ्च । 1. प्रति नं० ११. पत्र संख्या ४. साइज १०x४ इञ्च । स्त्रोत्र की लिपि की मानवाई ने करवायी लिपिकाल अज्ञात । प्रति नं १२ पत्र संख्या ४. साइज १०x४ || इव । लिपि संवत् १८०६ । लिपि स्थान उदयपुर । लिपि कर्ता श्री जिनदास मुनि । प्रति नं १३. पत्र संख्या ३०. साइज १२४४|| लिपि संवत् १८३८. करकण्डु चरित्र | रचयिता मुनि कनकामर । भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ६= साइज १०४४ ॥ इञ्च प्रत्येक पृष्ठ पर १० धोबीस Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * - - - - - - - - - - पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३८-४२ अक्षर । प्रतिलिपि संबन १५६३ माघ बुदि १३ । प्रति ०२. पत्र संख्या ६२. साइन १०॥x५ इञ्ज । प्रतिलिपि संवत १५८१ चैत्र बुदि ६ । लिपि कत्ता की प्रशस्ति दी हुई है। प्रति नं०३ पत्र संख्या ६१. साइज १२४५ इञ्च । लिपि संवन् १६१६. भट्टारक अभवचन्द्र के समय में क्षुल्लिका चन्द्रमती ने प्रतिलिपि बनाई । प्रति नं० १ पत्र संख्या -३. पत्र संख्या ६x४ इञ्च । प्रादि के २ तथा अन्त के पृष्ट नहीं हैं। करकंडु चरित्र । रचयिता आचार्य शुभचन्द्र और मुनिश्री सकल भूषण | भाषा संस्कृत 1 पत्र संख्या १०६. साइज ११४५ इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २८-३६ अक्षर । प्रन्थ के अन्त में २३ पद्यों की एक विस्तृत प्रशस्ति दी हुई है। प्रथम चार पृष्ठ नहीं है। कविप्रिया । रचयिता कवि केशवदास । भाषा पिन्दी । पत्र संख्या ४६. साइज १०x४ इञ्च । प्रथम २ पृष्ट नहीं हैं। . - कातन्त्र ब्याकरण । रचयिता श्री सत्र वर्मा । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४५. साइज ११||४५ इञ्च । केवल सूत्र मात्र हैं। प्रति नं० २. पत्र संख्या २०. साइज १०४४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या १२ । साइज १०x४।। इञ्च | प्रति अपूर्ण है। काम प्रदीप । रचयिता श्री गुणाकर | भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २३. साइज १०x४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। अन्त के पृष्ठ नहीं है। . . ....... --... "-: :... -- -- -- ...:..-..- - .:. ... कारकविलास। रचयिता अज्ञात । पत्र संख्या ४. भापा संस्कृत । साइज १०||xi| इञ्च । प्रति नं० २. पत्र संख्या ६. साइज १०||४५ इञ्च । % 3D पञ्चीस : Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * - - माज्ञान रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत : पत्र संख्या १०. साउन १०४५ इञ्च | विषय-आयुर्वेद । प्रति अपुग है प्रारम के पृष्ट नहीं है। कालज्ञान। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या 2. साइज ११४५ इञ् । विपच ज्योतिप । काव्यावर्मा रचयिता महाकवि श्री दंडी ! भाषा संस्कृत । पत्र संख वा ३७. साइज ६४३ इञ्च । केवल तीन परि-छंद है। अनि न. २, पत्र संख्या १२ लाइज ?||x2 इञ्च । प्रति अपूर्ण है। काध्यमाश ! रचयिता श्री मम्मट । भाषा संस्कृत । पत्र लंबा १५३. साइज १०४ा । विषय-अलंकार । शान । लिपि मंत्रन् । ६६८. प्रान ० . प्रति नदीक है। टीकाकार श्री महेश्वर न्यायालंकार । पत्र संख्या २२५. साइज 2x५ लिपि संगन १६१? प्रति नवीन । प्रनि नं ३ कारिका मात्र ! पत्र सम्वा ५. कारिका संख्या १८६। कालंकार । रचयिता श्री रुद्रट । टीकाकार पंडित श्री ममि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १४२. साइज १०x४ा ! किशावलीमटी। . . . . . . ... .. . .. . ... ..-:: रचयिता उदयनाचार्य । टीकाकार अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १७६. साईज १०इन्च । वपयन्याय । लिपि संवत् १६२४, इस ग्रंथ की भण्डार में ४ प्रति श्रीर हैं। किरातार्ज नीय रचयिता महाकनि भारबि । टीकाकार प्रकारात्रर्प । भापा संस्कृत । पत्र संख्या २१६. साइज । १०४ इञ्च । चील Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ न - - प्रति नं० २. मूलमात्र है । पत्र संख्या १३. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १७५०. लिपि कर्ता श्री । कैशर सागर। प्रति नं० ३. पत्र संख्या १६६. नाइज ११||४था इञ्च । लिपि संवत् १-२०. प्रति सटीक है । टीका कार श्री एकनाथ भट्ट। प्रति नं ४ पत्र संख्या १४५. साइज १०४2 इञ्च। लिपि संवत् १७५३. लिपि कर्ता महात्मा सांवलदास। . प्रात नं० ५. पत्र संख्या १५८. साइज १०x४. इञ्च । लिपि संवत् १७१६. लिपि स्थान मोजमावाद (जयपुर)। प्रति नं० ६. पत्र संख्या १३७. लाटज १०४५ इञ्च । प्रति सटीक है । प्रति प्राचीन है। प्रति नं० ७. पत्र संख्या १७१. नाइज ११४४ इञ्च । प्रति सटीक है । टीकाकार मल्लिनाथ सूरि । क्रियाकोष । भाषा हिन्दी : पा)। पत्र संख्या २०. साईज ! | ५|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है। मंगलाचरण समोसरग लछिमो सहित वरधमान जिनराय । नमो विबुध बंदित चरण, भत्रि जन को सुखदाय ॥ १ ॥ प्रति नं० २. पत्र संख्या ५१. माइज ११||४५ इञ्च । ग्रन्थ अपूर्ण हैं । ५१ से आगे के पृष्ट नहीं है। क्रियाकल्पलता। रचयिता श्री साधु सुन्दर गरिण । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३२३. साइज २०||४|| इञ्च । लिपि संवत् १७७४। कुमार संभव । रचयिता महाकवि श्री कालिदास | भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५२. साइज १०x४ इञ्च। सप्तम सर्ग पर्यन्त है । लिपि संवत् १६६५. लिपि स्थान चंपावती । इस नहाकाव्य की - प्रतियां और है...... ..... कैलभुक्तिनिराकरण । रचरिता-पं जगन्नाथः। भाषा संस्कृतः। पृष्ठ संख्या ६. साइज १०४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० सत्ताईस Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * जामेर भंडार के अन्य * पंक्तिचा तथा प्रति पंक्ति में ३३-३= अक्षर । लिपि संवत् १७३०. विषय-केयलज्ञानियों के अहार का खंडन । कोकसार। रचयिता अज्ञात ! भापा हिन्दी । पत्र संख्या .. साइज x४|| इञ्च । झोष्टकोना। टीयकार, पं० श्री बेदा ! भाषा संस्कृत 1 पत्र संख्या ७. साइज १०x४ इञ्च । विषय-ज्योतिष) .. खंडग्रशस्तिकाव्य । रचयिता अज्ञात । पृष्ठ संख्या ४. साइज Ex|| इञ्च । पद्य संख्या २१. विषय-रधुवंश स्तुति । प्रति न० २ पृष्ठ संख्या ४. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १६२४ । गणक कौमुदी । रचयिता ज्योतिषाचार्य श्री मणिलाल । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११. साइज १०x४ इन।। विपय ज्योतिष । लिपि संवत १६६२ । गणितशास्त्र । रचयिता अज्ञात । भापा संस्कृत । पत्र संख्या ७. साइज ११४४।। इञ्च । विषय-ज्योतिष गणितकौमुदी। रचविता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४२. साइज १२४६।। इञ्च । विषय-गणित। प्रति अपूर्ण है। गणित नाममोला। रचयिता अज्ञात । भापा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ७. साइज १०४४ इन्च । विषय-ज्योतिष । अट्ठाईस Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गणितलीत्ता । गणधर वलय पूजा | रचयिता श्री पं० भास्कर । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २३. साइज १०||४|| इन्च | रचयिता भट्टारक श्री सकलकीर्त्ति । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. साइज १०।१४५ इव | ग्रन्थसार । * आसेर -भंडार के प्रन्थ * रचयिता भट्टारक सकलकीर्ति । भाषा संस्कृत । साइज ११४४ इञ्च । विषय मुनियों का श्राचार शास्त्र । प्रन्ध के अन्त में चौबीस तीर्थकरों की स्तुति भी दी हुई है। गर्भारचक्र | ग्रहलाघव । रचयिता श्री देवनन्दी । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६ साइज १०।१४५ इञ्च । प्रति सटीक है। रचयिता श्री दैवज्ञ गणेश । पत्र संख्या ११. साइज १०/४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण । ११ से आगे के पृष्ठ नहीं हैं । ग्रहलाघवमारण | ग्रहलाघव | रचयिता श्रज्ञात। भाषा संस्कृत । पुस्तक में नक्षत्रों के अलग फल दिखलाये गये हैं । - रचयिता श्री गणेश गए कवि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २५. साइज १०|| ४ || इश्र्व | विषय - ज्योतिष | लिपि संवत् १६०६. प्रति सुन्दर है । ग्रहागम कौतूहल रचयिता श्री देदचंद्र | भाषा संस्कृत | पृष्ठ संख्या ८२. साइज १० || ४ || इ | लिपि संवत् १६७१. विषय - ज्योतिष | गिरधरानन्द | -war रचयिता श्री गिरधर | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३५. साइज १०५४ || इञ्च । प्रति अपूर्ण है। उनतीस Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रारम्भ के ८ तथा आगे के पृष्ठ नहीं है। विपत्र ज्योतिष । गुटका नं० १ लिपिकार अज्ञात | पत्र संख्या १०० साइज MIX | विषय-सूची - (१) जिन सहस्रनाम ( जिनसेनाचार्य ) (२) अनंत वृत पूजा विधान ( संस्कृत ) (३) चतुर्विंशति तीर्थकरपूजा ( संस्कृत ) ( ४ ) मोक्ष शास्त्र ( ५ ) पूजन संग्रह गुटका नं० २ * आमेर भंडार के प्रथ लिपिकार अज्ञात पत्र संख्या १७५, साइज १०||६|| इव । लिपि संवत् १६०७ । 1 गुटका नं० ३ मुख्य विषय-सूची - ( १ ) त्रिशच्चतुर्दिशति का पूजा ( आचार्य शुभचन्द्र ) (२) नन्द गुर्वावली ( संस्कृत ) (३) जिनयज्ञकल्प, ( पं० आशाधर } ( ४ ) अंकुराण विधि ( संस्कृत ) (५) रूपमंजरी नाममाला (रूपचन्द्रकृत ) ( संस्कृत ) गुटका नं० ४ लिपिकार अज्ञात | पत्र संख्या १५०. साइज ६६.४५ इ । इस गुटके में कोई उल्लेख नीय सामग्री नहीं है । 3 लिपिकार श्री जगानन्द और लिखमीदास । पत्र संख्या १७५. साइज ७४५ इश्र्च। लिपि संवत् १७१० और १७२६. लिपिस्थान नेवटा ( जयपुर ) 50-32 विषय-सूची ( १ ) जिनसहस्रनाम स्तवन ( संस्कृत ) तीस फकी Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ * (६) आदित्यवार की कथा (हिन्दी) (३) नेमिजिनेश्वर राम , (४) लब्धि विधान विधि , (५) निर्दोष सप्तमी की कथा (६) रत्नत्रयविधान कथा (७) पुष्पाञ्जलि व्रत कथा " (पं० हरिश्चन्द्र) (८) धर्मरासो (६) जिनपूजा फल प्राप्ति कथा ,, गुटका नं. ५ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या २००. साइज ७४७ इञ्च । .... . ... ... ... विषय-सूची--- ( १ ) शकुन पाशा केवली ( संस्कृत ) (२) चितामणि पार्श्वनाथ स्तवन (संस्कृत) {३) भक्तामर स्तोत्र (४) हिंडोला( अपभ्रंश) (५) प्रश्रोत्तर रत्नमालिका (संस्कृत) १६) द्वादशांगानुप्रेक्षा ( प्राकृत ) लक्ष्मीचन्द (७.) आत्रक प्रतिक्रमण (प्राकृत ) (८) पट्टावली (संस्कृत) (६) आराधना प्रकरण (प्राकृत ) (२०) संबोध पंचाशिका (प्राकृत) (२१) यति भावानाष्टक ( संस्कृत) - ... ... .. (१२) तत्त्वसार ( प्राकृत) (१३) समाधिशतक ( मंस्कृत ) ' (१४) सज्जन चित्तबल्लभ (संस्कृत) (१५) कपाय जय भावना ( संस्कृत) ... .. : - : - - इकत्तीस Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * (१६) अतस्कंघ ११७) इटोपदेश (संस्कृत) (१८) अनस्तमितिनताख्यान ( अपभ्रंश) . (१५) प्रतिक्रमण ( संस्कृत ) गुटका नं.६ लिपिकार अज्ञात । लिपि संवत् १६३४. पत्र संख्या ३५०. साइज ७xs इंश्च । मुख्य विषय-सूची( १ ) ज्ञानांकुश (संस्कृत) (२) मुप्पयदोहा ( प्राकृत ) (३) अनुप्रेक्षा ( अपभ्रंश ) ( पं० जगसी) ... (४) वकार पाथजी (प्राकृत) (५) उपासकाचार (संस्कृत) १६) ज्ञानसार (प्राकृत) (७) रत्नकरण्ड श्रावकाचार ( = ) आराधनासार ( प्राकृत ) (E) आराधनासार टीका (प्राकृत-संस्कृत) (२०) दर्शनज्ञान चरित्र पाहुड (प्राकृत ) (११) भाव पाहुड ( प्राकृत ) (१२) मोक्ष पाहुड , (१३) स्वयम्भू स्तोत्र ( संस्कृत) (१४) त्रैलोक्य स्थिति ( संस्कृत ) गुटका नं०७ लिपिकार श्री छीतर । पत्र संख्या १२५. साइज Ex५ इंश्च । लिपि संवत् १७०५. लिपि स्थान अजबगढ मत्स्य प्रदेश विषय-सूची(१) जिनस्तोत्र ( संस्कृत ) पं० जगन्नाथ वादि कृत . ...... ... .... बत्तीस Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २ ) नेमिनरेन्द्र स्तोत्र ( संस्कृत ) ( ३ ) त्रिरत्नकोष (संस्कृत ) ( ४ ) शकुन विचार ( हिन्दी ) ( ५ ) पुण्याह मन्त्र ( संस्कृत ) गुटका नं०८ * आमेर भंडार के प्रन्थ * हि पिकार अज्ञात | पत्र संख्या १३५, साइज १०x६ च । गुटका जीर्ण शीर्ण हो चुका है।. विषय-सूची -- (१) नाटक समय सार ( हिन्दी ) ( २ ) स्तुति संग्रह ( हिन्दी ) गुटका नं० ह लिपिकार अज्ञात | संख्या ५०, साइज ! इच विषय-सूची ( १ ) सोलह कारण पूजा ( अपभ्रंश ) ( २ ) दक्ष लक्षण पूजा ( संस्कृत ) (३) चतुर्विंशति स्वयम्भू स्तोत्र ( संस्कृत ) ( ४ ) निर्वाण काण्ड गाथा गुटका नं० १० = * " (५) लव्वि विधान पूजा (६) तत्वार्थ सूत्र, रत्नत्रय पूजा आदि लिपिकार अज्ञात | पत्र संख्या १५०, साइज १०||७|| इश्र्व | विषय-सूची - ( १ ) हितोपदेश भाषा पत्र ८६ ( २ ) सुन्दर श्रृंगार तेतीस लोकूर Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के पन्ध * (३) समयसार नाटक (४) अतिक्रमण (५) भक्तामर स्तोत्र (६) उपसर्ग स्तोन्न गुटका नं० १२ लिपिकार जीता पाटणी । पत्र संख्या ३७६. साइजxशा इञ्च । लिपि संवत १६६०. लिपिस्थान आगरा । प्रारम्भ के १६ पृष्ट नहीं हैं। विषय-सूची-- ( १ ) भविष्यदत कथा ( हिन्दी ) ब्रह्म राइमल । (२) आदित्यार कथा (हिन्दी) ( ३ ) जिनवर पद्धडी , (2) नेमीश्वर रास (५) पंचेंद्रिय वलि (हिन्दी ) रचना संवत् १५-५ । (६) श्रीपाल गसो , ब्रह्माराइमल्ल । रचना संवत् १६३० । (७) मावानल चौपई। रचना संमत् १६१६ : (2) पुरंदर कथा । गुटका नं० १२ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या १२१. साइज ६१४५ इञ्च । लिपि.संवत् १५७१।। विषय-सूची(१) णमोकार पाथडी (हिन्दी) (२) सुदर्शन पाथडी ( अपभ्रश ) (३) विद्युच्चोर की कथा ( अपभ्र श) (४) बाहुबलि पाथडी (५) शिवकुमार की जयमाल , (६) द्वादशानुप्रेक्षा चौतीस Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्ध * (७) नदियों का वन गुटका नं०१३ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या १७. साइज ६||४५ इञ्च । लिपि संवत् १७५ विषय-सूची( १ ) विपापहार स्तोत्र भाया अचलकीत्ति कुत (२) दशलक्षण अथ कथ. ( हिन्दी ) ० जिनदास (३) सोलह कारण व्रत कथा , (४) वाहण षष्टि व्रत कथा , (५। मौक्ष सप्तमी कथा , ( ६ ) निषि सप्तमी कथा , (७) पंच परमेष्ठि गुण वर्णन , गुटका नं. १४ लिपिकार उपाध्याय सुमति कीर्ति । पत्र संख्या १२०. साइज ७४५ इञ्च । लिपि संवत १७०६ । विषय-सूची . (१) अंकुरारोपण विधि (संस्कृत ) (२) जिनसहस्रनाम स्तवन ( संस्कृत ) (३) सकली काबिधि (संस्कृत) ( ४ ) जिनयज्ञ विधान (संस्कृत ) (५ , यज्ञ दोक्षा विधान (संस्कृत) .. .( ६ ) निशदिद्रार्चन विधि (संस्कृत) (७) पल्यविधानरास (हिन्दी) गुटका नं० १५ ... . लिपिकार अचात पत्र संख्या १२५. साइज:६१x६ इञ्चा: : - . . - पैंतीस Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * विषय-सूची( १ ) मेरुपंक्ति कथा ( हिन्दी) (२) सीमंधर स्वामी की स्तुति ( हिन्दी ) (३) कलिकुंड पार्श्वनाथ वेल (हिन्दी) गुटका नं० १६ लिविकार अज्ञात पत्र संख्या २३१. साइज II इन ! विषय-सूची(१ सामायिक पाठ । संस्कृत (२) लघु पट्टारली (३) चौतीस अतिशय भक्ति (४) सिद्धालोचन भक्ति (५) अत भक्ति (६) दर्शन भक्ति (७) चारित्र भक्ति (2) नंदीश्रर भक्ति (E) योग भक्ति (१०) चोवीस तीर्थकर भक्ति (१२) निर्वाण भक्ति (१३) वृहत प्रतिक्रमण (१४) वृद्व यम्भु (१५) ब्राह्मचार प्रतिकमण (१६) वृहद् पट्टावली (१७) तत्त्वार्थ सूत्र स्तुति मुटका नं० १७ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या १३६. साइज ६x६ इञ्च । गुटके में उल्लेखनीय सामग्री नहीं है । बत्तीस Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * गुटका नंबर १८ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या १५०, साइज ७x५ इञ्च । विषय-सूची( १) अठारह नाता की कथा (हिन्दी) (२) श्रीपालरास (हिन्दी ) ( ब्रह्म रायमल्ल ) ( ३ ) मीश्वर रास , (४) रदशन चरित्र , ( ५ ) परमात्म प्रकाश (प्राकृत ) गुटका नं. १० पत्र संख्या २५०. प्रारम्भ के १६० पत्र संवत् १६५६ में भट्टारक श्री धर्मचन्द्र के द्वारा अामेर में लिखे हैं तथा आगे के ६० पत्र संवत् १७५१ में अन्य महोदय ने लिखे हैं। मुख्य विषय सूची( १ , विषापहार स्तोत्र (संस्कृत) (२। एकीभाव स्तोत्र , (३) भूपालस्तवन , (४) मुक्तावली गीत (हिन्दी) (५) यमकाष्टक (संस्कृत) ( ६ ) अतरीक्ष पार्श्वनाथ स्तुति ( हिन्दी ) (७) आदिनाथ स्तुति , (८) चौरासीलाख योनि के जीवों की स्तुति (हिन्दी) (६) त्रेपन क्रिया विनती (हिन्दी) (१०) अकृत्रिम चैत्यालयों की स्तुति , (११) नंदीश्वर भक्ति ( अपभ्रंश) (१२) प्रतिक्रमण - (संस्कृत) (१३) आराधना सार ( प्राकृत) - सैंतीस . Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ * - - - (११) आदित्यमार कथा (हिन्दी) (१५, सप्तव्यसन (हिन्दी) (१६) पिमंडल स्तोत्र (संस्कृत ) गुटका नं० २० लिपिकार अज्ञात । पत्र मरमा क. मादत के सिर कल्लेखनीय सामग्री नहीं है। गुटका नं० 22 पत्र जन्म ?. साइज १०x१ इन्च । लिपिकार अज्ञात । गुटके में कोई महत्वपूर्ण सामग्री नहीं है। गुटका नं० २२ शार यज्ञात। पत्र संख्या १७०, साइज ६४६ इञ्च । गुटका नं० २३ लिपिकार अज्ञात ? पत्र संख्या १०. साइज ६x६|| इञ्च । गुटके में विशेष उल्लेखनीय सामग्री नहीं है। गुटका नं० २४ लिपिकार अज्ञात । पन संख्या ४०. साइज ६x६।। इञ्च । लिपि संवत् १८२८: लिपिस्थान चाटलू ( जयपुर ) गुटके में विशेष उल्लेखनीय सामग्री नहीं है। गुटका नं० २५ लिपिार अक्षात । पत्र संख्या ३०. साइज ||६|| इश्च । लिपि संवत् १८२२. लिपिस्थान यकवाडा (जयपुर राज्य ) गुट के में केवल भजनों का संग्रह है। गुटका नं० २६ लिपिकार सदाराम । पत्र संख्या १००. साइज ७४६|| इञ्च । लिपि संवत् १७७३. गुटके में स्तोत्र भजन आदि का संग्रह है। 3 अडतीस Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___* आमेर भंडार के ग्रन्थ * गुटका नं० २७ लिपिकार भट्ट तुलाराम । भाषा संस्कृत हिन्दी । पत्र संख्या ४५. साइज १०४।। इञ्च । लिपि संवत् १८६६. लिपिस्थान पाटण। गुटका नं० २८ लिपिकार अज्ञान । पत्र संख्या ७०. साइज १०४६ ३ञ्च । गुटके में पद्मनन्दि कृत पायभेद । हिन्दी ) के अतिरिक्त कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है। गुटका नं. २ लिपिकार श्री हंसराज । पत्र संख्या १२६. साइज ८७ इन्च । लिपि संवत २७५६ । विषय-सूची(१) निशल्याष्टमी कथा (हिन्दी) (३) हिन्दी पद्यावली । इसमें ८३ दोहों का संग्रह है। कवि का नाम कहीं पर भी नहीं दिया है। भाषा और शैली के लिहाज से दोहे बहुत ही महत्वपूर्ण है। ( ३ ) पहली मंग्रह । इसमें ७१ पहेलियां दी हुई हैं। आगे उनका उत्तर भी दिया हुआ है। (४)नवरत्न कवित्त (५) संस्कृत पद्य संग्रह । इसमें नीति तथा धार्मिक ६६.पद्यों का संग्रह है। (६) दशलक्षण प्रतोद्यापन (७) कर्णामृत पुराण की भाषा ( = ) हरिवंश पुराण की भाषा गुटका नं० ३० लिपिकार अक्षत । पत्र संख्या १५. साइज ८४७ इञ्च । गुटका नं० ३१ लिपिकार लालचन्द्र । पत्र संख्या १७५. साइज Ex६ इञ्च । लिपि संवत् १८१०, उन्नतालीस Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * गुटका नं० ३३ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या १८२. प्रारम्भ के ३२ पृष्ठ तथा यौच के कितने ही पृष्ट नहीं है।। लिपि संवत् १५४८. गुटके में अहव महाशान्तिक विधि लिखी हुई है। गुटका नं० ३३ लिपिकार अज्ञात 1 भाषा हिन्दी संस्कृत । पत्र संख्या ६६ । साइज ५४८ इञ्च । गुटके में नेमिनाथरासो-| तथा पूजन संग्रह है। गुटका नं० ३४ लिपिकार यति मोतीराम । लिपि संवत् १८२४. पृष्ट संख्या ५६, साइज AII इञ्च ! गुटके के प्रारम्भ में मार्गणा, गुणत्यान, परिषड, कर्न, कपान आदि के केवल भेद दिये हुये हैं। बाद में शनीशर की स्था दी हुई है। गुटका नं० ३५ लिपिकार आज्ञत । पत्र संख्या ३०. साइज १४४ इञ्च । गुटके में भक्तामर स्तोत्र और पूजन के अतिरिक्त कोई विशेष सामग्री नहीं है। मटका नं० ३६ लिपिकार अज्ञात ! पत्र संख्या १२०. साइज ४॥४४॥ इञ्च । गुटके में कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है। केवल पूजन संग्रह ही है। गटका नं० ३७ लिपिकार जयरामदास । पत्र संख्या १२५. साइज शाx४ इञ्च । लिपि संवत् १७४२. और १७६७, लिपिस्थान जयपुर। गुटको नं० ३८ लिपिकार अज्ञात । भाषा प्राकृत संस्कृत और अपभ्रंश। पृष्ठ संख्या १०७, साइज ६x४ इश्च ।। लिपि संयत् १६१२ । चालीस Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मामे मंहार के अन्य * विषय-सूची(१) खंड प्रशस्ति (संस्कृत ) (२) प्रोत्तररत्नमाला (संस्कृत) (३) विवापहारस्तवन (४) भूपालस्तवन (संस्कृत ) (५) ज्ञानांकुश (संस्कृत) (६) भक्तामरस्तोत्र, (७) एकीभाव स्तोत्र , ( C ) पाश्वनाथ पद्मावती स्तोत्र , (६) राजा दशरथ जयमाल ( प्राकृत ) (१०) बीस तीर्थकर जयमाल ( अपभ्रंश) (११) बर्द्धमान स्वामी जयमाल ( प्राकृत ) (१२) बनावली (संस्कृत) (१३) सिद्धचक्र जयमाला , (१४) सनचित्त बलभी (१५ निजमति संबोधन (प्राकृत ) {१६} दशलक्षण जयमाला (१७) चौरासी जाति माला (१८) जिनेन्द्र भवन स्तवन , . ११६) चिंतामणि पार्श्वनाथ स्तवन ,, .. १२०१ सरस्वति जयमाला (२२) गीत (हिन्दी) (२२) सप्तभंगी (संस्कृत) गुटका नं. ३६ लिपिकार अज्ञात । भाषा संस्कृत हिन्दी । पत्र संख्या १४६. साइज ६४५॥ इन। विषय-मची . . ..... . .... ....: : : • (१) परमानन्द स्तोत्र (संस्कृत - -- - - - -..--. इकतालीस ... ... . . ... ... ..... Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के प्रन्थ * - - ----- - (२) देव दर्शन (संस्कृत ) ( ३ ) बारह भावना । हिन्दी ) ( १ ) जोग रासो .. (५) बननाभि भावना , { ६) रात्रि भोजन कथा ( हिन्दी ) (७) स्तुति । कल्याण मन्दिर भापा .. (६) चौरासी लाख योनि के जीयों की प्रार्थना (हिन्दी) (१०) अाराधना प्रतिबोध (हिन्दी) (११) दोहावली रूपचन्दकृत (हिन्दी) (१२) निर्माणकाएड भाषा ५१३; विद्यमान बीस तीर्थंकरों की स्तुति ( हिन्दी) ११४) राजुल पच्चीसी (१५) कम छत्तीसी (१६) अध्यात्म बत्तीसी (१७) वेदक लक्षण (१८) दोहावली (१६) झुलना (हिन्दी) (२०) जिनेन्द्रस्तुति (२१) पंचमगुणस्थान का वर्णन (२२) चारों ध्यानों का वर्णन (२३) परिषद वर्णन (२४) वैराग्य चौपाई गुटका न गुटका नं० ४० ........ .. . .. ....... ....., लिपिकार नान्हौराम । पत्र संख्या १२५. साइज जा४५।। इञ्च । लिपि संवत् १७६१ और १८११. विषय-सूची( १ ) गृह शान्ति स्तोत्र (संस्कृत ) वियालीस Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * -- - ".. (२) सामायिक पाठ सार्थ । मुल भाग-प्राकृत । अर्थ हिन्दी में है। हिन्दी अर्थ का श्री नान्दौरान (३) भक्तामर स्त्रोत्र भाषा । गुटका . १ लिपिकार साह शंकरदास। पत्र संख्या : साइज ६x६ इञ्च । लिपि संवत् १८०३, लिपि स्थान चाट। मुख्य विषय-सूची(१) पांच ज्ञान भेद (हिन्दी) (२) ग्यारह अंग विवरण । ३ । पंच परमेष्टी गुण वर्णन { ४ ) सम्यक्त्व के भेद (५) चौदह गुणस्थान भाषा । भाषाकार श्री अखयराज। गुटका नं० ४२ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या ४०. साइज XII इन्न । गुटका नं० ४३ लिपिकार श्री खुशाल चन्द । पत्र संख्या २३३. साइज ||४३।। इञ्च । लिपि संवत् १८०५. लिपिस्थान वेमनगर( श्रागरा ) विषय-सूची ( १ ) पद्मावती स्तोत्र (संस्कृत) (२) ऋषि मंडल स्तोत्र , (३) पार्श्वनाथ चिंतामणि स्तोत्र , ...... (४) बद्ध मानस्तोत्र (५) चतुर्विशति स्तवन -.-. " : ... ... ... . . ....... -:: ( ६ ) जिनरक्षा स्तोत्र (७) समयसार नाटक तियालीस Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * गुटका नं. ४४ लिस्किार प्रज्ञात । साइज 'x'इञ्च । पत्र संख्या ७५. विषय-सूची( १ ) पद तंत्रह ( हिन्दी ) रचयिता श्री सुरेन्द्रकोति। इस संग्रह में कदीव १०० से अधिक पढ़ है। (२) पूजन तथा अन्य पद संग्रह गुटको नं. ४५ लिपिकार अज्ञात । पत्र संन्या १५०. उजx४ इञ्च । गुटके में केवल सुन्दरदासजी के पड़ों का ही संग्रह है। गुटका २०४६ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या १२५. साइज ६x४ इञ्च । गुटके के आधे से अधिक पृष्ठ फटे हुये है । गुटके में कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है। गुटका नं.४७ लिपिकार अज्ञात । पृष्ठ संख्या १५६. साइज ६४६ इञ्च | गुटके में कोई विशेष उल्लेखनीय सामग्री नहीं है। गुटका नं०४८ लिपिकार अज्ञात । भाषा अपभ्रंश, प्राकृत और संस्कृत । पृष्ठ संख्या ११० । साइज |x६ इञ्च । विषय-सूची--- (२) गुणस्थान गीत । भाषा अपभ्रंश । गाथा संख्या १७ (२) समाधि मरण (अपभ्रंश) (३) नित्य प्रति क्रमण , ( ४ ) सुभाषिताबली ( संस्कृत ) रचयिता भ० श्री सकलकोति। (५) सोलहकारण जयमाल ( अपभ्रंश) घवालीस HAMTAmawaha Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . * आमेर भंडार के अन्य * ५६) दश लक्षण जयमाल (अपभ्रंश) (७) पार्श्वनाथ स्तवन (संस्कृत) ( 2 ) पोसहरास ( अपभ्रंश) (E) परमात्म प्रकाश (१०) चिंतामणि पूजा (संस्कृत) (११) पट लेश्या वर्णन । १२) सामायिक पाठ (१३) श्रावक प्रतिक्रमण ( अपभ्रंश ) {१ ) सिद्ध पूजा (१५) बद्धमान स्तवन (संस्कृत) (१६) निर्माण भक्ति (प्राकृत ) (१५) समाधि मरण (संस्कृत ) (१८) स्तुति स्वामी समन्तभद्र कृत ( संस्कृत ) (१९) गर्भषडारचक्र देवनन्दि कृत , (२०) भट्टारक पट्टावली (२१) मोक्ष शास्त्र (२२) आराधनासार (प्राकृत ।। (२३) विषापहार स्तोत्र धनंजयकृत " (२४) स्तोत्र श्री मुनि वादिराज मुनीन्द्र कृत ( संस्कृत ). (२५) कल्याण मन्दिर स्तोत्र (२६) स्तोत्र पाठ भट्रारक जिनचन्द्र कृत ( संस्कृत) (२७) भक्तामर स्तोत्र (२८) भूपाल चतुर्विशति ( संस्कृत.) . (२६) इष्टोपदेश (३०) तत्त्वसार भावना (प्राकृत) (३१) सूक्ति दोहा " (३२) संत्रोह'पंचासिका अपभ्रंश) . . . . . . (३३) जिनवर दर्शनःस्तवन पद्मनन्दी कृत (संस्कृत) । ... . . पैंतालीस Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आनेर भंडार के पन्थ * (३१। यति भावना (संस्कृत) (३५) सरस्वती स्तुति ( संस्कृत ) ३) अत्तलंध, बाहेमविरचित ( प्राकृत ) १९३७) विजुचौगानुप्रेक्षा (प्राकृत ) (३८; अानन्द कथा ( प्राकृत ) (३६) द्वादशानुप्रेक्षा १४०) पंचावरणा । प्राकृत ) (११) कलिकुं जयमाल (संस्कृत) (४२) चतुविशांत जबमाल (१३) दशल ना जयनाल श्री सिंहनन्दि कृत (प्राक: ) (४४) नमीश्वर जयमाल (१५) कलिकुंड जयमाल {प्राकृत) (४६) विवेकजकड़ी (७) मदालसालासवन (संस्कृत) (४८) मृत्युमहोत्सव (१६) निर्वाण करडक (प्राकृत) (५०) सजन चित्तबल्लभ, मल्लिपेणकृत ( संस्कृत ) १५१) भावना बत्तीसी (संस्कृत ) (१२) वृहत् कल्याणक (५३) द्रव्यसंग्रह (५४) परमानन्द स्तोत्र गुटका नं. ४९ लिपिकार अज्ञात । भापा अपभ्रंश, हिन्दी और संस्कृत। पत्र संख्या ७७. साइज ६x६|| इश्व । लिपि संवत् १६८७ कार्तिक सुदी अष्टमी । गुटके के विषय (१) मदनयुद्ध । भाषा अपभ्रंश । गाथा संख्या १५६. रचना काल संवत् १५८६ । (२) पार्श्वनाथस्तोत्र । भाषा संस्कृत । रचयिता श्री पद्मप्रभ देव | पद्य संख्या । A छियालीस Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * (३j प्रभातिक । भाषा संस्कृत । पद्य संख्या २५. विषय २४ तीर्थकरों की स्तुति । (2नेिन्द्रदर्शन स्तुति। भाषा संस्कृत । पद्य संख्या १०। ( ५ ) परमानन्दस्तोत्र । भाषा संस्कृत । पद्य संख्या २५। . १६) पंचनमस्कार । भाषा संस्कृत । पद्य संख्या १२। .. ७) निर्माण काण्ड । भाषा अपभ्रंश । गाया संख्या २७ । (८ , चार कपाय वर्णन | भाषा अपभ्रंश । (६) नंदीश्वर विधान कथा । भाषा संस्कृत । (:०) सोलहकारण विवानकथा । भाषा संस्कृत । पद्य संख्या ७३ । १११, रोहिणी विधान कथा । भाषा संस्कृत गद्य । (१२) रत्नत्रय कथा । भा० संस्कृत गद्य । (१३ दशलक्षण ऋत कथा-" गुइका नं०५० लिपिकार अज्ञात । भाषा हिन्दी। साइज २०४६ इञ्च । पत्र संख्या १४२. लिपि संवत् १७६२. लिपि स्थान थामेर | श्री देउ साह के पुत्र श्री धमदास के पढने के लिये प्रति लिपि बनायीगई। गुटके में ये विषय है सिद्धच ऋगीत, आदिनाथस्तुति, द्वादशानुप्रेक्षा, रत्नत्र वगीत, आदिनाथस्तवन, निरनारिवल, चनडी. धवल, मिथ्याद कड़, च यमोठीगीत, प्रतिवोधगीत, राजुलविरहगीत, बलभद्रगीत, पाणीगालणरास, जिनाष्टक. नेमिांजनरुति, जिनदर्शनस्तुति, धर्मफग, वैराग्यदोदावली, चैतन्यफाग, जीबडागीत, लब्धि विधान कथा. पुष्पाञ्जली विधान कथा, आकारापञ्चमीव्रत कथा, चांदणपष्ठिवत कथा, मोक्षसप्तमी कथा, निर्दोष सप्तमी कया ज्येष्ठजिनवर की पूजा कथा, पुरंदर विधान कथा, अक्षय दशमो ब्रत कथा, मेंडक पूजा कथा, सोलहझारण कथा. तथा आराधना प्रतिबोध कथा, उक्त कथाओं तथा स्तवनों में से कुछ तो ब्रह्म श्री जिनदास के बनाये हुये हैं तथा अन्य के बारे में कुछ नहीं लिखा है। कितने ही स्तवनों की भाषा तो अपभ्रंश भाषा से बात कुछ मिलती है। नीचे हिन्दी भापा के फुछ नमूने दिये जाते हैं। कंचनीच गोत्र कर्म जी पीउ प्रगटीयो अठारू , लघु ताररे। ..... अव्यायाध गुण आयो ऊजले, गयो गयो वेदनीसाररे ॥ ... . (सिद्धचक्रगीत ) - - सैंतालीस Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ ॐ माणुस भव जोब दोहिलों दोहिलो उत्तम वरनरे। अनुज्ञा बारबडी चितवो लोडिने निजमनि मरमरे || १ || (ठादशानुप्रेक्षा) अवनी देशनांहि लविशाल घोष प्रांम छैरूवडोए । ते तीन्ही जीवनुणहीण कुंणबीय छारिते अवतरीयाण ॥ १ ॥ ( लविविधान कथा.) सकल कीति सकल कीर्ति गुरु: पाय प्रणमे विकियो रास में निरमलो। आकाश पंचमि अगो उजलो अभियग्ण सुग्णो तःहे मायमिरमर ।। १ ।। ए राराजे पढे गुणो तेह ने पुण्य 'अपारं । ब्रह्म जिप दास भणी गिरमलो, मन वांछित सुखसार ॥२॥ (आकाश पंचमी व्रत कथा । ) गुटका नं. ५१ लिपिकार अज्ञात । भाषा हिन्दी संस्कृत । पत्र संह ३६. साडेज xजाइश्च । । गुटको नं० ५२ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या २४५. साइज =४६ इश्च । गुटका जीर्णशीर्ण हो चुका है। एक दून के पृष्ट चिपक गये हैं। विषय-सूची(१) समयसार गाथा (२) परमात्मराज श्लोक (३) साटक (प्राकृत) (४) सुप्रभातो (५) योगफल (६ ) भरत बाहुवलाछंद । रचयिता श्री कुमुदचन्द्र । रचना संवत् १६०० भाषा हिन्दी । (७) ज्ञानांकुश . ( संस्कृत ) . (4) हणुमंत कथा (हिन्दी) अड़तालीस Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ * -- - - -- --- --- -- ( 2 ) जम्यूवानी मरित्र : हिन्दी ) (२०) भविष्यदत्त चौपई (१२) पंच परमेष्ठी गुण (१३) पंच लनित (१४) पंच प्रकार संसार ११५ ) त्रेपन क्रिया विनती (१६) ऋषभ विवाहलो (१७) मनोरथ माला (१८) शांतिनाथ सूखडी (१८) आत्मा के नाम (२०) जिनेन्द्र स्तुति गुटका नं. ५३ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या ६०. साइज १०४७ इञ्च । गुटके में प्रचलित पूजनों के अतिरिक्त कोई विशेष सामग्री नहीं है। गुटना नं. ५४ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या ३६० साइब Exell इञ्च । लिपि संवत् १७११. लिपिस्थान लाभपुर। ___ गुटका बहुत ही महत्त्वपूर्ण है । प्राकृत और हिन्दी की सामग्री और भी महत्त्व की है। . विषय-सूची(१) श्राश्रय त्रिभंगी रचना। (२) विशेषसत्ता त्रिभंगी। (३) चौबीस ठाणा। ( ४ ) द्रव्य संग्रह सटीक । टीका हिन्दी भाषा में है, लेकिन टीका बहुत प्राचीन मालूम देती है। (५) अष्टोत्तरसहस्र नामस्तवन । (६) आगम प्रसिद्ध गाथा (संग्रह) (७) षट लेश्या। - - उन्नचास Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के प्रन्थ * (= ) सम्यक् प्रकृति । (६) पंचगुरुकुपात्र | (१०) तत्रसार | (१०) जन्तुखानि चरित्र ( अपभ्रंश ) रचयिता महाकवि श्री बीर । (११) संबोध पंचासिका ( प्राकृत ) (१२) अनित्य पंचात भाषा । भाषाकार विनु ! (१३) परमार्थ दोहा । रूपचंद कृत ! (१४) श्रीपाल स्तुति | (१२) स्वाध्याय | (१६) बर्द्धमान माती प्राकृत ) (१५) कमष्टिक (१) सुपय दोहावली (१६) अनुप्रेक्षा । १० ईश्वर चन्द्र कृतः (२०) सप्ततवगीत (२१) त्रेपन क्रिया । ब्रह्म गुलाल कृत । (२२) सोलह कारण राम्रो । (२३) मुक्तावली को रासो । (२४) भंवर गीत | (२५). मेघ कुमार राती। (२६) बेलि गीत | (२७) परमार्थ गीत | (२८) भजन संग्रह रूपचंद कृत । (२६) पटपद भजन संग्रह | (३०) भरतेश्वर जयमाल | (३१) परमात्म प्रकाश । (३२) दोहा पाहुड श्री योगीन्द्र विरचित । (३३) श्रावकाचार दोहा | (३४) ढाढसी गाथा | पच्चास... Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के प्रन्थ * (३५) स्वामी कुमारानुप्रेक्षा। (३६) नेमिनाथ रासो। (३७) अवधू अनुप्रेक्षा। (३८) आत्म संबोधनकाय प्राकृत ) (३६) अागावना सार (४०) योग सार (११) कर्म प्रकृति ( प्राकृत नेनिचन्द्राचार्य । (४२) आत्मा वर्णन। १४३) नेनीश्वर जीवन ( प्राकृत ) (४४) कपाच पाथडी। (४५ निश्चय व्यवहार रत्नत्रय । १४६) भाव संग्रह ( प्राकृत ) श्री देवसन कृत। १४६) षड़ पाहुड। (४७) पड क्रय वर्णन . गुटका नं ५५ लिपिकार ६० स्वोजोराम जी । पत्र संख्या ३०. साइज ||४६ इञ्च । लिपि संवत् १८२६. लिपिस्थान देवपुरी। लिपि का पांडे देवकरणजी। गुटका नं. ५६ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या ७५. साइन ५४४ इञ्च । गुटके में कोई विशेष उल्लेखनीच सामग्री नहीं है। गुटको नं. ५७ लिविकार अज्ञात । पत्र संख्या २०. साइज ५/४४|| गुटके के प्रारम्भ में कितने ही प्रसिद्ध मध्यकालीन राजाओं और नवाबरें का संवत् सहित संक्षिप्त वृत्तान्त देरखा है। इसके अतिरिक्त कोई -उल्लेखनीय सामग्रो नहीं है। इक्यावन Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * nind mein गुटका नं० ५८ पत्र संख्या ६२. साइज ११४५ इञ्च विषय-सूची-- (१) नेमीश्वर जयनाल । प्राकृत) (२) दरसायण (३) कालावली । 2 ) भरतबाहुबलि (५) बर्द्धमान जयमल (६) मुनियों की स्तुति । ७) पंचपरमेष्टि ( = ) सप्तस्वीत (t) कल्याण गीत १०) समाधि गीत (२१) दशधर्म (१२) अनुप्रेक्षा (१३) समयसार (१४) द्रव्यसंग्रह (१५) आराधना (१६) अकलंकाष्टक (१५) पोसहरास ११८) मेषकुमार (१६) दीतवारकथा (२०) मंगलाष्टक (२१) वियुच्चोर कथा (२२) अन्य स्तोत्र मंगलाष्टक वगैरह । गुणरधान चर्चा। : । - स्वयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५, साइज ११||xशा इञ्च प्रति अपूर्ण है। बायन . .':' Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर मंडार के अन्य * - गौतमपृच्छा। ___ रचयिता श्री वाचनाचार्य रत्न कीर्तिगणि । भाषा प्राकृत हिन्दी । पृष्ठ संख्या ५ साइज १०x४ इश्च । लिपि संवत् १५८०. श्रीमाल जाति खारड गोत्र बाले चौधरी पृथ्वीमल्ल की धर्मपत्नी के पढने के लिये प्रति लिपि की गई। प्रति न०६. पत्र संख्या १, साइज १०||x४।। इञ्च । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ४. साइज १०||४|| इञ्च | गाथा संख्या ६४. प्रति नं० ४. पत्र संख्या ४. साइज १०||x} इञ्च । गाथा संख्या ६५. गोपालोत्तर तापनी टीका। रचयिता श्रीमविश्वेश्वर । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ३१. साइज १२४६|| इञ्च । विषय-श्री कृष्णजी की स्तुति आदि। गोम्मटसार जीवकांड 1 .. . ... ... . . .-:: ::: . . .: - :- :: . . ___ रचयिता श्री नेमिचन्द्राचार्य । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या २०. साइज १०४५! इञ्च । प्रति अपूर्ण है। दशन मार्गणा तक गाथायें हैं। चतुर्दश पूजा संग्रह । : " .. :.:. :- .... ..... . .. ... .... . . संग्रह कर्ता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २०. साइज ११४५।। इञ्च । पूजाओं का संग्रह मात्र है। चतुर्दशो चौपई। रचयिता श्री टीकम । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या २०. साइज़ १२४५|| इश्च । पद्य संख्या ३५८. - रचना संवत् १७१२. लिपि संवत् १७६३. प्रशास्त दा ६३ ६ । ... :: .. .: . चतुर्विशति गीत । रचयिता अज्ञात । भाषा हिन्दी पत्र संख्या ५. साइज ६x४ - इश्च 1 चौबीस. ती कथरों की रतितु की गई है। तरेपन Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्थ-* चतुर्विंशतितीर्थ कर स्तुति । रचयिता श्री ब्रह्मालाल जिगु ! भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५.-साइज : ११४४।। इञ्च । संख्या २१. प्रति नं०२. पत्र संख्या २. साइज ११४५। इञ्च । चतुर्विंशनजिनस्तुति । रचयिता बर्न बोपसूरि | भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २. साइज ११४४।। इश्व पद्य संख्या २८. लिपिकार श्री विद्याधर | .ति सटीक है । यसक बंध लुति है। चतुर्विशात तीर्थकर पूजा। रचयिता प्राचार्य शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३५. साइज १०४६।। इश्च । प्रारम्भ के ७ पृष्ट नहीं हैं। चतुर्विशति तीर्थकर पूजा । रचश्तिा अज्ञात । भाषा संस्कृत । त्र संख्या ६६. साइज १०||४५ इञ्च । लिपि संवत् १०७ प्रति न० २ पृष्ठ संख्या ४०. साइज:२१४४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है। प्रारम्भ के ३० पृष्ठ-नहीं हैं। चतुधि सिद्धपूजा । रचयिता भट्टारक श्री भानुकीत्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २०३. साइज १०|| xश्च । लिपि संवत् १७४४. लिपिकार श्री हेमकीर्ति । ग्रन्थ साधारण अवस्था में है। चंद कुमार वार्ता । रचयिता की प्रतापसिंह । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ६. साइज १०x१। इञ्च | विषय अमरावती के राजकुमार चन्द्र कुमार का कथानक है । हिन्दी बहुत ही साधारण है। तिपि संयत १८७६. है। प्रति नं० २. पत्र संख्या १, साइज १०||४|| इञ्च । लिप संवत् १८१६. चंदनमलयापिरी की कथा । . रचयिता अज्ञात भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १. साइज १२४५।। उच्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या १७०. लिपि संवत् १७६१. - योकत : Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आमेर मंडार के अन्य * चंदन पष्टी पूजा। रचबिता श्री देवेन्द्रकीत्ति । भाषा संस्कृत । पृष्ट संख्या ६. साइज ११||४|| इञ्च । चन्द्रप्रमचरित्र । रचचिता भट्टारक श्री शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७२. प्रत्येक पृष्ठ पर १० पकिया और पति पंक्ति में ३५-३६ अक्षर । विषय आठवें तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभु का जीवन चरित्र । चन्द्रप्रमचरित्र । प्रन्धकत्ती-महाकवि यशः कीत्ति । भापा अपभ्रंश । पत्र संख्या १२०. साइज ७४३}। इ'छ । लिपि संवत् १५५३. अषाढ मुदी ३ बुधबार । १: परिच्छेद । गाथा संख्या २३०६. प्रशस्ति अधूरी है क्योंकि ११८ और ११६. के पृष्ट नहीं है । कागज और अक्षर दोनों अच्छे हैं। प्रतिर पत्र संख्या १ सोइज ईश्च लिप संवत् १६११ चैत्र बदि ५ वृहस्पतिवार ग्रन्थ जीणं अनस्था में है। प्रशस्ति पूर्ण नहीं है। प्रति नं०३. पत्र संख्या ११६. साइज शो इञ्च । लिपि संवत् १६०३. प्रति प्रति ०४. पत्र संख्या १०१. साइज ११४५ इञ्च । पति अपूर्ण है। प्रारम्भ के पृष्ट १ से १८ तक, ...:: प त्र संख्या :... ... ५३ से ४० तक, तथा अन्त के पृष्ठ नहीं है। प्रति न० ५. पत्र संख्या ७८. साइज ११४४|| इन्च । प्रति अपूर्ण दै अन्त के पृषु नहीं हैं। . चंद्रलोकालंकार । रचयिता अज्ञात । मापा । संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज १||४|| इञ्च । लिपि संवत २६३६.' लिपिस्थान सवाई माधोपुर । .... ... . . चमत्कार चिनी . . .-: रचयिता भट्टारक श्री जयकीति । भाषा संस्कृत । पृध संख्या ६. साइज १०x४ा इञ्च : विषयज्योतिष । लिपि संवत् १७४२. श्रावण सुदी ५. प्रति न० २. पत्र संख्या ११. साइज ४ इञ्चा- - - - - - - mor e - - .. -. . -... - . - - -.-.... पचपन Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * चरचाशतका रचयिता श्री दानतराय । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ५. माइज ११४!! इञ्च । चर्चासमायान। भाषाकार पंडित भूधर दास जी । भाषा हिन्दी ( प ) । पत्र संख्या १४१. साइज १०x४!! इश्च । रचना संवत् १८०६, लिपि संवत १८३१. चारित्र शुद्धि विधान । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । स्त्र संख्या ५५. साइज १२४५ इञ्च । ग्रन्थ अपूर्ण सा प्रतीत होता है क्योंकि अन्त में अन्य समाप्ति बगैरह कुछ भी नहीं दे रखी है। चरिनसार । रचयिता श्री चामुण्डराय । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ६८ साइज १०||४|| इश्च । लिपि संवत् १४१८. प्रति सटीक है। प्रति नं०२ पत्र संख्या ७१. साइज ११४५।। इञ्च । लिपि संवत् १५७७.. प्रति नं० ३. पत्र संख्या =१. साइज ११४५ इन्न । लिपि संवत् १५४२. . . चिंतामणि पाच नाय पूजा। रचयिता भट्टारक श्रा शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १४. साइज १०x४ा इञ्च | लिपि संवत् १६८२. प्रतिनं०२. पत्र संख्या १२. साइज १०||४५ इञ्च । चिदविलास । रचयिता श्री दीपचंद काशलीवाल । भाषा हिन्दी ( गद्य ) पत्र संख्या ६५. साइज Ex६॥ रचना, संवत् १७७६. लिपि संवत् १७७६, लिपि स्थान आमेर । विषय-सिद्धान्त चर्चा । चूर्ण संग्रह। संग्रह कर्ता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११. साइज १०||४|| विषय आयुर्वेद । . . छप्पन Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर मंडार केअन्य * चेतनकर्म चरित्र। रचयिता भैवा भगवतीदास ! भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १७. साइज १०x२!! इञ्च । पद्य संख्या २६८. रचना संवत् १७३२. लिपि संवत् १८४३. लिपिस्थान शेरगढ । चैत्यस्तयन ! रचयिता अज्ञात । भापा वित। पर संख्या १. साइज x!! च । पद्य संख्या है, भारत के प्रसिद्ध २ जैन मन्दिरों के नाम गिनाये गये हैं। चौबीस ठाणा। रचयिता नेमिचन्द्राचार्य । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या २४.साइज, ११४५३॥ इच। प्रति नं०२. पत्र संख्या २६. साइजx५ इञ्च । प्रति नं. ३. पत्र संख्या २६. साइज ११|||| इज्ज । .. . प्रति नं०४. पत्र संख्या ८०. साइज १०||४|| चौबीस तीर्थंकर जयमाल । रचचिता अज्ञात। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४१. साइज १०||४|| इन्न । चौबीस तीर्थकर स्तुति संग्रह। रचयिता श्री माणिक्य । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १३. साइज ११x६!! इञ्च । लिपि संवत् १८४८, चौदह मार्गणा। रचचिता अज्ञात । भाषा प्राकृत ! पृष्ठ संख्या १६..साइज १०x४|| इश्च । चौदह मार्गणाओं पर छोटा किन्तु सुन्दर प्रन्थ है। .....Ani.mne...main छन्दानुशासनः .... . . ... .. . . . ... ... ... .. .. रचयिता' श्री हेमाचन्द्राचार्य । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या:५६. साइल-१३४५ इञ्छ । प्रति सटीक है। छन्दोमञ्जरी। सवाचन Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ * रचयिता श्री गंगादास । भाषा संस्कृत ! पत्र संख्या १७. साइज Raix५ इञ्च । लिपि संवत् १८३८ । लिपि स्थान पाटलिपुत्र । लिपिकर्ता-भ० सुरेन्द्रकीति । जन्मपत्री पद्धति । रचयिका अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १. साइज १३४६|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है। अन्तिम पृष्ठ नहीं है। प्रति नं२. पत्र संख्या १६. साइज १०|||| इञ्च । प्रारम्भ में सभी धर्मों के देवताओं को नमस्कार किया गया है। जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति संग्रह । रचयिता भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीर्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६२. साइज १२।।४६ इञ्च । जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति । रचयिता अज्ञात । भाषा प्राकृत। पत्र संख्या ६४. साइज १२४५ इञ्च । लिपि संवत् १५१८, जंबु द्वीपरचना । रमिता पक्षात । भाषा हिन्दी 1 पत्र संख्या ५. नाइज ११।।४५ इञ्च । जम्यूस्वामि चरित्र । . रचयिता महाकवि श्री देवद समुत श्री वीर । भाषा अपनश । पत्र संख्या ७६. रचना संवत् १०७६. लिपि संवत १५१६ । ६२ का पत्र नहीं है। जम्बूस्वामिचरित्र । रचयिता ब्रह्म श्री नेनिदास । भाश संस्कृत । पत्र संख्या ७०. प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में १०-४६ अक्षर । साइज १३४६ इञ्च । प्रति लिपि संवत् १७६३ भादवा बुदि । प्रति नं० २. पत्र संख्या १०५ : साइज १०x४||इन । प्रति लिपि संवत् १६६३ । लिपि स्थान आमेर । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ७१. साइज १३४५ इञ्च । लिपि संवत् १८३१ । लिपि स्थान जयपुर । प्रति न ४. पत्र संख्या ५६. साइज ११३४६ इञ्च । अद्रावन Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * जन्बूस्वामि चरित्र । रचयिता श्री पांडे जिनदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३५. साइज =||४|| इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या ५०३. रचना संवत् १६४२. लिपि संवत् १७५१ । . प्रति नं० २ पत्र संख्या ३४. साइज १२४५|| इञ्च । लिपि संवत् १७६३ लिपिस्थान जिहानाबाद जयसिंह पुरा । लिपिकार पं० दयाराम । प्रति नं० ३. पत्र संख्या २१. साइज १२x६ इञ्च । जिनगुण संपत्ति कथा। लिपि कती श्री सेवा राम साह । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइज १०x४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ६ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-३- अक्षर । लिपि संवत् १८४५. लिपि स्थान जयपुर । प्रति नं०२ पत्र संख्या २६. साइज ११४५ इञ्च । । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ३. साइज १.६x४|| इश्च । केवल नंदीश्वर कथा ही है। जिनदत्तचरित्र । रचयिता पंडित लावू ! भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या १५७. साइज १०x४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३२.३६ अक्षर। रचना संवत् १२७५. लिपि संवत् १६११, लिपिस्थान आम्रगढ़ महादुर्ग । आचार्य धर्मचन्द्र के शासन काल में भट्टारक श्री प्रभाचन्द्र के शिष्य श्री ब्रह्मवेग ने ग्रन्थ की प्रति लिपि बनायो । ग्रन्थ समाप्ति के अन्त में स्वयं कवि ने अपना परिचय दिया है। कितने ही स्थानों पर लिपिकर्ता ने अपभ्रंश से संस्कृत भी दे रक्खी है। प्रति नं०२. पत्र संख्या १५०. साइज १२४५ इञ्च ! प्रति अपूर्ण। १५० से आगे के पृष्ट नहीं है। प्रति कुच २ जीर्णावस्था में है। जिनदत्तचरित्र 1 रचयिता श्री गुणभद्राचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५०. साइज 24xl! इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ एर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३०-३६ अक्षर । लिपि संवत् १६१६. प्रशस्ति है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ४३. साइज १०x४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। . . गुनसठ Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य %3 - - प्रति नं० ३. पत्र संख्या ५३. साइज १०|||| इञ्च । प्रति अपूर्ण है। प्रति नं० ४. पत्र संख्या ६५, साइज १०}x५ इञ्च । प्रति नं० ५ पत्र संख्या ५५. साइज १२x५ इञ्च । लिपि संवत् १६६०, प्रति जीर्ण शीणं है। जिनदर्शनस्तवन । रचयिता श्री पद्मनन्दी। भाषा संस्कृत । प्रति पत्र संख्या ११. साइज ११४५ इञ्च । प्रति नवीन और स्पष्ट है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ११. साइज |४६ इञ्च । प्रति नवीन है। जिननाथस्तुति । रचयिता अचार्य समंतभद्र । पृष्ठ संख्या २०. भाषा संस्कृतः। साइज १शाx21] इन्न । लिपि संवत् १७३४. लिपि कत्ती नंदराम । प्रति अपूर्ण है। प्रथम पृथ्व नहीं है। . जिनपिंजस्तोत्र। लयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत ! पत्र संख्या ३. साइज ६४५|| इञ्च । विषय-स्तुति। प्रति अशुद्ध है। जिनयज्ञकल्प । रचयिता पं० श्राशाधर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२६. साइज १२४४|इञ्च । प्रति.'अपूर्स हैं। प्रारम्भ तथा अनन्त के बहुत से पृष्ठ नहीं हैं। प्रति नं० २ पत्र संख्या १५५. साइन १३४५।। इञ्च । लिपि संवत् १७७२. प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०३. साइज १२|४६ इञ्च । लिपि संवत् १४५८, लिपि स्थान आमेस्ः. प्रति नं० ४ पत्र संख्या १२३. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १५६०. श्री शांतिदास ने प्रथ की प्रतिलिपि करवाई। प्रति नं. ५ पत्र संख्या १०४. साइज ११४।। इञ्च । प्रति अपूर्ण है। १०४ से आगे के पृष्ठ नहीं हैं। ___ प्रति नं० ६. पत्र संख्या १६५. साइज ११४४।। इञ्च । लिपि संवत् १८५८ | साठ Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रति नं० ७. पत्र संख्या ३६. साइज १०४५|| इन्न । प्रति नं०८. पत्र संख्या १११. साइज १३ixशा इश्व । जिनमहस्रनाम टीका। . . . टीकाकार श्री श्रमर कीति । भाया संस्कृत । पत्र संख्या ८७. साइज इञ्च । जिनसहस्रनाम स्तोत्र । रचयिता पं० श्राशावर । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या २३. साइज या इन। प्रति नं०२. पत्र संख्या ६. साइन x५ इञ्च । प्रांत नं० ३. पत्र संख्या २६१. साइज ११xx11 इञ्च । प्रति सटीक है । टीकाकार प्राचार्य भी श्रतसागर ।' भाषा संस्कृत । लिपि संवत् १७५. लिपि स्थान मिलाय ( जयपुर ) प्रति ०४. पत्र संख्या ३६. साइज Ex४ इञ्च । __ प्रति नं० ५. पृष्ठ संख्या १३०. साइज १२४५। इस । लिपि संवत् १८०३. लिपिस्थान जयपुर । प्रा. सटीक है। जिनसहस्रनामस्तोत्र। .... ......... :: .. ..... ... .. ... ...... रचयिता श्री जिनसेनाचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५७. साइज ११४६ इश्च । प्रत्येक पृच पर १४ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३८-५६ अक्षर । प्रति सटीक है। टीकाकार श्री अमरकीर्ति। प्रति नं०२-पत्र संख्या ५. साइज ११४६ इच. प्रति नं० ३. पत्र संख्या ६. साइज १०x४|| इश्च । प्रति न० ४. पत्र संख्या ४. साइज 201x1 इन्। प्रति न० ५. पत्र संख्या ६. साइज १०x४।। इश्च । ___ जयकुमार पुराण रचयिता ब्रह्म श्री कामराज । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७६. साइज ११||४५ इञ्च । लिपि संवत १७१६. इसमें जव कुमार का जीवन चरित्र है। इकसठ Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ * - - प्रति ०२. पत्र संख्या ५. साइज १९१४५ लिपि संबन् १६६१ । जल्पमजरी। रचयिता अज्ञान । नापा संस्कृत । पत्र संख्या २६. साइज १०४५।। इञ्च : लिपिकर्ता पं० प्रेमकुशल । विषय-दर्शन शास्त्र । ज्येष्टनिनवर पूजा । रचयिता ब्रह्म कृष्णदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या २. साइज १०४ इञ्च । ज्योतिपचक्रविपर। रचयिता अज्ञात । थापा हिन्दी । पत्र संख्या २१. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १६०५ । ज्योतिष फलादेश रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १६. साइज ११xxl इश्च । प्रति अपूर्ण है। ज्योतिपरत्नमाला रचयिता श्री पति महादेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२५. साइज १०४५ इञ्च । प्रथम पृष्ट और अन्तिम पृष्ट नहीं है। ज्योतिप रत्नमाला। रचयिता श्री श्रीपति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३६. साइज १०||४५|| उच्च । ग्रन्थ की स्थिति साधारण है। प्रति न० २. पत्र संख्या ४६. साइज १०llx५|| इश्च । प्रति अपूर्ण है। ४६. से आगे के पृष्ट नहीं हैं। । . . ज्योतिष रत्नमालो। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६३. साइज १६x४।। इच। लिपि संवत् १६५५, . विषय-योतिष । प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या २७. साइज १०x४ इश्च । लिपि संवत् १७२५। मा वासठ . . Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष पद्चाशिका | रचयिता श्री भट्टोल | भाषा संस्कृत हिन्दी । पत्र संख्या १५. साइज १०४५ | लिपि संवत् १७०४. लिपिकर्ता पं० तेजपाल । * आमेर भंडार के ग्रन्थ * ज्योतिष सार । 1 रचयिता श्री नारचन्द्र | पत्र संख्या १५. साइज २x९ इच। ज्योतिष शास्त्र पर छोटी सी पुस्तक सूत्र रूप में है । प्रति ०२ पत्र संख्या २०. साइज १२५५ इञ्च । ज्वर तिमिरभास्कर | रचयिता कायस्थ सामु खराय । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५५. साइज १०x४ इञ् । प्रत्येक पृष्ठ ४५ १२ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३६-४२ अक्षर | लिपि संवत् १७३१ | लिपि स्थान सांगानेर | प्रति अपूर्ण । प्रथम २२ पृछ नहीं हैं। विषय आयुर्वेद । 1 ज्वालामालिनी स्तोत्र | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत । साइज १०||४|| इ | पत्र संख्या १ । जातकपनकोप | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. साइज ११४५ || इञ्च । जातकाभरण | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १० लाइज १३ | | ६ || छ । प्रति अपूर्ण है। अन्तिम पृष्ठ नहीं हैं । प्रति नं० २. पत्र संख्या २७ साइज (२४५|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है । जीवनभर चरित्र | --: रचयिता आचार्य शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६५. साइज १०||२४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां, प्रति पंक्ति में ३२ अक्षर । प्रतिलिपि संवत् १६६३. प्रशस्ति है । तरेसठ Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रति नं० २ । पत्र संख्या ११५ ! साइज ?|३४|| इञ्च । प्रथम पत्र नहीं है। प्रति नं० ३ । पत्र संख्या ६६ | सारज ११४४ान । प्रति अपूर्ण है। अन्त के पृष्ट नहीं हैं। जोवधि चार प्रकरण । रचयिता अजरात ! भाग प्र म माया मारत :४ इञ्च । नाथाओं का हिन्दी में अर्थ भी ज्येष्ट जिनवर को कथा । संग्रहकत्ता अज्ञात । भाषा हिन्दी । पत्र १०. नाइज १०४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। उक्त कथा के अतिरिक्त अन्य भी कथायें हैं। ये कथायें व्रत कथा कोष से ली गयी हैं। जैनतपरिभाषा। रचयिता पं० यशोविजयगलि । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १५. साइज १०४४।। इश्श । लिपि संवत् १७८४. लिपिस्थान सितपुर । लिपि कर्ता-मुनि विवेकराज । जन पूजा पाठ संग्रह। संग्रह कत्ता अज्ञान । भारा संस्कृत । पत्र संख्या १८, साइज ११४४इञ्च । ६३ पूजाओं का जैनवैद्यक । रचयिता अशात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १६. साइज १३४५|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है। १८ से आगे के पत्र नहीं हैं। जैनशतक । रचयिता पं० भूधरदासजी । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १४. साइज Ex५ इञ्च । रचना संवत् १७८७. नेन्द्रव्याकरण । - रचयिता श्री पूज्यपादस्वामी । टीकाकार श्री अभयनन्दि भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५७७. साइज Sax६ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-४० अक्षरं । लिपि संवत् १-६६. प्रति लिपि त सुन्दर और स्पष्ट है। चौसठ Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रति नं० २. ढोकाकार श्री सोमदेव संख्या १४४ साइज १२४५॥ इन । पत्र एक दूसरे के चिप रहे हैं । तचितामणी । रचयिता श्री जयदेवमिश्र । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४६७. साइज २०४४ ।। इच्च । विषय-न्याय । प्रति नं० २. पत्र संख्या ६६. लाइन ११४॥ उ । ग्रन्थ समाप्ति पर "श्री महोपाध्याय श्री गणेशकृते तस्वचितामणौ नत्यः " इस प्रकार श्री गणेश का नाम देखा है। दोनों प्रत्थों में कोई अन्तर नहीं है। तस्वधर्मामृत | रचयिता श्री चन्द्रकीर्त्ति। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २७, साइज १०||२४|| इञ्च । सम्पूर्ण वद्य संख्या ४७७. विषय-विवेचन । लिपि संवत् १५३५ । प्रारम्भ: अन्तिम पाठः * आमेर भंडार के वज्ञान तरंगिणी | शुद्धात्मरूपमापन्नः प्रणिपत्य गुरोः गुरु । तत्त्वमृतं नाम ये संपतः श्रृणु ॥ 11 न तथा रिपु न शास्त्रं न त्रिपोग्नि दारुणो च व्याधि बुद्ध जयति पुरुपं यथा हि कटुकाक्षरा, वाणी ॥२॥ तत्त्वसार । रचयिता श्री देवसेन | भाषा प्राकृत | पत्र संख्या ४. साइज १२x४|| च । गाथा संख्या ७५ प्रति नं० २. पत्र संख्या १०. साइज १०४४|| इञ्च । रचना संवत १६४२ । रचयिता भट्टारक श्री ज्ञान भूषण । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १८. साइज १२४॥ इव रचना संवत् १५६०. लिपि स्थान जयपुर । प्रति नं० २. पत्र संख्या २८. साइन allx६ इव । लिपि संवत् १०८ ਕੈਬਨ Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रति नं० ३. पत्र संख्या २०. साइन ११४६ । लिपि संवत् १=२३, लिपिस्थान जयपुर | तत्त्वानुसंधान | के ग्रन्थ श्री २०६६, बुदि३, विषय-दर्शन | बन्थ के बने वाले भाजकाचार्य श्रीनत् खयंप्रकाशानंद के प्रमुख शिष्य है। तनुशासन ! सरस्यति। भाषा संस्कृत | पृष्ठ संख्या २२ लाइन १२४५ उच्च | लिपि संवत् सम्बन्ध में लिखा है कि वे परमहंस परि तत्वार्थरत्नाकर | भाषा संस्कृत । २ सेवा १४ ला वन । १३ व नहीं है। श्री त्रह्मचारी गोतम के पड़ने के लिये ग्रंथ की प्रतिलिपि की गई। संख्या १३ साउन १०||३|| इच-1 प्रथम पृष्ठ नहीं के । प्रति०२ ११४४|| इञ्च विषय-तत्रों विता श्री प्रभाचन्द्रदेव | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १०० साइन ११४२ । प्रत्येक छ पर ९१ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति ने ३०-३६ अक्षर रचना संवन १४ ग्रन्थ के अन्त में विस्तृत प्रशस्ति दी हुई है । यह तत्त्वार्थ सूत्र पर एक टीका है 1 I तत्वार्थराजनार्त्तिक 1 पिता श्री भट्टाकलंक देव | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५०० सहज ११४५ ॥ ञ्च । लिपि संवत् १२ लिपिकार ने जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह का उल्लेख किया है। तार्थसार पिता श्री अमृतचन्द्र सूरी । भाषा संस्कृत पत्र संख्या २ साइज १०३॥ इच्च । सम्पूर्ण श्लोक संख्या ७२४. लिपि संवत् १६१५. लिपि संवत् के ऊपर किसी ने बाद में पीला रंग डाल दिया है। छयासठ वार्थसार दीपक ।। चिता भट्टारक श्री सकलकीति । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ७२ साइज १०|| ५ | लिपिस्थान माधोराजपुरा ( जयपुर ) | Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ * मंगलाचरण: ज्ञानानंदैकरूपाय विश्वानंतगुणाध्वये । शिवाय मुक्तिबीजाय नमोस्तु परमात्मने ।। १ ।। अन्तिम पद्य: असमगुणनिधानं स्वर्गमाईकमार्ग। ममभयचकितानां सच्छर एवं गरिष्ट । ननुरपतिभिरन्य मानितं भव्यपूर्ण । जयतु जगति जैन शासनं धर्ममूलं ।। १ ।। तत्वार्थ सूत्र । रचयिता श्री उमानामि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७. साइज १०x४|| इश्च । लिपि संमत १७५ १. लिपिकत्ता श्री चन्दः। तत्त्वार्थ सूत्रीका। दीकाकार आचार्य श्रुतसागर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४४१. साइज १||2|| इञ्च । प्रत्येक प्रत पर : पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३०-३६ अक्षर । प्रतिलिपि नं.२ पत्र संख्या २८३: साइज १० इञ्च । लिपि संवत् १७४७. लिपि स्थान जहानाबाद । भट्टारक श्री कल्याणसागर के शिष्य श्री जयवंत तथा श्री लक्ष्मण ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि बनायी। तधार्थ मूत्र सटीक। भापाकार-अज्ञःत । भाषा हिन्दी गद्य पत्र संख्या १५६. साइज ११||४|| इश्च । लिपि संवत् - १५८२. भाषा शैली अच्छी है । दूसरे अध्याय से शुरू हुई है। प्रति न० २ पत्र संख्या ५५. साइज-२२४५ इञ्च - प्रति अपूर्ण ५२ से श्रागे के पृष्ट नहीं हैं। प्रति ने० ३. पत्र संख्या १०१. साइज ११॥४५ इञ्च । प्रति सुन्दर है। -- - सडसेट Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *आमेर के प्रन्थ तत्वार्थसून भाषा । वीर सुनि श्री प्रभाचन्द्र । भाषाकार अज्ञात | पत्र संख्या ११२ ||४४|| इञ्च | लिपि संवत् १=०३, लिनित्थान बैंक । श्री खुशालराम ने पांडे बुम्भकरण के लिये प्रतिलिपि बनायी । कहीं २ सूत्रों की टीका संस्कृत में और हिन्दी में दी हुई है और कहीं केवल हिन्दी में ही लिखी हुई है। तत्त्वार्थमार्थ । अर्थ कर्त्ता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३७ लाइ १०||४५ इञ्च । सूत्रों का अर्थ सरल संस्कृत में दे वा है । प्रति अपूर्ण है । अन्तिम दो नहीं है । तुर्क चन्द्रिका | रचयिता श्री विश्वेश्वर | भाषा संस्कृत संख्या २२ साइज इञ्च । लिपि संवत् १८२६ । तर्कपरिभाषा | रचयिता श्री केशव मिश्र । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३७. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १७६३ चैत्र शुक्ला पूर्णिमा | लिपि कर्त्ता भी लगकरण | लिपिस्थानइन्द्रस्व नगर । तर्कसंग्रह | रचयिता श्री भट्ट । भाषा संस्कृत | पृष्ठ संख्या १३. साइज २० ॥४४॥ | | प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या १०. साइज १०x६ इञ्च । प्रतिसदीक है। टीकाकार श्री मत्तमट्टोपाध्याय | लिपि संवत् १७८२. लिपिकर्त्ता - श्री बलभद्र तिवाडी । इन दोनों के अतिरिक्त ७ प्रतियां और हैं । तर्कामृत | रचयिता श्रीमज्जगदीश भट्टाचायें । मापा संस्कृत । पृष्ठ संख्या २९ साइज ६x४ || इञ्च | विषय - न्याय | लिपि संवत् १८३० । ताजिक भूषण | रचयिता श्री देवज्ञ दुदिराज | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २६. साइज १२५५॥ इश्र्व | विषय -ज्योतिष | प्रति अपूर्ण है अन्तिम पृष्ठ नहीं है। अडसठ Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ __ *आमेर मंडार के अन्य * प्रति नं०२. पत्र संख्या १६. साइज १०:४४|| इख । ताजिक शास्त्र । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३. सा ज १०x४ इञ्च । लिपि संवत १६५५. लिपि स्थान चामंड नगर। तिथिस्वर । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १. साइज ११४४ इञ्च । विपय-ज्योतिष । तीन चौबासी पूजा। रचयिता श्री विद्याभूपरण । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १४. लिपि संवत् १७४६ । तोन चौबीसो पूजा। रचयितां अज्ञात । भोपा संस्कृतं । पत्र संख्या ६. साइज १२४।। इञ्च । केवल तीन चौबीसियों की। एक ही पूजा है। तीर्थकर परिचय। लिपिकार पं० विहारी । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १६ । साइज ११४४ इञ्च । विषय- २४ तीर्थकरो के माता, पिता, गर्भ, जन्म, तप, केवल, मोक्ष, आयु, आसन आदि का वर्णन : लिपि काल संवत् १७२७ । तोन प्रतियां और हैं। . तीस चौबीसी। लिपिकर्ता अज्ञात । पत्र संख्या ७. साइज १०||था इय्च । तीस चौ गीसियों के नाम अलग २ दे रखे हैं। द्रव्यगुणशतश्लोक। रचयिता श्री मल्ल । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ११. साइज १२४ा इञ्च । विषय-आयुर्वेद । द्रव्य संग्रह। रचयिता श्री नेमिचन्द्राचार्य । टीकाकार अज्ञात । पत्र संख्या ११६. साइज ७/lx६-इश्च । प्रथम - - - - - - गुन्नत्तर Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * तीन तथा ११६. ले आगे के पुष्ट नहीं है। ।। .:: ..... .. .:. : .. .. प्रति नं० २. पन्न संख्या ५. साइज ११४५।। इञ्च । जिपि संवत् १८४४. भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीचिने मन्थ की लिपि धनाची । केवल तीसरा अध्याय है।.... प्रति ०३, पत्र संख्या १८. माइज !!xy इञ्च । लिपि संवत् १७३४. भाया गद्य में है। .......... द्रव्यसंग्रह सार्थ । मुलका आचार्य श्री नेमिचन्द्र । हिन्दी टीकाकार श्री पर्यंत धर्मार्थो । भाषा गुजराती। पत्र संख्या ४३. साइज १२४५१। इञ्च । लिपि संवत् १४६७ । द्रव्यसंग्रह सटीक । . .... मुलकत्ता श्री नेमिचंद्राचार्य भापा प्राकृत । भापाकत्ता श्री रामचन्द्र। भाषा हिन्दी ( गय पत्र संख्या २१. साइज १.०४४।। इञ्च । प्रत्येक घर पर संख्या १६. 'पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४-५४ अक्षर। प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ८. साइज १०x४ इञ्च । केवल मूलमात्र है। प्रति नं० ३. पुष्ट संख्या = साइज ||४|| इञ्च । प्रति लिपि संवत् १७६८. लिपिस्थान-जयपुर। प्रति नं० १. पृष्ठ संख्या ६. साइज १०४ इञ्च । लिपि संवत्त १६५६ पौष बुदि ११. ... प्रति नं० ५. पृष्ट संख्या ११. साइज १०४ इञ्च । लिपि संवत १७२३. लिपिस्थान पाटण। प्रति नं० ६. पृष्ट संख्या ६. साइज १२४५ इञ्च । लिपि संयत् १६०४. लिपि स्थान मायोपुर । -प्रति नं० . पृट संख्या ११, साइज ११४५ इञ्च । प्रति नं० ८. पृष्ट संख्या ६. साइज १०||४|| इन्न । प्रति नं० १. पृष्ठ संख्या ३. साइन ११||शा इञ्च । प्रति ० १०. पृष्ठ संख्या २५. साइज ११४५ इञ्च । प्रति सटोक है। टीकाकार श्री प्रभाचंद्र कवि । टीका की भाषा संस्कृत है। लिपि संवत् १८०२. . ..... प्रति नं० २१. पृष्ट संख्या ३४. साइज ??||४५ इञ्च । प्रति सटीक है । दीकाकार श्री कवि प्रभाचन्द्र । भाषा संस्कृत। ' । सत्तर Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *आमेर भंडार के ग्रन्थ * प्रति नं० १२. पृष्ठ संख्या ४. साइज ११||४५}1 इञ्च । लिपि संवत् १८२१. लिपि स्थान जयपुर । ::. :: . प्रति नं० १३. पृष्ठ संख्या १०. साइज १०!x५ इञ्च । वेष्टन नं० २६१. दर्शनसार । रचयिता देवसेन । भाषा प्राकृत। पत्र संख्या ५. साइज १२४१|| इञ्च । गाथा संख्या ५२. लिपि । संवत् १७५३....... .....: : ' प्रति नं०२. पत्र संख्या ५. साइज ११||x५ इञ्च । लिपि संयत १७५५. लिपिस्थान सांगानेर । दशलक्षण जयमाला । ....... ... ... .. रचियता पंडित भाव शर्मा । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या २२. साइज १०||2|| इव । लिपिरथान-नेवटा (जयपुर लिपिकार पंडित रूपचन्द्र । आठ प्रतियां और हैं। दशलक्षण जयमाला। . . : ...... ... ... . . रचयिता पं० रइछु । भाषा अपभ्रशं । पत्र संख्या ह. साइब १०x४|| इञ्च । लिपि संवत १८२२. लिपि कर्ता श्री केशवदास। प्रति नं.२पत्र संख्या ७. साइज.२०||४|| इञ्च प्रति न० ३. पत्र संख्या १२. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १८८५. लिपि स्थान जयपुर । लिपिकर्ता महात्मा शुभराम । दशलक्षण जयमाल । रचयिता अज्ञात । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या १०. साइज १२॥४।। इञ्च । लिपि संवत् १८०१. लिपिस्थान मालपुरा (जयपुर) लिपिकार श्री दयाराम। . दशलक्षण कथा। रचयिता भहारक श्री ब्रह्म ज्ञान सागर । भाषा हिन्दी । साइज १०४।। इञ्च । लिपि संवत् १८३८. लिपिस्पान पाटण । लिपिकर्ता श्री सुरेन्द्रकीर्ति । - - इयत्तर Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमर भंडार के अन्य र दशलक्षणव्रतोद्यापनपूजा। रचियता भ० श्री मल्लिभपण । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १६. साइज ११||x11 इंश्च । प्रति नवीन शुद्ध और सुन्दर है। दृष्टान्तशतक । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पृ संख्या २७. साइज १०४|| इञ्च । विषय-अलंकार। दानकथा। संग्रहकर्ता अज्ञात । भाषा संस्कृत ! पत्र संख्या १२. साइज १०x४ इञ्च । पुस्तक में कितनी हो प्रकार की दान कथाओं का वर्णन संक्षिप्त में दिया हुआ है। दान महिमा । रचयिता हंसराज बच्छराज । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या ३०. लाइज ११४४ इंश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तिया तथा प्रति पंक्ति में ४८ अक्षर । रचना संवत् १६०. लिपि संवत् १८०५. द्वादशमासी। रचवता-ननि माणिक्यचन्द्र । भाषा हिन्दी । पत्र सख्या १. सारज १०x४|| इञ्च । विषय-भगवान नेमिनाथ का यारह मास का वर्णन। द्वादशवतमडलोद्यापनपूजा । रचयिता भट्टारक भी देवेन्द्रकौत्ति भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १२. साइज १२४५१। इश्व ! दिलारामविलास । रचयिता श्री दौलतराम। भाषा हिन्दी। पत्र संख्या १५८. साइज zxशा इश्च । रचना संवत १७६८. क्लिास के अन्त में अच्छी प्रशस्ति दी हुई है जिसमें राजवंश, नगर और कविवंश का वर्णन दिया हुआ है। द्विःसंघानकाव्य । चयिता श्री नेमिचन्द्र । टीकाकार देवनन्दि । भाषा संस्कृत पत्र संख्या २००. साइज ११४५ इञ्च । बहत्तर Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . * आमेर भंडार के ग्रन्थ * लिप संवत् १६७६. काव्य अपूर्ण है ११३ से पूर्व के पृष्ठ नहीं हैं। दर्गपदप्रयोध । ___ रचयिता श्री हेमचन्द्राचार्य । या संस्कृत । पत्र संख्या ३०. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संघन १८१२. आचार्य हेमचन्द्र की लिगानुशासन में से कुछ विषय ले लिया गया है। व्याख्याकार अज्ञात। भाषा संस्कृत। पत्र संख्या. १८.साइज 2011xच्च । दुर्घट श्लोकव्याख्या। क संख्या ८. प्रति अपूर्ण है। प्रारम्भ के - पृष्ट नहीं है। दुष्टवादिगजांकुश । रचयिता श्री सुधारधार । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज ११४५। इञ्च । प्रथम पृष्ठ नहीं है। दूतांगद नाटक । रचयिता श्री सुभद । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइज १४ इश्व । लिपि संवत् १५३४. देवसिद्ध पूजा। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३१. साइज १०||४५ इञ्च । प्रति सटीक है। टीका संस्कृत में है। टोकाकार का नाम कहीं पर भी नहीं लिखा हुआ है। दौर्यसिंह वृत्ति । - वृश्चिकार अज्ञात । भाषा संस्कृत। पृष्ठ संख्या १२५ साइज ११४४।। इञ्च । विषय-व्याकरण । सम्पूर्ण ग्रन्थ अष्ट पादों में विभक्त है । लिपि संवत् १६६२. प्रारम्भ के १४ पत्र नहीं है। बीच के बहुत से पृष्ठ फटे हुये हैं। दोहापाहर। ....... .... .. .. . . . . . . .. . रचयिता प्राचार्य कुन्दकुन्द । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या १६. साइज ११||४५ इञ्च । लिपि संवत् १६०२. लिपिकार ने बादशाह शाहआलम का उल्लेख किया है। तेहत्तर Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के प्रन्ध व धनकुमार न कर्त्ता पं० । भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ३१. साइज क्ति और प्रत्येक पंक्ति में २-३४ अक्षर लिपि संवत् १६३६ ऋ प्रशस्ति है । धनपालराम । अन्तिम जिनदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ५. साइज २१५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३८ अक्षर लिपि संवत् १८२८ । मंगलाचरण ७५३ ॥ ६ । प्रत्येक पृ पर ६ अच्छी हालत में है । अन्त में वीर जिनवर २ नम्रतेसार तीथकर वो बोलमो । वांछित फल दान दातार सारद सामिए वीनवु ॥ १ ॥ दानतो. फलल्बडों जस वित्तरो अपार । धनपाल साह को निरमलो, सरगें लीयो अवतार ॥ इस जाणि निश्रय करो दान देखें। श्रावक भविय निरमलमनुष्य जन्म सफल कर लेख || श्री सकल कीरतिगामी श्री भुवन कीति भन्नतार । दान तगा फल बरण्या वा जिणदास कहें लार ॥ धन्यकुमारचरित्र । 1 रचयिता ब्रह्मनेनिवृत्त । भाषा संस्कृत पत्र संख्या २७ साइन १०४ परयां और प्रत्येक पंक्ति में २६-३२ अक्षर । प्रति नं० २ पत्र संख्या ८. साइज १०||४|| प्रति अपूर्ण । आठ से अधिक पृष्ठ नहीं हैं ।। प्रति नं० ३. पत्र संख्या ३३. साइज १०x४ | ३ | प्रतिलिपि संवत् १७२८ ]. प्रति नं० ४. पत्र संख्या १६. साइज ११||४५ इञ् । लिपिः संवत् । चोत्तर Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . * धामेर भंडार के अन्य * m धन्यकुमारचरित्र । रचयिता आचार्य श्री गुणभद्र । भाषा संस्कृत पत्र संख्या ३८, साइज ११४|इञ्च | प्रत्येक पृष्ठ पर २१ पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में ३५-४२ अक्षर। धन्यकुमार चरित्र । रचयिता भट्टारक श्री सकलकोति । भाषा संस्कृत !. पत्र संख्या ३५.. साइज. १२४५] इञ्च । प्रत्येक शुन पर १२ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३०-४२ अक्षर .. लिपि संवत् १८१३:। प्रति नं०६. पत्र संख्या ३४. साइज }x४|| लिपि संवत् १५३३. पद्य संख्या ५० । धर्म चक्रपूजा। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १६. साइज १०४५ इश्व । लिपि संवत् १७०६. लिपिस्थान मालपुराः। लिपिकर्ता:आ..श्रीःकमलको तिजो। .......... - : :: ::धर्म चचक्रविधान । रचयिता श्री यशःनन्दि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २१. साइज ११x१। इन। धर्म दोहावली। संग्रह कर्ता पं० जोधराज गोहीका । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या :११. साइत १२४५१ इञ्च । दोहावली संख्या १४५. लिपि संवत् १८२० । धर्मोपदेश श्रावकाचार । . चयिता श्री पं० धर्मदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ४६. साइज ! इञ्च प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २८.३४ अक्षर। रचना संवत् १५७८..प्रथम पृष नहीं है। :: -- धर्मोपदेश। रचयिता अज्ञात । भाषा हिन्दी । पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में १८-४ अक्षर । प्रति अपूर्ण है। प्रथम पृष्ठ तथा अन्तिम प्रष्ट नहीं है।" : पान .......... - पिवेत्तर. Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * धम्मोपदेश पीयूष । रचयिता श्री नेमिदत्त । मापा संस्कृत : पत्र संख्या २२. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १६३५. विषय-प्रावकों के प्राचार नार का वर्णन । को अन्तियां और हैं। इधर्म मंत्रहश्रावकाचार । रविता पंडित मेधावी । भाषा संस्कृत ! पत्र संख्या ६४. साइज ११४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पक्तियां और प्रति पंक्ति में ३८-४४ अक्षर । रचना लंबत १४४० ग्रन्थ के अन्त में ४१ पद्यों में कवि का परिचय दिया हुआ है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ५. साइज १०१।। इञ्च । लिपि संवत् १५४२ । । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ७०. साइज ११४५ इश्च । प्रति नं० ४. पत्र संख्या १०१, साइज ११४:१।। इञ्च । लिपि संवत् १८१२. लिपिस्थान चाटसु । लिपिकार श्री शालगराम । धर्म परीक्षा । रचयिता आचार्य श्री अमितिगति। भाषा संस्कृत । पत्र मंख्या १४५. साइज १०४४|| इञ्च । प्रत्येक पर - पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-४० अक्षर । रचना संवन २०७०, लिपि संवत् १६६६ । प्रति नं० २. पत्र संख्या ७८. साइज १२x६ इञ्च । प्रतिनं०३. पत्र संख्या १४५, साइज १०x४||| प्रति नं०४. पत्र संख्या १०. साइज ११:५५ ३श्च । लिपि संवत् १७३३. बादशाह मुलकगीर के शासन काल में साहदरा नामक स्थान पर श्री निर्मलदास ने ग्रंथ की प्रतिलिपि करायी। प्रति नं० ५. पत्र संख्या १. साइज १०x४इञ्च । लिपि संवत् १५६६. लिपिस्थान दृष्टिकापथ दुर्ग। साधी सुलेखा ने शास्त्र की प्रतिलिपि करायी। प्रति नं० ६. पत्र संख्या ३५, साइज १०||४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। प्रति नं०७. पत्र संख्या ७६. साइज १०x४ इञ्च । आधे से अधिक ग्रन्थ को दीमक ने ख छिन्तर Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रति नं० ८. पन संख्या १४५. साइज १०x2|| धर्म परीक्षा। रचयिता श्री मनोहरदास । भाप हिन्दी पद्य । पत्र संख्या १२४. साइज ११४॥ इञ्च । सन्यूणे पद्य मंग्या ३०००, निपि मन - प्रशारित दी हुई है। प्रति नं०२ पत्र संख्या ७१. साइज १२३४५|| इञ्च । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ८०, साइज १२x६ इञ्च । धर्म परीक्षा । रचयिता पं० हरियेण । पत्र संख्या ६४. भापा अपभ्रंश । साइज साट|इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ४५-५० अक्षर । रचना संबत् ११३२. प्रति नं० २. पत्र संख्या =८, साइज १०||रशा इन्च। प्रत्येक पृष्ठ पर ११-१३ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३४-४० अक्षर । लिपिकाल अज्ञात । ग्रन्थ अच्छी हालत में है। लिपि सुन्दर नहीं है। प्रशस्ति नहीं है। धर्म परीक्षा। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १५. साइज-४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १६ पंक्तियां तथा प्रति पंकि में ३२-३६ अक्षर । लिपि संवत १७५० । लिपिस्थान खका (जयपुर)। लिपिकार मुनि श्री कान्तिनागर । मंगलाचरण धर्मतः सकलमंगलावली धर्मतः सकलसौख्यसंपदः । धर्मतः सुकलनिर्मलं यशो धर्म एव तवदोविधीयतां ॥१॥ ध्यानसार रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइज ११४५ इञ्च । विषय-चागे ध्यानों का वर्णन । सतन्तर Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * अानेर भंडार के अन्य * ध्यानस्वरूप । रचिता अज्ञात भाषा संस्कृत । मया ५. साइन ११४५ ३ च । विपत्र-वानों के स्वरूप का वर्णन | ग्रन्थ पिस जाते ले अनर मिट गये हैं। वजारोहणविधान। यिता र आशभर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या 2. साइज १४था इञ्च । धातुपाठावनी : ग्य तापदेव । भाषा संस्कृत पत्र संख्या २५. साइज १०|| इञ्च । प्रति२. पत्र संख्या ६८, नाइज 201|| इञ्च । प्रति सटीक है। सटी। राजा श्री देवनान्द । टीकाकार श्री रत्नचन्द्र । पत्र संख्या १०. भाषा सस्कृत । साइन अन्तिम पाह नव्यपुग य देवारदमुनिगिरा। टीके रतनन्द्रा नदिन यस्य निनितः || - प्रति नं. २. पत्र मस्या है, साइज |2|| इव । लिपि नवन् १५३० । जिनि कता श्री रत्नचन्द्र अपिका ने बादशाह कुतुबखां के राज्य का लेख किया है लिपि स्थान-हिसार । दिसंघविरुदावली। रचयिता अज्ञात । पत्र संख्या ५. भाषा संस्कृत । साइज ११५ लिपिकार भट्टारक श्री अभयचन्द्र । मन्दिश्वर अष्टाह्निका कथा । रचयिता--प्राचार्य शुभचन्द्र । भाषा-संस्कृत ! पत्र संख्या १०. साइज-८llx५ इन्च | विषय-अठाई त की कथा । लिपि संवत्त १८०२।। ---- इठन्तर Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . * आमेर भंडार के ग्रन्थ * प्रति नै २. पत्र संख्या १०. साइज Ex। इश्व । लिपि संवत् १८०२ । प्रति नं ३. पत्र संख्या १०. साइज ११४४|| इञ्च | प्रति ० ४ पत्र संख्या ८. साइज १२४५ इञ्च । लिपि संवत् १८४४. नंदीश्वरचतुर्दि गाश्रितपूजा ___ रचयिता अज्ञात । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या ६. नाइज १२४५१। इञ्च । लिपि संयत् १८३६, लिपि स्थान सवाई माधोपुर । लिपिकार भट्टारक श्री सुरेन्द्र कीर्ति । नंदाश्चर द्वीप पूजा। रचयिता श्री कनक । नापा श्रनिश । पत्र संख्या : साइज १२शा इञ्च । नन्दि यत्ती ली। रचयिता अज्ञात : भापा संस्कृत । पत्र संख्या ३. साइन Ex६ इञ्च । विषय स्तुति पाठ । नंदीश्वरस्बिानकया। रचयिता श्री हरिपेण । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १६. साइज ११ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३८ अक्षर । लिपि संवत् १६४५ ' लिपि स्थान मालपुरा ब्रह्मचारी लोहट ने कथा की प्रतिलिपि बनायो । कथा के अन्त में प्रशस्ति दो हुई है। प्रति न० २. पत्र संख्या १३. साइज १०||१|| इञ्च । लिपि संवत् १६६१ मंगसिर बुदी ५. प्राचार्य खेमचन्द्र ने कथा की प्रतिलिपि बनायो । प्रति स्पष्ट और स्वच्छ नहीं है। प्रति नं. ३. पत्र संख्या ६. साइज ११४४। इञ्च । श्री आचार्य शुभचन्द्र के शिष्य श्री सकल भूपण के पढने के लिये प्रति लिरि बनाया चंदोश्वरपूजाविधान । - : - ... -: .... रचियिता अंजति । भापी संस्कृत 1 पत्र संख्या ७. साइज १४|| इञ्च । नमिनाथ पुराण । रचयिता भट्टारक श्री संकल कौति । भौंपा संस्कृत पत्र संख्या ४५. साइज ११४५ इन्छ । प्रत्येक उन्न्यासी Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * पृष्ट पर १२ पंकियां और प्रति पंक्ति में ४०-४४ अक्षर । लिपि नंबन. १५:११ । विषय-भगवान नेमिनाथ का जीवन चरित्र। नयचक भाषा । भापाकार श्री हेमराज । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या 2. साउन ४४ इन्च । प्रत्येक पृष्ठ पर : पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २८-३४ अक्षर । रचना संयन् १४२६ । नयचक्र। रचयिता श्री देवसेन । भा'या प्राकृत । पत्र संख्या ५३. माइज १०४४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ट पर पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३५-४० अक्षा । लिपि संवत् १५२० । प्रति नं० २. पत्र संख्या १५. साइज ?!x. इञ्च । प्रति न०३. पृष्ठ संख्या ३१. साइज १||४५!| इन्च । प्रत्यक पृष्ठ पर पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-४० अक्षर लिपि संवत् १७६४ आमोज बुढी १०. भट्टारक श्री हर्ष कीर्ति के उपदेश से ग्रन्थ की प्रतिलिपि हुई। नृपचंदगो । रचयिता श्री विवुध मचि । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ८०. साइन १०x? इञ्च : प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३-४? अन्तर । पवना लंबत् १७१३. लिपि सात् १७६४ । नलोदय काव्य । रचयिता श्री विदेव । टीज्ञाकार श्री राम ऋषि दाधीच्च । भाश संस्कृत । पत्र संख्या ३६. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १७३०, लिपिस्थान चरवती । ग्रन्ध अपूर्ण १५ से ३५ तक के पृष्ठ नहीं है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ३६. नाइज २०||||| प्रति पूर्ण है किन्तु सटीक नहीं है। | नवग्रहफल । रचयिता अज्ञात | भापा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज २१४६ इन नवग्रहस्ता । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृतं । पत्र संख्या १३. साइज ११४४॥ इञ्च । Bauddin 'अस्सी . Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नववटीका । टीकाकार अज्ञात भाषा संस्कृतः । पत्र संख्या १०. साइज १०४५ || इष्ट | लिपि मंत्रः १८२३. विषय-नव महार्थी का नि । नव्यशतकावचूरि । रचयिता श्री देवेन्द्र सूरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २६ साइज १०४९ इख । "लिपि संवत् १७६३. ग्रन्थ न्याय का है A नामकुमार चरित्र | रचयिता महाकवि एवं भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ७१. साइज १०/१४४॥ च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३-१४ अक्षर | + * श्रामंर भंडार के अत्य प्रति नं० २. पत्र संख्या ७० साइज २०१४ इञ्च । लिपि संवत् १६१२. लिपि स्थान तक्षक महा-दुगे। श्राचार्य ललितदेव के समय में खंडेलवालान्वय सा० इ सा० नोता ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि कराई । नागकुमार चरित्र | रचयिता श्री माल्लि पे सूरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३२. साईज ७२ इञ्च । लिपि संवत १७२६ फाल्गुण बुद्धि ८ ग्रन्थ साधारण हालत में है। लिपि विशेष सुन्दर नहीं है । प्रति नं० पत्र संख्या २० साइज ७३॥ इव । भाषा संस्कृत । लिपि काल संवत् १६६८. अन्थ अच्छी हालत में नहीं है। अक्षर सुन्दर है । नागकुमारचरित्र | रचयिता पंडित माणिकराज | भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या १२४. साइज २०४४ || प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३= ४२ अक्षर । प्रतिलिपि संवत् १५६२. ग्रन्थ के अन्त में स्वयं कवि ने अपन . विवरण लिखा है । प्रारम्भ के दो पृष्ठ नहीं हैं।. नागरी कथा"। रचयिता ब्रह्मनेमिदत्त | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २२. साइज ||शा इव । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २६-३० अक्षर । लिपि संवत् १-२ | विषय - रात्रि भोजन त्यागं की कथा | !! 12 इक्यासी Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य ** न्यायटीपिज्ञा। रचयिता श्री धर्म भूषणाचार्य । भाषाकृत । प संख्या १०. साइज १०x४|| इञ्च । विषय न्याय लिपि संवत् १८१६ । प्रति नं० २. पृष्ठ तक ५. साइज १९४५ । न्यायसार । रचयिता भार्वज 1 टीकाका: श्री भट्टारक श्री रस्म पुगे । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६३. साइज १०||४३ इन्च । लिपि संवत २५१६. लिविस्थान कुंभल मेमहादुर्ग | विषय-जन न्याय । प्रति नं०३. पत्र संख्या १७. साइब १०४!! इञ्च । लिरि लंबत् १६५८. लिपिस्थान सूर्यपुर महानगर। केवल मूल मात्र है, टीका नहीं है। प्रति न० ३. पत्र संख्या ५१. साइज १० प्रति सटीक है। टीकाकार श्री जयसिहसूरि । न्वायसिद्धान्तमंजरी। ग्रन्धकार श्री जानकी नाशशर्मा । बीकाकार श्री शिरोमणि भट्टाचार्य । पृष्ट संख्या २०. साइज १३४६ इश्च । लिपि संवत् १८४८। प्रति न०६. पत्र संख्या ७. साइज १३५६६ञ्च । केयता मुल मात्र है । अनुमान खण्ड तक ही है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या २५. साइज १३||४६॥ इञ्च । लिपि संवत् १८३०. प्रति सटीक नहीं है। प्रति नं० 2. पत्र संख्या ११. साइज१४x७ इञ्छ । प्रति अपूर्ण है। न्यायावत्तारवृत्ति । रचयिता श्री सिद्धसेन । वृत्तिकार अज्ञात । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या २८, साइज १०x४|| इञ्च । प्रत्येक प्रष्ट पर : पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति पर ६०-६६ अक्षर । लिपि संवत् १५२२. लिपि स्थान-महीशानक । श्री अभय भूपण के शिष्य अणु ने उक्त ग्रन्थ की प्रतिलिपि बनाई। प्रति नं० २. पत्र संख्या २७. साइज ११४४॥ इञ्च । - - बियासी Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नारचन्द्रज्योतिषसूत्र | *नेर भंडार के ग्रन्थ * रचयिता श्री नारचन्द्र | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २३. साइज १०४४ || इञ्च । ग्रन्थ अपू है । प्रति नं० २. पत्र संख्या १२. साइज १०९४ इञ्च लिपि संवत् १८४७ । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ३७. साइज ४०x४ इञ्च । लिपि संवत् १७५८. लिपिस्थान फतेहपुर । प्रति नं० ४. पत्र संख्या ३३. साइन २०४४ || इश्च । प्रति अपूर्ण है । ३३ से आगे के पृष्ठ नहीं है । प्रति नं० ५. पत्र संख्या २६. साइज १०||८|| इश्र्च | निर्दोष सप्तमी कथा | रचयिता श्री ब्रह्मरायमल । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ४. साइज ११||५|| इव | सम्पूर्ण प संख्या ६० नियमसार टोका | मूलक्रर्त्ता श्री कुन्दकुन्दाचार्य । टीकाकार श्री पद्मप्रभमलवारिदेव । भाषा प्राकृत संस्कृत | पत्र संख्या ८५, साइज ११||४५|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ४५-५० अक्षर । लिपि संवत् १८३७ | प्रति नं० २ पत्र संख्या १२६. साइज १०२४४ इ । लिपि संवत् १७६६. लिपिस्थान चाटसू । श्री -राजाराम के पढने के लिये उक्त ग्रन्थ की प्रतिलिपि की गई थी । निश्चयसाध्योपनिषत् । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १८६ | साइज १९ ॥१४५॥ | । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३८ अक्षर | नीतिवाक्यामृत सटीक 1 रचयिता श्री आचार्य सोमदेव । टीकाकार अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३८. साइज ११४५ इन । प्रति अपूर्ण है । ३= से आगे के पृष्ठ नहीं हूँ । तियासी Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *श्रामेन भंडार के पन्ध * नीतिशास्त्र । रचविता श्री चाणक्य । भाषा संस्कृतं । पत्र संख्या ७, लाईज ११:५।। इंश्च । अध्याय पाठ हैं। श्लोक संख्या १५७ । नीतिशतक। रचयिता श्री भत हरि 1 भाषा संस्कृत । पत्र संस्था ५. साईज १०४४ इञ्च : प्रति अपूर्ण है। नेमिजिनवर प्रबंध । रचयिता अज्ञात । भापा अपभ्रश। पत्र संख्या १३. साइज x५ इन्च । प्रत्येक पृष्ट पर' १३. पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २३-२८ अक्षर । प्रथम पृष्ट नहीं है । नेमिदूत काव्य । रचयिता श्री विक्रम । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या : । नाइज १६||५|| इञ्च । श्लोक संख्या -१२६. विषय- भगवान नेमिनाथ के दूत का राजमती के पिता के यहां जाना । इसमें कवि ने महाकवि कालिदास के मेघदूत काव्य के पद्यों के एक एक भाग को शोक के अन्त में अपने अर्थ में प्रयोग किया है। नेमिनाथ चरित्र । ... रचयिता आचार्य हेमचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२: साइज ११४४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर : १५ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ५०-५४ अक्षर । लिपि संवत १५१६. "विषय-भगवान नेमिनाथ का जीवन ' चरित्र । नेमिजिन चरित्र । रचयिता ब्रह्म श्री नेमिदत्त । माषा संस्कृत 1 साइज १०४ा इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० “पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति ३७।४२ अक्षर । लिपि संवत् १८४५. लिपिस्थान जयपुर | विषय-भगवान नेमिनाथ का जीवन चरित्र । प्रति नं २. पत्र संख्या २२० । साइज ११४४ इञ्च । लिपि संवत् कुछ नहीं। . . . . प्रति नं० २. पत्र संख्या १३८ । साइज ११४५|| इछ । लिपि संवत् १७३१ । - Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ T प्रति नं० ३ ॥ पत्र संख्या १५० | साइज १०x९ ॥ इन् । लिपि संवत् १६४३ । प्रति नं० ४ । पत्र संख्या २१६ | साइज १-१||४|| इश्र्वः । *आमेर भंडार के प्रन्य नितीश्वर चंद्रायण रविता श्री नरेन्द्रकीत्ति भाषा हिन्दी । पत्र संख्या = साइज Pox इञ्च । पद्य संख्या : १०५. लिपि संवत् १६६०। नेमीश्वरास | F रचयिता श्री नेमिचन्द्र । भाषा हिन्दी | साइज : १२५ इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या २३०५ रचना संवत् १७६६ | शक्ति सुन्दर है । नेमीश्वररासी । • रचयिता ब्रह्मरायमल । भाषा हिन्दी पत्र संख्या १६. साइज ११०५ च । रचना संवन १६१५ । : नैषध चरित्र 1 रचयिता महाकवि श्री । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २८२ साइज २० ||४४ || इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ६०-६४ अक्षर प्रति सटीक है। टीकाकार श्री नरहरि | लिपि संवत् १८४४ । प्रति नं० २. पत्र संख्या १०० साइज १०|| ४४|| इव । प्रति सटीक है। टीकाकार - श्रीनारायण । प्रति पूर्ण है केवल पांच सर्ग ही हैं और वे भी क्रम रहित हैं। · प्रति नं० १. पत्र संख्या ५०. साइज ११||४६ इव । प्रतिः अपूर्ण है । प्रति नं० ४. पत्र संख्या १७९ साइज १३०५ || च । प्रति सटीक है। टीकाकार नरहरि । प्रति अपूर्णं । तीन प्रति ओर है। प्रति नं० ५. पत्र संख्या १६. साइज १०५ इश्र्व । प्रति अपूर्ण है । प्रति नं० ६. पत्र संख्या १४३ १२||६|| इच ' प्रति नं० ७. पत्र संख्या १६. साइज १०|| ४|| ईश्व प्रति अपर्ण है। पिच्यासी ay Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५ श्रामेर मंडार के अन्य * समोकार स्तोत्र । . .. ... रविता अज्ञात । भारत । पन मन्त्रा' साइज १०||11 इञ्च | गाथा संस्था र लिपि संगन १६७५. लिपिकता कडे पोइन । लिपि शान बोयण । पटमञ्जरी । चयिता श्रीहरिदमित्र : भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०६. 2:11 इञ्च । लिपि संवत् १७२० -.. लिपिका-प्रभात । पन दया २. भट्टारक महाबलि संबन १-१५ तक । भट्टारकों की संख्या ६६. पभनंदी पचीसो। ..: रचयिता श्री जगतराय । मापा हिन्दी ( प ) । पन संखया १३३, साइज १०xशा इञ्च । प्रत्येक नवर ११ प्रक्रिया तथा प्रति पंक्ति में २३१ अक्षर। रचना संवन् १७२०. लिपि संवत् १८१८, दीमक लग, जाने से करीब २०० पृष्ट नष्ट हो चुके हैं । अन्त में कवि की के द्वारा लिखी हुई प्रशास्ति है। | मंगलाचरण श्रमल कमन दल विपुल नयन मल, सकल अचल वल उपशम भरि है। . . .. .. . .. अखिल अनितल अटल प्रबल जस, सुरपति नरपति स्तुति बहुकरि हैं। धृति मति खंतिघर सब जन सुखकर, ..... कनक वरण तन सिद्धि वधू वरि है। वृषभ लछिनधर प्रगट तनय भर, अव तिनर विकर भय जलप्तरि है |१|| . नन्दि श्रावका बार। रचयिता आचार्य पद्मनन्दि । पत्र संख्या ४. साइज ११४४।। इश्च । लिपि संवत् १७१२. छियासी Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आमेर भंडार के ग्रन्थ पद्मपुराण (पउनचरिए) रचयिता महावि स्वयंभू त्रिभुवनत्रयंभू । भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ३५७. साइज ११४४ || इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ३८-४२ अक्षर । लिपि संवत् १५४१. विषय - जैनरामायण । पद्मपुराण ! भाषा अपभ्रंश । स्वविता १० रधू । पत्र संख्या ६०. साइज १०|| ४५ इञ्च । प्रत्येक पर १५ पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में २०-१४ अक्षर | लिपि संवत् १५५१ फाल्गुण सुदी ६. पद्म पुगे । रचयिता भट्टारक श्री सोमसेन । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २३७. साइज १०x१ इञ् । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३० ३६ अक्षर लिपि संवत् १७५१. अन्त में लिपिकार ने प्रशस्ति दे रख दें। प्रतिस्पष्ट और सुन्दर नहीं है ! मंगलाचरण -- पंचकल्याणनायकं । देवदेवादिभिः सेव्यं भव्यवृंद सुखप्रदं ॥१॥ शेषान् सिद्धान् जिनान् सूरीन्, पाठकान् साधु संयुतान् । नव हि पद्मरूप पुराणं गुणसागरं ॥२॥ प्रति नं० २ पत्र संख्या २६७ साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १७५१. प्रति नं० ३. पत्र संख्या १५२. माइज ११४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण है । प्रारम्भ के तथा अन्त के पृष्ठ नहीं हैं । 'पद्मपुरण । रचयिता श्री रविपेशाचार्य । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५५४. साइज १३४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४०-४६ अक्षर । प्रति बहुत प्राचीन है । प्रति नं० २. पत्र संख्या ४३०. साइज ११४५ || इञ्च । लिपि संवत् १८३४. प्रति अपूर्ण है । प्रारम्भ के २६६ तथा मध्य के १०० पृष्ठ नहीं हैं । सियासी Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आनेर भंडार के पन्ध के ___प्रति ० ३. पत्र संख्या १४०. साइज १३४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ट पर १२ पंक्तिक तथा प्रति पंक्ति पर ४२-४- अक्षर । प्रति अपूर्ण है। प्रथम ११ पृष्ट ११३ से ५०, ५५ से २-६, ६E से ३६ तथा अन्तिम शुष्ट नहीं है। प्रति नं० . पत्र संख्या ६.१ साइज १०४५।। इञ्च । लिपि संवत् १८५५. लिपि स्थान रोडपुरा ! 1 प्रति नं ५. पत्र संख्या ५१६. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संयत १७५७. इन्द्रगड नगर में महाराजा सरदारसिंह के शासन काल में श्री शिव विमल ने लिखा । प्रति अपूर्ण है । प्रारम्भ के १६७ पृच नहीं है। अमपुराण । ग्रन्थकार भट्टारक श्री धर्मको त्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २५१. साज ११४४|| इञ्च । प्रत्येक पर १३ पक्तियां आर प्रति पंक्ति में ३८४२ अक्षर | लिपि संवत् १६७०. नपुराण । रचयिता श्री चन्द्रकीर्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४१२. साइज ११||४४।। इश्व । प्रत्येक पृष्ठ पर पक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३-५४ अक्षर । प्रन्थ बहुत सरल भाषा में लिखा हुआ है। अलंकारों की अधिक भरमार नहीं है। रचयिता ब्रह्म जिनदातं । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५३०. ११४५|| इन्छ । प्रति प्राचीन है। लावती स्तोत्र । रचयिता अज्ञात ! पत्र संख्या : साइज ७४४11 इञ्च । भाषा संस्कृत । प्रति प्राचीन है। प्रति नं० २. पत्र संख्या २. साइज ६४४ इञ्च । चकल्याणक पूजा। रचयिता अज्ञात । गंपा संस्कृत | पत्र संख्या २१. साइज ११४४।इञ्च । प्रति नं० २. पत्र संख्या १३. साइज ११||४५ इंश्च । लिपिकार पं० दयाराम । प्रति न० ३. पत्र संख्या १३. साइज ११||४५ इश्च । अठ्यासी.. Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ * पंचकल्याणक पूजा। रचयिता आचार्य शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २४. साइज १०||R५ इञ्च । प्रति नवीन है। प्रति मं० २. पृष्ठ संख्या २४. साइज १०||४५ इन्च । पंचकल्याणविधान । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पन संख्या ३०. साइज Ex४ इञ्च । लियि संयन् १८६०. लिपिस्थान ग पचल लिमिकी श्री सुरेन्द्रभूषण । एश्वतन्त्र। भापाकार श्री. रतनचन्द्रजी। भाषा हिन्दी संस्कृत । पत्र संख्या १००. साइज १०x४ इन्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ५४-२८ अक्षर । उक्त पुस्तक में प्रारम में मंगलाचरण के बाद अनेक राज्यों का नामोल्लेख है जिससे तत्कालीन राज्य का पता लग सकता है। संस्कृत में भी लोक हैं और उनका हिन्दी में अनुवाद किया गया है। इसलिये शायद पञ्चतन्त्र के मुख्य नशाकों तथा पद्यों का उद्धरण मात्र दिया गया है। टीका संवत् १६४८. प्रति नं०२. पत्र संख्या १२६. साइज Exi। इञ्च । प्रति प्राचीन है। पंचतन्त्र ! रचचिता ५० मिगु शर्मा । भाषा संस्कृत-मद्य पद्य . पृष्ट संख्या १२६. साइज =IIXII इञ्च । पंचदएडकथा । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०६. साइज ११४४|| इन्द्र । प्रत्येक पृष्ट पर १३ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३-४६ अक्षर । विषय-नीति । उक्त कथा की रचना पंचतंत्र अथवा हितोपदेश के समान की गयी है। किन्तु यहां कवि प्रत्येक बात पद्य में ही कहता है । ग्रन्थ बहुत ही महत्व पूर्ण है तथा अभी तक अप्रकाशित भी है। ग्रन्थ अपूर्ण है, १०६ से आगे के पृष्ठ नहीं है। मंगलाचरण प्रणम्य जगदानंदादायकान् जिननायकान् । गणेशान्गौतमायांश्व गुरून् संसारतारकान ||१|| सज्जनान् शोभनाचारान शास्त्रवोधनकारकान् । पंचदंडापत्रस्य कथा वक्ष्ये समासतः ।।२।। नवासी Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आमेर भंडार के ग्रन्ध * पंच पन्नेष्टि ! रचयिता अज्ञान । मामाकत : ना . मान ! इञ्च । लिपि न ३३. लिपिस्थान राना। पंचपरमेष्टी पूजा। रचयिता प्रदान मार हिन्दी । न संख्या ६, ना. म.!: इन । विपन-पूजा साहिल । रचना समान २७. मंगाना ! 'पष्टयां । प्रारम्भ नंगलनय मंगल करन पंच परमादसार . अशान को चे ही लग्न उत्तम लोक मनार |१|| लेले वाय दाहानि में अरित बाट निभान । आदि अंक में ऋषि जनों नान जाति अलगाम ।। मार्गशीर अदि पटनी नानु दिन जल धाय । लंबन लान अवालकि नाच गाधिकाच ।। प्रति नं० २. जमल्या. साइन पारा ल । चभूतांबवेक। चयिता श्री गन्ना । भाषा संस्कृत मन्या :३३. ला १३४ञ्च। विषय-तात्त्विक । त प्राचीन मालूम इती है। माम चतुदशी व्रतोद्यापन । रविता महारक श्री नरेन्द्र कीर्ति । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या 2. साइज १९४५i? इञ्च । लिपि न १८७८. लिपिकार समाईराम गोधा । प्रति नं० पत्र संख्या ३. साइज ? 1xzil इञ्च । सीबापूजा। । रचत्रिता अः अतसागर भाषा संस्कृत । पत्र खंग्या ६. साइज १Xथा इञ्च । लिपि संवत् . लिपि स्थान सवाई माधोपुर । - - - - - - - - - - - - - - - Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के प्रत्य* प्रति +०२. पत्र संख्या ७. जाइज २१|||| इव । लिपि संवत् १७१८. प्रति नं० ३. पन्न संग्डया . साइज १४ इञ्च । पंचमेरुपूजः ! रचयिता भट्टारक श्री रत्नचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइन १८x२। इञ्च । लिपि संवत २८३६. लिपिकार भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीति । लिपि स्थान माधोटर (जयपुर) पञ्चविंशतिक्रियावरि । रचयिता अज्ञात । पत्र संख्या ७. भापा अपनशा लाइज ||४||| इञ्च । चपग्रह। रचयिता श्री नेमिचंद्राचार्य। भापा प्राकृत-संस्कृत। माइने १०x४ इञ्च। अन्य मा दूसरा नाम लघुगोम्मट सार है। गोन्मदसार में से ही गाथा में लेकर नया संस्कृत में टीका लिखी गयी है। अन्य अपूर्ण सा है । पत्र संख्या २२२. प्रतिनं २. पत्र संख्या १०७. साइज १२||२५|| इच्च । लिपि संवत् १७६६. लिपिकर्ता भट्टारक श्री महेन्द्रकी त्ति । लिपि स्थान सबाई जयपुर । गोम्मटसार में से मुख्य २ गाथाओं का संग्रह किया गया है । एचसंग्रह । रचयिता श्री अमितिगति । भाषा संस्कृत : पत्र संख्या ६७. साइज २०४५ इञ्च । रचना संवत् १०७०. लिपि संयत् १५७२. विषय द्रव्य क्षेत्र कालादि का वर्णन । . पंचसंग्रह। भाषा प्राकृत। पत्र संख्या १०८. साइज १२४५।। इन। विषय-सिद्धान्तचर्चा। लिपि संवत् १७६६ लिपिस्थान जयपुर । भट्टारक श्री नहेन्द्रकीति ने ग्रन्ध की प्रतिलिपि बनाई। प्रति न० २. पत्र संख्या ११८. साइज ११४|इञ्च 1 प्रति प्राचीन है। अक्षर, मिट गये हैं। प्रति जीणं सीर्ण है। पंच संसार । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पृष्ट संग्या २. साइज १०|||| इञ्च । विपत्र-द्रव्य क्षेत्र काल आदि का वर्णन। इश्यानवे . Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य भर ---Trainramer a - e - - मंगलाचरण पंचसंसारनुक्तेश्वः सिद्ध भ्यः खलु सर्वदा । नमस्कृत्वा प्रबन्ये पंचसंतानविरतरं ॥ १ ॥ पंचस्तवनायरि । ििकत्ता अज्ञात । पत्र संख्या ५६. लायज ११४२ । चस्तांत्रों का संग्रह है। सभी स्तोत्रे की टीका भी है। प्रति के पत्र गल गये हैं। सात नं० २. पन संवा ६. माइज ११/४ इञ्च । पंचास्तिकाय । मूलकत्ता आचार्य श्री कुन्दकुन्द । भापा टीकाकत्ती श्री नराज । भाडा प्राकृत हिन्दी । पत्र संख्या १४७. साइज ?|| इञ्च । भाप रचना संबत और लिगलंकन ३६. पंचास्तिकाय नटी। मनकला प्राचार्य श्री कुन्दकुन्द। टीकाकार प्रभा चन्द्र : भापा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या ६५. साइज १०४५ इञ्च ! प्रति नं०२. पत्र संख्या ५६. साइज १२३४५ इञ्च । लिपि संवत् १८२८. लिपिस्थान जयपुर । प्रति नं०३. पत्र संख्या ३६. साइज १०४ इञ्च। प्रति न० ४. पत्र संख्या १४८. साइज १०८ च । टीकाकार छाचात्र अद्वतचन्द्र । लिपि संवत् १६२७. अन्त में लिपि कराने वाले का अच्छा परिचय दिया है। प्रति ०५. पत्र संख्या १६६. साइज ||४५ इञ्च । लिपि संवत् १६३७, लिपिस्थान आगर कोट । टीमकार प्रा० अमृतचन्द्र । प्रति न० ६. पत्र संख्या २६. साइज १०||४५ इञ्च । परमेष्टिप्रकाशमार। रचयिता श्री शतकीत्ति । भापा अपनश। पत्र संख्या १८८. साइज Ellx४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३०-३६ अक्षर । विषय-वार्मिक । प्रारम्भ के २ पृष्ठ तथा अन्त का १८७ वां पष्ट नहीं है। परिभाषा वृत्ति । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०. साइज १०॥४५ इञ्च । . वानवे Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . * आमेर भंडार के अन्य * ---- - - - - - - - ---- मंगलाचरण प्रणम्य सदसद्वादश्यांतविश्वसभास्करें। वाङमयं परिभाषा पदो वालाय बुद्धय ।। परीपद वर्णन । रचयिता अज्ञात । पत्र संख्या २. भाषा संस्कृत। साइज =ilx|| इञ्च ! पद्य संख्या २. विषय२२ परीपहों का वर्णन। परोक्षामुख । रचयिता श्री माणिक्यनन्दि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५१. साइज १०x१|| इञ्च । मूल सूत्र टोका सहित है । टीका नाम लत्रु वृत्ति है। प्रति अपूर्ण है । प्रारभ मध्य तथा अन्त के पृष्ट नहीं हैं। • पल्यव्रतोद्यारनपूजा। रचयिता श्री रत्ननंदी । भाषा संस्कृति । पत्र संख्या ५. साइज १२४|| इञ्च । लिपि संवत् १८३१. लिपिकार भट्टारक श्री सुरेन्द्र कीति । लिपिस्थान सवाई माधोपुर (जयपुर)। पल्यविधानमुद्यापन। रचयिता भट्टारक श्री शुभचन्द्र ] भाषा संस्कृत। पृष्ठ संख्या ८. साइज १२४शा इच्छा प्रति न०२. साइज ११||४५ इञ्च | पृष्ठ संख्या ११. इसमें अन्य पूजा भी हैं। पन्यनत का विवरण ।. पत्र संख्या ४. साइज ११|४६॥ इञ्च । : प्रति नं० २. पत्र संख्या १०: साइज ६४ इञ्च । पर्वसूचि । संग्रहकार अज्ञात ! पत्र संख्या १३. भाषा हिन्दी संस्कृत-। साइज १०fx५ इञ्च प्रति अपने प्राक्रिया कौमुदी प्रचयिता श्री महाराज वीबर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २५५. साइज १०x४ इञ्च रचना संत्रत अथवा लिपि संयत् कुछ नहीं दिया हुआ है। तिरनवे Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के प्रन्थ * प्रक्रियासार रचयिता सर्व विद्याविशारद श्री काशीनाथ | भावा संस्कृत | पत्र संख्या ११८. साइज २००४ || ६ | प्रत्येक पृष्ठ पर १७ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ४८-५४ अक्षर | लिपि काल - मंगसिर बुदी १३ संवत् १६०६ विपव-व्याकरण | प्रताप काव्य सटीक | रचयिता अज्ञात | टीकाकार अज्ञात भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४८. साइज १२||४६ इन्च | जयपुर के महाराजा प्रतापसिंह के यश तथा वीरता के गुणगान गाये गये हैं। अनेक अलंकार की प्रधानता है । प्रति षपूर्ण है। प्रारम्भ के २४ पृष्ठ नहीं है । प्रति क्रमण | रचयिता गौतमत्वामी । भाषा प्राकृत संस्कृत | पत्र संख्या १६. साइज ११||४५ इव विषयसामायिक राठ । प्रति नं० २ संख्या १७. साइज १९०४ इव । लिपि संवत् १७२४ आवण बुदि १०. लिपिस्थान वात (आमेर) | प्रति नं० ३. पृष्ठ संख्या ५४. साइज ११४४ || इन् । लिपि संवत् १७२० फागुण सुट्टी १२. लिपि स्थान जयपुर | लिपिकार ने महाराजा जयसिंह के राज्य का उल्लेख किया है । प्रति नं० ४. पत्र संख्या १७. साइज ११||४५ छ । प्रति अपूर्ण है। घनचरित्र | रचयिता आचार्य सोमकीति । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २५५. साइज १०||४४ इञ्च लोक प्रमाण ५००० (पांच हजार ) | रचना संवत् १००३. लिपि संवत् १७१०. प्रति नं० २. पत्र संख्या २७१ साइज १०x४ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में (२५-३० अक्षर । लिपि संवन १८ ग्रन्थ में श्रीकृष्ण, घुम्न, अनिरुद्ध आदि महापुरुषों का वर्णन किया है । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ११७. साइज १० || ४ || इन | पत्र संख्या ११७. लिपिसंवत् १५७७. हरी नगर में पांडे गूजर ने प्रतिलिपि करवाई । " प्रति नं० ४ पत्र संख्या ११५. साइज १० ||४|| इञ्च | लिपि संवत् १५७७ लाखपुरी में ववेरवाल बाति में उत्पन्न श्री श्रीइल ने प्रतिलिपि करवाई । प्रति si -- - 5. ति नं० ५. पत्र संख्या १६३. साइज १०||४|| इञ्च | चौरानवे Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रति नं० ६. पत्र संख्या १७५. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत १५८७ भट्टारक श्री गुणभद्र समय में श्रमवालवंशोत्पन्न चौधरी चूहड़ ने बाई तोल्ही के उपदेश से जिनवाल के द्वारा प्रतिलिपि कराई । प्रति नं० ७ पत्र संख्या १५२. साइज १९४४ ।। इव | लिपि संवत् | * आमेर भंडार के मन्थ * प्रधुम्नचरित्र | रचयिता - महाकवि श्री सिंह भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या १०२. साइज १०x६ इञ्च । लिपिसंवत् १५५३. ग्रन्थ समाप्त होने पर कवि ने अपना परिचय दिया है। प्रति २० २. पत्र संख्या १७१ साइज १९४४|| इन् । लिपि काल संवत् १५६५ भाद्रपद सुदी १३. कितने ही पृष्ठ एक दूसरे से चिप गये हैं। .. प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०७. साइज १०४५ | लिपि संवत् १५४१ श्रावण बुद्धि २. प्रति नं० ४ पत्र संख्या १३४. साइज ११४४|| इ | लिपि संवत् १५६८ सुदी ५. प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में । प्रति नं० ५. पत्र संख्या १५. साइज ११४४|| इञ्च ४४-४८ अक्षर | लिपिकाल संवत् १५१ जेठ सुदी ६ लिपि स्थान श्री स्वाहृपत्तन । - प्रति नं० ६. पत्र संख्या १०५. साइज १०५ इव । संवत् १६७३ वर्षे ज्येष्ठ वदि त्रयोदशी शुक्रवारे श्री रतलाम नगरे श्री अमृतचन्द्र तत् शिष्य गोपालनालेख । प्रति नं० ७ पत्र संख्या १३६. साइन २०४४ ॥ इञ्च । लिपि संवत् १०२४. लिपिस्थान सुलानपुर ( मात्र देश ) । छ फ्य न प्रबंध | रचयिता श्री देवेन्द्रकी ति । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३७, साइज १० | २५ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३०-३५ अक्षर । रचना संवत् १७२२. १९ मन प S प्रभावती कल्प | श्रद्य न रासो । ज रचयिता श्री ब्रह्म रायमछ। भाषा संस्कृत पत्र संख्या १८. साइज १२५, सम्पूर्ण पथ संख्या ९६५. रचना संवत् १६२८. लिपि संवत् १=२०. F KISA ti Pre LOVE मे रचयिता अज्ञात । भाषा, संस्कृत पृष्ट संख्या ५० साइज ११||४४|| इ | विषय - आयुर्वेद । पिच्यानवे - Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रबोधचन्द्रोदय । रचबिता श्री कृष्णनिय : भाषा भोग्कृत । प संख्या ७... साइन ११४॥। इञ्छ । लिपि संवत् १८२६ भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीनि ने लिया है। प्रमापरीक्षा। रचिता श्रीमद् विद्यानन्दि । भाषा संस्कृत । पुष्ट संन्या १०. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संबन १६८४. प्रमाग नयतवालंकार । रचयिता थे देवाचा ! भापा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ७. साइज Ex2}} इञ्च । विषय-न्याय । प्रति सटीक है। प्रमाग मीमांसा । रचयिता आचार्य हमचन्द्र । भाषा संस्कृत । एष्ट संख्या ३६. साइज ११||४४ इञ्च । विषय-न्याय। प्रति अपूल है। ३. सं आगे के पृष्ट नहीं हैं। प्रवचनसार। रगयिता आचार्य श्री कुन्दकुन्द । भाषा प्राकृत-संस्कृत-हिन्दी। पत्र संख्या ४४. साइज ११x१ उच्च लिपि संबन १७२५. लिपिम्बान रानपुर ! पंडित विहारीदास ने पढ़ने के लिये दीनानाथ से प्रतिलिपि करवाई । मूल ग्रन्थ का उलथा संस्कृत में है तथा गाथाओं का परिचय हिन्दी में दिया हुआ है। __ प्रति नं० पत्र संख्या ३१. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १५०६. पं० मनोहर लाल ने पढने के लिये प्रतिलिपि बनायी। प्रति नं० ३. सटीक । टीकाकार श्री प्रभाचन्द्राचार्य। पत्र संख्या ४.७... साइज १११! इश्च । लिपि संबत १५७७. लिपिस्थान नागपुर । भट्टारक श्री धर्मचन्द्र को भेंट करने के लिये लिपि तैयार की गई। टीका संस्कृत में है। टीम का नाम प्रवचनसार प्राभृत टीका है। प्रति नं० ४. पत्र संख्या ७७. साइज ११४४।। इञ्च । ७७ से आगे के पृष्ठ नहीं है। प्रवचनसार भापा । मूलकत्ता आचार्य श्री कुन्दकुन्द । भाषाकार पं० जोधराज गोदीका । भाषा प्राकृत-हिन्दी । पत्र संख्या ७२. साइज १०x४|| इन्छ । भाषा रचना संयत १७२६. लिपि संवत् १८१६: - - छियानवे Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेरे भंडार के प्रन्थ * प्रवचनसार भाषा 1. रचयिता अज्ञात भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ६१. साइज १२५५ इव । पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३० - ३८ अक्षर । प्रति अपूर्ण है । ६१ से आगे के पृष्ठ नहीं है। में दोपक लग जाने से ग्रन्थ का कुछ भाग नष्ट होगया है । मंगलाचरण स्वयं सिद्ध करतार करे निज करम सरम निधि | कर सुरूप होई। साधनं सार्द्धं विधि)संप्रदानताघरै आपको आप सम 1 अपादान, आपढ़ें. आपकी, करि थिर, थयै । :अधिकरण होई आधार निज बरते पूर्ण ब्रह्म पर । पट विधिकारक मयं विधि रहिन विविध एक विधि अज अमर hit प्रश्नोत्तरश्रावकाचाकी . प्रत्येक प्रन्थ प्रवचनसार प्राभूतटीका । टीकाकार अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १८२ साइज १०४४५ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर . ११ - पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३६ अक्षर लिपि संवत् १५४३. उक्त टीका मंडलाचार्य श्री रत्नकीर्ति के. शिष्य श्री विमलकीर्ति को भेंट स्वरूप प्रदान की गयी। लिपिकार पं० गोगा । प्रस्ताविक लोक चर्चा ! रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ७६. साईज ११४४ ।। इव । प्रति अपूर्ण है । अन्तिम पृष्ठ नहीं है | प्रारम्भ में ५४ पद्य नहीं है । ग्रन्थ ५५ वें पद्म से शुद्ध किया गया है । ग्रन्थ बहुत प्राचीन म होता है कि ST पृष्ठ पर ७ EN HYP Feis प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या १०६. साइज १२४५। । इव । के प्रशस्त भाष्य | TERESTIN • रच्य श्री प्रशस्त देवाचार्य भाषा संस्कृत पत्र संख्या ७. साइज १०८४॥ इचा केवल द्रव्य पदार्थ का वर्णन है । दसून सित्यानवे कुछ भाग कमेर्सड 9032 20 रचयिता भट्टारक श्री सकलकीति भाषा संस्कृत संख्या प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में २१ - २५. अक्षर | लिपि संवत् १८४४ लिपिस्थान- इन्द्रावती नगरी । प्रशस्ति है । hope Reas सहि ܕ ܘ܃ Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * थामेर भंडार के प्रन्थ * - - -- - - - - -- प्रति नं० ३. पत्र संख्या १४८. साइज १०|||. प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३६-४० अवर । लिपि संबन् १८५६. प्रन्ध में श्रावकों के पालने योग्य आचार और नियम सम्बन्धी प्रश्नों का उत्तर दिया गया है। उत्तर को कथाओं के द्वारा भी समझाया गया है। प्रति नं० ४. पत्र संख्या =३. साइज १०||४|| रञ्च । प्रति अपूर्ण है। प्रथम पष्ट और ३ से आगे के पृष्ट नहीं है। प्रति न०५. पत्र संख्या २१. साइज १०||४५ इञ्च ! केवल ४ परिन्छे द ही है। प्रति नं० ६. पत्र संख्या १४४. साइज १AIXI. प्रति नं० ७. पत्र संख्या ११. साइज १२४५ इञ्च । प्रति नं० ८. पत्र संख्या ६३. साइज १२४४ इञ्च । लिपि संवत् १८१८. प्रश्नोत्तरीपासकाचार । रचयिता भट्टारक ओ सकलकी ति व भट्टारक पद्मनन्दि। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६३. साइज . १० । विषय-पंचागुनत, की पांच कथायें, सयवत्व की = कथायें। सम्यक्त्व की = कथायें भट्टारक पद्मनन्द द्वारा रचित है। प्रथम पृ? नहीं है। प्रति स्पष्ट और सुन्दर है किन्तु अन्त के पन्ने दीमक ने स्वा रखे हैं। प्रज्ञापनोपांगपद संग्रह। ___ मंग्रहकर्ता श्री अभय देवसूरि । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ५. गाथा संख्या १३३. पाकसंग्रह। संग्रहकर्ता श्री पं० दयाराम । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १२. साइज १५||४|| इन्छ । विषय-आयुर्वेद। पाण्डवपुराण । . रचयिता भट्टारक श्री यश-कीर्ति । भाषा अपभ्रंश। पत्र संख्या ४७५. साइज १०४४॥ इञ्च ।। प्रत्येक पष्ठ पर : पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३४-३८ अक्षर । लिपि संवत १६०२. प्रति नं०२. पत्र संख्या ३४७ साइज ११॥x५ इञ्च । लिपि सं..त् १८३१. लिपि स्थान कोटा:: जति नवीन है लेकिन १२३ पृष्ठ तक दीमक ने खा लिया है। लिपि में कवि के समय का पद्य नहीं दिया हुआ है। ... .. . .......... - :::..:..:: ::.:.... पाण्डवपुराण । रचयिता भट्टारक श्री शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २८०. साइज १|४इञ्ज । प्रत्येक अठ्यानवे . Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के पन्थ * पृष्ठ पर : पक्तियां और प्रति पंक्ति में ४२-४६ अक्षर । रचनाकाल संवत १६०८. प्रति नं. २. पाठ संख्या ६१. साइज ११४४।। इञ्च । प्रति अपूर्ण है तथा जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। कितने ही पृष्ठ फट गये है तथा कितने ही एक दूसरे से चिपक गये हैं। प्रति नं० ३. पत्र संख्या ३२६, साइज १२४५।। इञ्च । लिपि संवत् १५२१. प्रति नं० ४. पत्र संख्या ३४७. साइज ११४५ इञ्च । प्रत्येक पट पर १२ पक्तियां और प्रति पंक्ति में ३६-४४ अक्षर । लिपिसंवत् १६३६ लिपिस्थ न निवाई (जयपुर). ३४७ वां पर फटा हुआ है। लिपि सन्दर एवं स्पष्ट है। प्रति नं०५. पत्र संख्या ४७१. साइज ११४५ इन्च । लिपि संवत् १६१६. लिपि स्थान आमेर । मंडलाचार्य श्री ललितकीत्ति के शासनकाल में हंडेलवालान्वय श्री तेजा ने दशलक्षणवतोद्यापन के समय में ग्रन्थ की प्रतिलिपि कराई। प्रति लिति स्पष्ट और सुन्दर है। पार्श्वनाथ चरित्र । - रचयिता महावि र कीत्ति । भाषा अपभ्रश। पत्र संख्या १०८, साइज १०x४ इञ्च ! प्रत्येक पट पर ११ पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में ३५-४५ अक्षरा.लिपि संवत् १४६५. "-.:पार्श्वनाथ चरित्र । रचयिता पंडित श्रीघर । भाषा अपनश। पत्र संख्या ६६. साइज Ex४ इञ्च । प्रत्येक पर पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में ३८-४५ अक्षर । लिपि संवत १५७७ प्राकृतकथा कौमुदी। __र यता मुनि श्री श्रीचंद | भाया प्राकृत । पत्र संख्या ३१. साइज १०४४। इञ्च । प्रत्येक पच पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३८-४२ अक्षर । प्रति अपूणे है । प्रथम पृष्ठ तथा ३१ से. आगे के पृष्ठ नहीं है। प्रन्थ के एक भाग को दीमक ने खा लिया है। प्राकृत छंद कोष । भिषा प्राकृत पत्र संख्या साइज १०||५|| इञ्च । गाथा संख्या ७७ . 3 मा . प्राकृत व्याकरण । . रचयिता श्री वरदराज । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या २२. साइज १ लि . निन्यानवे - Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रावचित शास्त्र | रचयिता श्री नन्दिगुरु । भाषा संस्कृत पत्र संख्या १२७ साइज १९४५ उच्च प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३०-३६ अक्षर । पश्चों को टीका भी दी हुई है। * आर संहार केन् प्रीतिकर चरित्र | रचयिता ब्रह्ममित्त | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ९७ साइज ||५|| प्रत्येक पृष्ठ पर १४ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३३-३= अक्षर । विषय-प्रीतिकर महामुनिका चरित्र | पार्श्वनाथ पुराण ! रचयिता महाकवि पद्मकीर्ति । भाषा साइज १०५ | प्रत्येक पृष्ठ पर ११. पंक्तियां. लिपि १६१० लिपिस्थान शेरपुर | और प्रति पंक्ति में ३२-३८ पार्श्वनाथ पुराण | रचयिता भट्टारक श्री सकलकोर्त्ति । पत्र संख्या १११. भाषा संस्कृत । साइज (२५ इञ्च । प्रत्येक पर १३.पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३४-४० अक्षर । लिपि संवत् १८३६. लिपिस्थान सवाई माधोपुर । प्रति नं० २. पत्र संख्या = साइज | लिपि संवत् १२३ लिपिस्थान जयपुर । लिपिकर्त्ता श्री जयरामदास । पार्श्वनाथ "" पुरण। रचियता पं० भूवरदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ६१. साइज १०१x४ च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ४०-४६ अक्षर । रचना संवत् १७४२. पार्श्वनाथ महावीर पूजा | रचयिता श्री रामचन्द्र भाषा हिन्दी पृष्ठ संख्या लिपिकर्त्ता - नंदराम कासलीवाल 8 15 UPPSM I 7- 31 साइज २२४५॥ इछ । लिपि संवत् १८६८. Baat: पार्श्वनाथ स्तोत्र | रचयिता मुनि श्री पद्मनन्दि भाषा संस्कृत । प्रति सटीक है। टीकाकार- अज्ञात्। प संख्या ६, लिपि संवत् १६७१.. सो coil She पत्र संख्या ३. र्श्वनाथ स्तोत्र | सटीक रचयिता - अज्ञात टीकाकार अज्ञात यमकबंध | भाग संस्कृत | पत्र संख्या १. साइज - ल Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०x४ || इश्र्च । पद्य संख्या ७. पार्श्वनाथ स्तवन रचयिता अज्ञात भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १ साइज १०||४|| इ | यमक बंध पार्श्वनाथ स्तवन है । प्रति सटीक है । पार्श्वनाथस्तोत्र | T * आमेरं भंडार के प्रन्थ * रचयिता श्री पद्मदेव भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १. साइज १९४५ इवं । प्रति नं० २. पत्र संख्या १. माइज ११||४|| प्रति नं० ३. पत्र संख्या २ साइज १०४४ ॥ इन । लिपिकर्ता हरेन्दुनाथ | = " P पार्श्वनाथ स्तोत्रम रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५, साइन ११४५३ इञ्छ । प्रति शुद्ध र पद्य संख्या ३३. इसके पहिले भक्तामर स्तोत्र भी है। 6 दिन उ पार्श्वनाथ समस्या स्तोत्र |... रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४. साइज ११x४ | 75% चीन उप = प्रति नं० ३, पत्र संख्या ४०. साइज प्र०ि नं० ४. पृष्ठ संख्या ५. साइज ११४५ इश्र्व | दयाराम सोनी । . * - पाशा केवली T संतो 53 रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १३. साइज १०४ ॥ इ । विषय केवली भगवानं की स्तुति । लिपिकाल संवत् १८३६. लिपिकत्ती पंडित रूपचन्द्र । लिपिस्थानकोट प्रति नं० २. पत्र संख्या १०. साइन २०४४ ॥ इञ्च । एक. सो !! उर Pref रामकृपाल का ए ४४ इञ्च । लिपि संवत् १८१०. लिप्रिस्थान-जयपुर । प्रति ० ५ पत्र संख्या १३. साइज १०४४ इ । लिपि संवत् १८३६. लिपिकर्त्ता पं० रूपचन्द्र 25. प्रति नं० ६. पत्र संख्या १०x४ इञ्च । प्रति नं० ७. लिपिकार पंडित विजयराम । पत्र संख्या ६ साइज १०|| ४ || लिपि संवत् =७३ प्रति नं० ८ भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ४. लिपि संवत् १०७६: लिपिस्थान थामेर ? लिनिकार ܚܢ ܐ ܊ ܐ ܕܕ ܐ ܂ बाजूल ६ Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * पिंगलछंदशास्त्र । रचयिता अज्ञात । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या ७. साइज १२४६ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। अन्तिम पृष्ट नहीं है। पुण्यश्रव कथाकोश। रचयिता श्री रामचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १५६ साइज !!x४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर-११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-४२ अक्षर । ५२ कथाओं का संग्रह है। पुण्याश्रवकथाकोप । रचयिता पं० जयचन्द्रजी। भाषा हिन्दी गद्य )। पत्र संख्या ३०. साइज १२x६ इञ्च । प्रत्येक पुट पर ११ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ३६-४४ अक्षर । प्रति अपूर्ण है। ३० पृष्ठ से आगे के पृष्ठ नहीं है। पुराणसार संग्रह। र यता भट्टारक श्री सकलकोति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२६. साइज १२||४५। इश्व । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में १५-५२ अक्षर । लिपि संवत् १८२२. दो प्रशस्तियां है। प्रन्ध गद्य में है। इससे इसका महत्व और भी अधिक यद जाता है। प्रति ०२. पत्र संख्या १२१. सायज ११||४५ इञ्च : प्रतिलिपि संबत् १५५१. प्रति जीर्णशीर्ण हो चुकी है। प्रारम्भ के दो पृष्ठ नहीं है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या १२१. साइज ११!x५। इञ्च । लिपि संवत् १५५१. लिपिस्थान डूगरपुर । पुरुषार्थ सिद्धयुगाय । रचयिता श्री अमृतचन्द्रसूरि। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज ११४४।। इञ्च । प्रति मूल मात्र है। पुष्राञ्जलिब तोद्यापनपूना । रायता श्री गंगादास । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७. साइजx४ इञ्च । ... पुष्पाञ्जलिवतोद्यापन । रचयिता पंडित श्री गंगादास | भापा संस्कृत । पत्र संख्या १४. साइज Ex४ इश्व । लिपि संवत् १६. प्रथम दो पृष्ट नहीं है। - एक सो. दो .. Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | पूजामार । रचयिता श्रज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६२. साइज १०llx५ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-४२ अक्षर । प्रति नं० २ संख्या ७५. साइज ११||४५ इञ्च । लिपि संवत् १५३५. अनेक पूजाओं का संग्रह है * आमेर भंडार के ग्रन्थ पूजापाठ संग्रह | संग्रहको अज्ञात | भाषा हिन्दी संस्कृत | पत्र २१६. साइज: १२x६ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३७ - ४२ अक्षर । लिपिसंयत् २६०६, लिपिस्थान कोटा ( स्टेट ) ग्रन्थ जिनवाणी संग्रह की तरह हैं। पूजाये, स्तोत्र, पाठ आदि दैनिक जीवन में काम आने वाले तथा अन्य सामग्री हुई है। 22 फलादेश 1 रचयिता अज्ञात | पत्र संख्या ६. भाषा संस्कृत | साइज १०x४ || इ | विषय - ज्योतिष । प्रति अपूर्ण आगे के नहीं है !. च ....... ब्रह्मविलास | रचयिता श्री भगवतीदास | भाषा हिन्दी । पत्र संख्या = साइज ९१ १४५॥ इव । रचना संवत् १७३३. प्रति अपूखे । = से आगे के पृष्ठ नहीं । 39 1. 753 Com 'चलभद्रपुरामा । por par 1 अन्धकार पंडित रघु । साइज ७x४ इञ्च । पत्र संख्या १७२. प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २५-२६ अक्षर । हैं । प्रारम्भ के ४० पत्र कुछ २ फटे हुये हैं लेकिन प्रन्थ भाग सुरक्षित है। प्रतिलिपि चाल स० १६५६, भाषा अपभ्रंश | विषय - श्री रामचन्द्र लक्ष्मण आदि महापुरुषों का जीवन चरित्र । सम्पूर्ण:मथ में ११ परिच्छेद हैं । अन्य के अन्त में प्रशास्ति दी हुई है। जिससे मालूम होता है कि आचार्य. गुणचन्द्र के शिष्य वार्ड सुद्दागो के समय में रूद्दितम के रहने वाले खिउपाल के पुत्र अगरमल ने इस को लिखवाया था । S एक. सो. तीन -- Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ - - -- - - - चालयोध। का अज्ञात । भाषा हिन्दीं। पत्र संख्या ११ । साइज ५ इञ्च । विषय ज्योतिष । प्रति नं० २. पत्र संख्या ३८. साइज १०४४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण । प्रथम पत्र और ३८ से आगे के पृष्ठ नहीं है। . बालबोधक। र यता श्रीमन् नुजादिल्लत्रिम । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ५७. साइज ||४४ इन्छ । विषयज्योतिष । लिपि संवत् १७८७. प्रति अपूणे-४३ से १५ तक के पृष्ट नहीं हैं। प्रन्य के अन्त में उस समय (१७६०) का अनाज का भाव भी दिया हुआ है। वह इस प्रकार है-गेहूँ १) चणा |||५ जौ ॥३ मसूर ) बाजरा ||४ उडद १२ मौठ ३ वार ।।६ ची सा तेल ४ गुड़ ।१ शकर ३६ टक २६ पके १). बालबोधज्योतिपशाख । रचयिता मुजादित्य । भाषा सं कृत । पत्र संख्या २०. साइज lix६ इञ्च । लिपि संवत् १८०८, प्रति नं० २. पत्र संख्या २० साइज ६४५|| इञ्च । लिपि संवत् १८०८. लिपिकती श्री नाथूराम शर्मा। बाशिठिया बोलरो स्तवन । रचयिता श्री कान्तिसागर। भाषा हिन्दो । पत्र संख्या १५. माइक =x४ इञ्च । रचना संवत् १७८२.. सम्पूर्ण पद्य संख्या १७६. चाहुबलि चरित्र। ग्रन्थका श्री धनपाल । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या २७०. प्रत्येक पृष्ठ पर ६ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३३ से ३७ अक्षर । अन्य साधारण अवस्था में है। कितने ही स्थलों पर लाल पेन्सिल र दी गयी है । प्रतिलिपि संवत् १४८६ व साख नदी ७ बुधवार | ग्रन्थ के अन्त में स्वयं कवि ने अपना परिचय दिया है। अन्य की प्रतिलिपि भट्टारक श्री प्रभाचन्द्र के समय में हुई थी। परिच्छेद १८. सजा .. प्रति न० २. पत्र संख्या २३७. प्रारम्भ के १३७ पत्र नहीं है। प्रत्येक पृष्ट पर १० पंक्तियों और प्रति पंक्ति में ३-४५ अक्षर । १३८ से १७० तक के पत्र जीर्ण है ! कहीं कहीं फट भी गये है। कागज अंख्या नहीं है। अक्षर अधिक सुन्दर नहीं है लेकिन अभी तक साफ हैं। सम्पूर्ण ग्रन्थ में १८ परिच्छेद है। दो चार जगह संस्कृत के श्लोकं भी हैं। ग्रन्थ के अन्त में स्वयं कवि ने भी एक विस्तृत प्रशास्ति लिख दा हैं जिसपे कवि का वशं और समय जाना जा सकता है। प्रतिलिपि संवत् १५८४ पासीज बुदी । बुधबार है। प्राचार्य प्रभाचन्द्र के समय में यघेखाल वंशोत्पन्न श्री माधो ने अन्य की प्रति लिपि करवाई थीं। एक सौ चार Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * अमेर भंडार के ग्रन्थ है बिहारी सतसई। .... . ....: । .. ::: :..:.::..... -: . . . रचयिता महाकवि बिहारी भाषा हिन्दी । पत्र संख्या: ४३. साइज़ ६x४|| इञ्च । लिपिस्थान कटक । ' :.: . भ ...... ..: :: :: :::: भगवदगीतो : ' - :. . . . . . . . . . . . . . .:: भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४७. साइज १०x४|| इंश्च । लिपि संवत् १७२१ :: ...:. pri :: प्रति नं०२. पत्र संख्या ५४. सोइज ettx५ इञ्च । प्रति अपूणे । ... .... . . ।. .। प्रति नं०.३. पत्र संख्या १५७ साइज.२०।४।। इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ... .. . ., भगवती आराधना... ... . . . . . . E .. प्रत्येक रचयिता प्रा० शिवकोटि । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या ३६७. साइज ११४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १४ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-४३ अक्षर । लिपकाल-चैत्र बुदि ११ संवत् १५१ . !. प्रति नं० २. पत्र संख्या ११०. साइज २१||४५ इंच : : :: :.. ? . . ... . " भगवती आराधना सटीक। रचयिता श्री शिवाचार्य। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४६८. साइज १३xxin इच्च लिपि संवत १७६० ग्रन्थ सटीक है । टीकाकार श्री अपराजित सूरि । टीका नाम विजयोदया। "....! . भक्तामर स्तोत्र भाषा : 5 : .:::.... . . रचयिता श्रीनथमल विलाला और लालचन्द 1 भाषा हिन्दी ( पद्य ) । पत्र संख्या ७१. साइज़ १०४५ .इछ । प्रत्येक पृष्ठ पर ६ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २६:३३ अक्षर। रचना संवत् १८१८. लिपि संवत् .: १८५३. भक्तामर स्तोत्र। ...... .. . .. ..: रचयिता श्री मानतुगाचायें । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ४. प्रति नं० २. पत्र संख्या.२४. साइज:१०४५ इन्च । प्रतिः सदीक है । डीकाकार ने अपना नाम नहीं दिया है। .......... . ..53 प्रति नं० ३. पत्र संख्या १५. साइज १०x४|| इञ्च । प्रति सटीक है। किन्तु पूर्व टीका. से यह टीका दीकाकार अज्ञात है। प्रति अपूर्ण है।.प्रथम २:पृष्ठनहीं है। 3ria : - एक सो पांच Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रति नं० ४. पत्र संख्या ५. साइज १०४ इञ्च । प्रति सटीक है लेकिन अपूर्ण है। प्रति नं० ५. पत्र संख्या १६. साइज ११४४|| इञ्च । प्रति सटीक है। अर्थ हिन्दी में है। भाषा । बहुत अशुद्ध और टूटी फूटी है इसलिये प्रति की भाषा प्राचीन मालूम देती है। प्रति ० ६. पत्र संख्या २८. साइज १०||x? इञ्च । प्रति सटीक है। टीका संस्कृत में है और विशद है। लिपि संवत् १६५४. लिपि स्थान सारूडानगर। प्रति नं०७ पत्र संख्या १८. साइज १०||2|1 इञ्च । प्रति सटीक है। टीका संस्कृत में है। लिपि संवत १६३६. लिपिकार श्री पूरणमल कायस्थ । श्री केशवदास के पढ़ने के लिये उक्त स्तोत्र की प्रतिलिपि की गयी थी। प्रति नं० =. पत्र संख्या ५३. साइज १०[४५ इञ्च । मूल पद्यों के अतिरिक्त प्रत्येक पद्य पर कथा भी संस्कृत में दी हुई है। दीकाकार तथा कथा लेखक ब्रह्म श्री रायमल्ल हैं। लिपि संवत् १८०५. प्रति नं० ६. पत्र संख्या १६. साइज ११]४५ इञ्च । प्रति सटीक है। टीकाकार वर्णी रायमल्ल । जो काल-संवत् १६६७. लिपिसंवत् १४४२. अन्त में टीकाकार ने अपना संक्षिप्त परिचय भी दे रखा है। लिपिस्थान संग्रामपुर है। 1 प्रति नं०१० पत्र संख्या ३५. साइज १०x५ इञ्च । प्रति सटीक है। दीकाकार व रायमल्ल । लिपि कालसंवत् १६६८. 1 प्रति नं० ११. पत्र संख्या ५. साइज १२४५।। इन्न । प्रांत सटीक है। दीकाकार श्री श्यमरमलसूरि । लिपि बहुत बारीक है। 1 प्रति न० १२. पत्र संख्या ५. साइज ११४४ इञ्च । प्रत्येक पद्य का उसी के ऊपर हिन्दी में अनुवाद दे रखा है लेकिन वह स्पष्ट नहीं है। प्रति नं १३. पन सख्या ६. साइज १२४४ इञ्च । लिपि संवत् १७२२. भवनदोपक। रचयिता पाप्रभसूरि । भ पा संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज ६४५ इञ्च । .. . .. प्रांत नं० २. पन्न संख्या १३. साइज १०४।। ३श्च लिपि संवत् १६७२. . संत हरिशतक। चयिता श्री भतृहरिशत। टीकाक र अज्ञात । भाषा संस्कृत गद्य-पद्य । पत्र संख्या ३२. साइज एक सो छ Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . * आमेर भंडार के अन्य * १०||८|| इञ्च । विश्य-नीति शृंगार और वैराग्य शतक । ग्रन्थ अपूर्ण ३३ पृष्ट से आगे नहीं है। भविष्यदंत कथा । रचयिता ब्रह्मराइमन । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या ६६. साइज ||:: इञ्च । रचना संवत् १६३३. लिपि संवत् १७१६. भविष्यदनचरित्र । रचयिता पंडित श्रीवर | भापा प्राकृत । पत्र संख्या ६.. साइज १०||४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तिचों और प्रति पंक्ति में ३८-४४ अक्षर ! _ प्रति नं ५. पत्र संख्या ६४. साइज ११x६ इञ्च । लिपि संक्त नहीं है। भविष्यदत्त चरित्र। रचयिता पं० श्रीधर । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ६०. साइज १०x४|| इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३८.१४. अक्षर । लिपि संवत् १५५५. मध्य के ३२ से ३६ तक के पृष्ट नहीं है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ६१. साइज ६४५) इन्न । प्रति अपूर्ण है। १. आगे के पृष्ठ नहीं है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या ६८. साइज १२!x५ इश्च । भविष्यदत्त चरित्र। . ..... ..... .. . ... . : : रयिता धनपाल। भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या १०७. साइज १०॥४३॥ इञ्छ । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३८.४४ अक्षर । लिपि संवत् १५६४. प्रति नं। २. पत्र संख्या ३४. साइज ११४५। इश्च 1 प्रति अपूर्ण और जीण शीर्ण है। प्रति ० ३. पत्र संख्या ६७. साइज ११४६ इञ्च । शास्ति नहीं है। प्रति प्राचीन मालूम देती है। प्रति न० ४. पत्र संख्या ६७. साइज १०lixशा इञ्च । पति अपूर्ण। प्रति ० ५. पत्र संख्या १०८ साइज १०४५।। इञ्च । लिपि संवत् १५८८ मंगसिर सुंदी ५. प्रति नं० पत्र संख्या १६७. साइज ११४५ इञ्च । प्रतिलिपि संवत् १५६५. लिपिस्थान मोजमाबाद । प्रति नं० ७. पत्र संख्या १७१. साइज ११४५।। इञ्च । अपूर्ण। प्रति बहुत प्राचीन दिखाई देती है। प्रति ०८. पत्र संख्या ११५. साइज़ १२४५ इन्च । लिपि संवत् १५४० आसोज़ बुदी १२ शनिघार । लिपि मुनि श्री रत्तकी त्ति के पढने के लिये बलराज ने लिखाई थी। एक सी सात Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रति नं० ६. पत्र संख्या १४६. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १५५६ नंगसिर बुदी रात्र श्री जगमल के राज्य में आचार्य श्री धर्मचन्द्र के समय में अजमेर शहर में इसकी प्रतिलिपि हुई थी । प्रति नं० १०. पत्र संख्या १४७. साइज ६॥४५॥ इ । अपूर्ण | DAFT प्रति नं० २१. पत्र संख्या १४० साइज १०५ इन्च | लिपिकाल - संवत् १५२. भाद्रपदपूजासंग्रह | पूर्ण है । भामिनिविलास | संप्रहृत्त अज्ञात | पत्र संख्या ६२. साइज १०x४ || इ | अनेक पूजाओं का संग्रह है। प्रति अंगार स | भाववक्र । * आमेर भंडार के प्रन्थ रचयिता श्री पं० जगन्नाथ भाना संस्कृत | पत्र संख्या २०. साइज ११४५ || इव । विषय भावसंग्रह | रचयिता श्री श्र 7. भावसंग्रह | -1 रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १. साइज १०९४॥ इवं । ज्योतिष का हिसाब हैं। प्रति नं० २. पत्र संख्या १. साइज १०४४ इञ्च । विषय-ज्योतिष २.. - T भावनासारसंग्रह | रचयिता श्री चानु डराय महाराज | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या =१. साइज ६||४३||| लिपि संवत् १५४१. लिपि स्थान हिसार । प्रथम पृष्ठ नहीं है। ;; मासंग्रह | रचयिता मुनि श्री नेमिचन्द्र । भाषा प्राकृत | पत्र संख्या १६. साइज ११४५ इव । लिपि संवत् १०३३. लिपिकत्ता ० जिनदास । 27:57 2 एक सा श्रठ ። + श्रतमुनि । भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या २. साइज १०x४ ३ । ££1 ܕܝ B 11 -- रचयिता पंडित वामदेव | मापा संस्कृत | पत्र संख्या ३६. साइज १०x४ | प्रत्येक पर १३ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २६-३२ अक्षर | विषय - गुणस्थान चर्चा । पर Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *आमेर भंडार के ग्रन्थ * प्रति नं०६. पत्र संख्या ३५. साइज १०||४|| इञ्छ । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-३- अक्षर 1 लिपि संवत् १५४१. प्रथम पृष्ठ नहीं है। अन्य साधारण अवस्था में है। गुणस्थान तथा पोडशकारण भावनाओं का वर्णन दिया हुआ। भावषनिशिका। ' रचयिता श्री सारंग । भाषा संस्कृत-हिन्दी । पत्र संख्या ७. साइज १२४६ इञ्च । . . ... भावशतक। श्री नागराज । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या : साइज ११||xशा इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-४४ अक्षर । भाजनिती ... ... " ...... . . .... .. ...... रचयिता नेशिचन्द्रा । पा संग्या १६.१. साइज १||४६ इञ्च । विषय-गुणस्थानों का, १४ मार्ग: पात्रों की अपेक्षा से सविस्तार वऍन। .. .. ... .. प्रति नं० २. पृच संख्या २४. साइज ११||४५५| इन्च । प्रति अपूर्ण है। .....: भावत्रिभंगी सटीक । . . रचयिता श्री, नेमिचन्द्राचार्य । भाषा प्राकृत। टीकाकार -श्री-सोमदेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३४. साइज १०x४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर २० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४८-५४ अक्षर । ....... .. प्रति नं० २. पत्र संख्या २१. साइज ११४४।। इञ्च । लिपि संवत् १५०६. केवल मात्र है। . :: प्रति नं० ३. पत्र संख्या ४३. साइज १०||५|| इश्च । प्रति अपूर्ण है । प्रथम १५ पृष्ठ. नहीं है। प्रति नं. ४. पत्र संख्या १६. साइज १०||x४|| इश्च । .. प्रति नं० ५. पत्र संख्या ४२ साइज १२४५।। इञ्च । लिपि संवत् १९३५.. .. ---- भूपालचतुर्विंशति स्तोत्र । रायता पं० आशाधर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १७. साइज १०४४ इन्च । प्रति सटीक है। टीकाकार अज्ञात है .:: : . . . . :: प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ५, साइजः ११४५ इन्च 17 :::- .. - प्रति नं० ३. पत्र संख्या ५. साइज १२४५ इञ्च । प्रति नं०४. पत्र संख्या १४. साइज ११||४|| इञ्च । प्रति मटीक है । इसमें विषापहार स्तोत्र भी है। एक सोजो Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के पन्ध * प्रति न०५. पत्र संख्या ४. साइज ११।६x४ इञ्च । . . . . . ... ... .. प्रति नं० ६. पत्र संख्या ४. साइज १४४ इञ्च । ... .. .. :: भीजप्रबंध। रचयिता रखनमंदिरगति । भाषा संस्कृत । पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४२-४८ अक्षर | सूचना संवत् १५१७. लिपि संवत् ८०. मदन जयमाल । रचयिता श्री सुमति सागर । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या २. साइज १०।१४।। इञ्च । . . . . . . मदनपराजय । हरिदेव विरचित । भाषा अपभ्रश ! पत्र संख्या २३, साइज ||| इंश्च । प्रतिलिपि संवत् १५७६. पति अपूर्ण है। मदनपराजय । रचयिता श्री जिनदेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३५, साइज ११४१! इश्व । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ संक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४२-४८ अक्षर । परिच्छेद पांच हैं ! कथा गद्य पद्य दोनों में ही है। प्रति न० २. पत्र संख्या ५३. साइज १०llx५ इञ्च । प्रति लिपि संवत्त १५१०. मध्यामद्धान्तकामुदा । . . .. . . मध्यनिद्धान्तकौमुदी। रचयिता श्री वरदराज । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६५. साइज १२x६ इञ्च । लिपि संवत् १८४६ लेपिस्थान टोंक। भन्लिनाय चास्त्रि। . ... . ... - रचयिता भट्टारक श्री सकलकीति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४३. साइज १२४५|| इञ्च । लिपिल-संवत् १६३६. विषय-भगवान मल्लिनाथ का जीवन चरित्र । - - . . . . . . . . .:: गल्लनाथचारत्र । ......... ...... ...... ... . . . . . . . . . ... ... ... रचयिता श्री जयमिश्रहल। भाषा अपभ्रंश। पत्र संख्या १२१. साइज १०x४ इञ्च । प्रति अपूर्ण। एक सो दस Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महादेवीसूत्र | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ११. साइज १०x४|| इञ्च | विषय - गणित ज्योतिष । P महापुराणमंग्रह भाषा | भाषाकर्ता अज्ञात भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १६३. साइज ११||२५|| इव । प्रति अपूर्ण है प्रारम्भ १३ तथा अन्त के १६३ से आगे के नहीं हैं। गुभद्राचार्य कृत महापुराण को भाषा है । महानाटक | * आमेर भंडार के प्रन्थ पुत्र हैं। + रवता श्री हनुमान | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ८५ साइज १०||४४ इञ्च । लिपि संवत् १७२=. प्रति नं० २. पत्र संख्या ११०. साइज ११४६ इव । लिपि संवत् १७१५. महापुराण | रचयिता महाकवि पुष्पदन्त भाषा अपभ्रंश | साइज १०||४५ इञ्च । पत्र संख्या ४१३ | इसने आगे के नहीं हैं । प्रति नवीन है। आदिपुराण मात्र है । प्रति नं० २ पत्र संख्या २७८ साइज १०२३४५ इञ्च । प्रति अपूरो । केवल १०७ से २७ नक प्रति नं० ३. पत्र संख्या २७१ साइज १०, ४५|| इ | १४६ से आगे के पृष्ठ हैं। लिपित्रत २५६.४. प्रति नं० ४ पत्र संख्या २८६. साइज १०x२ || इ पर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति प्रति नं० ५. पत्र संख्या ३८ साइज १२४४ इल । प्रत्येक ४४-५२ अक्षर | संधि १०२ प्रतिलिपि संवत् १३६१ जेठ बुदी ६. उत्तरपुराण की प्रति है । प्रति नं० ६. पत्र संख्या ३५० साइज १३x६ इञ्च । । तिलिपि अपूर्ण । ३५० पृष्ठ से आगे नहीं है । 227 महापुराण | रचयिता श्री गुणभद्राचार्य । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २६२. साइज १२४५|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४१-४६ अक्षर लिपि संवत् १७०४. लिपिकार श्री जसवीर ने महाराजा रामसिंह के नाम का उल्लेख किया है | विषय - ६३ शलाकाओं को महापुरुषों का वर्णन | ग्रन्थ के अन्त में विस्तृत प्रशस्ति दी हुई है । : प्रति नं० २. पत्र संख्या ४६४. साइज ११४५ इञ्च । प्रति जीर्णशीर्ण है I प्रति नं० ३. पत्र संख्या २६१. साइज १०० लिपि संवत् १८४६. Stadig medle इव । प्रति नवीन है। अन्तिम कुछ पृष्ठ नहीं हैं । कमी पायी द एक सो ग्यारह Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आर भंडार के ग्रन्थ प्रति नं० ४. पत्र संख्या २७६ ग्रन्थ जीशीयों है । ३६ से २१७ तक पत्र नहीं है । महापुराणटिप्पण | व्याख्या कर्त्ता- -अज्ञात भाषा-संस्कृत १०६. सार १२४८ || इञ्च । प्रति प्राचीन शुद्ध और स्पष्ट है | प्रति अपूर्ण है। अपभ्रंश से संस्कृत में टीका को हुई है । महावीर द्वात्रिंशिका | रचयिता श्री भट्टारक सुकीर्त्ति। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २ साइज १२०५ || इश्र्व | भगवान महावीर की स्तुति की गयी है। प्रति अशुद्ध है। | महीपाल चरित्र | ग्रन्थकर्त्ता श्री चारित्र सुन्दर गरिए । पत्र संख्या ३३. साइज ७४३ || इ | प्रत्येक पर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ४७ से ५५ अक्षर। भाषा संस्कृत । लिपि संवत् १८० पांच सर्ग अन्य के अन्त में स्वये कवि ने भट्टारक परम्परा का वगान दिया है। कवि ने अपने को भट्टारक श्री रत्नसिंहसूरि का शिष्य लिखा है । के कागज और अक्षर दोनों अच्छे हैं। ग्रन्थ माणिक्य कल्प | रचयिता श्वेताम्वराचार्य श्री मानतुंग । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. साइज १०x९ इव । लिपि संवत् १६४०. पद्य संख्या ५६. माधवानल कथा | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १०. साइज १३०५ इछ । लिपि संवत् १८३८. लिपिकार भट्टारक श्री सुरेन्द्रकी र्त्ति । माधवनिदान रचयिता श्री माधव । भाषा संस्कृत । पृष्ट संख्या ६६. साइज इ प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या २ साइज २०४६ इच। लिपि संवत् १६५७ लिपि स्थान मालपुरा । प्रति अपूर्ण है । मानमञ्जरी नाममालां । 2 रचयिता श्री नन्ददास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १२ साइज १९५५ इव । पद्य संख्या ३०४, लिपि संवत् १=३६. भट्टारक श्री सुरेन्द्र कीर्ति ने प्रतिलिपि बनाई । एक सो बार Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . *कार मंडार के अन्य * मुग्धावबोधन । रचयिता श्री कुलमंइन सूरि । भाषा संस्कृत ! पृष्ठ संख्या १०. साइज १०४८ इञ्च | विश्य-व्याकरण मुद्राराक्षस । रचयिता श्री विशाखदत्त । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४०, विषय-नाटक। " . . . मुनिसुव्रत पुराण । रचयिता ब्रह्मचारो कृष्णदास । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ११५. साइज १२४५३। इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ४२-४६ अक्षर। रचना संवत् १६८१. लिपि संवत् १८५०. ग्रन्थ में मुनिसुव्रत नाथ का जीवन चरित्र वर्णित है। ... .. मुनिसुव्रत पुराण। रचयिता भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीर्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६८. साइज ११x६ इव । ग्रन्थ अपूर्ण है.। उक्त पुराण में मुनिसुत्रत नाथ के संक्षिप्त जीवन चरत्र के पश्चात् न्याय शास्त्र का विस्तृत वर्णन दिया हुआ है । लेकिन पति में चार्वाक मत के खंडन तक के ही पृष्ठ हैं। · मुहूर्त चिंतामणि । .. .... रचयिता भी देवनराम । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४४. साइज १०x४।। इञ्छ । लिपिस्वत् १८५१. लिपिफर्ता बाबाजी दानविमलजी! ... ... ... .. प्रति नं० २. पत्र संख्या ७७. साइज ११।।४५ इञ्छ ! प्रति अपूर्ण है। . प्रति नं० ३. पत्र संख्या १३. साइज १२४५। ३श्च। . प्रति न०४. पत्र संख्या र साइज १२४५।। इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ...... प्रति न०५. पत्र संख्या ७. साइज १०४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण। पित्र संख्या ७. साइज १०॥४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण ....... मुहूर्त मुक्तावली। . ... .... रचयिता श्री परमहंस पा.प्राजकाचाय । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १६. साइज १०४५ इन। विषय-ज्योतिष। मूलाचार । _ रचयिता भट्टारक श्री सकलकीर्ति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १६६: साइज १९४५ इञ्च । पद्य संख्या ३३५६. लिपि संवत् १८९६. लिपिस्थान जयपुर । " एक सौ तेरह Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के समय * प्रति नं० २. पत्र संख्या ६१. माइज १२x६ इञ्च । प्रति जी शीर्ण है। दीमक ने बहुत पृष्ठों को ! खा लिया है। प्रति नं०३. पत्र संख्या १७७. साइज १०x४|| इश्च । मेघदन । रचयिता-महाकवि कालिदास । टीकाकार श्री लक्ष्मी निवास । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २५. साइज (0) इश्च । इस प्रति के अतिरिक्त १२ प्रतियां और हैं। मेवमाला व्रतोद्यापन पूजा। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २.' साइज ११४५।। इञ्च । लिरिसंवत् १८३६. लिपिकार भट्टारक श्री सुरेन्द्र की ति । लिपिस्थान माधोपुर (जयपुर) । मेघमालावताख्यानक । रचयिना अज्ञात । पत्र संख्या ६. साइज १०४ाञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० क्त वा तथा प्रति पक्ति में २२-२६ अक्षर। मेयर र चरित्र । अन्यकर्ता श्री पंडित र यथ । साइज ७४३ इञ्च । प्रत्यफ पृष्ठ पर १० पंक्तियों और प्रति पंक्ति में ३१-३५ अार | पत्र संख्य १७३. प्रारम्भ के २१ पृष्ट नहीं हैं। अन्य जीर्ण है पर अधिक नहीं । प्रतिलिपि संवत् १५६६. भाषा अभ्रश । १३ परिच्छेद है। ग्रन्थ के अन्त भाग में एक अधूरी प्रशस्ति द हुई है जिससे केवल भट्टारक गुणभद्र का नाम तथा अन्ध लिखवाने वाले के वंश का नाम ही मालूम हो सकता है। प्रति नं० २. साइज ५४३।। इञ्च । पत्र संख्या १५६. लिपिकाल संवत् १६:६. पत्र जीणं प्रायः हैं। बहुत से पत्रों के कितने ही अक्षर स्याही फिरने के कारण पड़ने में नहीं पाते । प्रारम्भ के ५ पत्रों का कुछ भाग दीमक ने खा लिया है। प्रशस्ति अधूरी है। । मदनी कोष । ... रचयिता श्री मेदनी । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ११२. साइज Exe|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ३५-४० अक्षर । मृगांक चरित्र । ... समांक चारत्र । .... ... ... .. .. .... ::: :.: रचयिता पं० भगवतीदास । भाषा अपभ्रंश। पत्र संख्या ५४. साइज ११४६ इच। प्रत्येक पृष्ठ पर । एक सौ चौदह Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति प्रशस्ति भी है। * आमेर भंडार के प्रत्य * ३०-३५ अक्षर | लिपिसंवत् १७०० परिच्छेद ४. कागज मोटे हैं मृगावती चरित्र | रचयिता स्कलचन्द्र भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३०. साइज १०x४ | रचना संवत् १६२८. लिपि संवत् १६० लिपिस्थान मालपुरा ।। अन्तिम पठ यति क्रियाकलाप | रचयिता श्री प्रभाचन्द्रदेव । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १२०. साइज १२४६ इन्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा गति पंक्ति में ४८-५४ अक्षर लिपि संवत् १५७७ संघपति जगती के पुत्र कल्याणमल ने ग्रंथ की प्रतिलिपि करवाई | मंगलाचरण--- य - जिनेन्द्र मुन्मीलितकर्मषं प्रणम्य सन्मार्गकृतस्वरूपं । अनंतबोधादिभवं खोध कियाकलाप प्रकटं प्रवक्ष्ये ॥ = श्रीमद् गौतम नमामि गंगधरैलोकत्रयोद्योतकैः । सव्यक्त सकुलोद्यसौ यतिपतेयेतिप्रभा चन्द्रतः ||१|| मंत्रराज ग्रंथ | रचयिता श्री महेन्द्र भाषा संस्कृत पत्र संख्या ४९. साइज २०१५ इञ्च | लिपि संवत् १६६३. ग्रंथ सटीक है । यंत्रराजाराम ! रचयिता श्री मलये दुसूर | भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ३६, साइज १०||४ | पांचलिपि संवत् १६४६. प्रथम तीन पृष्ठ नहीं हैं । कालिए यशस्तिलक चम्पू । 2:3 रचयिता श्री सोमदेवसू रे । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २५६ साइज १०६।४६३ । रचना शुक संवत् १०८ लिपि संवत १८६६. एक सा पदरह TH Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के प्रन्थ * यशोधर चरित्र । रचयिता पं० लिखमीदास । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ८७. साइज ११||| श्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या १०६. रचना संवत् १७०२, लिपि संवत् १७८४. लिपिस्थान अामेर (जयपुर । यशोधर रास । रचयिता ब्रह्म श्री जिनदास। भाषा हिन्दी । पन संख्या २५. साइज ११४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति पर ३८-४४ अक्षर । लिपि संवत १८२६, यशोधर चरित्र । . रचयिता श्री वुशालचन्द्र । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ४६, साइज ११४५। इञ्च । पत्वे, पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४० -४६ अक्षर । रचना संवत् १७८१. लिपि संबन् १८०१. यशोधर चरित्र । . रचयिता आचार्य श्री ज्ञानकीर्ति। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६६. साइज ११||४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर : पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३१-३५ अक्षर। लिपि संवत् १६६१. प्रति नं० २. पत्र संख्या ३५. साइज ||x४। इन। लिपि संवत् १६६१. " यशोधर चरित्र । रचयिता कायस्थ श्री पद्मनाभ । भाषा संस्कृत ! पृष्ठ संख्या ६. साइज १०x४|| इञ्च । लिपि संवत १७६६. प्रति नं० २. पत्र संख्या ३३. साइज Lix|| इश्च । प्रति अपूर्ण । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ३६. साइज fixl इञ्च । ग्रन्थ समाप्ति के बाद प्रशस्ति दी हुई है। प्रति नं० ४. पत्र संख्या ६६. साइज !xe|| इञ्च । प्रतिलिपि संवत् १५३८. प्रथ की प्रतिलिपि भट्रारक श्री जिनचंद्र के शिष्य सारंग ने पढने के लिये की थी। यशोधर चरित्र । .. ___रचयिता साह लोहट । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या १३३, साइज x४।। इञ्च । प्रारम्भ के ३१ पृष्ठ नहीं है। लिपि संवत् १८०३. प्रन्यकत्ता श्री पद्मनाथ तदनुसारेण साह लोहट दुय्यौसी गोत्र साह धमासुत बघेरवाल वासि . एक सौ सोलह Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर मंडार के अन्य * गह 'दीराज राम श्री भावसिंहजी विराजि . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .: - यशोधरचरित्र । यशाधरचारत्र । . . . . . . . . . . . . . . . . . . . : . रचयिता श्री पूर्ण देय | भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १. ताइज १२४५१), इञ्च । लिपि संवत् १८४४. यशोधर मरिन । रचयिता श्री विजएकीर्ति । भाषा संस्कृत (गद्य ।। पत्र संख्या २६. साइज ११||४५ इञ्च । ग्रंथः गद्य में है। कथा संक्षेप में दी हुई है। अतः पाठक शीघ्र ही समझ सकता है। ... ... . यशोधर चरित्र । तसागर । पत्र संख्या ७३.लाइज ११४४३च ! भाषा संस्कृत। रचा यशोधर चरित्र । रचयिता भट्टारक श्री सकल की ति। भ पा संस्कृत । पत्र संख्या ३६. माज ?:४५ इञ्च । श्लोक संख्या ६६०. लिपि संवत् १६४६. लिपस्थान मालपुर। उक्त ग्रन्थ में यशोधर महाराज की जीवन दिया हुआ है। .... प्रति नं० २. पत्र संख्या ४७. साइज ११४५ इञ्च । उक्त ग्रन्थ, की प्रतिलिपि आचार्य:ज्ञानगीति के शिष्य पं० खेती के पढने के लिये की गयी थी। प्रति नं० ३. पत्र संख्या ७४. साइज १२||४|| इन्छ । लिपि संवत् १६३०. ब्रह्मरायमल्ल इतके लिायकत्ता है।... ... ... . . : ... .::::! FEEFF यशोधरचरित्र । रचयिता महाकवि पुष्पदंत । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ६१. साइज ||४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ६ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २८-३४ अक्षर । लिपि संवत् १५३०. लिपिस्थान सिकन्दराबादा । प्रशस्ति नहीं है। कठिन शब्दों की संस्कृत में टीका दे रखी है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ८६ साइज Elx५ इश्व | लिपि काल संवत १५७५ मंगसिर सुदी ४. अन्त में प्रशस्ति दी हुई है लेकिन प्रारम्भ की तीन पंक्तियां बाद में मिटादी गई हैं। JFTINE ... . .- प्रति नं०.३.. पत्र संख्या ७३. साइज १४५-देन्च लिपिकाल,संवत् २६१० प्रशस्ति दी हुई है। पन्थ की प्रतिलिपि भट्टारक प्रभा चन्द्र के शिष्य धर्मचन्द्र के समय में हुई है। ... " : प्रति नं० ४. पत्र संख्या ६५. साइज ११४५१1 इञ्च । लिपि संवत् १६१३, उक्त प्रति श्री धर्मचन्द्र के एक सौ संतरह Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * शिष्य श्री नलितकी त्ति के समय में साह पूना तथा उनकी स्त्री बाली ने लिखीवाई थी । पत्र.. कुछ गलने लग गये हैं। प्रति नं १. पत्र संख्या . साइज १०४५ इञ्च ! लिपि संवत् १५८०. प्रति लियी भट्टारक प्रभाचन्द्र के समय में दोदू नामक खण्डेलवाल जैन ने करवाई थीं। प्रति नं० ६, पत्र संख्या २. साइज ११४५ इञ्च । लिपिसंवत् १६५७, प्रशस्ति नहीं है। ग्रन्थ का है हाशिया दीमक ने खा लिया है। 1 प्रति नं० ७. पत्र संख्या ६१. साइज ११४६ इञ्च । लिपि संवत् नहीं है। प्रशस्ति नहीं है। प्रति नं. ८. पत्र संख्या ६. साइज ११||५।। इञ्च । लिपि संयत् १७१५. प्रति लिपि आमेर के । भट्टारक नरेन्द्र कीर्ति के शिष्य भट्टारक श्री महेन्द्रकी त्ति ने करवाई। प्रति नं० ६. पत्र संख्या ४३. साइज १२४५ इञ्च । ग्रन्थ बहुत कुछ जीर्णशीर्ण हो गया है। योगचिंतामणि। ___ संग्रहकर्ता श्री हप की ति। भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ६०.. साइज १०x४ :न्छ । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३--१४ अक्षरा विषय-अायुर्वेद। प्रति नं० २. पत्र संख्या ३३. साइन १३४६१1३ऋ । विषय-आयुर्वेद । ग्रंथ में पांच अधिकार है । और वे अलग न लेखक के लिखे हुये हैं। योगप्रदीप । रचयिता अन्नात । भाषा संस्कृत । पृम संख्या ७. साइज 20x1| इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या १४१. विषय-योगशास्त्र। योगीरास।। रंचयिता श्री ब्रह्मजिनदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या साइज २०४४ इञ्च । भगवान आदिनाथ की स्तुति की गयी है। । योगसार । रचयिता श्री मुनि योगचन्द्र ( योगीन्द्रयः)। भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या साइज ११४४|| इन्छ । गाथा संख्या १०८. लिपि संवत्. १७१६. लिपिन्थान जयसिंहपुस । लिपि का पंडित लक्ष्मीदास । .२६ . . . . . प्रतिः ० २. पत्र संख्श ७. साइन १०४ इन्छ । एक सौ अठारह Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के प्रथ *. प्रति नं०३, पत्र संख्या २०. साइज ११tlx|| इञ्च । इस प्रति में आराधनासार, तत्त्रसार तथा धर्म पंचविंशतिका की गाथायें भी है। प्रारम्भ के तोन पृष्ठ नहीं हैं। योगसार तत्वप्रदी पका। रचयिता. प्राचार्य श्री अमितिगति । भा परः संस्कृत । पत्र संख्या ३६. साइज ६x४. इञ्च । प्रत्येक. पृष्ठ पर ६ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २५-२८ अक्षरः । प्रथम पृष्ठ नहीं है। ___ प्रति नं० २. पत्र संख्या ३०. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १५-६. अन्तिम पुष्ट नहीं है। योग शतक । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत | पृष्ठ संख्या ८. साइज १३४४॥ इञ्च । प्रति अपूर्ण 1 प्रथम और अन्तिम पृष्ठ-नहीं है।.. . योग शास्त्र । मूलक -आचार्य श्री हेमचन्द्र । वृत्तिकार श्री अमरप्रभसूरि । केवल योग शास्त्र का चतुर्थ प्रकाश है। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४५. साइज १०x१|| इन् । लिपिसंवत् १६३०. नविनश्चय । रचयिता श्री वेद्यराज' माधत्र | भाषा संस्कृत। पत्र संख्या : १. साइज 201x५ इञ्च । विषयवैदक । लिपि संवत १५४५. अाजकल ग्रह ‘माधव निदान' के नाम से प्रसिद्ध है। प्रति -पत्रःसंख्या ३ साइज १४५. इञ्च । : . - - . प्रति नं. ३. पत्र संख्या इ. साइज १३४६|| इञ्च । प्रति मूल मात्र है। प्रति न० ४. पत्र संख्या ६१. साइज ११४४ इश्च ' लिपि संवत् १७४६. प्रथम पांच पृष्ट नहीं है। . रघुवश ! रचयिता महाकवि कालिदास । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २०२. साइज १३४५॥ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ... .. :: ........... ........ ..... - प्रति नं० २. पत्र संख्या १६०. साइज ११४५ इञ्छ । टोकाकर श्री चरण धर्मगणि। दीकाकार जैन हैं। रत्नकरण्ड श्रावकाचार सटीक .........:...:... ::.:-:---. मुलकर्ता आचार्य समन्तभद्र । टीकाकार-प्रभाचन्द्राचार्य । भाषा संस्कृती पत्र संख्या ६३. साइज . . एक सौ उन्नीस Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * बामेर भंडार के राय * - - ११४४।। इञ्च । प्रन्थ का अन्तिम पृष्ट नहीं है। प्रति नं०२. पत्र संख्या ५७. साइज १४५ इञ्च । लिपि संवत् १५४८. रत्नकरण्डशास्त्र । रचयिता पंडिताचार्य श्रीचन्द्र । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या १५६. साइज ६||४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और पंक्ति में ४-४६ अक्षर । लिपि काल संमत् १५८२. विषय-गृहस्थ धर्म का वणन । अन्य समाप्ति के पश्चात् अन्यकर्ता ने अपना परिचय भी लिखा है। प्रति नं० २. पत्र संख्या १६३. साइज ११४५|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४२-४८ अक्षर । लिपि संवत् १५८६. प्रति नं० ३. पृष्ठ संख्या १५७. प्रत्येक पुष्ठ पर ११ क्तियां और प्रत्येक पंक्ति में ३-४४ अक्षर । साइज १०][callञ्च । लिनि सात १५६५. प्रति नं. १ पत्र संख्या १४५. लिपि न बन १६१४. साइज EXI. प्रति न०५, पत्र संन्या ८ . साइजE!!x|| इञ्च । रत्नपाल श्रेष्टि रासो । रचयिता श्री यति ब्रह्मचार। भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ६३. साइज १०४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर प्रक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३३-३- अक्षर । रचना संवत १७३२. जिपि संवत् १८२३. .. रत्नमंच य । रचयिता अज्ञात । भाषा प्रकृत्त । पत्र संख्या १५. साद घाञ्च । विषय-सिद्धान्त ! रत्नत्रय कथा । रचयिता श्री ब्रह्म ज्ञानसार । भापा हिन्दी । पद्य संख्या ७०. साइज ६x४ इञ्च । रत्नत्रयपूजाजयमाल 1.... . रचयिता श्री रिपभदास । भाषा अपभ्रंश ! पत्र संख्या २३. साइज १११:४५शा ?ञ्च ) मान :-:. . ' '-- - .:. . . :: . . .- -, जयमाला रचयिता अज्ञात । भाषा प्राकृत ' पत्र संख्या ३. साइज ११४५ इञ्च . : .....: - -...... प्रति नं० २. पत्र संख्या ६. साइज ११४४॥ ३ञ्च । .- ...- ... ... ... .. - - एक सौ बीस : Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रति नं० ३. पत्र संख्या ६. माइज १२४६ इञ्च । लिपि संवत् १-५. लिपस्थान-जयपुर । लिपिकत्ता श्री भट्टारक देवेन्द्र कीर्तिनी । रत्नत्रयपूजा। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज १०४५|| इञ्च । रमलशास्त्रप्रश्नतंत्र । रचयिता श्रीराम । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १४. साइज ११४५ इन्च। लिपि संवत् १८२६. लिपिस्थान लालसोट । रविव्रतोद्यापनपूजा। रचयिता श्री केशवसेन कबि । भाषा संस्कृत ! पत्र संख्या ५. साइज १२४५ इञ्च । लिपि संवत् १८३६. लिपिस्थान सवाई माधोपुर।। रसमञ्जरी। रचयिता अज्ञात । पत्र संख्या १७. साइज १०४।। इश्च । पति अपूर्ण है। ... :: ... रससिन्धु । - रचयिता श्री पौडरी रामेश्वर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६१. साइज १०||x४i/ उच्च । लिपि संवत् १८२७. विषय-अलंकार। रागमाला। .. रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइज १०||४|| इञ्च । लिपि संवत् १६६५. लिपि कार पं० जगन्नाथ 1 इति नं० २. पत्र संख्या ७. साइज १०॥४४॥ इन्च । लिपि संवत् १६६५. .. - राजप्रश्नीयोपांगवृत्ति । * . ... ... .. ... ... ... : ....., : -: . मूल लेखक अज्ञात । वृत्तिकार श्री विद्याविजयगणि। भाषा प्राकृत-संस्कृत । पृष्ठ संख्या ६३. . साइज १०४४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १७ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४२-४६ अक्षर । लिपि संवत् १६६४. राजवार्तिक । ......... .... ............ . ... ... . रचयिता श्रीमद् भट्टाकलंकदेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५५४. साइज १२४४। इञ्च । लिपि - एक सौ इक्कीस . . Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संवत् १५ लिपिस्थानचं गवती । राजसभारंजन | म मंत्र है । संग्रहकर्त्ता श्री गंगाधर भाषा हिन्दी पद्य ) | पत्र संख्या ४ साइज १२||४६ १ । १९२६ प 1 * आमेर भंडार के मन्थ रामचन्द्र चरित | रचयिता श्री ब्रह्मजिनदास । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १०५ साइज १०||४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है । अन्तिम पृष्ठ नहीं है। रात्रि भोजन कथा | ४१५. बविता श्री किशनसिंह | भाषा हिन्दी | पत्र संख्या २६. साइज २०४४ || इव । सम्पूर्ण पद्य संख्या रोहिणीवतकथा | रचयिता देवनन्दि मुनि । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या १२. साइज १०x४ । लोक संख्या २६४. रहिणी व्रतकथा | श्राचार्य भानुकीर्ति भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४ साइज १०x४|| इश्र्व सम्पूर्ण पत्र संख्या ७६. ल साधनविधि | रचयितो लालच । पत्र संख्या ७ भाषा संस्कृत | साइज ६x४ | विषय - विवाहविधि । लिपि सिंचन १७५०. लघुजातक । रविता श्री भट्टोल | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २५. साइज १०४४ इञ्च । विषय- ज्योतिष | प्रति ०२ पत्र संख्या ११. साइज १०५ इञ्च । तिच्यवचूरिकों । रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६१. साइज १०x४ ॥ इव। लिपिकाल शकसंवत् २३६६. विपय-व्याकरण । , एक सौ. वाईस Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आमेर भंडार के अन्य * लक्ष्मी स्तोत्र । रचयिता श्री पनप्रभसूर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १. साइज १०x४ इञ्च । इस स्तोत्र का दूसरा नाम पार्श्वनाथ स्तोत्र भी है। प्रति नं०२. पत्र संख्या ३. साइज १०४४।। इञ्च । लिपि संवत् १६७१. प्रति नं० ३. पत्र संख्या ३. माइज १०||४५|| इन्न । लिपि संवत् १८६१. लिपिकत्ता श्री माणिक्यचंद्र । लीलावतीसटीक। रचयितां अज्ञात । पत्र संख्या ६२. भाषा संस्कृत । साईजें १०||xi। इञ्च । विषय-ज्योतिप । प्रति अपूर्ण और जीर्णशीण। लीलावतीमूत्र 1 रचयिता श्री भास्कराचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७३. साईज २०11|इन्। लीलावती भाषा। . ... : भाषाकार श्री लालचन्द्रं ! पत्र संख्या १४. साइज ११६x६ इञ्च । लिपि संयन् १७७५. . चनारसी विलास । रायता-महावि बनारसीदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १२६. साइज Ex. इञ्च । प्रति जीणे हो चुकी है। प्रति न पत्र संख्या ६. सं ११||x ईन्छ । लिपि सब ने १८३१. लिपि स्थाने इंदावन ! च मानकथा । रचयिता पंडित नरसेन । भारा अपभ्रंश । पत्र संख्या १७. साइब १०||४५ इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर २० पक्तियां और प्रति पंक्ति में ३२-३८ अक्षरं । . इमान पुराण । रचयिता भट्टारक श्री सकलकीति । भाषा संस्कृत । पन संख्या ११४: साइब न लिपि संवत् १८२८ ' प्रति नं० २, पत्र संख्या ८१: साइज १०||४६ इञ्छ । लिपि संवत् १८१७ लिपिस्याम जयपुर । एक सौ तेईस Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ वद्ध मान काव्य | रचयिता श्री जयमित्र हल | भाषा अपभ्रंश पत्र संख्५२ साइज ६५ इञ् । लिपि सवन् १६२७. प्रशस्ति है । प्रथम पृष्ठ नहीं है । प्रति नं० २. पत्र संख्या ५६. साइज ६३४५ लिपि संवत् १५२५. प्रति नं० ३. पत्र संख्या १२ साइज ११४ || प्रति निपि संवत् १६३१ माह बुदी ११. प्रशस्ति है । लोकसंख्या १३५०. प्रति नं० ४. १त्र संख्या ५४. साइज १२x४|| इञ् । लिपि संवत् १५६३. प्रशस्ति है। व्रत कथा कोप | रचयिता श्री मशालचन्द्र भाषा हिन्दी पत्र संख्या ११४. प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-४० अक्षर । रचना संवत् १७८७, लिपि संवत् १८२०. व्रत विवरण | संग्रहकर्त्ता अज्ञात | भाषा हिन्दी । साइज १२५|| | नेक व्रत का समय आदि का पू विवरण दे रखा है। 1 वर्द्धमान द्वात्रिंशिका | रचयिता श्री सिद्धसेन दिवाकर | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४. साइज १० || ४५|| इञ्च | विषय - स्तुति । चरांग चरित्र | रचयिता श्रीमान मट्टारकदेव । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ७२ साइत १९४४ ॥ इन । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३४-३८ अक्षर | लिप सवत् १५६३. 30557 प्रति नं० २. पत्र संख्या ६७. साइज २१४४ ॥ उञ्च । लिपि काल संवत् १६०५ भादवा बुदी ६. लिपि स्थान दूदू नगर । उक्त प्रति को आचार्य धर्म्मचन्द्र ने पढने के लिये लिखाई थी । प्रांत नं ३, पत्र संख्या ७३. साइज १२/१४६ इव । लिपि काल - संवत् १८७३ आसोज सुदी ५. लिपिस्थान ग्वालियर । प्रति नवीन है। अक्षर स्पष्ट और सुन्दर हैं। मन प्रति नं० ४. पत्र संख्या ६० साइज ११०५ ३श्र्च | लिपिसंवत् १६६० जेठ सुदी १४. लिपिस्थान राजमहल । प्रति नं० ५. पत्र संख्या २४. साइज १२||३५|| ३ | लिपि संवत् १८४५. एक सौ चौबीस Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वसुधरा स्तोत्र | रचयिता अज्ञात | पत्र संख्या ७. साइज ११५ || इञ्छ | भाषा संस्कृत ग्रन्थ लोक प्रमाण २१५. लक्ष्मीदेवी की स्तुति की गयी है । प्रति शुद्ध, सुन्दर और स्पष्ट है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ५. साइज ! * आमेर भंडार के मन्य * बाग्भट्टसंहिता | रचयिता श्री वाग्भट्ट | भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १३६. साइज १३४५ || इञ्च । लिपि संवत् २=४=. विषय- आयुर्वेद । बारमडालंकार । और हैं रचयिता श्रीमद् वाग्भट्ट । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १५. साइज १२५ ३ । सात प्रतियां प्रति नं० २ पत्र संख्या १४. साइज ११||४|| इञ्च | प्रति नं० ३. पत्र संख्या ११. साइज १०||४४ इव । लिपि स्थान विक्रम नगर । प्रति नं० ४. पत्र संख्या २४. साइज १०|| ४ || इव । लिपि संवत् १७७३. प्रति नं० ५ पत्र संख्या १४, साइज १०||४|| इन प्रति नं० ६. पत्र संख्या ४८ साइज १०x४ || इव । प्रति सटीक है। लिपि संवत् १६४६. प्रति नं० ७. पत्र संख्या ३७. साइज १०|| ४ || इन । लिपि संवत् १६६५. क्षिपि स्थान द्वादशपुर । लिपिकर्त्ता श्री जगन्नाथ ! प्रति नं०८. पत्र संख्या ३० साइज १०x४|| इछ । लिपि संवत् १६३६. लिपिस्थान रस्थं भगढ़ | लिपिकर्त्ता श्री वेणीदास । लिपिकतों ने सम्राट अकबर के शासन काल का उल्लेख किया है । वाराही संहिता | :> 13% रचयिता अज्ञात भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १३६. साइज १०x४ । पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-४० अक्षर । प्रति अपूर्ण । १३६ से आगे के पृष्ठ नहीं हैं । -: एक सौ पच पर किसे बकर उनकी प्रत्येक पृष्ठ पर ११ 72 ܕܪܫ؛ वास्तुकुमार पूजा | पवन सि F " रचयिता श्रज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५. साइज ११०५ इव । लिपि संवत् १८३६. भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीर्त्ति ने अपने हाथों से प्रतिलिपि बनायी । Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ * वाश्चय काव्य । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २. साइज ६०x४।। इञ्च । लिपिकार गरिण घर्भ विमल । मिपय साहित्य । विदग्धमुखमंडन । रचयिता श्री धर्मदास । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २८. साइज १०||४|| इञ्च । विषय-काठ्यालंकार । श्री हर्ष मुनि के पढ़ने के लिये ग्रंथ की प्रतिलिपि की गयः ।। । “प्रति नं० २. पत्र संख्या ३१. साइज ११४४ इञ्च । प्रति नं०३. पत्र संख्या २७. साइज ११५५ इ । प्रति ०४. पत्र संख्या १३. साइज १०||४|| इञ्च । लिपि संवत् १६२०. पं० राजरंग सरंग के पढने के लिय काव्य की प्रतिलिपि की गयी। प्रति नं०५. पत्र संख्या १६. साइज १२||४|| इञ्च । प्रति नं०६. पत्र संख्या ८. साइज १०ix?|| इञ्च । लिपि संवत् १५२४. पं जिनसूरि गणि ने । अन्य की प्रतिलिपि बनायी। विद्यात्तत्वोपनिषद् । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या.१३०. साइज १२x६। इञ्च ।. । ..vr- PREM विनती संग्रह। रचयिता श्री नवल । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या २७. साइज १२४५१॥ इश्च 1 विषय-२४ तीथंकर, सम्मेदशियर, आदि की स्तुति की गयी है। जयपुर के प्रसिद्ध दीयाण बालचन्द्रजी के कहने से प्रन्थ रचना की गयी थी। विनती संग्रह। 1 रचियता श्री ब्रह्मदेव । भाषा हिन्दी । पृष्ठ संख्या ३६. साइज १०॥४४॥ इञ्च । विषय-प्रथम्र २४. सार्थकों की अजार २ स्तुति है तथा मागे भिन्न र विषयों पर स्तुतियां है। भासा की अपेक्षा अधिक उत्कृष्ट महीं है किन्तु भात्र अच्छे हैं। . . . . . ...:.: .. . . . विनती. संग्रह । . . रचिता श्री देवसागर - भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १८. साइज़..४६॥ इन्च । - मापा और भावों की अपेक्षा संग्रह कोई विशेष उपयोगी नहीं है। Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रति नं०२. पत्र संख्या ८१. साइज ११४५।। इञ्च । ... विलोमकाव्यः । __ रचयिता अज्ञात । श्री दैवज्ञ सूर्य पंडित । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १.. साइज ६४४ इञ्च । लिपि संवत १८०८ विवाह दीपिका सटीक । रचयिता श्री गणेश । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७६. साइज १०||४४।। इञ्च । लिपि संवत् १६६२. विष्णु भक्ति । रचयिता श्री विश्वभो । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइत १||५|| लिपि संवत १८४. . विषारहार स्तोत्र । . रचयिता श्री धनंजयसूरि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४५, साइज १०४३॥ इञ्च । ४२ से पूर्व के पृष्ठों में प्राकृत भाषा में तत्वसार लिखा हुआ है। प्रथन पत्र से लेकर ३६ ३ पृष्ठ तक कुछ नहीं है। तीन प्रति और । ... .... ... ... ... . . : .:::.: . विषापहार स्तंत्र भाषा । मुलकर्ता श्री धनंजय । भाषाकार श्री दिलाराम भाषा हिन्दी। पत्र संख्या १२. साइज १२ाशा इञ्च । पद्य संख्या ४०. विषापहार स्तोत्र - मूलकर्ता श्री धनंजय । भाषाकार श्री अखय राज। पत्र संख्या १४. साइज १||४४ इश्च । लिपि - 14 संवन् १७३१. . चीतरागस्तवन । रचयिता श्री हेमचन्द्राचार्य । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ६. स. इज ११४५।। इञ्च । श्री कुमारपाल, S भूप ल के लिये उक्त स्तवन की रचना हुई थी। वैद्यजीयन । पं० लोल्लम्मिराज । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७. साइज १०x४ इन। मति नं० २. पृष्ठ संख्या ३६, साइज ११॥४४५. इञ्च । लिपि संवत् ११३८... .. Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अति नं० ३. पृष्ठ संख्या १७. साइज १९४५ | प्रति नं० ४ पत्र संख्या १ = साइज १०४५ || इञ्च । प्रति अपू है। प्रथम ४ पृष्ठ तथा अन्त के पत्र घटते हैं। वैद्य भनोत्सव | रचयिता श्री नयन सुखदास | भाषा हिन्दी पत्र संख्या ३६ साइज १२०५ इव । लिखि संवत् १७७४. वैद्यवल्लभ आर भंडार के ग्रन्थ * प्रति नं० २. पत्र मंख्या २४. साइज १२४६|| इञ्च । । रचयिता श्री हत्तरुचिसूरि । भाषा संस्कृत पत्र संख्या २५ साइज १०x४ || इ | लिपि संवत् १७६३. लिपिस्थान मैसलाना । विलास | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत-हिन्दी पत्र संख्या = साइज १२५ इव । वैद्य विनोद | रचयिता अनंतभट्टात्मज श्री शंकर । भाषा संस्कृत । पुष्ट संख्या १०७. साइज ११x६ ३ । वैयाकरण भूषण | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ७२ साइज ६४४ इञ्च । लिपि संवत् १७४४. वैराग्य स्तवन । रचयिता श्री रत्नाकर । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३. साइज २०४४ || इञ्च । लिपिकर्ता पं० हरिवंश। पद्य संख्या २५. वैराग्यशतक | ---: रचयिता श्री भर्तृहरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १७. साइज १९४५ इव । प्रति नं० २. पत्र संख्या ६ साइज १११x६ इञ्च । वैष्णव शास्त्र | रचयिता श्री नारायणदास । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३५ साइज १०||४४ इश्र्व | विषय - एक सौ अठाईस Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... *आमेर भंडार के पन्ध * .. सामुद्रिक । जिपि संवत् १६५८. : वृत्तत्नाकर । ...रचयिता-भट्ट केदारनाथ । भाषा संस्कृत पत्र नख्या ११: साइज ११४५-इञ्च । लि प संवत १५-५. ... ति.० २. पत्र संख्या: ५; अपूर्ण! .. .. . प्रति नं० ३. सदीक दीकाकार :अध्याय समयसुन्दर भाषा संस्कृत । रेन्त्र संख्या १३ ताइव -- ११||४५४ा इञ्छ । लिपिसंवत १३२६. भट्टारक नुरेन्द्रको त्ति ने टोक में लिपी करवाई। ..ति नं. ४. पत्रुसंख्या ....साइज ११||४५१! इन्च । लिपिसंतन.-१८४.५२ भट्टारक सुरेन्द्रकीति ने . चंपावती नगरी में लिपी करवाई। प्रति तं० ५. पत्र संख्या १७.. सटीक टीकाकार- श्री हरिभास्करः। साइंज- १३४५।। मुटना लिपि . संवत् १६४७. प्रति न०६. पत्र संख्या १६ साद्रज ९३४५॥ इश्च । टीकाकार पं० जर्मदन । वृत्तसार। . . रचयिता श्री- उपाध्याय रमापति । भाषा संस्कृत ! पत्र संख्या १२. साइज १५ छ । लिपि संवत् १८५०. आमेर में भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीति ने प्रन्थ की प्रतिलिपि बनायी। वृहद् प्रादिपुराण । रचयिता आचार्यजिनसेन ' भाषा संस्कृत 1 पत्र संख्या २०६. साइज ११४४।। च । प्रति अंपूर्ण है। अन्तिम पृष्ट नहीं हैं। . . . . . . . प्रति नं०.२. पत्र संख्या १००६. साइज १.०६४)! इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ८ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २६-३३ 'अक्षर । लिपि.बहुत सुन्दर है। वृहद् चाणक्य रचयिता श्री चाणक्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या इ. साइज १३४५ इञ्च । विषय-नीति शास्त्र । लिपि संवत् १८३८. लिपि स्थान पाइनीपुर)... .. वृहजन्माभिपेक। रचयिता अज्ञात ] भाषा संस्कृत-हिन्दी। पत्र संख्या ६. साइज १६५५ इंच... लिपिकता सं.. -- ........................ .. .. एक सौ उम्तीस .. Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बृहत् पद्मपुराण (विपणा चातृत) प्रति नं० २. पत्र संख्या ४५४. साइन ९२०५ इञ्च । प्रति प्राचीन है। फटे हुये पत्रों की मरम्मत भी पहिले हुई थी। प्रति नं २ पत्र संख्या ४३०. साइज १२५ के महाराजा श्री पृथ्वीसिंहजी के शासन का जयपुर नहीं है । आमेर भंडर के ॐ प्रति ० ३ पत्र संख्या ६३ साउन १२४५ इञ् । प्रत अपू है । प्रारम्भ के तथा अन्त के पृष्ठ नहीं हैं । । लिपि संवत १८३४. लिपिकार पंडित रायची इल्लेख किया है। प्रति अपूर्ण है प्रारम्भ के २२७ प्रति नं० ४. पत्र संख्या ४२७ साउन १२ । ४६ इव । प्रति शुद्ध, सुन्दर और प्राचीन है । वृहद् स्वयम्भूम्तोत्र । बृहत्पुण्याहवाचना । रचयिता अज्ञात भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४. साइज (१९४४) । लिपिकार भट्टारक श्री सुरेन्द्रकोति । लिपि संवत १=३६. लिपि स्थान माधोपुर ( जयपुर ) | प्रति नं० पत्र संख्या ४. साइज १२||४|| इञ्न । लिपि संवत् १८६६. लिपिस्थान टोंक । लिपिकार पं विजयर म रचयिता आचार्य श्री समन्तभद्र भाषा संस्कृत | प्रति २० २. पत्र संख्या ६. साइज १०/१२ इञ्च । प्रति अपूर्ण है । अन्तिम पृष्ठ नहीं है बृहद् सिद्धचक्रपूजा | -; रचयिता श्री भट्टारक शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १= साइज १०|| ४ || इ | लिपि 47: संवत् १६१८. वृहद् शान्ति पूजा | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. साइज ६x४ || इञ्च । लिपि संवत् १८८९ पंडित हरचन्द्र ने बोरी गांव में उक्त पूजा की प्रतिलिपि बनाई । Projustag एक सौ ती re शान्तिकविधान | रचयिता पं० आशावर | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५ = साइज १०x४ | | ३३ । विषय-पूजा | Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रति नं० २ पत्र संख्या ४३. साइज १०।१४५ इञ्च । लिपिसंवत् १८३१. "-3 वृहद शांति पाठ | पत्र संख्या २ भाषा संस्कृत | साइज १० ||५|| इञ्च | शातिमा विष ! : " रचयिता श्री पं० आशाघर | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५६. साइज ११x४ || इ | प्रत्येक पृष्ठ पर १९ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३८x४० अक्षर । प्रति अपूर्ण है। प्रारम्भ के ७ पृष्ठ तथा अन्तिम पृष्ठ नहीं हैं । प्रति नं० २. पत्र संख्या ६. साइज १०||४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है । बृहद् दोम विधि । * श्रामेरे भंडार के प्रन्थ * रचयिता अज्ञात | पत्र संख्या १२ भाषा संस्कृत | साइज ११३४५ च ! स सकलविधिविधानकाव्य 1 सीकर विधान | Co.. रचयिता श्री नयनन्दि भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ३०४ साइज १०||४|| इञ्च । प्रत्येक पृ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३८-४४ अक्षर लिपि संवत् १५०. प्रति नं० २. पत्र संख्या ६. साइज ११ ||५|| इ | प्रत्ति अपूर्ण है । प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०. साइज १०||४|| इञ्च । सज्जनचित्त बल्लभ | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत 1 पत्र संख्या २ साइज ११||४५ इञ्च । SO रचयिता श्री मल्लिपेण । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४. साइज १० ॥ ४॥ प्रति नं० २. पत्र संख्या ३. साइज ११||४|| इव । लिपि संवत् १८४३. तिपिस्थान लावायाम । : प एक सौ इकतीस 22 7 सरकाव्य स्तुति । रचयिता श्री बालकृष्ण भट्ट । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १०. साइज १२४५॥ इव । लिपि संवत् १८३०. : CREA 365 E Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पदार्थी टीका । रचयिता श्री शिवादित्याचायें। टीकाकार श्री जिनवर्द्धनसूरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३३. साइज १०||४|| इ | विषय - न्याय । लिपि संवत १८३ * श्रमेर भंडार के प्रन्थ * 17 प्रति नं० २. पत्र संख्या २२. साइज १०४४।। इञ्च । लिपि संवत् १६५ = लिपिस्थान श्रीसूर्यपुर । प्रति नं० ३. पत्र संख्या १६. साइज १०||४४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है । २६ से आगे के पृष्ठ नहीं है । - E I प्रति नं० ४. पत्र संख्या २७ साइज १०४४ ॥ च । टीकाकार श्री माधवाचार्य हैं। टीका का नाम मितभाषिणी है | लिपि संवत् १६४५. । प्रति नं० ५. पत्र संख्या १ साइज ११४॥ इन् । केवल मुल मात्र है । भ सप्तपदी । रचयिता अज्ञात | साइज ७४४ इञ्च । बोले जाने वाले पद्य प्रतिभू हैं। सप्त ऋषि पूजा । पत्र संख्या १६. भाषा संस्कृत विषय विवाह के समय: " रचयिता श्री भूषण सूरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४. साइज ११||४४ || इच प्रति नं० २. पत्र संख्या ७. साइज ११||४|| इ | लिपि संवत् १६६१. श्रीपति ने प्रतिलिपि सम्पक्त्वकौमुदी । बनाई । सम्यक्त्वकौमुदी | रचयिता श्री जोवराजगोदीका | भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ५७. साइज ६६॥ इ । लिपि संवत १८०६. रचना संवत् १७२४. गुटका नं० २१. वेंन नं० ३७५. ग्रन्थ का ऊपर का भाग दीमक फट गया है। अन्य के अन्त में लेखक ने अपना परिचय भी दिया है। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १४६. साइज १०५ इश्र्व । मन्यलोक, प्रमाण ३५०० निपि संवत् १६७१. प्रति नं० २. पत्र संख्या १०३. साइज: ११९४ ।। लिपि संवत् २८३१, प्रति नं० ३. पत्र संख्या ६१. प्रति अपूर्णा । प्रति सं० ४ पत्र संख्या ४४. साइज १२x४ हुन । प्रति नं० ५. पत्र संख्या ६०, साइज ११||४४ ॥ इन । एक सौ बत्तीस Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * Fare के थ* सम्पक्त्वकौमुदी कथा । क + रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत गद्य पत्र संख्या ८० साइज १२०५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३० - ३६ अक्षर । लिपि संवत् १५८२. लिषिस्थान चंपावती नगरी ! प्रति नं० २. पत्र संख्या ५१. साइज ६x४ || इञ्च । उ 2. प्रति नं० ३. पत्र संख्या ११५. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १६६२. प्रति नं० ४. पत्र संख्या ७१. साइज ११४४|| इ | लिपि संवत् १६०७. प्रति नं० ५. पत्र संख्या ४५. सांइजे ११४५ इव । प्रति नं० ६ पत्र संख्या ६२. साइज १० ||५|| इञ्च । लिपि संवत् १५७६. प्रति नं० ७ पत्र संख्या ११३. साइज ११||४५ इञ्च । लिपि संवत् १५६६. प्रति जीर्ण शीर्ण । प्रति नं० ८ पत्र संख्या ४२. साइज ११x६ इलिपि संवत् १८३ सम्यक्त्वकौमुदी । पत्र रचयिता श्रीः खेला। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६६: साइज १०५५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १४ पंक्तियां तथा प्रतिः पंक्ति में ३६-४० अक्षर । लिपि संवत् १७६३ प्रतिनं पत्र संख्या १०२. साइज ११४४|| इश्र्व । प्रति श्रपूर्ण तथा जीणं शीर्ण अवस्था में है । प्रति ० ३. पत्र संख्या ६१. साइज १२४५|| इन | लिपि संवत् २७६३. लिपिस्थान जहानाबाद जयसिंहपुर | लिपिकार पं० दयाराम । د. सम्यक्त्व कौमुदी | { 37 रचयिता श्री गुणाकरसूरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३५ साइज (१०॥४४॥ इव । लिपि संवत् १६६९. श्री कर्म तिलक के शिष्य श्री ज्ञानतिलक ने ग्रंथ की प्रतिलिपि करवाई : ne प्रति नं० २. पत्र संख्या ३८. साइज १०x४॥ इव । लिपिसंवत् १७६७ भट्टारक श्री महेन्द्रकीप्ति के शासन काल में पं० गोरधनदास के लिए ग्रन्थ की प्रतिलिपि की गयी । प्रति नं० ३. पत्र संख्या २५, साइज ११४५ इन । प्रति अपूर्ण है । २५ से आगे के पृष्ट नहीं हैं। 67 SEAR SE ܝ 1 A सम्यक्त्व भेद प्रकरण | जि-जव रचयिता अज्ञात | भाषा प्राकृत | पत्र संख्या ६. साइज ११||४५ इब्न | गाथा संख्या ६८. ご .: 13 एक सौ तेतीस BR ܐ ܐ ܕܘ܂ 7.7 सम्यक्त्वरास | -: M • रचयिता ब्रह्म श्री जिनवास । भाषा २६. साइज १०x४॥ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा " 15 : 7 Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के मय * प्रति पंक्ति में २५-३० अगर । प्रथम पृष्ठ नहीं है। सत्यक्त्व अन्ततिः । नमिता श्रीनिवाल, जूरी : भान नामल । म संख्या १२.१. साइज १२४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ६ पंक्तियां ५-६४ अज़र । ग्रंथ समाप्त होने के पश्चात अच्छी प्रशस्ति भी दे रखी है.. प्रथम दो पृच नहीं हैं। प्रति न०, २, पृष्ट नव्या ११६. साइज १०/x? इञ्च । प्रतिः अपूर्ण है। प्रथम तीन तथा अन्त के कुछ नहीं है। ध्या प्रयोग स्तोत्र । रचयिता अज्ञातः। भाषा संस्कृतः। पत्र संख्या १६. साइज. ६x४, इञ्च ।। समति जिन चरित्रः ।। ___ रचयिता, पंडित: रइथू। भाषा अपभ्रांश ।। पत्रा संस्था १२६, साइजा ११४५३।। इञ्चा। प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में, ३२-३६. अक्षर । जिपि संदन: १६२४:. श्री माथुरान्वच, पुष्करगण के भट्टारक श्री. यशकाति, के समय में, बाई जीवो, ने, अन्य को प्रतिलिपि कराई । लिपिकत्ता पंडितः पारसनासः । अन्त में: स्वयं कवि, वारा, प्रशस्ति दी हुई है। संस्कृत मंजगी॥ रचयिता: अज्ञातः । भाषा संस्कृतः पयः। पत्रा संख्या: १. साइज १०x४। इस ॥ विषय-सा हल्यिक। लिपि संवत् १७१५. मट्टारक नरेन्द्रकीति, के शिष्य, अराज, ने, प्रति लिपि की. 1. प्रति नं०.२. पत्र संख्या: ६, साइज Ext लिपि संत्र न १७१४: ल्लितिस्थानासंग्रामपुर !! ...: . प्रति नं० ३. स. इ. ११/४५] पत्र संख्या .. सभातरंगा रचयिता अज्ञातः। भाषा संस्कृतः। पत्र संख्या ४२.. साइजः ११६x४'इश्चः। विषय-बन्दशास्त्रा.... लिपिकाल-संवत् १८४३. भट्टारक श्री सुरेन्दकी ति ने स्वयं के अध्ययनार्य प्रन्थ की लिरी की है. संवत्सर । रचबिता अज्ञात । भाषा हिन्दी पत्र संख्या २२. साइजः ११४५५ इञ्च। लिपि, संवा १८३१.. पुस्तकः । [ में, संवना १८०२ से। १६००. ता. ज्योतिषःशास्त्र के अनुसार संक्षिप्त में संसार की. हलबलाका वृतान्त खिरखा है। पक. सौ.चातीस Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संबोधपंचाशिकगाथा | अज्ञात | पत्र संख्या - साइज १०५ । भाषा अपभ्रंश लिपि संवत् १७१४. लिपिकर्त्ता आनंदराम | * आमेर. भंडार के अन् समयसार नाटक | रचयिता महाकवि बनारसीदास । गद्य टीकाकार श्री रूपचंद भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १३७. साइज १२४५|| इ | लिपि और टीका संवत् १७२३. नहाकवि बनारसीदास के समयसार पर श्री रूपचन्द गद्य भाषा में अर्थ लिखा है । ने प्रति नं० २ पत्र संख्या १२०. साइज ११५४ इञ्च । समयसार । रचयिता - श्री अमृतचन्द्राचाय भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १७. साइज ६६ इव । लिपि संवत् १८२२. समयसार । ६ मूल कर्त्ता श्राचार्य कुन्दकुन्द संस्कृत में अनुवादक आर्य अमृतचन्द्र । हिन्दी टीकाकार अज्ञात | पत्र संख्या २३४. भाषा-संस्कृत-हिन्दी साइज ११||४५ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ४२-४६ अक्षर | हिन्दी टीका बहुत सुन्दर है । लिपि संवत् नहीं दे रखा है किन्तु प्रति प्राचीन मालूम देती है । -- समयसार कलश । F मुलकर्त्ता श्री अमृतचन्द्राचार्य । भाषाकार श्री बनारसी भाषा-संस्कृत-हिन्दी पत्र संख्या :: 15 २१८. साइज १०x६ इल । प्रति नं २. पत्र संख्या १०८. साइज १९१२५ इव । लिपि सं १ श्री देवेन्द्रकीति के शिष्य ने पढने के लिये. इस प्रन्थ को प्रतिलिपि बनायी ।" I'." 58 प्रति नं०. ३ पत्र संख्या ६६. साइज ११३८ । लिखित १७ निविस्थान आमेर । आरम्भ के १६. पृष्ठ नहीं हैं। प्रति न० ४ पत्र संख्या १०१. स. ११४५॥ इ । मन्थ में दो तरह के पुत्र है एक प्राचीन तथा दूसरे नवीन | अन्त का एक पृष्ठ नहीं है । एक सौ पैंतीस Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रति नं० ५. पत्र संख्या १६१. साइज १०x18|| इञ्च प्रति अपूर्ण है। प्रति नं० ६. पत्र संख्या १६४. साइज ११४५ इन्छ । प्रति अपूणे। प्रथम तथा अन्तिम १६४ से आगे के पृष्ठ नहीं हैं। समयसार टीका। ___टीकाकार-अज्ञात । भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ५३. साइज १०x४|इञ्च । लिपि संवत् १६५३. लिपिस्थान नढ रणथम्भोर । भट्टारक श्री चन्द्रकीर्ति के शासन काल में ग्रन्थ की प्रतिलिपि हुई। प्राचार्य.. अमृतचन्द्र रचित पद्यों का केवल संकेत मात्र दे रखा है। समयसार टीका। टीकाकार अमृतचन्द्राचार्य । टीका नाम-श्रात्म ख्याति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ६६. साइज, १०४४ इञ्च । प्रति अपूर्ण । प्रथम ३५ तथा अन्त के ६ से पाने के पृष्ठ नहीं हैं। ....... .. ...... : प्रति नं० २. टी का नाम तात्पर्यवृत्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २०५. साइज १०॥४४ ३श्च। -..' प्रति नं० ३. पत्र संख्या ११४. लाइज १३४५|| ३श्च । लिपिसंबन १८०१. लिपिस्थान जयपुर । .. टीका नाम-तात्पर्यवृत्ति । प्रति नं० . पत्र संख्या ३८. साइज ११४४|| ३ञ्च । केवल गाथा तथा उनका संस्कृत में अनुवाद मात्र है। . प्रति नं. पत्र संख्या १५. साइज १०॥४५|| इश्व । लिपिसंवत १६५८: ' ' प्रति नं० ६. पत्र संख्या १५. साइज || इञ्च । केवल गाथाओं का संस्कृत में अनुवाद मात्र है। प्रति नं० ७. पत्र संख्या ३६. साइज ११||४५ इञ्च । आचार्य अमृतचन्द्र विरचित संस्कृत के पद्य : मात्र हैं। प्रति नं० ८. पत्र संख्या ५३. साइज १२॥४६ इञ्च । गाथाओं के अतिरिक्त संस्कृत में अनुवाद तथा . हिन्दी में टीका है । लिपिसंवत् १७६०, प्रति नं० ६. पत्र संख्या १०४. साइज १२४४।। इञ्च । टीका नाम-आत्मरव्याति।। प्रति नं० १०. पत्र संख्या १३६. साइज १०|||| इश्व | टीका नाम प्रारमरज्याति । समवश्रुतपूजाबृहत्पाठ। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ३६. साइज १०||४|| इञ्च । अनेक पूजाओं का एक सौ.छत्तीस ..? Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समवशरण स्तोत्र | * आमेर भंडार के प्रन्थ पंडित श्री महारय विरचित। भाषा प्राकृत | पत्र संख्या ५. लोकसंख्या ५२. प्रथम नहीं है। समस्यास्तवक | रचयिता अज्ञात | पत्र संख्या १५, भाषा संस्कृत | साइज ११।। ४५ । लिपि संवत १५४१. लिपिकर्ता पं० महाख्य । लिपि स्थान नागपुर | समाधितंत्र भाषा | रचयिता अज्ञात | भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या १४४. साइज १०|| ४४ इञ्च | भाषा अशुद्ध है और अक्षर अस्पष्ट है। ऐसा मालूम होता है मानों किसी अनपढ व्यक्ति ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि की हो । प्रति पूर्ण है अन्त के पृष्ठ घटते हैं । समातिन्त्र भाषा | भाषाकार श्री पर्वत । ३ संख्या २८१ साइज ११०४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर = पंक्तियां और प्रत पंक्ति में २८-३४ अक्षर । प्रति नं० २. पत्र संख्या १४६. साइज १०||४५ इव । प्रति अपूर्ण १४६ से आगे पृष्ठ नहीं हैं । प्रति नं० ३. पत्र संख्या २५६. साइज १०x६ इ । लिपि संवत् १८०५. प्रति नं० ४. पत्र संख्या २३६ साउन ६४५ इव । लिपि संवत् १७०५ लिपिस्थान चंपावती । लिपि कराने वाला - श्रामिल साह श्री बलूजी । प्रन्थ उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है । समाधिशतक । रचयिता श्री पूज्यपाद स्वामी । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३२. साइज १० ||२४|| इव । प्रति सटीक है । टीकाकार श्री पंडित प्रभाचंद्र । टीका संस्कृत में है । मन्थ ठीक अवस्था में है। 1 | प्रति नं० २. पत्र संख्या ६ साइज १०x४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है अन्तिम पृष्ठ नहीं है प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०. साइज ११x४ || इव । लिपि संवत् १७४४. प्रति नं० ४ पत्र संख्या १०. साइज ११०५ इश्र्व । प्रति अपूर्ण है अन्तिम पृष्ठ नहीं है । समुदायस्तोत्र वृत्ति | टीकाकार भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीर्त्ति। भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ८४. साइज १२४५ इष्ट । धनेक स्तोत्रों की व्याख्या दी हुई है । एक सौ सैंतीस Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ # आमेर भंडार के अन्य * सर्वार्थसिद्धि । रचयिता श्री पृय पाद भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११५. साज १८x१| इन्न । लिपिसंवत् १८३३. लिपि स्थान जयपुर । भट्टारक श्री मन्द्रकीर्ति के शिष्य भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीति ने पढ़ने के लिये प्रतिलिपि तैबार की। प्रति नं० २, पत्र संख्या ४. साइज ||1इन्च : प्रतिलिपि संवत् १५५८ । भट्टारक श्री लिनचंद्र के समय में ग्रन्थ को प्रतिलिपि हुई। अन्य समाप्त होने के पश्चान संवन १८३३ भी दिया हुआ है । श्री निहालचंद्रन यज ने दनलक्षात्र के उद्यापन के लिये ग्रन्थ को नन्दिर में विराजमान किया। सहस्रगुणित पूजा । रचयिता अज्ञात । भापा संस्कृत । पत्र संख्या १२. साइज १२४५।। इञ्च । लिपि संथन् १७१०. प्रनि अपूर्ण है। प्रारम्भ के ५ पृष्ट नहीं हैं। सागार धर्मामृत। रचयिता श्री १० अपार ! वापर शकुन मा. पावज १०x४|| रश्च । रचना संवत् | १२६६. लिांच संघन १:२५. कुमुदचन्द्रिका नाम की टीका भी है। अन्त में कवि ने एक विस्तृत प्रशस्ति दे रखी है। प्रति नं०२. पत्र संख्या ३१. माइज olx. इञ्च । इति नं. ३. पत्र संख्या १६. साइज १०४।। इञ्च । लिपि संवन १६१५. लिपिस्थान तक्षकगढ़ महादुर्ग। प्रति नं. ४. पत्र संख्या ४५. साइज ११||४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण । ४५ से आगे के पृष्ट नहीं है। कागज चिप गये है। प्रति नं० ५. पत्र संख्या ३२. साइन allxx| इञ्च । लिपि संवत् १५२८, । सांरव्य सप्तति । स्चयिता श्री कपिल । भाषा सं कृत । पत्र संख्या ५. साइन ||३|| इश्व | विषय-सांख्य दर्शन के सिद्धान्तों का वर्णन । लिपि संवत १४२७ श्रावण सुदी ३. प्रति न० २. पत्र संख्या 2. साइज ६४३।। इञ्च । लिपि संवत् १४२७ श्रावण सुदौ ८. ..... | सामायिक पाठ सटीका भाषा संस्कृत। पृष्ठ संख्या ४८. साइज ११४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० . . . . ... ... . एक सौ अडतीस Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-३ अक्ष | टीका बहुत सुन्दर है । * आमेर भंडार के धन्य प्रति नं० २. पत्र संख्या ४८. साइज ११|| x ६ छ । लिपि संवत १८५६ मा सुदी २. सामुद्रिक शास्त्र । रचयिता पं० नारदेव | भाषा संस्कृत | पृष्ठ संख्या ३७. साइज १०|१८|| उच्च | लिपि सवत् १७७५. श्री राम के पढने के लिये श्री ऋषिराज ने ग्रन्य की प्रतिलिपि बनायी थी। प्रति अपूर्ण है प्रारम्भ के २ नहीं हैं । प्रन्थ के अक्षर मिट गये हैं। सामुद्रिकशास्त्र | रचयिता अज्ञात भाषा संस्कृत | साइज १०x४ । पत्र संख्या १२. प्रत्येक पर १३ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३६-४२ अक्षर लिपि कुछ नहीं । लिपिकार श्री पमसीजी । सामुद्रिक शास्त्र | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत हिन्दी । पत्र संख्या १०. साइज १३x६ छ । मंगलाचरण- आदिदेवं प्रणम्यादौ सर्वज्ञं सर्वदर्शिनं । सामुद्रकं प्रवक्ष्यामि सौभाग्यं पुरुषस्त्रियोः || १|| सार्द्धद्वयद्वीपपूजा | रचयिता अज्ञात | भावा संस्कृत | पत्र संख्या ६३. साइज १२४५ इञ्च । प्रन्थ में कहीं पर भी कर्त्ता का नाम नहीं दिया हुआ है। सारणी । सार संग्रह | रचयिता अज्ञात | पत्र संख्या १०७. साइज १०४५ | ग्रन्थ ज्योतिष का है i प्रति नं २ पत्र संख्या ३१. साइज १० ।। २५.३३ । सार-संग्रह | रचयिता श्री सुरेन्द्र भूषण । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २१. साइज १०५ इन्च । प्रत्येक पृष्ठ में १९ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-४० र विषय - कालियुग बर्खेन । प्रति अपूर्ण है। रचियिता सुरेन्द्रः भूषण पत्र संख्या २५८ साइज १०४५ | इव । अन्तिम पृष्ठ. घटते हैं । एक सौ उनतालीस Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आर भंडार के प्रय सार समुच्चय । रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २३. साइज १०x३|| इव । सम्पूर्ण पद्य संख्या ३३०, विषय- वर्मापदेश । लिपि संवत् १५३= कार्तिक बुदी ५. सारस्वत व्याकरण | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १२९- साइज ॥१४४॥ इन । प्रति नं २ पत्र १७१. साइज १०||४|| इञ्च | प्रति नं० ३. पत्र संख्या १३०. साइज ११x४ इञ्च प्रति नं० ४. पत्र संख्या १६६. साइज १०x४ इञ्च । प्रति सटीक है। टीकाकार भट्टारक श्रीचन्द्रकीर्त्ति । प्रति नं० ५. पत्र संख्या १०४. साइज १०||४|| इ | प्रति सटीक है। दीयांकार अज्ञात टीका नाम सार प्रदीपिका | प्रति नं० ६. पत्र संख्या ३३. साइज ३x४ ३ । प्रति सटीक है। टीकाकार अज्ञात । प्रति नं० ७. पत्र संख्या ११६. साइज १०४४ इछ। प्रतिसदीक है। टीकाकार श्रीमालकुल प्रदीप श्री पुंजराज । सारस्वत चन्द्रिका | टीकाकार भट्टारक श्री चन्द्रकीर्त्ति | भाषा संस्कृत पत्र संख्या २५१. साइज १९४५ इञ्च । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २५१. साइन ११४५ इव । प्रति नं० २. पत्र संख्या १०१. साइज १०x४ । इव । प्रत्येक पृष्ठ पर १६ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति ६०-६६ अक्षर | प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०६. साइज १००५|| इ | लिपि संवत् १८६५. आख्यात प्रक्रिया है + प्रति नं० ४. पत्र संख्या ११२. साइज १९५५ इव । प्रति नं० ५. पत्र टीकाकार श्री ज्ञानेन्द्र सरस्वती टीका नाम तत्वबोधिनी । भाग पूर्वाद्ध । पत्र संख्या o साइज साइज ११४५ || इ | प्रति नं० ६. टीका उत्तराद्धिं । पत्र संख्या ७८ में आगे । साइज ११५ || इश्व प्रति नं० ७ पत्र संख्या ६१. साइज ११५५. प्रति नं० ८ पत्र संख्या १०३. साइज १९४५|| इव । लिपि संवत् १८=६. एक सौ चालीस Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सारस्वत टीका । टीकाकार श्री माधवाचार्य । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २५४ साइज १० ||४|| इ | प्रांत नं० २. पत्र संख्या ११२. साइज १०||४|| इन सारस्वत दीपिका | टीकाकार श्री सत्यप्रबोध भट्टारक | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३६. साइज १२४४|| इ | लिपि संवत् १५४५. सारस्वतधातूपाठ | रचयिता श्री हर्षकी तिरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २६. साइज ११ इञ्च । लिपि संवत् १८२०. लिपिस्थान जयपुर । सारस्वत प्रक्रिया | * आमेर भंडार के अन्थ * प्रक्रियाकर श्री अनुभूतिस्वरूपाचायें। भाषा संस्कृत । साइज १२४६ इव । पत्र संख्या २६ लिपि संवत् १८६३. : प्रति नं० २. पत्र संख्या ३६. साइज १२४६ । तद्धित प्रक्रिया तक। प्रति नं० ३. पत्र संख्या १४० साइज १२५ इञ् । लिपि संवत् १७७६. प्रति नं० ४. पत्र संख्या ६६ साउन १२ || ४४ ॥ इव । लिपि संवत् १८३ = लिपिस्थान पहणाख्यनगर । प्रति नं० ५. पत्र संख्या ६१. साइज १२६०४५ इव । लिपि संवत् १८४०, तिङत वृत्ति पर्यन्त । प्रति नं० ६. पत्र संख्या ३३. साइज ११||४५ इञ्च । प्रथम वृत्ति पर्यन्त । प्रति पूर्ण । 3-% प्रति नं० ७. पत्र संख्या १०७. साइज ११||४|| इश्व प्रति नं० = पत्र संख्या ५१. साइज ११||२५|| इव लिपि संवत् १८७३. लिपिकार ने महाराजाघिराज दोलतराव सिंधिया के शासन का उल्लेख किया है। लिपिस्थान ग्वालियर । । ST प्रति नं० ६ पत्र संख्या ७२. साइज १०||४|| इव । -... प्रति नं० १०. पत्र संख्या १२. साइज १० || ४ || इव । केवल पच संधि मात्र है। सारस्वत व्याकरण सटीक 1 : १०x४ || इ | लिपि संवत् १६३२. टीकाकार पं० मिश्रवासव । टीका नास- बालबोधिनी । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १२६. साइज 57 प्रति नं० २. पत्र संख्या २०. साइज १०x४ || इश्र्श्न | एक सौ satarata 155 mere tes Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * सारस्वतमूत्र। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२. साइज ११४५ इञ्च । प्रति सुन्दर रीति से लिखी हुई है। प्रति नं०२. पत्र संख्या १५. साइज ६x४ इञ्च । प्रति नं०३. पत्र संख्या ६. साइज १०||४५ इञ्च । प्रति नं०४. पत्र संख्या ७. साइज १२४|| इञ्च । प्रति नं०५. पत्र संख्या साइजEx४ इञ्च । केवल धातु पाठ दी है। प्रति नं०६. पत्र संख्या ३३. साइज १०x१|| इश्च । प्रति नं० ७. पत्र संख्या ३४. साइज १०४। इञ्च गणपाठ । प्रति नं०६. पत्र संख्या ३४. साइज १०||x!! इञ्च । केवल परिभाषा सूत्र ही हैं। सारावली। रचयिता श्री भृत्कल्याण वर्मा । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १४. साइज १०x४ इञ्च । विषय-ज्योपि प्रति अपूर्ण है। . प्रति नं०२. पृष्ठ संख्या ५६. साइज १०।१४ इञ्च । अध्याय ४४. श्लोक संख्या ३५००. लिपि संवत् १६३६. | सिद्धान्त कौमुदी। सूत्रकार श्री पाणिनी । टीकाकार श्री भट्टोजी-दीक्षित । पत्र संख पर ३४१. साइज १४५ इञ्च । प्रन्थ भोक संख्या १००११. प्रति नं० २. पत्र संख्या १५०. साइज Ex४ इञ्च । कौमुदी का उत्तरार्द्ध भाग है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या १३४. साइज ११४४।। इञ्च । प्रति अपूर्ण है । सिद्धान्त चन्द्रिका सटीक उत्तरद्ध । टीकाकार श्री लेकशंकर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५६. साइज ११४५. प्रति नवीन, शुद्ध और सुन्दर है। 1 : प्रत नं० २. पत्र संख्या ६०. साइज १०ix५ इञ्च 1 केवल पूर्वाद्ध मात्रा है। : प्रति नं०३ पत्र संख्या ८२, साइज १०४५ इश्च । लिपि संवत् १८६८. उत्तरार्ध मात्र है। - सिद्ध चक्र पूजा। रचयिता पं प्राशाघर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइज १२x॥ इन्न । एक सौ बियालीस Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . * आमेर भंडार के अन्य * .. प्रति नं० २. पत्र संख्या १४. साइज १0|2|| इञ्च । . प्रति नं० ३. पत्र संख्या ८. साइज 70x11 इञ्च । ... . सिद्ध भक्ति। .. रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पृच संख्या १२. साइज Fox इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ५ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३०-३६ अक्षर ! पृष्ठ पर एक तरफ दीका भी दे रखी है। सिद्धचक्र स्तान। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत 1 पत्र संख्या ७. साइज ११!!x५ इन्च । . सिद्धान्तधर्मोपदेश रत्नमाला। ... रचचिता अज्ञात । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या १५. साइज १२४५।। इञ्च । गाथा संख्या १६१. प्राकृत मे संस्कृत में अर्थ वहीं पर दे रखा है। प्राचाय नेमिचन्द्र की कुछ गाथाओं के आधार पर उक्त रत्नमाला की रचना की गई है ऐसा स्वयं प्रथ कर्ता ने लिखा है। सिद्धान्त मुक्तारली। ___ रचयिता श्री विश्वनाथ पंचानन । टीकाकार अज्ञात। पृष्ठ संख्या २१. साइज १२x६ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। सिद्धांतसार । :: ... . .. ... रचयिता श्रीजिनचंद्र देव । भाषा प्राकृत । पृष्ट संख्या ८. साइज १०x४।। इञ्च । गाथा संख्या ६. प्रति ने०. २. पत्र संख्या ८. साइज १२४५।। इञ्च । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ७. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १५२५. श्रीजिनचंद्र देव के शिष्य ३० नरसिइ के उपदेश से श्रीगूजर ने प्रतिलिपि करवाई। : ... : : ..... - सिद्धातमाग्दोपक। भाषाकर्ता-श्रीनथमल विलाला। भाषा-हिन्दी। पत्र संख्या १६६. साइज १२४६ इञ्च रचना संवत् १८३४ लिपिसंवत् १८६०...:..::.::::.:..: : ::::-:- मिटीमा :... . . ...::.-.. .... .? रचयिता भट्टारक श्री सकल की ति । भारा सस्कृत । पत्र संख्या २४३. साइज ११५।४।।इश्च । प्रत्येक - - । एक सौ तोचालीस Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के भामेर द्वार के अन्य ' पर : पंक्तियां तथा प्रत्येक ३६-४२ अक्षर । ग्रन्थ श्लोक प्रमाण -४५१६. लिपि संवत् १७८६. प्रति २०. पत्र संख्या २०६, साइज ११||x!!। इञ्च । लिपिसंवत १७८६. लिपिस्थान कारंजा। लिपिकर्ता पंडित सुमतिसागर । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ६७. साइज IIxx इञ्च । प्रति अपूर्ण । ६७ से आगे पृष्ठ नहीं है। प्रति नं० १. पत्र संख्या १९७५, नाइज १२४५॥ इन्। लिपिस्थान बसवा। लिपिकार श्री पं० परस. रामजी : प्रति अपूर्ण । प्रारम्भ के ७१ पृष्ट नहीं है। दीमक लग जाने से ग्रंथ का कुछ भाग फट गया है। सिद्धान्तसार संग्रह। रचयिता आचार्य श्री नरेन्द्रसेन । नापा संस्कृत । पत्र संख्या ६३ साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १८०३. अन्य को दीमक ने नष्ट कर दिया है। प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ==. साइज ११४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४०-४६ अक्षर । ग्रन्थ के अन्त में ग्रन्थकर्ता ने प्रशस्ति दी है लिपि संवन १८६४. सीताहरण । रचयिता श्री जयसागर । भाषा हिन्दी पद्य। साइज १०x४।। इश्च । प्रत्येक पृष्ट पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २४-३० अक्षर । पत्र संख्या ११३. रचना संवत १७३२. लिपि संवत् १६.१५. लिपिस्थान देवदनगर। सीता चरित्र । रचयिता अन्नात । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या १२. साइज १:४५ इश्च । प्रति अपूर्ण । ४२ वें पृष्ठ से आगे नहीं है। प्रति नं०२. पत्र संख्या ११७. साइज ११||४५।। इञ्च । प्रति अपूर्ण और त्रटित है। सीताचरित्र । रचयिता श्री रायचंद । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या १४४. साइज ११४५ इञ्च । पद्य संख्या २५४१. रचना संवत् १८०८. लिपिकार पं० दयाराम । सुकुमाल चरित्र । रचयिता भट्टारक श्री सकल कीर्ति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ४५. साइज २४ इश्व । प्रत्येक पृष्ठ पर क्तियां और प्रति पंक्ति में ४४-४८ अक्षर । लिपि संवत् १७८५. ग्रन्थ में सुकुमाल के जीवन चरित्र के अतिरिक्त वृषभांफ कनकध्वज सुरेन्द्रदत्त आदि का भी वर्णन है। एक सौ चवालीस Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्रोमेगभंडार के अन्य * प्रति नं० २. पत्र संख्या ५३. साइज १०||४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर २० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३८-४४ अक्षर । प्रारम्भ के ? पृष्ट नहीं हैं। . ८ ... . . . . . . . प्रति नं० ३. पत्र संख्या ५१. साइज १२४५|| इञ्च - प्रशस्ति नहीं है। लिपि बहुत सुन्दर और प्रति नं. ४. पत्र संख्या ५१. साइज १२||४५॥ इञ्च । लिपि संयन् १७८६. .. . प्रति नं० ५. पत्र संख्या ५३: साइज १०x४|| इञ्च । -. ... सकमालंचरत्र . .. .. . . : . . . रचयिता पं० श्रीधर । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या ४५. साइज १०x४||. प्रत्येक पृष्ठ पर ११-१५ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३७-४२ अक्षर । लिपि संवत् १५४६. : :-:. . . . सुकुमालचरित्र । रचयिता श्री मुनिपूर्णभद्र भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १५. साइज २०४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। सुखण चारित्र ! . . .--- -.. - -... :: :: ... ...... 3:, . रचयिता ६० जगन्नाथ । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४६. साइज १०x४|| इञ्च । लिपि संवत् १८४२, ग्रंथ में श्रीपाल के जीवन चरित्र को दिखलाया है। सुदर्शनचारित्र। रचयिता मुमुक्षु विद्यानन्दि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७७. साइज ११४इञ्च । प्रत्येकदृष्ट पर :-१० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २८-३६ अक्षर।... सुदर्शनचारित्र। . .रचयिता श्री नवनन्दि । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या ६५. साइज १०x४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३२-३६ अक्षर । लिपि संवत् १५०४. दश परिच्छेद हैं। एक ... प्रति नं० २. पत्र संख्या ६५, साइज १०४५ इन्च । लिपि संवत् १५६७. प्रशस्ति है। प्रन्थ अच्छी अवस्था में है। लिपि सुन्दर और शुद्ध है। प्रति नं ३. पत्र संख्या ६६. साइज १०॥४५ इञ्च । लिपिसंवत् १६३१. प्रशस्ति बहुत संक्षिप्त में है। प्रन्थ की प्रतिलिपि मालपुरा गांव में हुई थी। कागज कितनी ही जगह से फट गया है। अक्षर बहुत छोटे हैं। प्रति न० ४. पत्र संख्या १०६. साइज १०||४५ 'इश्च । लिपि संवत् १६३२ प्रशस्ति है। अन्य की प्रतिलिपि निवाई (जयपुर) में हुई थी । ग्रन्थ के बहुत से कागज कोने में से फट गये हैं लेकिन उससे ग्रन्थ एक सौ पैतालीस Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर डार के प्रन्थ को कोई नुकसान नहीं हुआ। लिपि स्पष्ट और सुन्दर है । प्रति ० ५ पत्र संख्या ११२. साइज १०॥१४४॥ लिपिसंवत् नहीं है । दशसर्ग है । पुस्तक के प्रायः सभी कागज कोने में सेफ गये हैं । लिपि सुन्दर और स्पष्ट i प्रति नं० ६. पत्र संख्या ११५ साउन २०x४|| इव । लिपि संवत् १६७७ माघ सुदी १२. भट्टारक श्री देवेन्द्रकोर्त्ति की भेट के लिये अन्य की प्रतिलिपि हुई थी । प्रति नं० ७. पत्र संख्या = साइज इव । वां पृष्ठ आया फंटा हुआ है। प्रति नं० = पत्र संख्या १०० साइज १०३ ॥ इ । लिपि संवत् १५१७ माघ बुदी प्रतिपदा । सुदर्शन परित्र । रखति भट्टारक श्री सकलकीति । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३१. साइज १२४२ । लिपि संवत् १८३८. प्रति २० २, पत्र संख्या २७ साइज ११||४५ इव । लिपि संवत् १६२१. भट्टारक सुमतिकीर्त्तिके समय में मुनि श्री बीरेन्द्र ने प्रतिलिपि बनाइ | प्रति २० ३. पत्र संख्या १८. साइज ११||२४|| इश्र्व | प्रति अपूर्ण है तथा जीणं हो चुकी हैं। प्रति १० ४. पत्र संख्या २७. साइज १२०५ इ । लिपि संवत् १६२१. लिपिकता श्री मुनि बीरेन्द्र | सुदर्शन राम्रो । रचयिता राइमल | भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ३०. साइज ११४५ इञ्च | प्रति नं० २. पत्र संख्या ११. साइज १२९५ च । सुलोचना चरित्र । प्रत्यकर्त्ता गरिदेव सेन भाषा | अपभ्रंश । साइज ६।। ४३ । पत्र संख्या ३७८ प्रत्येक पृष्ठ पर ७-६ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २८-३५ अक्षर । लिपिकाच संवत् १५८७, कागज और लिखावट दोनों ही अच्छे है । २८ परिच्छेद है | प्रति नं० २. पत्र संख्या २४८. साइज ६ || ३ || इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति मैं ३७-४० अक्षर । लिपि संवत् १५६० वैशाख सुदी १३ सोमबार । लिखावट सुन्दर और स्पष्ट है । अन्तिम पत्र कुछ फटा हुआ है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या २७१. साइज ११||४६ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३३-३८ अक्षर । प्रतिलिपि संवत् १६०४. एक सौ स Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर मंडार के अन्य * प्रति नं०४. पत्र संख्या २३७. साइज १४५|| इञ्च । लिपि संवत् १५७७, प्रशस्ति है। प्रार २ पृष्ठ तथा २३३ से २३६ तक के पृष्ट नहीं है। सुभाषिताण । रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३६. साइन ११४४।। इञ्च । काव्य संग्रह अन्धा ! सुभाषितावली । रचयिता भट्टारक श्री सकल-त्ति । भाषा संस्कृत । प्रति नं० २. पत्र संख्या २१. साइज २३|४|| इन्च । लिपिकाल संवत् १-४६. : . सुभाषितशास्त्रशतक। रचयिता श्री सोमप्रमसूरि । भाषा संस्कृत : मसरूपा ११६. सा३ २-०६. लिपिकर्ता पं० मेहरसोनी । लिपि स्थान मालपुरा (जयपुर) १२४१ इञ्च । लिपि सुथ तसाहता। . . . . . . . . . . . ... . . . भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २१. साइन | इंश्च । लिपि संवत् १७०२. कैवल कल्पस्थान : सुदर्यवछचरित्र । रचयिता श्री सोमप्रभ । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३२. साइज १०४४ इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति पर ३४-४० अक्षर । लिपि संवत् १७३१. प्रति अपूर्ण है। प्रथ पत्र नहीं है। । सूक्ति मुक्तावली। . . . . . . ... ... ... . .. ... ... ... . - रचयिता आचार्य सोमप्रत्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १८. साइज १० इंच प्रति श्रम शुरू के ५ पृष्ठ नहीं है। ... . .. . ..........: :;:. मुक्तावली संग्रह। संग्रहकर्ता अज्ञात्। पत्र संख्या १५. साइज ६x४|| इञ्च | लिपिसंवत् १८० .... सूक्तिमुक्तावली भाषा . .. -:: : - रचयिता कौरपाल बनारसी । भाषा हिन्दी; पत्र संख्या १२. साइज १०x४|| दम्ब । रचना संवत् १६६२. ----- . . . एक सौ सेतालीस Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर मंडार के अन्य * सोलह कारण जयमाल | रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संस्कृत १३. साइज १२||५५।। इश्व । प्रति नं० २. पत्र संख्या १२. साइज १२|| || इञ्च । लिपि संवन् १८१३. प्रत्य के एक हिस्से के दीमक ने खा रखा है। प्रति न० ३ पत्र संख्या २०. साइज १०||x४ इञ्च । लिपि संवत् १७४४. लिपिकार पं० मनोहर! . प्रति नं०४. पत्र संख्या १३. साइज १२४शा इंश्च । प्रति नं० ५. पत्र संख्या ११. साइज १२४५ छ । लिपित्थान सराई जयपुर। प्रति नं० ६. पत्र संख्या १२. साइज १२४६ इञ्च । सौन्दर्यलहरी । रचयिता श्री शंकराचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज १८४५ इञ्च । लिपि संवत् १८३८, स्तवनसंग्रह । संग्रहकर्ता अज्ञात । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ५६, साइज x४! इञ्च । प्रारम्भ के ६ पृष्ठ तथा अन्त में ५८ से आगे के पृष्ट नहीं है। इसमें भिन्न न कवियों के स्तवनों का संग्रह किया गया है। एक साथ चौबीस तीर्थकरों की स्तुति के अतिरिक्त अलग र तीर्थकरों की स्तुतियां की गयी है तीर्थकरों के अलावा सीनधर स्वानी आदि के भी कितने ही स्तनों का संग्रह है। स्तयन अधिकतर खेताम्बर सम्प्रदाय के आचार्यों के हैं। स्तोत्रटीका। रचयिता श्री विद्यानन्द । टीकाकार श्री आशाबर | मापा संस्कृत । पत्र संख्या ६.-साइज ||४|| इञ्च । ग्रन्थ समाप्ति के बाद इस प्रकार दे रखा है "कृतिरियं वादीन्द्र विशालकीर्ति भट्टारकः प्रियसून पति विद्यानन्दस्य"। प्रति नं० २. पत्र संख्या 1. साइज १०||४|| इन्न । लिपि संवत् १६२०. स्तोत्रयी सटीक । . ... ... ... . . . . . . . . . . . ... ... ...: संकलनको अज्ञात। दोकाकार अज्ञात । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ३० साइज १२४५ इच! भूपालस्तोत्र, भक्तामर स्तोत्र और कल्याणमन्दिर स्तोत्र इन तीनों का संग्रह है। जिपि संवत्-१८३८: ---- स्तोत्र संग्रह | संग्रहका अज्ञात । पत्र संख्या २४. साइज १२४६ इञ्च । भक्तामर स्तोत्र विषापहारस्त्रोत, एकीभाव . .-.- . s u man . एक सौ अड़तालीस Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य-* तोन, कल्याण मन्दिरस्तोत्र, लघुस्नयंभुस्तोत्र. तशा तत्वाधंसूत्र आदि संग्रह हैं। म्वामिकार्तिकेयानुमेक्षा। भूलकर्ता स्वामीकार्तिकेय । टीकाकार भट्टारक श्री शुभचन्द्र । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या २६०. साइज १२४५ इञ्च । लिपि संवत १७२१, टीकाकार काल संवन १६००. प्रारम्भ के ७३ पृष्ट नहीं है। प्रति नं० २. पत्र संख्या २७. साइन १.४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। प्रश्रम और अन्तिम पृष्ठ नहीं हैं। प्रति नं० ३. पत्र संख्या २७. माइज १०ilx? इञ्च । प्रति अपूर्ण है। अन्तिम पृष्ट नहीं हैं। प्रति नं० ४. पत्र संख्या ३१. साइज १०४४ ३ञ्च । गाथा संख्या ४६०. मुल मत्र है। प्रति ३. पत्र संख्या २८, साइन tilxen इञ्च । स्थानांग सूत्र । भाषा प्राकृत । पृष्ठ संख्या ६३. साइज ११४४|| इन्च । प्रति अपूर्ण है। प्रारम्भ के और अन्त के पृष्ठ नहीं है। स्वप्नचिंतामणि। रचयिता श्री जगदेव । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १७. साइज || इञ्च । दो अधिकार है। अति नं० ५. पृष्ठ संख्या १३. साइज १०||xxl! इञ्च । प्रति अपूर्ण है। १० से १३ तक १५ से आगे के पृष्ठ नहीं है। स्वयम्भू स्तोत्र । रचयिता प्राचार्य समंतभद्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २२. साइज ११३४॥ इञ्च । लिपि संवत् १७१७. लिपि स्थान कृष्णगढ लिपिकर्ती प्राचार्य श्री गुणचन्द्र ।। स्वरूप संवोधन पंचविंशति । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ८. पद्य संख्या २६. साइन १०x४॥ इश्च । विषयआत्मचिन्तवन । प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है। टीकाकार का उल्लेख नहीं मिलता है।। __ प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ६. साइज ११४४।। इञ्च | लिपि संवत् १७०६ भादपद सुदी १. श्री शील': सागर ने अपने पढने के लिये प्रतिलिपि बनाई थो । ....... .... ...... प्रति न० ३. पत्र संख्या २. साइज ११||५|| इञ्च । केवल टिप्परिण मात्र है। एक सौ उनचास Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर द्वारके अन्य -....---- शकुन प्रदीप ! रचयिता श्री लग्वण्य शर्मा । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३१. साइज १०/x2 इञ्च विषय-ज्योतिष। शकुन विनार । रचयिता छानात ! भाषा संस्कृत पत्र संख्या ६. लाइज २०४|| इश्च । शकुनमालिका वयता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३. साइज Elix४ इञ्च । लिपिसंवत् १६७८. श्लोक संख्या ५२. शकुनस्वाध्याय। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत ! पृष्ट संख्या ३. साइज १२४। इञ्च । लिपि संवत् १८३१. लिपि कत्ता-भट्ट रक मुरेन्द्रकीर्सि। शकुन्तला नाटक। रचयिता महाकवि श्री का लदास । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२१. साइन ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १८१६. प्रति नं०२. पत्र संख्या ४१. साइज ११॥४४॥श्च । लिपि संवत् १८४१. शकुनाबली । रचयिता श्री गर्गाचार्य। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १. साइज १२४५ इञ्च । विषय-ज्योतिप। (लपि संवत् १८६८. । शतानंद ज्योतिष शास्त्र । रचयिता शतानन्द । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ८. साइज ११४४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। . . ::: शशोभा। . रचयिता । श्री नीलकण्ठ शुक्ल । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या २७. साइज १२॥४४॥ इन्न । लिपि संवत् १-४२. एक सौ पञ्चास Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * प्रामेर भंडार के अन्य * शब्दानुशासन । स्चयिता आचार्य हेमचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४५. साइज १३४५। इञ्च । प्रत्येक पृठ पर १४ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ५-५६ अक्षर । विषय व्याकरण । शत्र जय महातीर्थ महात्म्य ।। रचियता श्री धनेश्वर सूरि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १७१. साइज १२६x४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १६ पक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४-५४ अक्षर । प्रथम पृष्ठ नहीं है । शांतिचापूजा। ___ रचयिता मट्टारक श्री सुरेन्द्रकीर्ति ! पापा संस्कृत ! पत्र संरगा १३. साइज ११||४५ इञ्च । लिपि १८३६, लिपिस्थान माधोपुर । प्रति नं०२. पत्र संख्या १. साइज ११||४|| इञ्च । प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०. साइज १२||४1 इञ्च । शांतिचक्र पूजा। रचयिता पंडित श्री धर्मदेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३०. साइज १२४५!! इश्च । . प्रति नं० २. पत्र संख्या १८, साइज ||2|| इञ्च । लिपि संवत्. १८०८..लिपिस्थान जोबनेर (जयपुर; लिपिकत्ती पं० उदयराम । . : - - शान्तिनाथ पुराण । रचचिता भट्टारक श्री सकल कीत्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २५८, साइज ११||४४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर - पक्तियां और प्रति पंक्ति में ३६-४० अक्षर । प्रति नं० २. पत्र संख्या १५३. साइज || इञ्च । अन्त के दो पृष्ठ नहीं है। ... प्रति नं० ३. पत्र संख्या २०४. साइज २०४६ इञ्छ । लिपिशक संवत् १६७७. .. .. .. शातिनाथ पुराण । रचयिता अज्ञात । पत्र संख्या १४७. भाषा संस्कृत गय । साइज १०४४। इञ्च । विषय-भगवान : शान्तिनाथ का जीवन चरित्र ।। शारदीनाममाला। रचयिता उपाध्याय श्री हर्षकीर्ति। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३८, साइज १०x४। इञ्च । प्रत्येक एक सौ इक्यावन Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मानेर म.र के अन्य * -- -- - - - - पृष्ठ पर इ. पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २४-३० अक्षर । जिपि संवत १७६६. प्रति नं० २. पत्र संख्या १.७१. साइज ११||४६ इञ्च । प्रशस्ति नहीं है। प्रति प्राचीन मालूम देती है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या ११६, साइज १२३४५।। इञ्च । प्रति अपूर्ण । शान्तिलहरी । रचयिता पंडित श्री सरिचन्द्र । भाषा संस्कृत । पृष्ट संख्या १६. साइज १०४।। इञ्च । इसका दूसरा नाम गग्य लहरी भी है। ग्रन्थ समाप्ति के समय कवि ने अपना परिचय दिया है। शारदान्तवन। रचयिता प्रज्ञात । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या २. साइज ११||४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १६ पंक्तिमा तथा प्रति पंक्ति में ५५-५६ अक्षर । लिपि संवत् १८१०. शारदस्तवन । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १. साइत ११४४|| इञ्च । शारंगधर संहिता। रचयिता श्री शारंगवराचार्य । भाषा संस्कृत । पृष्ट संन्दया ७१. साइज १२४५।। इच। लिपि संवत १८४२. विषय-आयुर्वेद। प्रति नं२. राष्ट संख्या ११. साइज १२४५।। इश्च । प्रति अपूर्ण है। सटीक । . ... ... शिवभद्र काव्य । रचयिता अज्ञात । भापा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज १०१X| इञ्च । शिवारुतविचार । . रचयिता श्री गार्ग । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १६१२. 'लपि की श्री देम कीर्ति। . . .. ... शशुपा बध। रचयिता महाकवि माघ । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७३. साइज K४ इञ्च । लिपि संवत् १७५६.... प्रति नं०२. पत्र संख्या ७७. साइज १०१५४|| इश्च । प्रति प्राचीन है। ..... ...... = एकसाबावन . Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रति नं० ३, पत्र संख्या २०४, साइज १०१।। इञ्च : प्रति सटीक है। टीका का नाम वल्लभ तथा टीकाकार का नाम बल्लभसूरि है। प्रति नं० ४. पत्र संख्या १३५. माइज ११||४५ इञ्च । प्रति नं० ५. पत्र संख्या ४२. साइज ११||४५ इञ्च । केवल ६ सर्ग है अन्तिम पृष्ठ नहीं है। प्रति नं०६. पत्र संख्या २८३. माइज ११|सा इञ्च । प्रति एक दम नवीन है। प्रति नं० ७. पत्र संख्या पत्र संख्या ८२. साइज १२४४ इञ्च । केवल मूल मात्र है। प्रति नं० =, पत्र संख्या १७. साइज ११४४॥ इञ्च । लिपि संयत् १६=१. लिपिकर्ता मुनि रामकीर्ति। केवल १६ वां सर्ग है। शीघ्रबोध । रचयिता श्री काशीनाथ भट्टाचार्य । भापा संस्कृत। पत्र संख्या १६. साइज १०||४४11. इञ्च : लिपि संवत् १७८५. विषय-ज्योतिष। प्रति नं. २. पत्र संख्या ११. साइज Exa| इश्च! :. ... . . . . . . . प्रति नं० ३. पत्र संख्या ११. साइज ||४|| इश्च । प्रति अपूर्ण तथा जीर्णशीर्ण है। .. ...... शील प्राभृत ! ....... - .:.:. . रचयिता प्राचार्य कुन्दकुन्द । भाषा प्राकृतः । पत्र संख्या ३. साइज १०४५ इन्च । प्रति में लिन प्राभृत भी है। शाग पच्चासा.... ........ : ...... ...... ... ..... : रचयिता श्री दलाराम । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या: २. पद्य संख्या २५.. .. .. शोलोपदेश रत्नमाला। : रचयिता श्रीः सोमतिलक सूरि । माषा संस्कृतः ।। पृष्ठ संख्या १६६. साइज ११४४॥ ३श्च । विषयशील कथाओं का वर्णन । लिपि संवत् १६६० : .. .. .. श्लोकयोजन। रचयिता श्री पद्माकर दीक्षित । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३. साइज ११॥४४॥ इञ्च । लिपि ........ .... .. . ..-.- ":." एक सौ तरेपन Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आभर भंडार के अन्य * श्लोकवात्तिक । रचयिता आचार्य श्री विद्यानन्दि भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५.५४. साइज ११४६ इञ्च । लिपिसंयन २४६.५. मन्य लोक संख्या २२०००, विषय-तत्वार्थ सूत्र का गद्य में नहा भाष्य है। लिपि सुन्दर और स्पष्ट है। प्रति ० २. पत्र संख्या ३८८. प्रारम्भ के ३ पृ तथा अन्तिम पृष्ट नहीं है। लिपि सुन्दर है। श्रावक लक्षण। रचयिता हित मेधाबी : भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३. माइज ११||४५। इञ्च । पंडित मेघावी के घर्मसंग्रह में से उत्तर अशं लिया गया है। इनमें १ प्रतिमाओं का कयन किया गया है। श्रावकाचार । रचयिता श्री पद्मनन्दी । भापा संस्कृत ! पत्र संख्या ४२. साइज ११||४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में ३-४२ अक्षर ! लिपि काल संवत १५६४. प्रशस्ति अच्छी दी हुई है। प्रति नं० २. पत्र संख्या : १. साइज ११४४। इञ्च । लिपि संवत् १६५४ ति० असोज सुदी १०. लिपिस्थान अजमेर। प्रति नं० ३. पत्र संख्या ७७. प्रति अपूर्ण है। श्रावकाचार भापा रचयिता प्राचार्य यमुनन्दि । भाषा प्राकृत हिन्दी । भाषःकार-पंदौलतरामजी। पत्र संख्या १३४. साइज 11 इञ्च । गाथा संख्या ५४६. लिपि संयत् १८०% श्रावकाचार। रचयिता ब्रह्म श्रीजिनदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ११||४|| इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति क्ति में ३६-१० अक्षर ! लिपि संवत् १८२०. लिपिस्थान वृदावन | श्रावकाचार | रचयिता श्री पूज्यपाद स्वामी । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज ||४|| इञ्च । पद्य संख्या १०३. लिपि संवत् १६७५. लिपिकार पांडे मोइन । लिपि स्थान देवजी । . . . .. .: - प्रति नं० २. पत्र संख्या ६. साइन १०x४|| इश्च । लिपिसंवत् १६५६. श्रावकारवार। सटीक । रचयिता-भट्टारक पद्मनन्दि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइज ११४४१। इश्च । लिपि एक सौ चौवन Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___* आमेर डारके ग्रन्थ* ---- -.. संवत् १७१२. लिपि स्थान देवपल्यनगर : श्रावकवतसार। रचयिता पंडित रघु । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ६१. प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३६-४२ अक्षर । लिपि सत्रत् अज्ञात । प्रश्चन ६१ से आगे के पत्र नहीं है। श्रावकाचार। रचयिता पंडित श्रीचन्द। भाषा अपभ्रंश। पत्र संख्या १२३. साइज ११४५ इन्च 1 लिपि संवत् १५८६. लिपिस्थान चंपावती । प्रशस्ति अपूर्ण है। लिविका ने कु वर श्री ईसरदास के शासन काल का उल्लेख किया है। अन्तिम पृष्ठ फटा हुआ है। श्रावकाचारदोहा। रचयिता अज्ञात । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ७. साइज १९४५ इञ्च | गाथा संख्या २२३. विपय - सम्यग्दर्शन ज्ञान और चरित्र का वर्णन। . .. .. . श्रीपाल चरित्र। ... :. . . . . . रचयिता श्री परिमल्ल । भाषा हिन्दी (पद्य)। पत्र संख्या १२५. साइज १०४५। इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या २३००, रचना संवत्-१७ वीं शताब्दी । लिपि संवत १७६४. ग्रन्थ समाप्ति के बाद कवि का परिचय भी दिया हुआ है। . .. . . . श्रीरालचरित्र । रायता पंडित रचू । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या १२८. साइज १०||४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३०-३५ अक्षर । प्रतिलिपि संवत् १६३१. लिपिस्थान टोंक । .. प्रति नं०.२. पत्र संख्या १००. साइज Ilx६ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर -१४-२६ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २८-३४ अक्षर ! रचना संवत् १६४६. प्रति अपूर्ण है १०० पृष्ठ से आगे नहीं है। प्रन्थ की भाषा बहुत ही सरल है। श्रीपाल चरित्र । रचयिता पडित नरसेन । भाषा प्राकृत। पत्र संख्या ४८, साइज १०४५। इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३३-३८ अक्षर । लिपि सवत् १५६६ ::-. . प्रति नं० २. पत्र संख्या ३७. साइज़ ११४ा इञ्च । लिपि संवत् १६३२. ..... : एक सौ पचपन Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * अामेर भंडार के अन्य * प्रति नं० ३. पत्र संख्या ३३, साइज ११४६ इञ्च । प्रति नं. ४. पत्र संख्या १३. साइज ११४५|| इञ्च । लिपि संवत् १५-१. लिपिस्थान दौलतपुर । प्रति नं. ५. पन संख्या २६, साइज ११४५। इञ्च । लिपि संवत् १५१२. प्रति नं०६. पत्र संख्या ४१. साइज १०४५ इन्च । प्रति नं० ७. पत्र संख्या ४८. साइज १०४|| इञ्च । प्रतिलिपि संवत् संवत् १५४. लिपित्थान टोंक। श्रीपाल चरित्र । रचयिता श्री जगन्नाथ कवि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५०. साइज ११४५ इञ्च । रचना कालसंवत् १७०० आसोज सुदी दशमो। प्रति नं० २. पत्र संख्या ८. साइज १२४५ इञ्च । लिपि संवत् १६०६. श्रीपाल चरित्र रचयिता ब्रह्म नैनिताल : मा संस्कृत। प ६११. साज Ex४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २८-३२ अक्षर । रचना संवत् १५८५, कवि ने अपना परिचय लिखा है लेकिन वह अधूरा है। श्रीपाल चरित्र । रचयिता भट्टारक श्री सकीर्ति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या २६. साइज १||४४। इन्न । लिपि संवत् १५८६ श्रावण सुदी १३. विषय-महाराजा श्रीपाल का जीवन चरित्र । प्रति नं०,२. पृष्ठ संख्या ४०. साइज १११।४४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है।.. श्रुतस्कंध। ब्रह्म हेमचन्द्र । भापा अपन'श। पत्र. संख्या.४. साइज ११||४५ इश्च । विषय-सिद्धान्त । बाइ | जी के पढने के लिये उक्त ग्रन्थ की: प्रतिलिपि की गई। - ..... ....... .. प्रति नं० २. पत्र संख्या १४. साइज १०४४।। इश्च । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ६ साइज १०x४|| इञ्च । अतस्कंधपूजा। . . . . ........ ... .......... ..:-:-- रचयिता भट्टारक श्री त्रिभवन कीर्ति। भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ३ साइज ११||४|| इञ्च । लिपि संवत् १६६४. ब्रह्मचारी अखयराज के पढने के लिये पूजा की प्रतिलिपि की गयी। एक सौ छप्पन Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * " नाम : २. पत्र संख्या १०, साइज १०||४|| इञ्च: " प्रति न० ३. पत्र संख्या ७, साइज ६x६|| इञ्च। - - श्रेणिक चरित्र । रचयिता लक्ष्मीदास चांदवाड। भाषा हिन्दी। पत्र संख्या ११४. साइज १०||४५।। इञ्च । रचना संवत् १७३३ लिपि संवत् १८०८. ... . श्रेणिकचरित्र । - ग्रन्थकर्ता जयमित्रहल। भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ७८. साइज १०४५। इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में २८-३५ अक्षर लिपिसंवत् १५८:०. ११ परिच्छेद है। ग्रन्थ साधारण अवस्था में है। ७७ पृष्ठ के एक भाग पर कुछ नहीं लिखा है। श्रेणिक चरित्र । रचयिता मुनि · शुभचन्द्र। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६१. साइज -११४५ :इश्च। लिपि संवत् १७३०. ...... ... ... ... . . . . . ." : प्रति नं० २. पत्र संख्या ११३. साइज १०॥४५. इश्च । अन्तिम एक पृ नहीं है। .. प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०८. साइज ||४४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में ३८-४४ अक्षर । लिपि संवत् १८४७. . . . .::.::: : -.:-: - ' . . प्रति नं० ४. पत्र संख्या १७३, साइज १०x४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर = पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३२-३६ असार । प्रतिलिपि संवत् १८०८, श्रेणिकरास । . :- रचियता ब्रह्म श्री जिनदास । भाषा-हिन्दी। पत्र संख्या ५२. साइज ||४| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में २६-३२ अक्षर । .... .: FR श्रृंगार शतक । में रचयिता-श्री. भतृहरि । भाषा-संस्कृत । पत्र संख्या १८, साइज १शार इन ! - SED पटकमोपदेशरत्नमाला। रचयिंता श्री अमरकीर्ति । मापा अपभ्रंश । पत्र संख्या ५, २०11४५ इञ्च । प्रतिलिपि संवत् १४७६. - . -. .. . . ... . . .. . ...3 a एक सौ सत्तापन Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर चारके न्य | प्रतिलिपि बहुत प्राचीन होने पर भी सुन्दर और स्पष्ट है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ११३. साइज Ex|| इन्न । प्रत्येक पृउ पर १३ पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति ३३-३७ अक्षर । प्रतिलिपि संवत् १५४२. प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०५. माइज 201ञ्च । प्रतिनिधि संगत १५५... पति प्राचीन है। । बहुत पृष्ठों के अक्षर ए दूसरे से मिल गये हैं। प्रति नं० १. पत्र संख्या १३७. साइज ११|४५ इञ्च । लिपि संवत् १८२६. लिपिस्थान जयपुर । श्री पं० रायनन्दजी के शिष्य श्री सवाईरान ने प्रतिलिपि बतायी। प्रति न०५. पत्र संख्या १६२. साइज १?x11 इन्न । लिपि संवत् १६६१. लिपिस्थान पनवाडा । । श्री ब्रह्मचारी भीचन्द ने श्री लालचन्द के द्वारा प्रतिलिपि वनवायी । प्रति नं० ६. पत्र संख्या १६१. माइज ११||४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण । १६१ से आगे के पृष्ट नहीं हैं। प्रति नं० ७. पत्र संख्या १५७. साइन ११४५ इञ्च । शिपि संयत् १७६६. लिपिस्थान वसवा । प्रारम्भ के ७५ पृष्ठ नहीं हैं। प्रति न० ८. पत्र संख्या १००. साइज १२४६ पञ्च । प्रति अपूर्ण है। १०० से आगे के पृष्ट नहीं हैं। प्रति नं०1. पत्र संख्या -३ साइब १axi इच । प्रतिलिपि संवत् १५५३. प्रति नं० २०. पत्र संख्या १०४. साइज ५२४५।। इञ्च । लिपि संवत २५६६. प्रति ११. पत्र संख्या १३५. साइज || इन्च। जिय संवत् १५७६, जिविस्थान नागपुर । प्रति अभूरा है। प्रथम २ पृष्ठ तथा मध्य के कितने ही गृष्ट नहीं है। प्रति ०१२. पत्र संख्या १२३. साइज १०४४ । प्रति अपूरण है। प्रारम्स के जथा अन्त के पृष्ट नहीं है। पटक र्मराम । नवयता श्री शानभूपण । मापा अपनःश । प्र संख्या ४. साइज :१०।४५ इञ्च । गाथा संस। ५२. प्रति नं२. पत्र खस्न्या ६, साइज ११४५ १ ।। पटय चासिका। - रचयिता अज्ञात । पत्र संख्या १०. भाषा संस्कृत साइन इच। सूत्रों की टीका भी है। सात अध्याय हैं । सिपि संवत् १६३३. विषय-ज्योतिप । पद गाद। । अविता-अमत्त । भाषा संस्कृत..पत्र संख्या ४. साइज .१०||४४ इन। सिपिकर हरिरा-धर्मविमल । एससी अदावन Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *आमेर भार के मन में पट पाहुइ । रचयिता आचार्य कुन्दकुन्द । भाषा प्राकृत | पत्र संख्या ३४. साइज ११४४|| इन्च । लिपि संत्रत १७६३. लिपिस्थान सांगानेर (जयपुर)। प्रति नं० २. पत्र संख्या ४४. साइज १०x४॥ छन् । लिपि संवत् १५६५. लिपिस्थान चंपावती । लिपिकर्ता श्री नथमल । लिपिकार ने राठौर वश के राजा श्री वीरसद्य के नाम का उल्लेख किया है। प्रति नं. ३. पत्र संख्या ६८. साइज ११||४५ इञ्च । लिपि संवत्तू १७५१. लिधिकता श्री कुंदनदास । प्रति नं० ४. पत्र संख्या २०. साइज ११४४|| इश्च । लिपि संवत् १७४७. प्रति मूलमात्र है। प्रति नं० ५. पत्र संख्या २३. साइज ११||४|| इञ्च । प्रति मूतमात्र है। प्रति न०.६. पत्र संख्या १६५. साइज १२४५ इञ्च । प्रति सटीक है। टीकाकार आचार्य श्री श्रुतसागर । लिपि संवत् १७६५. बट पाहुड सटक। मुलकत्ता आचये श्री कुन्द्रकुन्द टीकाकार सूस्विर श्री अतसाम्बार । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या २१. लाइज ११४५ इन्च । निति संवत १५८५. भट्टारक प्रभाबन्द्र के शिष्य मंडलाचार्य श्री अजिन्द्र के लिये प्रतिलिपि हुई थी। .. पट पाहुड सटीका मूल कना श्रावार्य कुन्दकुन्द । टीमकार प्रतित मनोहर । भाषाकृत-संस्कृतः। मन संख्या ४१. साइज १९४५|| इन्द्ध । लिनि संवत् १७६०. . . . . . . . :: पष्टपाद । रचयिसा अज्ञात । लिपिकार श्री धर्मचिमत्त गरिन् । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज १०x४|| सब विषय-कान। . . . दशनमा पत्यका - -- ; ... ... ....... --.-....... . . , कीकाकार। माषा-संस्कृत पत्र संख्या १४.साज 2011x प्रति पशि में ६५-७० अज्ञर अन्तिम प्रष्ट नहीं है। यो तथा 'पांडशकारणकया। स्वयिता-अज्ञात भाषा संस्कृत पत्रक सोलह काला की कथा . - dalia - ---dbnaCIRCLIAM ALo - - - - - - - - कसो गन Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रति नं०२. पत्र संख्या १०x४ इञ्च । पोडशकावर्णकथा । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०. साइज १०॥४४॥ ३ञ्च । 'पद्य संख्या १२६. दश धर्मों की कथायें हैं। पोडशकारण व्रतोद्यापन। रचयिता मुनि श्री ज्ञानसागर । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ३५. साइज १०४५|| इञ्च । हनुमंतकथा । रचयिता ब्रह्मराइमल । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या ६०. साइज =!x६ इञ्च । रचना संवत् १६१६. लिपि संवत् १७१६. भविष्यदंत कथा से आगे ६७ ३ पृष्ठ से वह कथा शुद्ध होती है। हनुमच्चरित्र । रचयिता श्री ब्रह्मजित भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १००. साइन ११४४!! श्रोल प्रमाए २०००, लिपि संवत १७. प्रति नवीन है। श्री हनुमानजी का जीवन चरित्र बरिणत किया गया है। ... प्रति नं० २. पत्र संख्या ४. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १५७२. ." प्रति न० ३. पत्र संख्या ८१, साइज १ इञ्च । प्रति नं० ४. पत्र संख्या १७. साइज ११४४।। इश्च । . प्रति नं०५. पत्र संख्या १५. साइज ११४५ इञ्च। .. . प्रति न० ६. पत्र संख्या ७३. साइज ११४४ इञ्च । लिपि संवत् १८२६. टौंक नगर में भट्टारक सुरेन्द्रकीति ने प्रतिलिपि बनाया ! प्रति नं० ७. पत्र संख्या १२२. साइज १२॥४४॥ इञ्च । लिपि संवत् १६८०. प्रति सुन्दर और स्पष्ट है। प्रति नं० ८. पत्र संख्या ६७. साइज ११||४५ इञ्च 1 लिपि संवत् १६४६. अषाढ सुदी १३. लिपिस्थान कोटा । अन्य के अन्त में है। हरिवंश पुराण । .. रचयितां श्री खुशालचन्द । भोपा हिन्दी (पद्य)। पत्र संख्या २४८. प्रत्येक ध पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४४ अक्षर । रचना संवत् १७८०. लिपि संवत् १८६०. एक सौ साठ Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . * आमेर भंडार के अन्य * . हरिवंशपुगण। __ मुलका आच वे जिनसेन ! भापाकार श्री शालिवाहन | पत्र संख्या १२६. साइज. Ex दृश्च । पद्य संख्या ३१६१. रचना संवत १६६५. लिपिसंवत् १७५६. गुटका नं० ३०, ३१६१ पद्यों याला हिन्दी भाषा का अपूर्व अन्य है। हरिवंशपुराण भाषा। रचयिता अज्ञात । भाषा हिन्दी गद्य, पत्र संख, ६६.. माइज ११४५ इन्छ । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति पर ३८-४४ अक्षर। प्रति अपूर्ण है। ६६ से आगे के पृच नहीं है। ब्रह्म जिनदास कृत हरिवंश को भाषा में अनुवाद है। हरिवंशपुराण । रचयिता भट्टारक श्रुतकीति। भाया अपभ्रंश । पत्र संख्या ४१७. साइज allx५ इञ्च । प्रत्येक पृष् पर १३ क्तियां तथा ४ि . अक्षर । प्रतिलिपि संवत् १५५२. ग्रन्थ के अन्त में पेज की प्रशस्ति । ग्रन्थकार द्वारा लिखी हुई है। हरिवंशपुगण। रचयिता ब्रह्म जिनदास । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३५५. साइज १२४४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ६ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३५-४५ अक्षर । प्रतिलिपि संवत १६६१. लि पस्थान रामहल नगर । प्रति नं० २. पत्र संख्या २६७. साइज ११||४५ इञ्च । प्रति नं० ३. पत्र संख्या २०. साइज १२॥४६ इञ्च । प्रति अपूर्ण । २० पृष्ठ से आगे के नहीं हैं। प्रति नं० ४. पत्र संख्या २२३. साइज १२।।४६।। इञ्च । लिपि संवत् १८०३. लिपिस्थान, जयपुर । प्रति सुन्दर है। हरिवंशपुराण । रचयिता श्री जिनसेनाचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४६५, साइज १x६ इन्च ....... प्रति नं० २. पत्र संख्या २४०. साइज ११४४।। इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ...... प्रति नं० ३. पत्र संख्या ४२०. माइज १०॥४४॥ इञ्च । रचना कान शक संवत् ७०५. लिपिकाल संवत १६४०. ......... प्रति न० ४. पत्र संख्या २५०. साइज १२||४५ इञ्च । प्रतिलिपि संवत् १४६६. -. . - - - - - एक सौ इकसठ Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडार के अन्य *. प्रति न० ५. पत्र संख्या ३३५. साइज ६४१|| इन्न । लिपि संवत् १७५२. प्रशस्ति है । ग्रन्थ, नीरा हो.. चुका है। प्रति नं. ६. पत्र संख्या ६६. माइज १९11x2|| उच्च । लिपि संवत् १८२७. प्रथम ५० पृष्ट नहीं हैं। प्रति नं० ७. पत्र संख्या २६८. साइज ११४। इन ! अादि - तथा अन्त के २६६ से आगे पृष्ट. नहीं है। प्राथ जीर्ण शीर्ण हो गया है। प्रति नं० =. पत्र संख्या २६७. साइज १३४।। इञ्च । लिपि संवत् १५५५, प्रशस्ति है। प्रति .. पत्र संख्या २६७. साइज ११x६ इञ्च । प्रशस्ति नहीं है। हरिवंशराणा । रचयिता ब्रह्म श्री नभिदत्त । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २१६. साइज ११||४६ इञ्च । लिपि संवत् , १६७५. लिपिस्थान वीजवाड। ह'रुपेण चरित्र । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या २४. साइज १०x४11 इछ। प्रत्येक पृष्ठ पर पक्तियां और प्रति क्ति में २-३५ अतर । प्रतिलिपि संवत् १५४३. हास्यायनाटक। रयिता प्रभात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७. साइज ११।।५।। इञ्च । नाटक बहुत छोटा है। लिपि संवत् १८२०. लिपिस्थान सवाई जयपुर । लिपिकत्ता भट्टारक श्री सुरेन्द्रकी तिः। हेम कौमृदी। रचयिता याचार्य हेमचन्द्र | भाषा संस्कृत | पृष्ठ संख्या २५८. साइज १०x१। इञ्च । चन्द्रधभा, | नामक टीका सहित है। लिपि संवत् १८५६. । होलिका चौपई । रचयिता श्री छीतर ठोलिया । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १२, साइज २४४.इन्न । पद्य संख्या १०२. रचना संवत् १६०७. लिपि संवत् १८११. लिपिस्थान जयपुर । लिपिकार पं० हेमचन्द्र । : . "प्रति नं. २. पत्र संख्या ६. साइज ११||४५१। इञ्च । रचना संवत् १६६०. लिपिकर्ता श्री दयाराम ।। निपिस्थान मालपुरा (जयपुर)!.. एक सौ बासाह: Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हेमविधानशति । रचयिता श्री उपाध्याय व्योम रत । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १३३ साइज १०||५|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २४-३० अक्षर । लिपि संवत् १=६= विषय-प्रतिष्ठा शास्त्र । क्ष क्षत्रचूडामणि। संवत् १८३३ महाकवि वादीभसिंह विरचित | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४३ साइज १०|| २ || इन | लिपि पृष्ठ नहीं है । देपालपुचः। प्रति ० २. पत्र संख्या ४५. साइज प्रति नं० ३ पत्र संख्या ४०. साइ * आमेर भंडार के प्रन्थ * त्रिलोकज्ञप्ति | 1-1 --- रचन्ता भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीर्ति। भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या २. साईज ११९५ । लिपि संवत् १८३६ स्थान माधोपुर । प्रति नं० २. पत्र संख्या ३. साइज ११६x४।। इ त्र-‍ त्रिलोकसार, पूजा... त्रिलोक प्रज्ञप्ति | रचयिता श्री नेमिचन्द्राचार्य । भाषा प्राकृत | पत्र संख्या १६७ साइज १२३४५ इञ्छ। प्रत्येक पृष्ठ पर १३-१७ पक्तियां और प्रति पंक्ति में ४२-५ अक्षर लिपि संवत् १५१६. अन्त में एक श्लोकों वालों प्रशस्ति है | ग्रन्थ अपूर्ण है। शायद दो प्रन्थों को मिला कर एक ग्रन्थ कर दिया है अथवा प्रन्थः के फटा जाने से दूसरे पत्रों में लिखवा कर दिया है। मा प्रति नं० २. पत्र संख्या ३७, साइज १२४५॥ इति अपूर्ण * १२४४ ॥ इञ्च । लिपि संवत् १६५४.. ११ ||४४ || इ | लिपि संवत् १५६६ अन्तिम प्रशस्ति वाला: B भाषा प्राकृत | पत्र संख्या ६३. साइज १९०५ इञ्च लिपि संवत् १५७६. रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृतः। पुत्रः संख्या ११२. उसाइज ११४४॥ । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ एक सौ. तरे सॅट Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आमेर भंडारके अन्य पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३- अक्षर । ग्रन्थ में तीनों लोकों के चैत्यालय, स्वर्ग, विदेहक्षेत्र आदि सभी को पूजा दे रखी है। प्रति ने०२. पत्र संख्या १७, साइज ११||xशाच । त्रिलोकसार । रचयिता सिद्धान्त चक्रवर्ति श्री नेमिचन्द्रायाय । भापा प्राकृत । पत्र संख्या २८. साइज ११४४।। इञ्च लिपि संवत् १७२५. त्रिलोकसार दर्शन कया। रचयिता श्री रूङ्गसेन । भापा हिन्दी (पद्य । पत्र संख्या १०८ साइज ११४५।। इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १४ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३५-४० अक्षर। रचना संवत् १७१३ चैत्र सुदी पंचमी । लिपि संवत् १७६८ पोष सुट्टी १३. श्री कुन्दकुन्दाचार्य कृत बिलोकसार का पद्यों में अनुवाद किया गया है। पद्य बहुत ही सरल भापा में हैं । ग्रन्थ के अन्त में ग्रन्थका ने अपना परिचय दे रखा है । ग्रन्थ के कई पृष्ठ एक दूसरे से चिपके हुये हैं। अन्य की प्रतिलिपि उदयपुर में प्राचार्य श्री सकलकीति के शासन काल में हुई थी। त्रिलोकसार सटीक । मूलका सिद्धान्त चक्रवर्ति श्री नेमिचन्द्राचार्य । टीकाकार श्री बहुताचार्य । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या ११४. साइज १०x2}। इञ्च । विपय-तीनों लोकों का वर्णन । प्रति नं० २. पत्र संख्या ८५. साइज १२४५|| इञ्च । लिपि संवत् १५६० भादवा बुदि ११. प्रथम पृष्ट नहीं है। कितने ही पृष्ठ फट गये हैं। त्रिलोकसार भाषा । रचयिता श्री चतुर्भुज । माषा हिन्दी । पत्र संख्या १६०, साइज ११५४ इन्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ ।। पंक्तियां और प्रति पक्ति में ३२-३८ अक्षर । रचना संवत् १७१३. लिपि सवत् १४८६. लिपिस्थान नरायणा (जयपुर) कवि ने अपना परिचयं अच्छा दे रखा है। त्रिंशच्चतुर्विंशतिपूजा। रचयिता-आचार्य-शुभचन्द्र। मापा संस्कृत । पत्र संख्या ४८, साइज ११४४|| इन। विषयतीस चौबीसियों की पूजा । लिपिस्थान-उदयपुर । प्रारम्भ के २ पृष्ठ नहीं हैं। एक सौ चौसठ : Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • *आमेर भंडारके प्रन्य* त्रिकाल चतुर्विशति जिनपूजा । ... रचयिता प्राचार्य शुभचन्द्र । पत्र संख्या २२. भाषा संस्कृत । साइज ११:४५।। इञ्च । - . .... प्रति नं० २.'पत्र संख्या ४८. साइज ११४४ इन्च लिपि संवत् १८१०. प्रारम्भ के २ पृष्ट नहीं है। ' त्रिकाल चौबीसी पूजा । रचयिता अज्ञात । भाषा अपभ्रश । पत्र संख्या १०. साइज १२४५|| इञ्च । .. विपंचाशक्रियाव्रतोद्यापन । रचयिता श्री देवेन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२. साइज १०x४|| इञ्च । लिपि संवत् १६६८. लिपिकर्ता प्रा० श्री रत्नचन्द्रजी। त्रिफलादिक्षार ।. . रचयिता अज्ञात । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३१. साइज ||४|| इञ्च । विषय-आयुर्वेद ।........ त्रिविक्रमशती । ::::: ::::: :: :::. :: रचयिता श्री हर्ष । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २५. साइज १०:४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३८ अक्षर । लिपि संवत् १६५८, प्रति सटीक है । दीका का नाम सुबुद्धि है। त्रिपष्टिस्मृति पुराणसार । ......... . रचयिता पं० अशाघर । भाषा संस्कृत.। पत्र संख्या. ३६. साइज १०|!x४|| इञ्च ! प्रत्येक पृष्ठ पर ह पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २४-३२ अक्षर । प्रशस्ति है ! ... : प्रति नं० २. पत्र संख्या ३६. साइज १०॥४४॥ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। त्रिपाठशलाका ! :: FTE: FREE रच यता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३७. साइज:१०४५ इश्च । प्रति पूर्ण है। TXTE :: कोर त्रिमतो सूत्र। : EXI S TE RYSU BIR रचयिता श्रीधराचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२.- साइज १०x४]। इन्न । विषय-गणित प्रति अपूर्ण है। १२ से आगे के पत्र नहीं है। : -: :: प्रति नं० २. पत्र संख्या १६. साइज १०४४।। इञ्च । प्रति अपूर्ण है। एक सौ पैंसठ Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * भामेर भंडार के अन्य * वेपन क्रिया कोश । रचयिता.श्री किशनसिंह । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ९३५. माझ्ज- =॥१x६ इञ्चः। रचना संवत् १५८४. प्रारम्भ के दीमक ने खा रखे हैं । कोश के अन्त में अन्यकर्ता ने अपना परचय भी दे रखा है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ७५. साइज १०४६ इञ्च । लिपि संयत् १८२६. ... वेपनक्रियाकोश। रचयिता अज्ञात । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या ४४. साइज ११४४। इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर २३ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में १४-५० अक्षर । प्रति अपूर्ण है अन्तिम पृष्ट नहीं हैं। ज्ञातृधर्मकयांग । __ भाषा प्राकृत : पृष्ठ संख्या ६०. साइज १२४४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ६१ से पहिले के पृष्ठ नहीं है। लिपि संवत् १६००. जिपिकर्ता श्री अजयगणि। प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ६६. साइज १२||४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ... . ज्ञानीश। रचयिता अज्ञातं । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३. साइज ||xy इञ्च । पद्य संख्या ४०. ज्ञानार्णव भाषा। .. रचयिता श्री विमल गाणं । भाषा हिन्दी (पयो । पत्र संख्या ४७.' साइज १३५६ इंश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति पर ४२-४८ अक्षर । मन्य अपूर्ण है। ज्ञानार्णय । रचयिता आचार्य शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १७५. साइज ||| इच। प्रत्येक विं पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २.२६अक्षर लिविसंघन:५६ : "-- . ; प्रति ने . २. पत्र संख्या ११०. साइज ११४५ इश्च । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ६३. साइज १०||४५ इश्च । - प्रति न पत्र संख्या साईजे १६ इंश्च । लिपि सत्रन १६०३. लिपित्याने अजमेर । श्री ब्रह्म धर्मदास ने अपनी पुत्री हीरा के पढने के लिये प्रति लिपि बनवायी प्रथदीमक ले जाने से जीण शीर्ण हो चुका है। ....... -van पम सौछासठे Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *आमेर भंडार के अन्य * 01 . . . . " प्रति ने० ५. पत्र संख्या १२. साइज ११४६ इञ्च । लिपि संवत् १८६६. प्रति नं० ६. पत्र संख्या १६०. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १६०५. प्रति न० ७. पत्र संख्या ०. साइज १०|| इंश्च । पति न० ८. पत्र संख्या ११७. साइज़ १६४५ इञ्च । लिपि संवत १६५०. लिपिस्थान मालपुरा । ज्ञानार्णव गघटीका। रचयिता ब्रह्म श्री. श्रतसागर। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२. साइज १०|४४ इश्च । लिपि संवत् १७२७. टीका नाम तत्त्र प्रकाशिनी । प्रति न० २. पत्र संख्या . साइज ||५.६च्च । प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०. साइज ११४४ दुश्च । ज्ञानसार। रचयिता भाषा प्राकृत। प्रध.संख्या, साइज...१०४३ संवत २०७६. गाथा संख्या ६३. पड़ा मा ' H ' ज्ञानमूर्योदयनाटक। रचयिता वी वादिचन्द्र भाषा का संचाः,३१. : साइज १०४५.इला प्रत्येक पृष्ठ पर १६,पंक्ति तथा पनि संक्ति पर ४५:३४६ अत्तर । रचना संवत् १६४८ लिपि संवत् १८३५.. . : प्रति नं० २. पत्र संख्या ३६. साइज १०||४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है 1. प्रथम और अन्तिम प्रष्ट नहीं है। Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री दि. जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर-शास्त्र भण्डार चान्दनगांव ( जयपुर, राजस्थान ) लन्थ-सूची १. अजितनाथ पुराण । " रचयिता श्री अरुणमणि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४२८, साइज १०१४ा! इञ्च । लिपि संवत् १६१६. २, अध्यात्मतरंगिणी। मुलकर्ता आचार्य सोमदेव । भापाकार अज्ञात । मापा-हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ५६. साइज १२४ा इञ्च ! प्रत्येक पृष्ठ पर : पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४४-४८ अक्षर प्रति अपूर्ण है। ५६ से आगे के पृष्ट नहीं हैं। भापा सरल तथा सुन्दर है। ...... ...:.:::. .. . . . .. प्रति नं० २. पत्र संख्या १५. साइज ११||४५ इञ्च । केवल मूल भाग है। ३. अनागारधर्मामृत । ___ रचचितः महापंडित आशाधर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ८५. साइज १२५५॥ इश्च । लिपि संवत् १५८१ । प्रति नं० २. पत्र संख्या १२४. साइज ११४४।। इञ्च । लिपि संवत् १६१२ जेठ सुदी ५. प्रशस्ति है। प्रथम पृष्ठ तथा अन्तिम पृष्ट नहीं है। ४. अनंतप्रतोद्यापन । रचयिता श्री गुणचंद्र सूरि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २१. साइन ११४५|| इञ्च । प्रति वीन है। एक सौ अंडस Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्द* ५ अनंतवतोधापनपूजा। रचयिता प्राचार्य श्री गुरणचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४.. साइज १०|3| 18 । प्रशान्त है। लिपि स्थान जयपुर । ६ अनुभव प्रकाश भोपा । . . . . . . .:. :: . .. ... भाषाकार-अज्ञात । पत्र संख्या ३७. साइज १२४५।। इश्च । लिपि संवत् १६८०. लिस बट सुन्दर है। ७अनेकार्थसंग्रह ... . ... " : ' .:. - भाषाकार अज्ञात । भाषा हिन्दी ! पत्र संख्या ५४. साइज १०x४||३ञ्च । लिपि संवत् १८३८ ! - अगलास्तोत्र - :. . . . . . . . . . . . . . : पत्र संख्या ३ भाषा संस्कृत । उक्त स्तोत्र मार्कंडेय पुराण में से लिया गया है। है अम्बिका कल्प। रचयिता श्राचार्य शुभचन्द्र । भापा संस्कृत । पत्र संख्या ४५. साइज !x६ इन्न । लिपि संवत् १६१२. लिपि पत्तो पं० चुन्नीलाल । विषय-मन्त्र शास्त्र । १. अरिष्टाध्याय। __ रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११. साइज १०x४।। इञ्छ । लिपि संवत् ५५५. लिपिः कत्सा पं० हरीसिंह। ११ अहछेव महाभिषेकविधि | .:.:. २ ___ रचयिता महा पंडित आशाधर | भाया संस्कृत । पत्र संख्या ६४. साइज १०||४४ ब्व। शिपि संवत् १५०८। १२ अवजद पाशा केरली. 25 : भाषा हिन्दी ! पत्र संख्या ६. साइज १०४५] इञ्च । भन्यजीव को प्रभात मान का प्रश्नों को जवाव दिया गया है। प्रति प्राचीन है ! : .:. काम प्रात न०२. पत्र संख्या १०. साइज १०x४|| इञ्च । इस प्रति की हिन्दः E Train प्रति ३. भाषा संस्कृत । पत्र संख्या:साइज १०x४ इञ्चति को को है । प्रति नं०४. पत्र संख्या ३. साइज' ११||शा इञ्च । - - एक सौ उन्नत्तर Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *श्री महावीर शास्त्र मंडरर के कय * प्रति न०. नखसा कमाइ इन्न । प्रत्रि पर्ष ०६, संख्या ६, बाइज बञ्च प्रति पूर्ण है। जिन्द्र चवी हुई है। १३ अवयवाहीना। संग्रह ऋता अचान ! भावा संस्था । पृच संसला ३५, माइज इन्न । श्राष्ट्र स्तोत्र का संग्रह है। १४ अष्टशनी। घनिता श्री महाकसक देव । भाषा संस्कन् । नन्न संख्या का साइज १४ । प्रति. नवीन है। १५ अष्ट महम्मी। रम्यनिता अामार्य दिवानकिन्छ । भाषा संस्कृत ! पत्र संडवा ३१६, साइश || प्रती. नवीन है। लिखावट सुन्दर है। प्रजि नं० २. मन्त्र संस्था १७०, साइन ११४ मध । प्रति अपूर्ण है। १६ आगम भाव सिद्ध पूजा। रचयिता भट्टारक श्री भानुकीति । भात्रा संकलन संया २११. साइज ६४४ I लिनि यात्र १८० विपि कला नरेंद्रकीति। ই9াসিন্ধান্ত রূপ। रचयिता श्री गंगामाल मावा हिन्दि सत्र । संख्या १४, साइन्स x इच्च । सम्पूर्ण व सकस २५३. सिधि संवत १८२ लिप्रि स्थान द्रावन । लिपि कला पनि जयचंद्र प्रशस्ति है। १८ अाद्रि पुराय। नम्बग्रिम मा कवि नुदपतु । भाता अपभ्रशं । वा सख्या , साइन ११४५ च । लिबि संवत् १३. सजक साधू मल्छ । लिपि क्रत्तों ने कतुवस्त्रां के ग्रासन काल का अल्ख किया है। मरास्ति दी हुई है। प्रति जीण है। Sन म०२. पत्र संख्या : स्माइन १२॥४४| लिपि संचातू १५८ मिनि का ने बादशाह बावर का नामोल्लेख किया है। प्रति नं० २. पत्रा मारल्या १६. साइन्स न । लिपि संबतू १६१६. प्रशस्ति ड्रैलिपिनमा न जाकार लिनि का श्री भुवन कीति । एक स्यै सन्चर Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र संडार के अन्य * १६ इन्द्रजपूजा ... रचयिता श्री विभूषस । थापा संस्कृत । पत्र संख्या ७. साइज १०४५।। च । अलि पूर्ण है लेकिन भीरणा वस्त्रा में है । अन्तिम पृष्ठ पर कागज त्रिपार चुका हुआ है जिससे अन्त की पंक्तियां पढ़ने में नहीं पाती ११ इन्द्रप्रस्थप्रबंध। लिपि कर्ता अज्ञात । भाषा संस्कृल। पत्र संख्या :७, साइज १०-४४]। इञ्च । विषय-इन्द्रमस्थ (देहली) पर शासन करने वाले राज वंशो का परिचय दिया हुआ है। २१ इन्द्रमाला परिक्षारन विधि। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २. साइल ४ इन्च । उक्त पाट लिष्ट्रापाड़ में से लिया गया है। २२ अटोपदेश बटीक । टीका कार कला श्रये निलयचन्द्र मुनि । भाषा, संस्कृत । पत्र संस्था ३६. साइन ११४४ इश्च । लिपि संवत् १५४४१. विपि कर्ता भट्टारक ज्ञान भूपण । लिपि स्थान गिलिपुर । लिपि कर्ता ने राजा गंगादास के नास का उल्लेख किया है। २३ उत्तरपुरखण। रचयिता .महाकवि पुरझदन्न । भाषा प्रपद्म'श। पत्र संख्या ३२६. साइज़ ११||४५ इञ्च । लिपि संवत् १५३६. 'ब्लिपिकर्ता साधू मल्लू । शिरि कर्ता सुलतान बहलोल लोदी के शासन काल का इल्लेख किया है। भति सुन्दर है। लिपिकर्ता के द्रमा लिनी हुई प्रशस्ति भ है। .... ......... ..., २४ उतर पाण वयिता गुणामाचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या म. साइन ११४५ इन्न । लिपि संवत् २५६१०. अन्न कर्ता तथा शिनि कता दोनों के द्वारा प्रशस्तियां लिखी हुई है। प्रति पूर्ण है। . १२.५ अप्रदेश स्तमाला:: . :.::.: . : .. रचयिता प्राचार्य श्री सकल भूषण । भाषा संस्कृत पत्र संख्या ३१. साइज़ EK इन्न । प्रति सिदीक है लिपि संवत १७०२ चैत सुदी १४ वीनार । प्रति पूर्ण है तथा लिखावट अट्टी है। एक सौ इलचर Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ # श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * २६ उपासकाध्यपन। रचयिता आचार्य प्रभाचन्द्र देव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्ला इ. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १५७८. लिपिक मुनि श्री नेमिचन्द्र।। २७ उमाम्बामि श्रावकाचार भाषा । भाषाका हिसार निवासी श्री इलायब । भाषा हिन्दी गद्य संख्या ७२. साइज Exu|| इञ्च । २८ उष्मभेद । रचयिता श्री महेश्वरकवि । भाषा संकृत। पत्र संख्या ६. साइज १०x४ इञ्च। लिपि संवत् १८४८ पद्य संख्या ६५ । विषय-व्याकरण २६ ऋपिमंडल पूजा। रचयिता श्री गुणनन्दि भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १८. साइज़ ११४४।। इश्व । लिपि संवत् १८५६.. लिपि स्थान तक्षकपुर । प्रति नं० २. पत्र संख्या १२. साइज ११४५ प्रति अपूर्ण है। प्रारम्भ के पृष्ठ नहीं है। किसी ग्रन्थ में से उक्त पूजा के अलग पृष्ट निकाले लिये गये हैं। प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०. साइज १२x६ इट्ने । प्रति पूर्ण है। ... ... .. . . : ... :--- ३० ऋषिमंडल स्तोत्र । लिपिकता मुनि श्री मेध विनज । भापा सस्कृत । पृष्ठ संख्या २. पद्य संख्या ७६. प्रति सुन्दर नहीं है। ३१ एकाक्षर नाममालाका।: -..: :: ":. - ...:: ...... रचयिता महाकवि अमर । पत्र संख्या ३. साइज १०x४ इञ्छ । लिपि संख्या १५१४: चैत्र बुदि २ वृहस्पतिवार .. .... .. ..... .;: . ":: : :::::: : प्रति नं २. पत्र संख्या ७, साइज ११४५ इञ्च । :: : : :: : :: ::. - - - एक सौ हत्तर .' Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * नाम पत्र रचना, सं० लिपि संवत् १२ . १७४६ x १६३५ x xx x x x x .. x X x x x x x ३२ कथा को श सग्रह। इस संग्रह में निम्न लिखित कथायें है-- रचयिता भाषा श्रादित्यवार कथा हिन्दी ___ श्रुतसागर , श्रावण द्वादशी कथा x षोडश कारण व्रत कथा ब्रह्म जिनदास अष्टाह्निका व्रत कथा पं० बुधजन अशोक रोहिणी कथा . श्रुतसागर संस्कृत रोहणो व्रत कथा . भानुकीर्ति नंत व्रत पूजा अनंत चतुर्दशी व्रत कथा : x पंचमी व्रत कथा हर्पकीर्ति पुरंदर व्रत पूजा पुष्पांजलि व्रतोद्यापन पूजा पं० गंगादास । भ० रत्नकोति सुखसम्पत्ति गुण पूजा -- . . . . . . भ० रत्नचन्द्र । .. द्वादशी व्रतोद्यापन पूजा भ० देवेन्द्रकीर्ति । .. कोकिला पंचमी विधान भक्तामर पूजा भ० सोमकीर्ति . , ... कल्याणक उद्यापन भ० सुरेन्द्रकीर्ति पंचमास चतुर्दशी व्रतो धापन पूजा - मुक्तावली पूजा ............. .. आदित्य व्रतोद्यापन पूजा भ० जयसागर , . x x x x x x x x x x x x x x" X ":.- १८८५ : . . - - - - - - 'एक सौ तेहत्तर Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३ कथासंग्रह भाषा । भाप कर्त्ता अज्ञात | भाषा हिन्दी गद्य मान = ६ कथाओं का संग्रह है। हिन्दी भाषा विशेष नहीं है 1 ३४ कर्मदहन पूजा | ३५ कर्मप्रकृति | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १२ साइज ११३६ । * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य रचयिता श्री चन्द्राचार्य । भाषा प्राकृत। साइन १२४५ इञ्च । गाथा संख्या १६१. प्रति प्राचीन है । ... प्रांत नं० २. पत्र संख्या १६. साइन २०४२ उच्च लिपि संवत् १= लिपि स्थान जयपुर । लिपि कर्त्ता ने महाराजा जयसिंह का उल्लेख किया है। प्रति नं० ३ पत्र संख्या २४. सहज १२४२|| च । लिपि संवत् १=२० लिपि स्थान आमेर । लिपि कर्त्ता भट्टारक श्री सुरेन्द्र कीर्त्ति । ३६ कर्म विशक विचार भाषा । भाषाकार अज्ञात / भाषा हिन्दी च । पत्र संख्या १०३ लाई १०६ || ३ | लिपि संवत् १६३१ ३७ कल्याण मन्दिर प्रकटन विधि कथा भाषा हिन्दी पत्र संख्या १५ साउन २४ । संख्या ६२. कल्याण मन्दिर स्तोत्र की किस प्रकार रचना हुई इसकी कहानी बर्णित है । का वर्णन । ३८ कलशविधि | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. साइज ११०५ इञ्च । लिपि संवत् १८६२ श्री चंपालालजी ने उक्त विधि की प्रतिलिपि करवायी । लियट सुन्दर है। ३६ कंधि कर्पटी | रचयिता कवि श्री शंखद्ध | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ११. साइज १०||४५ इञ्च : लिपि कर्त्ता भट्टारक श्री शुकदेव । प्रांत पूर्ण है । ४० कविराज चूडामणि । रचयिता श्री विष्णुदास | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १०, साइज २०४५ विषय र एक सौ चोहत्तर Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के पन्य * ४१ क्रियाकलाप सटीक । टीकाकार आचार्य प्रभाचन्द्र । भाषा संस्कृत ! पत्र संख्या १३१. साइज lx५. इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३१-३४ अक्षर । लिपि संवत् १५६६. लिपिकतों द्वारा प्रशस्ति लिखी हुई है। ४२ क्रियाकोप भा। भाषाकार श्री पं० दौलतरामजी । भाषा हिन्दी । पत्र सध्या १४१. साइज ६x६ इञ्च । रचना सन्यत् २.७६५. लिपि संवत् १८०७. प्रति नवीन है। प्रशस्ति है। __ प्रति ०२. पत्र संख्या , साइज ११॥४५ इञ्च । लिपि संवत् १८५२. प्रति नयीन है। ४३ कुवलयानंद। रचयिता श्री अप्पय दीक्षित । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६३. साइज १०॥४।। इञ्च । लिपि स्वत् १८४६. लिपि का महाक श्री सुरेन्द्र पोधि । ४४ कौतुकरत्नावली। संग्रहकर्ता जानकीदास । भाषा संस्कृत हिन्दी। पत्र संख्या ८७. साइज १२४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११. पत्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४७.५०. अक्षर । लिपि संवत् १८५४. अनेक मन्त्र विद्याओं के बारे में लिखा है। ४५ गणितसार संग्रह । .. : .... रचयिता श्री महावीर चार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १८, साइज १४४६।। इञ्च । प्रतिप्रपूर्ण है। गुटके गुटका नं० १ पत्र संख्या २०. साइज ५४१. गुट के में केवल एकी भाव स्तोत्र तथा पृथ्वीभूपरण ' विरचित पद्मावती स्तोत्र ही है। गुटका नं० २. पत्र संख्या २० साइज ५५४ इञ्च। गुटके में केवल चक्ररी देवी सबीज स्तोत्र है। गुटका नं० ३. संख्या ७५. साइज १०||४५।। इञ्च । प्रारम्भ के '१५. पत्र नहीं है। 'गुटके में निम्न उल्लेखनीय सामग्री है। .:. :: ... . १. योगसार २. योगाभ्यास किया ३. प्रश्नोत्तर माला - - - - ma t yan..... एक सौ पीचेतर Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * --.. - -- - - - -- - - - ४. पिंड स्थान प्ररूपक ५. कल्याणालोचन ब्रह्मारिजित कृत ). ६. चतुर्विशति स्तुति मुनि श्री मा घनन्दि । ७. तत्त्वार्थ सूत्र प्रभाचन्द्राचार्य। गुटका नं० ४ संग्रह कर्त्ता अज्ञात । पत्र संख्या २६६. साइज ६x४ इञ्च । प्रति नवीन है। प्रारम्भ के ७. पृष्ट नहीं है। गुटके में निम्न सामग्री है १. पार्श्वनाथ जिन स्तोत्र भाषा हिन्दी २. शान्ति नाम , ३. अदित्यवार कथा ४. समाघि मरण ५. बारह मासा ६. चौबीस ठाणा ७. चौबीस तीर्थका वर्णावली ८. धम विलास ६. भगनाम गट का नं०५. लिपिकर्ता श्री दोलतराम। भाषा हिन्दी । लिपि संवत् १८२२. पत्र संख्या २००, साइज ६x६ इञ्च । गुटके में निम्न सामग्री है १. क्रियाकोष भाषा २. श्रावकाचार कथा ३. पद लेखा गुटका नं० ६. पत्र संख्या ५६. साइज ११४४ इञ्च । अनेक उपयोगी चर्चाओं तथा ज्ञातव्य बात? का संग्रह है। इनकी कुल संख्या ५१ है। पटका नं० ७. संग्रहकर्ता पं० मोइनलाल । पत्र संख्या ३५. साइज Exशा इञ्च । लिाप संवत् १८७३, गुटके में निम्न विषय हैं १. श्रादित्यवार की कथा । २.पंच पों की कथा एक सौ छेहतर Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * ..३. मुनसुव्रत नाथ की स्तुति . द्रव्य संग्रह की २१ गाथाओं को टीका गुटका नं० ८. लिपि कर्ता पं० जगदेवजी । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२७. साइज |x५ इश्च । लिपि संवत् १६३० वैशाख सुदी ५ गुरुवार । गुटके में सहस्रनाम स्तोत्र तत्त्वार्थ सूत्र तथा अन्य स्तोत्र और पूजाचे आदि हैं। :: : :: - - - - - - - - .. ... ... ____ गुटका नं०६, लिपिकर्ता अज्ञात । भाषा संस्कृत-हिन्दी । पत्र संख्या ३८. साइज ६x४ इश्च । गुटके में पंच मंगल ( हिन्दी ) ऋपि मंडल स्तोत्र, पद्मावतो पूना तथा बीस विद्यमान तीर्थकर पूजा आदि है। गुटका नं० १०. लिपिकर्ता पं० हेमराज । भाषा संस्कृत-हिन्दी । पत्र संख्या १२२, माइज ५४४, इन्न । लिपि संवत् १७६२ । गुटके में निम्न सामग्री है-- १. ऋषि मंडल स्तोत्र संस्कृत... . . ... : २. अनंत व्रत रासो हिन्दी .. . ३. अनंत व्रत पूजा संस्कृत . .. .... ४. पल्य विधान हिन्दो । ...... : ५. काका बत्तीसी ६. पद संग्रह ७. मेवकुमार को चौपाई . . . . . . . . . . ८. अनंत चतुर्दशी अष्टक (पूजा) संस्कृत ... .. . .. गुटका नं० ११. लिपिकर्ता श्री नेमिचन्द्र । भाषा संस्कृत-हिन्दो । पत्र संख्या २२०. साइज़ ६४५ इञ्च । लिपि संवत् १६२२ । गुटके में निम्न सामग्री है-- .. - रचनाकार . ... ... ... १. पंच परमेष्ठी गुण . .. :: . भाषा हिन्दी , चन्द्रसागर , .. २. श्रावफ किया भाषा .. . . . . . . x ' . . -: .. . .. ३. ऋषीश्वर पूजा , . ४. त्रिकाल चतुर्विंशति कथा ५. त्रिलोक पूजा सूरतराम ६. बारहखड़ी ७. पद संग्रह .: . . . . जास्तोत्र .. .... :: . एक सौ सतन्तर Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीर शास्त्र भंडार के अन्य * गुटका नं० १०. लिपिकर्ता श्री सवाईराम । भाषा हिन्दी संस्कृत ! पत्र संख्या १५. लिपि सं न १८२६. गुटके में स्तुति तथा पूजा के अतिरिक्त चौदह गुग्गस्थान चर्चा भी है। . गुरका २०१६ लिपिकर्ता श्री सुखलाल । भाषा हिन्दी पत्र संख्या १२६. साइज ६x६ इञ्च । लिपि संवत् १८१०. गुटके में एजा स्तोत्रों के अतिरिक्त कुछ पद य गीत भी है जिनकी रचना संवत् १७५६. है । वे भजन पंडित विनोदीलाल तथा भैया भावतोदास आदि के हैं। ... गुटका नं० ११. पत्र संख्या २१. भाषा हिन्दी । लिपि कत्ता श्री मुन्शीकाल । लिपि संवन् १९८३ : नाटक में निम्न रचनायें हैं--. १. चतुर्विंशति जिन जा .. . २. बर्दू मान जिन पूजा ।। ३. कल्याणमन्दर स्तोत्र भाषा ४. निर्वाण काण्ड भाषा ... ५. दुःखहरण विनतो . ६. समाधि मरण ७. स्तुति सटका न. १५. लिपिकी अज्ञात । पत्र संख्या २१८. भाषा संस्कृत । साइज ६४५ इञ्च । मुटके में कोई उल्लय नीय सामग्री नहीं है। केवल स्तोत्र पूजा पाठ आदि का ही संग्रह है। - गुदका नं० १६. लिपिकत्त/ अज्ञात्त । भाषा हिन्दी संस्कृत । पत्र संख्या ३०६. साइज x६ इञ्च । गुटका प्राचीन है लेकिन कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है। गडा नं० १७. लिपिका संघी श्री बीहरजी । भाषा हिन्दी संस्कृत । पत्र संख्या ४०५. साइन ६.५ इञ्च । लिपि संबन शाके १६७१ गटके में पूजा, स्तोत्र आदि का ही संग्रह है। . गुटका नं. १८. लिपिकत्ती अज्ञात । पत्र संख्या १६. साइज =x2 इञ्च । प्रति प्राचीन है। गुटके में मतसर. कल्याण मन्दिर स्तोत्र है । महाकवि यमरसीदास का कल्याण मन्दिर स्तोत्र है। ४६ गोम्मटसार जीवकाएड सटीक । रचयिता नेमिचन्द्राचार्य । टीकाकार अज्ञात । मापा प्राकृत । संस्कृत पत्र संख्या ६२. साइज १२xA अशा प्रारम्भ में संस्कृत में प्रारम्भिक प्राचार्यों का परिचय दिया गया है। जीवकाण्ड के प्रथम अध्याय पर ही संस्कृत में विशद रूप से टीका की गयी है। एक सौ अठत्तर Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७ गोम्मटसार जीवक एडभापा । 1 भाव कार पं० टोडरमलजी भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ४०१ साइज ११५७ इञ्च । कर्णाटक लिपि से टीका लिखी गयी है। प्रारम्भ में टीकाकार ने अपना विस्तृत परिचय दिया है। हैं। चह प्रति नं० २. पत्र सुख्या ४६५. साइन ११४७ इञ्च । केवत २०२ से ४६५ तक कर्मकांड की प्रति है । * श्री महावीर शास्त्र भंडार -प्रन्थ * ४= गोम्मटसार भोपा । भाषाकार पंडित टोडरमत्तजी । भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ६६% सदन लिपि स्थान १८=२. पंडित घासीरामजी के पढने के लिये उक्त ग्रन्थ की प्रतिलिपि की गयीं। प्रति पूर्ण है। लिखावट सुन्दर है। के ४३ गोम्मटसर वृत्ति । 'भाषा संस्कृत-प्राकृत | पत्र संख्या २५५. साइज ११||४५|| इञ्च | गाथाओं की संस्कृत में दोका है । लिपि संवत् १७४४. लिपि स्थान श्री संग्रामपुर । १४७ से १८६ तक के पृष्ठ नहीं है 1 ध ५० घंटाकर्ण कल्प | १८८६ | J रचयिता श्रज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १६. साइज ६४५ इव । प्रति जीर्ण हो गयी है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ४ साइज १०x४ sa। संस्कृत से हिन्दी अनुवाद है। लिपि संवत् च ५१ चतुर्गति वर्णन | रचयिता अत | भाषा हिन्दी पत्र संख्या = साइज ६५५ इञ्च । गोम्मटसार मुलाचार आदि शास्त्रों के आधार पर चारों गतियों के सुख दुख का वर्णन किया गया है। ५२ चतुभंगो वर्णन । रचयिता अज्ञात | भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या २१३. प्रति अपूर्ण है पृष्ठ संख्या २०० से २१२. तक | गुटका नं० २ । पृष्ठ नहीं है ५३ चतुर्दशी स्तोत्र | "भाष कार श्री रतनलाल । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या २२ साइज १२४८ इञ्च । लिपि संवत् १६६६ प्रति नवीन है। लिखावट सुन्दर हैं। एक सौ उन्यासी Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के मन्त्र * ५४ चतुर्विंशति जिन पूजा | रचयिता श्री बख्तावर सिंह | भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ६७, साइज १९४६ । ज्ञिपि संवत् १६३३ जेठ बुद्धि ३. प्रति जीगांवस्था में है । अन्त में कवि ने अपना अच्छा परिचय दिया है रचना: संवत् १८६२ है । प्रति नं० २. पत्र संख्या ६६. साइज १२४७ इञ्च लिपि संवत् १६०७ प्रथम पृष्ठ नहीं हैन ५५ चतुर्विंशति जिन पूजा । रचयिता कविवर श्री वृन्दावन । भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ४५ साउच १२० इन्च | तिपि संवन १६२२. अन्त में लिपि कती ने अपना परिचय दिया है। प्रति पूर्ण है। लिखावट सुन्दर |:: प्रति ०२ पत्र संख्या ५७ साइज ११७ । लिपि संवत् ११३५. ११. वां पृष्ट नहीं है । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ४४ साइज १०४५ || इञ्च । लिपि संवत् १=== लिपि स्थान जयपु लिपिकर्त्ता वसंतरावजी । " ५६ चतुर्विंशति जिन पूजा | रचयिता श्री सेवाराम | भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ५५ साइज ६५॥ इ । रचना. संवत् १=५४लिपि संवत् १८७१ प्रति पूर्ण हैं । कवि ने अन्त में अपना परिचय भी दिया है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ४२. साइज ११||४५ च । प्रति पूर्ण है। लिखाबट सुन्दर है । ५७ चतुर्विशति जिन पूजा । ! रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४२. साइज १० || ४४ || इञ्च । प्रथम पृष्ठ नहीं है । भाषा सुन्दर तथा सरल है । : " ५८ चतुर्विशति जिन स्तुति सटीक । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४१. साइज १०||४|| च । वर्तमान चौबीस तीर्थकरों की स्तुति है तथा उसकी वृहद टीका भी है। .. ५६ चतुर्विंशति पूजा | रचयिता श्री चौ० रामचन्द्र । भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ६५, साइज १०x६ || इश्र्व । लिपि संवत् १८५४. लिपि कर्त्ता पं० मिश्रलालजी । प्रति पूर्ण है । ** प्रति नं० पत्र संख्या ६५. साइज २०४७ इव । लिपि संवत् १६३५ प्रति पूर्ण है । प P ६० चंदना चरित्र | रचयिता आचार्य शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३२. साइज १०x४ || इव । क्षिपि संवत् १८३१. भट्टारक श्री सुरेन्द्रकी र्ति ने प्रथ की प्रतिलिपि बनायी है। 2 एक सौ अस्सी Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * ६१ चंद्रप्रभकाध्य । रचयिता श्री वीरनन्दि। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १४५. साइज १०४५ इञ्च । प्रति नवीन है। लिखावट सुन्दर है। प्रति नं० पत्र संख्या ६३. साइज १०४४।। इञ्च । प्रति प्राचीन है। ६१ चरचसार । रचविता पंडित शिवजीलालजी । भाषा हिन्दी गद्य। पत्र संख्या १३६, साइज १०||४|| इञ्च। प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां है तथा प्रति पंक्ति में २४-२८ अक्षर। प्रति विशेष प्राचीन नहीं है। ६२ चरचाशतक। भाषाकार श्री द्यानतरावजी । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ४२२. साइज १०ilx७|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २८-३२ अक्षर । मध्य भाग के कुछ पत्र गल गये हैं । रचना संवत् १८४२. लिपि संवत् १९३७. श्री विहारीलाल के सुपुत्र श्री हीरालाल के पढ़ने के लिये ग्रन्थ की प्रतिलिपि तैय्यार की गयी। प्रति नं०२. पत्र संख्या ५४. साइज ७५. इञ्च । लिपि संवत् १६५६ । ६३ चरचासमाधान । रचयिता पं० भूघरदासजी। भाषा हिन्दी : पत्र संख्या ५८. साइज १२४६।। इञ्च । लिपो संवत् १८२०. अन्य के अन्त में भाषा कार ने अपना परिचय भी दे रखा है। ६४ चाणक्य नीति शास्त्र । लिपिकर्ता विद्यार्थी जीवराम । पत्र संख्या २७. साइज ६४५ इश्व । लिपि संवत् १८४०. केवल । द्वितीय अध्य य से लेकर अष्टम अध्याय तक है। . प्रति नं०२ पृष्ठ संख्या १६. साइज ७४४। इञ्च । केवल तीसरा अध्याय है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या १६. साइज १०x४। इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ६५ चिन्तामणि पत्र। रचयिता ६० दामोदर । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १६. साइज १०x४ इश्व । विषय-मंत्र शास्त्र । अजैन मंत्र शास्त्र है। ६६ चौबीस ठाणा । रचयिता श्री नेमिचन्द्राचार्य । भापा प्राकृत । पत्र संख्या ३६. साइज १२४५ इञ्च । लिपि संवत् एक सौ इक्यासी Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के ग्रन्थ t १८४७. भट्टारक श्री सुरेंद्र कीर्ति ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि बनावी प्रति सटीक है। कठिन शब्दों का अर्थ संस्कृत में दे रखा है ! ६७ जगमाल । रचयिता श्र मुनि यशः कीति भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ११२ साइज १९९५ इञ्च | विषय वैद्यक | ६८ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति | रचयित-अज्ञात भाषा संस्कृत | पृष्ठ संख्या २०. साइज ११||४|| च प्रत्येक पृष्ठ पर १४ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४६२० अक्षर | लिपि संवत् १४६२ माह सुडी २५ लिपि कर्त्ता ने प्रशस्ति लिखी है। लिपि स्थान तज्ञकगड | लिति कर्त्ता ने सोल की वंशोत्पन्न राज सेवदेव के राज्य का उल्लेख किया है। ६εजम्बूस्वामीचरित्र | रचयिता ब्रह्म श्री जिनदास । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १०६ साइज १६३०. लिपि स्थान जयपुर । अन्यकर्त्ता और लिपिकार दोनों ही के द्वारा की प्रति पूरा है। ७० जलयात्राविधि I पति ०२ पत्र संख्या २०६ साइज १०।४४ इञ्च । लिपि संवत् १६६२. लिपि कर्त्ता ने आमेर के महाराजा मानसिंह का उल्लेख किया गया है । अन्तिम पृष्ठ नहीं है । | पन्न संख्या २ भाषा संस्कृत | साइज ११||४५ | प्रति प्राचीन है । ११४४ || इ | लिपि संवत् प्रशस्तियां लिखी हुई हैं । ७ १ जातककर्मपद्धति । रचयिता श्री श्रीपति । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५. साइज ||४|| इञ्च | लिपि संवत १६३७. प्रति नं० २. पत्र संख्या ६. साइज ६||४|| इञ्च । लिपि संवत् १६४५. एक सौ विवासी i ७२ जिंनांतर । लिपिकर्त्ता पं० चिंतामणी । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. लिपि संवत् १७०८. विषय तीर्थंकरों के समयान्तर आदि का वर्णन किया । Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महाघोर शास्त्र भंडार के अन्य * ५१३ जिननिव प्रवेशविधि ! भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १. साइज १०x४ इञ्च । उक्त विधि, प्रतिष्ठापाठ में से ली गयी है ! प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ११. साइज १०५४ इव । प्रति पूर्ण है. । विन्ध प्रतिष्ठा विधि भी है। ७४ जिनयज्ञकल्प। .... रचयिता महा पंडित आशाधर ! पाया संस्कृत । पत्र संख्या १३४. साइज ११४४ ५छ । लिपि संवत् १५६४ साबण लुदी ६. लिपि कत्ती ने एक अच्छी प्रशस्ति लिखा है। मंडलाचार्य श्री धर्मचन्द्र के पढने के लिये प्रन्थ की प्रतिलिपि गयी ! प्रति की जीर्णावस्था में है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ८६. साइज ११११४४|| इञ्च। लिपि संवत् १६१०. 'डलाचार्य श्री धर्मचन्द्र के शिष्य श्री नेमिचन्द्राचार्य ने अन्य की प्रतिलिपि बनायी। ७५ जीवन्धर चरित्र ! रचयिता भट्टारक शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२५. साइज १२x६ इञ्च । लिपि संवत् १८६२. प्रशस्ति है। ७६ जैनलोकोद्धारक तत्वदीपक । रचचिता अज्ञात । भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या २१. साइज १२x६ इञ्च | विषय-धार्मिक । प्रति नवीन है। ७७ जैनविवाहविधि । " रचयिता पंडित तुलसीराम । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १७. साइज १२४१|| इन्च। पंडितजी ने लिया है कि विवाह विधि को अन्य जनाजैन विधियों को देखने के वात् बनाया गया है। ७८ जैनविवाहविधि । . . . . रचयिता अज्ञात । भापा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ७२. साइज ६x४ इञ्च । प्रति सुन्दर है। जिल्द बंधी प्रति नं० २. पत्र संख्या ६. साइज ११४५शा इव । वियाह विधि संक्षेप में है। ७६ जैनशान्तिमंत्र। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज १०||x/ इश्व । प्रति पूर्ण है ! अन्तिम पृष्ठ के एक भाग पर पर कुछ कागज चिपका हुआ है। • एक सौ तियासी Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र मंडार के ग्रन्थ * ८० जैन सिद्धान्त उद्धरण । संग्रहकना अज्ञात । भाषा संस्कृन । पत्र संख्या १७, साइज १०||४४ इञ्च । अजैन ग्रन्थों में जैन सिद्धान्त के उद्धरणों को दिखलाया गया है। ८१ ज्योतिषसारसंग्रह। रचयितः श्री मुनादित्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या =. साइज ११४५|| इञ्छ । लिपि संवत् १८३८. लिपिकता भट्टारक श्री नरेंद्रकीर्ति । ८२ णमोकार पूजोद्यापन। रचयिता श्री अक्षराम . भाषा संस्कृत । पन संख्या ५. साइज ११४५ इञ्च । प्रशस्ति दी हुई है। ८३ तत्वार्थ सूत्र । रचयिता श्री उमावानी । भाषा संस्कृत । भट्टारक श्री देवेन्द्रकोत्ति ने उक्त शास्त्र की प्रति लिपि । बनायी। प्रति सुनहरी अक्षरों में लिखी हुई है। शास्त्र के दोनों ओर के कागजों पर सुन्दर वृक्षों के चित्र भी हैं। ८४ तत्वार्थ सूत्र भापा। भापकिार अज्ञात । पत्र संख्या ७२. माइज ११४५ उच्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३३-३६ अक्षर ! भाषा सरल तथा सुन्दर है। लिपि संवत १६१२. आसोज बुदी १. लिपि कना पं. शालगराम । प्रति नं०२ पत्र संख्या ६०. साइज १०||६|| इन्च । प्रति नवीन है। लिपि सरत् १६७५ । ८५ तत्त्वार्थमूत्रवृति । वृत्तिकार श्री श्रुतसागर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २६१. साइज १४५| इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४४-४७ अक्षर । लिपि संवत् १७४०, लिपिकर्ता यावा सांबलदास | पांडे श्री लक्ष्मीदास ने ग्रंथ की प्रतिलिपि बनायी। प्रति सुन्दर तथा स्पष्ट है। प्रति नं० २. पन्न संख्या ४५. साइज १०||४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। पंचम अध्याय तक है प्रथ है। ८६ तत्वार्थ सूत्रवृति । ____ वृत्तिकार श्री योगदेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्य ८२. साइज ११॥४५ इन्च । सूत्रों का अर्थ सरल एक सौ चौरासी Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीरशास्त्र भंडार के अन्य * सकृत भाषा में दे रखा है। प्रति प्राचीन है। अन्त में वृत्तिकार ने अपना परिचय मा दे रहा है। s:: प्रतिम २. बुस्तिकार भट्टारक श्री सफल कीर्ति । पत्र संख्या ७४. साइन ११४५।। इञ्च । लिपि संवत् १२२०. संस्कृत पद्या में सुना का अथ द रखा है....... .. ... ... ... ...... ८७ तत्वज्ञान तरंगिणी ! । चयिता भट्टारक श्री ज्ञान भूषण । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २८. साइज १०||६|| इञ्च । लिपि संवत् १८०७. लिपि स्थान उदयपुर । ८- तीर्थचंदना। भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ५. साज ६x६ इश्व । प्रायः सभी तीर्थों का स्तवन किया गया है। :: तीर्थकरस्तोत्र.. .. . ... . .. ... ... ... ... भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २. साइज १०||४५ इञ्च । लिपि संवत् १६१६ । :::::: १० तेरह द्वीप पूजा। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २६५. साइज १०|||| इञ्च लिपि संवत १९२४. लिपि का नन्दरोमालिपि'स्थान जयपुर ।' प्रति नवीन है। ite : . . . . . . .. :: : : ६१ दत्तात्रययंत्र । . . . . भाषा संस्कृत पत्र संख्या ३६. साइजx३ इञ्च । प्रति,पूर्ण है.।. विषय-मंत्र. १।। शास्त्र है। २२ दंडक की चौपई। साकार पंदौलतराम । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या ६०. साइज !xz.. इंञ्। प्रति नवीन है। अन्तिम पत्र पर एक कागज चिपका हुआ है। : ....... :: :: : :... :..:. :: 63 न . .......... ... ... .. ... ... ... .. .... ! रचयिता पं० भारमल्ल | भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या २५. साइज १३४८/इन्छ । प्रति नवीन है।, लिपि सुन्दर है। :: : . .: ५ . :: .... .. .. ... . ६४ दशलक्षण कथा । रमिता श्री लोकसेन । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १८४० । एक सौ पिच्यासो Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के प्रन्ये * ६५ द्रव्य संग्रह सटीक । .. टीकाकार श्री ब्रह्मदेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६६. साइन १२४ा इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६.४० अक्षर : प्रति प्राचीन पूर्ण है। १६ दान कथा । - रचयिता ५० भारमल । भाषा हिन्दी पदा! पत्र सन्द ।। ४. साइज १०||४५ इञ्च । प्रती नवीन है ! - - - - - १७ घन्यकुमारचरित्र ।। . . . . . . ! रचयिता भट्टारक श्री सकलकीर्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४८. साइज १२x४ इञ्छ । प्रति पूर्ण तथा सुन्दर है। प्रति नं० २ पत्र संख्या ४७. साइज !x५।। इञ्च । प्रति अपर्ण है। हम धन्यकुम र चरित्र । . . . सुलकर्ता ब्रह्मनेभिदत्त । भापकर्ता श्री वुशालचन्द । भाषा-हिन्दी (पद्य ) । पत्र संख्या ५७. साइज़ १२x२ इन्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २८-३२ अक्षर । भाषा सरल और अच्छी है। अन्तु में भापकर ने अपना परिचय भी दे रखा है। सम्पूर्ण पद्य संख्या ३६ है। . - . - - - . - - - . - - . . - . . - - ... . - . - . . . . - . - - - . . . - . धर्मकुंडलि भाषा । भाषाकत्ता श्री बालमुकुन्द । भापा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ४०. साइज १०x इश्च । रचना संवत् १६२१. लिपि संवत् १९३० । १०. धर्मचरचा वर्णन । ... रचयिता अज्ञात । भाषा हिन्दी । गद्य ) पत्र संख्या २०: साइज १०||४५ इञ्च । विषय धार्मिक चर्चाओं का वर्णन । लिपि संवत् १६२२. भापा विशेष अच्छी नहीं है। १०१ धर्म चक्रपूजनविधान । रचयिता श्री यशोनन्दिसूरि । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या २५. साइज ११४४३ इंश्च । प्रति पूणे तथा सन्दर है। अन्त में आचार्य धर्म भूषण को नमस्कार किया गया है। । . ... .. ... प्रति नं० २. पत्र संख्या १७. साइज ११४५।। इन्न । प्रति पूणे.तथा सुन्दर है। - - .. . . - . - ... . . - - - - . - - . -. - . एक सौ छियासी . . .. - Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ धर्मपरीक्षा । ' Diacr रचयिता श्री दत्त गौड़ भरा हिन्दी पत्र संख्या १२४ साइज ६४६ इव । रचना स्थान धामपुर । प्रति नवीन है । " १०३ धर्मपरीक्षा भाषा | रचयिता श्री मनोहरलाल । भाषा हिदी पद्य । पत्र संख्या =६. साइज २१४५ इ । लिपि संवत १८७६. भाषाकत्ता ने एक वृहत् प्रशस्ति दे रखी है । T M 1 १०४ धर्मप्रबोध । 7:" ST क कल्याण मार्ग को पढ़ना है पृष्ठ नहीं है । * श्री महावीर शास्त्र भंडार के प्रन्थ * रचयिता आज्ञत | भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या २८. साइज ६x४|| इञ्च | विषय - स्याद्वाद सिद्धन्त का समर्थन | अनेक जैनाजैन ग्रन्थों के उदाहरणों द्वारा यह सिद्ध किया है कि स्पााद सिद्धान्त को अपनाना अच्छी है। प्रति प्राचीन मालूम देती है । लिपि संवत् १९१३. प्रथम १०५ धर्मप्रशोचर श्रावकाचार | लिपि संवत् १६४५ । १०६ धर्मरत्नाकर | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या साइज १०||४५ इव । लोक संख्या १५०० | ST t 11 रचयिता श्री जयसेन सूरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १४३. साइज १९४४ व प्रशस्ति है । १०७ धर्मशर्माभ्युदय सटीक | टीकाकार पंडित यशःकीत्ति । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २२६. प्रारम्भ के १५६ पृष्ठ नहीं हैं । अन्तिम पृष्ठ नहीं हैं । 13 प्रति नं० २. पत्र संख्या २१६. साइज ११०४ । प्रति पूर्ण तथा प्राचीन है । टीका का नाम संदेह ध्वांतदीपिका | १०८ धर्मसार । रचयिता श्री पंडित शिरोमणिदास | भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ६६. साइज १०४५ || इञ्च । रचना संवत १७३२. लिपि संवत् १६१७ दशवर्मों के अतिरिक्त अन्य सिद्धान्तों का भी वर्णन है। प्रति पूर्ण है। लिखावट सुन्दर है | एक सौ सित्यासी Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६ धर्मोपदेश श्रावकाचार | १७४८ वि पिस्थान मालपुरा | 1.17 रचयिता ब्रह्म श्री नैमित्त | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३० साइज १० ४४|| इश्र्व | लिपि संवत् १११ - नयचक्रवृति | + BEF -* ॐ श्री महावीर शास्त्र भंहार के ग्रन्थ १९१० नंदीश्ववरवृहत्पूजा | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत पत्र संख्या ११७. साइज १०४५ इव । प्रति अपूर्ण है। प्रारम्भ और अन्त के पृष्ठ नहीं हैं। ११३ नवग्रहपूजा विधान | न ११४ नागकुमार पंचमीकथा | 1570 4 वृत्तिकार भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीर्ति। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४२, साइज १२x६ इञ्च । प्रति पूर्ण है । ܐܘܐܐ ११२ नवग्रहपूजा । रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६, साइज ११||| पूंजी में कांम श्रीने वाली सामग्री को सूची भी दे रखी है। नवमदों का एक चित्र भी है । 147 1 रचयिता श्रज्ञात | भाषा हिन्दी | पृष्ठ संख्या १२. साइज १०||७|| इव । प्रति पूर्ण है । 4... एक सौ f रचयिता श्री मल्लिपेणसूरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १६. साइज १० ||२४|| इ | 5. ११५ नामश्री की कथा | रचयिता ब्रह्म श्री नेमिदत्त भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १४. साइज ११४५ इंच | लिपि संवत १८०३. रात्रिभोजन त्याग का उदाहरण है । a. १६ नामावलि । रचयिता श्री धनंजय भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या २७ साइज ६०४ इछ । लिपि संवत् १८०४ विषय- शब्दकोष | प्रति नं० २. पत्र संख्या ३७. साइज ११।४५ इव । प्रति अपूर्ण है । Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७ न्यायदीपिका | रचयिता धर्मभूपणाचार्य । भाषा संस्कृत पत्र संख्या ३१. साइज १०x४ इन्द्र । लिपि संत् १७१३. लिपिस्थान जयपुर । प्रति नं० २. पत्र संख्या ६७. साइज ११||४५ इञ्च । प्रति नवीन है। अक्षर बहुत नोटे २ लिखे 4207 हुये हैं । ११८ निशिभोजनकथा । सुन्दर है । * श्री महावीर शास्त्र भंडार के ग्रन्थ * र० १० भूरामल | भाषा हिन्दी | पत्र संख्या २८. साइज ६x४|| ३ | लिपि संवत् १६४६. लिखावट अप्रकाशित है। प्रति नं० २. पत्र संख्या १७. साइज १०||४|| इ | ११६ नीतिसार | रचयिता श्री इन्द्रनन्दि भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५. साइज १० ॥ ४४ ॥ इव । ग्रन्थ अभी तक 14 T १२० नेमिनाथपुराण | रचयिता ब्रह्म श्री नेमिदत्त भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १५४ साइज १०४४ || इश्र्च | प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-२८ अक्षर । प्रन्थकर्त्ता तथा लिपिकर्चा दोनों ने ही प्रशस्ति लिखी है । लिपिकर्ता ने तीन पृष्ठ की प्रशक्ति लिखी है। लिपि संवत १७०३ फागुण सुदी पंचमी । प्रति न० २. पुत्र संख्या १५५: साइज ११९५ इव । लिपि संवत् १८६८, लिपि कर्त्ता पं० उदयलाल । १२१ नेमीश्वर गीत रचयिता श्री वल्हव | भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या १५. साइज १०x४ || इच। लिपि संवत् १६५०. दनना प्राचीन है । भाषा हिन्दी से बहुत कुछ मिलती जुलती है । प प १२२ पद संग्रह | -- 3 एक सौ नवासी ܕ ؛ इस संग्रह में निम्न रचनायें हैं ( १ ) वर भजनावलि । रचयिता श्री देवचन्द्र भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ६. साइज ३||४४ इच (२) अढाई रासा । रचयिता श्री विनयकीर्त्ति। भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ४ साइज ६४ इछ । लिपि कर्त्ता तरलाल | संपर Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र मंडार के प्रत्य * (३) राजुल पच्चीस । रचयिता विनोदी लाल । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ११. साइज ६x४ इञ्च । लिपि का यति गुमलीराम । (४) तीन स्तुति । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ८. (५) पट रस व्रत कथा । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ४. (६) नरक दुःख वर्णन । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ४. साइज Ex५ इञ्च । (७) चौबीस बोल । भाषा हिन्दी । पन संख्या ४. लिपिकता पं० वस्तराम । (८) कपट पच्ची। रचयिता श्री रायचन्द्र । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १. (६) उपदेश पच्चीसी । भा.पा हिन्दी । पत्र संख्य ३. (१०) सुभाषित दोहा । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३. पदा संख्या ७५. (११) नौरत्न । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३. साइभ ६x४ इन्च । (१२) प्रतिमा बहत्तरी । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १३. रचयिता पं० शूलराम । रचना संवत् १८०२. (१३) साधु वंदना । रचयिता महाकवि बनारसीदास । पत्र संख्या १०. (१४) शिक्षा पन । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १०. साइज ८४३|| इञ्च । १९५) योदशभागों रासा । रचायेता श्री धर्म सागर । भाषा हिन्दो। पत्र संख्या १०. लिपि कत्ता श्री गंगावक्स । भाषा सुन्दर है। १२३ पद्मनन्दि श्रावकाचार । रचयिता श्री पद्मनन्दि । भाषा संख्या। पत्र संख्या ७१. साइज ११४४ इञ्च । लिपि सर्वेत् १५५६. प्रशस्ति है। १२४ प.पुराए भापा । भापराकार पं० दौलतरामजी। भाषा हिन्दी गय। पत्र संख्या ५३३. साइज १२४७ इञ्च । रचना संवत् १-२३. लिपि संवत् १६७२. प्रारम्भ के ३६ पृष्ठ नहीं हैं। १२५ पापुराण । रचयिता श्री रविषणाचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५५ साइज १६x६ इन्च । लिपि संवत् १४४७, प्रशस्ति है । पचे २०० से ४०० तक नहीं है। प्रात नं० २. पत्र संख्या ४८६. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १६६८ माघ बुदी तेरस । प्रति सटीक है। एक सौ नवे Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * प्रति नं० ३, पत्र संख्या ८२६ साइज १०४५ इञ्च । रचयिता ब्रह्म श्रो जिनदास । लिपि संवत् १६१२. प्रशस्ति है। उक्त पुराण दो वेष्टनों में बंधा हुश्रा हैं। १२६ पद्मपुराण । भागाकार अज्ञात । भाषा दिन्दी गद्य । पत्र संख्या २०६. साइज ११॥xथा इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १४ पंक्तियां तथा प्रते परि में ५३-५६ अक्षर । प्रति अपूर्ण है । २८ वें पर्व से आगे नहीं है। - प्रति नं० पत्र संख्या ४५७, साइज १०|x/i इञ्च । प्रति अपूर्ण है। १२७ पद्मावती स्तोत्र । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ३. साइज १०४५ इन्च । पद्य संख्या ३५. प्रति नं०२. पत्र संख्या.साईज ५ इंश्च । प्रति पूर्ण है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या ७. साइज १०||४|| इश्च । उद्यापन की विधि भी दे रखी है। १२८ परमात्मप्रकाश। रचयिता अचार्य श्री योगीन्द्र देव । भाषा प्राकृत | पृष्ठ संख्या २७. साइज १०x४|| इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ८ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-३८ अक्षर। लिपि संवत् १६२० कार्तिक सुदी १२ वृहस्पतिवार । आचार्य श्री हेमकोत्ति के सदुपदेश से सेंठ भोवारणी के पढ़ने के लिये ज्योतिषार्च श्री महेश ने अन्ध की प्रतिलिपि बनायी । ग्रन्थ पूर्ण तथा सुन्दर हैं। १२६ परमात्म प्रकाश ___ भाषाकार--- दौलतरामजी । पत्र संख्या २८६. साइज १०||४५ इञ्च । प्रत्येकं पृष्ठ पर ६ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३१-३५ अक्षर । मूल अन्य की टीका श्री ब्रह्मदेव ने संस्कृत भाषा में बनायी तथा उसी टीका के आधार पर पं० दौलतरामजी ने हिन्दी भाषा में सरल अथं लिखा । लिप संवत १८७१ आषाढ सुदी ३ वृहस्पतिवार ! दीवाण श्री जयचन्दजी बाबड़ा के सुपुत्र श्री ज्ञानचन्द्र तथा उनके सुपुत्र चोखचन्दनी पन्नालालजी ने उक्त ग्रन्थ की प्रतिलिपि बनवायी। प्रति नं० २. साइज ११||x= इञ्च । पत्र संख्या १३३. लिपि संवत् १६१३. लिंपि स्थान-जयपुर। . . श्री धनजी पाटणा साली वालों ने उक्त मन्थ की प्रतिलिपि बनवायी। , १३० पंचकल्याण। रचयिता भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीर्ति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या २६. साइज १०||xx11 इञ्च । एक सौ इक्यानवे Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * -- - - - -- - १३१ पंचपरमेष्टि पूजा । रयता श्री यशोनन्दि । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ५६. साइज १४।। इन ! लिपि संवत् । १८६८. प्रशस्ति है। प्रति नं० २ पत्र संख्या ३५. साइज १०||४५ इञ्च । लिपि संवत १६२०, १३२ पंचम रोहिणी पूजा । . रच यता श्री केशवसेन । भाषा संस्कृत.।. पन संख्या ६. माइज ११||४|| इञ्च । लिपि संवत् १-३६. लिपिकत्ता भट्टारक सुरेन्द्र कीर्ति । १३३ पंचमास चतुर्दशी व्रतोद्यापन। . रचयिता भट्टारक श्री सुरेंद्रकी ति । मापा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज १०||४५ इश्च । १३४ पंचमुखी हनुमानकवच । मापा संस्कृत। पत्र संख्या २.सारज १५४ इञ्च । विषय-मन्त्र शास्त्र १३५ पंचम्नबनाव चरि। लिपिका श्री जेठम न । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३५. सा ज १२.६ इन्च । लिपि संवत १९०६. भक्तामर, कल्याणमन्दिर, एकीभाव, विषपदार, भूपाल चतु विश'त स्तवनों का संग्रह है। १३६ पंचारितकाय । भापा प्राकृत । पृष्ट संख्या ७६. साइज १२४५ इञ्छ । प्रति जीर्ण हो चुकी है। प्रति सटीक है।' प्रति न० २. पृष्ठ संख्या ५१. साइन ११४४।। इश्च । लिपिकती श्री चन्द्रसूरि । १३७ पंचसग्रह। रचयिता अमितगत्याचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६६. साइज ११४४|| इश्च । लिपि संत्रत १५०४ लिपिस्थान गोपाचलदुर्ग। लिपिकतों ने महाराजाधिराज श्री डूंगरसिंह का उल्लेख किया है। प्रत पूर्ण है। १३८ प्रबोधसार। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३२. साइज ६४३|| इञ्च । विषय-श्रावकाचारं । प्रति पूर्ण है। एक सौ बानवें Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्रीमवार शास्त्र भंडारे के ग्रन्थ १३६ प्रतापकाव्य। : रचयिता भट्टारक श्री शक्रदेव । भाषा संस्कृत । पृष्ट संख्या ११६. साइज १०४५ उच्च । लिख. बट सुन्दर है । जिल्द यं घो हुई है। ११० प्रतिष्ठा पाट सामग्री विधि । | भाषा संस्कृत । पन्न संर या १:३. मंडलाचार्य श्री चन्द्रकीति के उपदेश से प्रतिलिपि की गयी 1. प्रति में अनेक चित्र भी हैं तथा मन्त्रों के आकार भी दे रखे हैं। १४० प्रतिष्ठासार । रचयिता आचार्य नसुनन्दि। भाषा संस्कृत। पत्र संख्या २७. साइज १०॥४४ इश्च । लिपि संवत् । १५१७ जेठ बुदी : सोमाबार । प्रति की दशा अच्छी है। १४१ प्रद्य म्न चरित्र । रचयिता श्री महासेनाचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०४. साइज १०x४|| इना लिपि संवत १५४८, लिपिकर्ता मुनि रत्नकी त्ति । प्रशस्ति है । दश सगे हैं। १४२ प्रद्युम्नचरित्र । . रचयिता श्री में सेनाचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०४. साइज ११४४।। इञ्च ! प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३३-३६ अक्षर । सर्ग संख्या १४. लिपि संवत् १५१८. लिविस्थान टोडा। मन्थ, पूर्ण है लेकिन जीर्णावस्था में है। .:. : : ......., १४३ प्रद्युम्नचरित्र। रचयिता आचार्य श्री सोमकीति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २१५. साइज १०||४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर.११.पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३५-३८ अक्षर । लिपि संवत् १६११. अन्धकार तथा लिपिकार दोनों के द्वारा ही लिखी हुई प्रशस्तियां हैं। अन्य को हालत विशेष अच्छी नहीं है। . १४४ प्रमेयरत्नमाला। रचयिता श्री माणिक्य नन्दि । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या २६. “साइज १२४५ इश्च । लिपि संवत् १५७१, प्रशस्ति है। . . : ..... ... ... ... ... :: ... प्रति नं० २. पत्र संख्या २१. साइज ११||४इद । प्रति अपूर्ण है। एक सौ तिरानवे Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *- सहारशास्त्र संचार के माय * '४ाचा श्रावकाचार । चिता श्री.बुलाकीदास । सा हिन्दी का 'पक संस्था का साइज इ.] प्रद ४६ यत्तस्थापकाचार चयिता भट्टारक की सफारतकोनि। मात्रा मस्कृत। पनन्न वा १२.इन रx२ अस.। लिकि संवत् २३ - प्रति प्रण है। लिपिका कारा मिली हुई पारित है। ३४७:प्रायश्चित ग्रंथ स्वविता ये इंद्रजन्टि। मार कृत : पृष्ट सहपा २३ साइज शाइन लिपि संवत् १८४६ लिपिस्थान जयपुम्न १५-प्रायश्चित विनिश्चय वृर्ति २५ वृत्तिकार श्री नन्दिगुरु भाषा संहता पसन्या र साइज इञ्च । विपि संवत् १८रकअन्क श्वेताम्पर सम्प्रदायका हैं । लिपिस्थान जयपुर। २४६ प्रायश्चित-शास्त्र चिता अज्ञात । माया संस्कृत । पच-सख्या साहजEOXXइम । पसरा . ४० प्रायश्चित विधान है। मापा लंकृता पत्र संख्या ५ सम्इज Ext र लिपि स्वन १६७४ भट्टास्क श्री महेंद्रकीर्ति जी में मने पल्ले केलवे रक्त विमान की प्रतिलिपि.की थी। पदा संख्या-- १६:५१. पाण्डव पुराण । __ स्वयिता पंडितः भूधरदासजी भाषा हिन्दी पचान पत्र संख्या ११३. साइज'१०रणा ईञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११-पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में 1-३५ अक्षर । रचना संवत् १७८६ लिपि संवत् १९१८. प्रति पूर्ण है. तथा शुद्धदै । मिपिकर्ता श्री छीतरमल । प्रशस्ति दै.. १२ पारडव पुराण . . . . . . . . . . . . . . . स्थयिता श्री पं० बुलाकीदास भापा-हिनी पयम पत्र संख्या ३२४: साईज शाइ लिपि संवत् १६० प्रति क्वीनत्तथा-सुन्दर है।-- . . . . . . . . . एक सौ-चौरानवे Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *त्री महावीर शास्त्र भंडार के पन्या* १५३ पाच नाथ चरित्र रचयिता भट्टरिक श्री सफलौति। मापा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १०६. साइन १२४५५॥ इज । लिपि संयन् १८०३, लिपि स्थान नयपुर । महाराजा श्री ईश्वरीसिंहजी के शासनकाल में श्री धनराज जी ने उक्त मन्ध को प्रतिलिपि कस्यायो । १५४ पाच नाथ पुरीण। रचयिता पं० भूधरदाम । भाषा हिन्दी पद्य। पत्र संख्या ह. साइज १६४५ इन्च । रचना संवत् F७४ लिपि संगत १८७-लिपि स्थान उणियारा " श्री महादजी उवत ग्रन्थ की प्रतिलिपि करवायी। २५५- पश्विनाथरासो रचयिता बलवस्तुपाल। भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३६. साइज १०४ इञ्च रचना संबन् १६५६. प्रशस्ति-है। प्रति न न है। .. १५६ पिंह स्थान ध्यान निरूपणं भापी " ... मूलका आचार्य शुभचन्द । भोपाकार अज्ञाती पसंख्या १२ साइज' ६/४३|| इश्वं । उक्त प्रकरण ज्ञानार्णव में से लिया गया है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ३२. सॉज ११२३ इञ्च । ध्यान को वर्णन संस्कृत में है। प्रति अपूर्ण है। ५७ पुरधाश्च कथाको । रचयिता श्री रामचम्न-मुमुक्षु । भाषा संस्कृतः। पत्र संख्या ५७. साईजे ११५ इन्च । प्रशस्ति है। मति पूर्व-तथा नकोन है१५८-पुरयास्व कथाको । . . . . . .. ... .. ... ... ... ..:::::.:. .. - माया हिन्दी । पृ संख्या अ. साइज ११६८ इञ्च लिपि संवत् १८५. लिपि स्थान जयपुर। F५६ पुण्याश्रय कथाकोश -.-:-::................ ....... .. स्वयिता अज्ञात, भाषा हिन्दी ।" पन्न सरेया २८३ साइज Tixit इच। लिपि संवत् १८२८, लिपिकर्ता श्री चेनसम :१६:पुरुषपरीक्षा .................... :::.:: :... रचयिता श्री विद्यापति। भाषा संस्कृत । पर्ने संख्या ७८, साइज ११४ इञ्च । कथा साहित्य को... : -11 एक सौं पिच्चानवे Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के ग्रन्य * -- तरह विषय का वर्णन किया गया है। लिपि संवत १८६०. चार परिच्छेद हैं। ग्रन्थ पूर्ण है। चाणक्य और राक्षस के सन्देशों का आदान प्रदान किया गया है । गद्य भाषा में होने से प्रन्थ का विशेष महत्व है। १६१ पुरुषार्थानुशासन । रचयिता श्री गोविन्द । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७३. साइज ११४५ उच्च । प्रारम्भ के तीन पृष्ठ नहीं है । प्रशस्ति तीन पृष्ट की है। अन्तिम भाग इस प्रकार है इति गोबिन्द चिले पुनपार्थानुशासने कायस्थ माथुर वंशावतंस लक्ष्मण नामांकित मोक्षार्थ ख्यान । नाम पष्टमोवसरः। १६२ पुष्पांजलि व्रतोद्यापन । . रचयिता धर्मचन्द्र के शिष्य श्री गंगादास । पत्र संख्या ८. साइज ११||४६ इश्च लिपि संवत् १६६५. " १६३ पूजा संग्रह। भ.पा हिन्दी । पत्र संख्या २१. साइज ६४६।। इञ्छ । आदिनाथ, अजितनाथ तथा संभवनाथ जी की पूजा है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ५०. साइश ३४६॥ इञ्छ । प्रति प्राचीन है । प्रति में निम्न पूजा हैं । १ चतुर्विशतिपाठ २ चन्द्रप्रभपूना... . .. ..... . ..... ३ मल्लिनाथ पूजा प्रति नं० ३. पत्र संख्या ४४. साइज १२x६ इञ्च । चतुर्विशति जिनपूजा रामचन्द्र कृत है। प्रति जीणे हो चुकी है। प्रति न० ४. पत्र संख्या ४१. साइज ११॥४६ इञ्च । आदिनाथ से नेमिनाथ तक की पूजायें है। प्रति नं० ५, पत्र संख्या ४२.. साइन ११४६ . इन। भाषा संस्कृत । 'आदिनाथ से पार्श्वनाथ तक पूजायें है। प्रति नं० ६. पत्र संख्या ४६. साइज १३।।४।। इश्व । भाषा हिन्दी। आदिनाथ से अरहनाथ तक: की पूजायें हैं। एक सौ छियानवे .. Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के प्रन्थ * पत्र संख्या लिपि संवत् १६४ पूजा संग्रह इस संग्रह में निम्र लिखित पूजायें हैं पूजा नाम “ भाषा तीर्योदक विधान . संस्कृत अक्षयनिधि पूजा सूत्र पूजा अष्टाह्निका पूजा द्वादशांग पूजा हिन्दी रत्नत्रय पूजा सरकत सिद्धचक्र पूजा बीस तीर्थकर पूजा देवपूजा हिन्दी हमंत्रपूजा संस्कृत सिद्ध पूजा १६५ पूजापाठ संग्रह। संप्रहकर्ता अज्ञात । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ४७. साइज १०१४५ इश्च । प्रति अपूर्ण है। अमित पत्रों के अतिरिक्त २,४४,४५,४६ के पृष्ठ भी नहीं हैं। .. .. . .. ... ..... १६६ पूजा सामग्री संग्रह। लिपिकर्ता अज्ञात। पत्र संख्या ४. इस संग्रह में विविध पूजा प्रतिभाओं के अवसर पर सामग्री की सूची तथा प्रमाण दिया है। प्रति नं० २. पत्र संख्या २१. साइज १०x४ इश्च । १६७ ब्रह्मविलास । रचयिता भैया भगवतीदास । भाषा हिन्दी (पद्य) । पत्र संख्या १६५.. साइन १६x४ इश्च । लिपि संवत् १९५६. प्रति पूर्ण है। लिखावट सुन्दर नहीं है। . ........maany एक सौ सित्यानवे Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महा पोर शास्त्र भंडार के अन्य * १६८ बीस तीर्थकर पूजा। रचयिता श्री छीतरदास । भाषा हिन्दी । पृष्ठ संख्या ६६. साइन १२८ इञ्च । लिपि संवत १६५६, प्रति नयीन है लिखावट मुन्दर है। पूजायें अलग २ हैं। अन्त में मन्यकर्ता ने प्रशस्ति भी लिस्त्रिी है । १६६ बुधजनसतसई। रचयिता पं० बुधजन । भाषा हिन्दी पृष्ठ संध्या ५. साइन १०||४७।। इश्न । १७० भगवती आराधना । रचयिता श्री शिवार्य । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या २४३. साइज १०x४|| इश्च । प्रति नवोन है। १७१ भजनावलि | संग्रहकर्ता श्री दुगालाल । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ६०. साइज १२४५३। इञ्च । अनेक भजनों का संग्रह है। १७२ भट्टारक पट्टायली। पृष्ठ संख्या द. भाषा हिन्दी । भट्टारकों की नामावली दी हुई है। उनके भट्टारक होने का समय स्थान आदि का भी उल्लेख है। प्रति नं०२. पत्र संख्या ११. साइज २०४६ इश्च । प्रति नं०३. पत्र संख्या ३. साइज ११४५ इञ्च । प्रति नं०४. पत्र संख्या ३. साइज ११४५ इञ्च । प्रति नं० ५. पत्र संख्या ११. साइज १०||४५ इञ्च । भट्टारकों का विस्तृत परिचय दिया हुआ है। १७३ भक्तामर स्तोत्र वृत्ति । वृत्तिकार ब्रह्मरायमल्ल । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३८. साइज १०x५ इश्च । प्रत्येक पृष्ट १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-४० अक्षर । प्रति पूर्ण है। १७४ भक्तामरस्तोत्र। प्रति सटीक है । मन्त्रों स'हत है। मन्त्रों के चित्र तथा विधि आदि सभी लिखी हुई है। पत्र संख्या - २५. साइज १०||x७ इश्च । तीसरे पद्य से ४१ वें पय तक है। एक सौ अध्यानवे Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दे रखी है १९७५ भक्तामर स्तोत्र मंत्र विधि | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २७ साइज ६४३॥ इच। मंत्र बोलने वाले आदि सभी के लिये विधि '+' प्रनिं० २. पत्र संख्या २५. साइज ६४५ इव । प्रति पूर्ण है। | * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * १७६ भक्तामर भाषा | कर्त्ता श्री नथमल | भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ६० साइज ६४६ इव । रचना १८२६. लिपि संवत् १८७६. पं० रतन चन्दजी के शिष्यलाल ने प्रतिलिपि बनायी । १७७ भर्तृहरिशतक | प्रशस्ति है । भाषाकार महाराज श्री सवाई | प्रथम पत्र नहीं है। लिपि संपि संवत् १३१७. १७८ भाव संग्रह | रचयिता श्री वामदेव | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३६. साइज १०||४५ इव । लिपि संवत् १६१७. सिंह जी । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ५७ साइज ४४ ३ || १७६ भावसार संग्रह | रचयिता श्री चामुंडराय । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६६ साइज १०|| ४ || इञ्च | लिपि संवत् १७७२. लिपिकर्त्ता भट्टारक श्री देवेन्द्रकीर्त्ति । लिपिस्थान श्रामेर (जयपुर) १८१ मदन पराजय | १८० भैरव पद्मावती कन्प | रचयिता श्री मल्लिपे | भाषा संकृत | पत्र संख्या ५६. साइज १५४७ इव । प्रति सटीक है। प्रशस्ति है| विषय - मन्त्र शास्त्र । प्रथम चार पत्र नहीं है । म रचयिता श्री जिनदेव | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६७ साइज १०३ ॥ इव । प्रति पूर्ण है । १८२ महापुराण | रचयिता पुष्पदंत | भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ५६३. साइज १२५५ । लिपि संवत् १६०६. एक सौ निन्यानवे Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * लिपिका ने अन्त में विस्तृत प्रशस्ति दे रखी है। अन्य पूर्ण है। प्राचार्य श्री जयकोक्ति ने उक्त प्रन्थ की प्रतिलिपि बनवायी। १८३ महापुराण भाषा । ___ भाषाकर्ता अज्ञात ! भाषा हिन्दी ( गद्य )। पत्र संख्या ४२५, साइज १२॥५॥ इश्च । लिपि संयन् १८०३. कोटा निवासी श्री गूजरमल निगोत्या ने उक्त (राण की प्रतिलिपि करवायी। १८४ महीपाल चरित्र। . ___ रचचिता महाकवि श्री चारित्र भूषण मुनि । पा संस्कृत। पत्र संख्या ३५. साइज १०x४ इन्न । सम्पूर्ण पद्य संख्या ६४५. प्रति शुद्ध तथा सुन्दर है। प्रशस्ति है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ३८. साइज ११४शा ५श्च । १८५ महीपालचरित मापा। . . __ भाषाकार श्री नथमक। भाषा हिन्दी गटा। पत्र संख्या ३८. साज १३४५। इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा पत्येक पृष्ठ पर ४२-४४ अक्षर। प्रन्य पूर्ण है। भाषाकार .रा लिखित प्रशस्ति है। रचना संवत् १६१८. लिपि संवत् १९८२. लिखावट सुन्दर है। १८६ महीपाल चरित्र भाषा । भाषाकर्ता अज्ञात | भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ५३. साइज १२४८ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ६३ पक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३५-३८ अक्षर। महाकवि चारित्र भूपण द्वारा रचित संस्कृत काय का हिन्दी अनुवाद है । हिन्दी प्राचीन होने पर भी अच्छी है। प्रति बिलकुल नवीन है। १८७ मिथ्यात्व निषेधन । रचयिता महाकवि बनारसीदास । भाषा हिन्दी गद्य | पृष्ठ संख्या २८, साइज ११४६ इञ्च । मिथ्यात्व का अनेक उदाहरणों द्वारा खंइन किया गया है। प्रारम्भ के - पृष्ठों का एक तरफ का भाग फटा हुआ है। १८८ मूलाचार। . रचयिता श्री वहि केलाचार्य। भाषा प्राकृत । पत्र संख्या १५२. साइज ११४शा इश्च । प्रति पूर्व है। लिखावट अच्छी है। Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * १८६ मूलाचार भाषा। भाषाकर्ता श्री नन्दलाल और अपभड़ास । भाषा हिन्दी गद्य। पत्र संख्या ७५२. साइज १०||४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर । पक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३१-३५ अक्षर । रचना संवत् १८==. लिप संवत् १६२५. भाषाकर्ता ने अपना विस्तृत परिचय दिया है। जयपुर के दीवान श्री अमरचन्द का भी उल्लेख किया है। १६० मुलाचार प्रदपीक । रचयिता आचार्य श्री सकल कीर्ति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १३७, साइज १६x४|| लिपि संयत् १८८३. लिपिका ने रामपुरा के महाराजा श्री किशोरसिंह का नामोल्लेख किया है । लिपिकत्ता श्री बिरदीचंद । प्रति सुन्दर है। १६१ यशोधर चरित्र । रचयिता महाकवि पुष्पदंत । भाषा अपभ्रंश। पत्र संख्या १०८. साइज ११४५ इञ्च । अपभ्रंश से संस्कृत में भी उल्था दे रखा है। १६२ यशोधर चरित्र । रचयिता श्री वासबसेन । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५१. साइज १०x४॥ इञ्च । प्रति प्राचीन है। १६३ यशोधर प्रदीप । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १५. साइज १०x४।। इश्च । प्राकृत से संस्कृत में टीका है। लिपिकर्ता पं० गेगा। . १६४ यशस्तिलक चम्पू । रचयिता महाकवि श्री सोमदेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या आश्वालासाइज इञ्च । प्रति प्राचीन है। __ प्रति नं० २. पत्र संख्या ४६. साइज १२४५ इश्च । प्रति अपूर्ण है। १६५ यशोधरचरित्र भाषा । भाषाकर्ता पंडित लक्ष्मीदास । भापा हिन्दी (पद्य)। पत्र संख्या ६६, साइज १३५६ इञ्च । रचना संवत् १७८१, भाषाकर्ता ने अपना परिचय अन्त में लिखा है। दोसौ एक Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * === = ==== = १६६ योगवितामरिण। रचयिता भट्टारक श्री अमरकीर्ति । भाषा संस्कृत । पन संख्या १२८, लिपि संवत् १७६२. लिपि स्थान टोंक। १६७ युगादिदेवम्तवन पूजा विधान । रचयिता आचार्य पद्मकीर्ति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १०. साइज ११५५ इञ्च । लिपि संवत् १८००, लिपिस्थान जिहानाबाद। १६८ रत्नकरण्ड धारकाचार । रचयिता पं० श्री श्रीचन्द । भापा अपभ्रंश । पत्र संख्या १११. साइज ११४५ इन्च ! लिपि संवत् २५78. १६६ स्नकाण्ड श्रावकाचार । रचयिता स्वामी समन्तभद्र। भापा संस्कृत । पत्र संख्या २०. नाइज १०४५ इन्च ! प्रति सटीक है। टीकाकार का नाम प्रभाचन्द है। प्रति नं० २. पत्र संख्या १३. साइज २०||2|| इन्च । लिपि संवत् १६३०, २०० रत्न करण्श्रावकाचार सार्थ । मूल कर्ता समन्तभद्राचार्य । भापाकार अज्ञात । पत्र संख्या ५६. साइज =xE. लिपि संवत् १६६४. २०१ रसमञ्जरी। रचचिता श्री भानुदत्तमिश्र 1 भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४१. साइज ११४५ इञ्च । प्रति पूर्ण है । २०२ रात्रि भोजन परित्याग कया। रचयिता ब्रह्म श्री नेमिदत्त । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६५. साइज eilx६ इञ्च । २०३ रामसनेही उत्पत्ति वर्णन है पृष्ठ संख्या २. भाषा हिन्दी । साइज ६४५ इञ्च । रामसनेही साधुओं की उत्पत्ति का वर्णन है। २०४ रोट तीज कथा । पत्र संख्या ५. भाषा हिन्दी गद्य । लिपिकर्ता नुन्शीलाल जैन । लिखावट सुन्दर है। दोसौ दो Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *श्री पहावीर शास्त्र भंडार के अन्य * २०५ रौद्रव्रतकथा। रच पता श्री गरिण देवेन्द्रको ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज १०||४५ इञ्च । २०६ लग्नचन्द्रिका। रचयिता पं० काशीनाथ । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २५. साइज १२x२ इञ्च । लिपि संवत् १८४२. लिपिकर्ता श्री रामचन्द्र । २०७ लधुशान्तिविधान। रचयिता पं० आर पर। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११. साइज ११५ श्च । लिपि संवन् १८७६. लिपिका ने प्रशस्ति में महाराजा सवाई जयसिंह का उल्लेख किया है। लिपिकर्ता श्री नै रणसुख । २०८ लब्धिसार। रचयिता नेमिचन्द्राचार्य । पत्र संख्या १४१. भाषा प्राकृत-संस्कृत | साइन १०४ इञ्च । जयघवला नामक महानन्ध में ले लब्धिसार के विषय को लिया गया है। गाथाओं का अ- संस्कृत में अन्छो तरह दे रखा है। प्रति नत्रीन है । लिपि सबत् १८२३. २०६ लोकनिराकरण रास । रचयिता श्री लभूषण । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३१. साइज १४५ च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३६ अक्षर । रचना संवत् १६२७. लिपिसंवत् १७१०. अन्त में ग्रन्धकर्ता ने अपना परिचय दिया है। ग्रन्थ प्राचीन है , ग्रन्थ की हालत विशेष अच्छी नहीं है। . २१० वज्रकुमार महामुनिकथा । रचयिता ब्रह्म श्र ने मिदत्त । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १६. साइजx६ इश्च । २११ वरांगचरित्र । रचयित्ता भट्टारक श्री बद्ध मानदेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६८, साइज १०४५ इञ्च । श्लोक संख्या १३८३. सर्ग संख्या १३. चरित्र पूर्ण है तथा सुन्दर लिखा हुआ है। - दोसौ तोन Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *ओ महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * २१२ बसुनन्दीश्रावकाचार । भपाकार भट्टारक श्री देवेन्द्र कोक्ति । भाषः हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ४१. साइन ११४५।। इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३५ अजर । प्रति अपूर्ण है । 2 से आगे के पृष्ठ नहीं है। भ पाकर्ता ने दौलतरामजी की बचनिका का उल्लेख किया है। भाषा स्पष्ट तथा सुन्दर है। प्रति नं० २. पृष्ट संख्या ३७१. साइज १८४५|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है ३७४ से आगे के पृष्ट नहीं है। प्रति नं० ३. संख्या ३३६ ले ३५४. साइज १२४।। इञ्च । ग्रन्थ का अन्तिम भाग है। २१३ व्रत कथा संग्रह । __संग्रह करना अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १५, साइज १०||४५ इञ्च । संग्रह में निम्न कथायें हैं पोडश कारण व्रत कथा मेघमाला व्रत चंदन पष्ठी व्रत लब्धि विधान , पुरंदर विधान २१४ व्रतसार संग्रह। संग्रह का अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २६, साइज १०४२ इश्च । संग्रह में समन्तभद्र, प्रभाचन्द्र, यशः कीर्ति आदि प्राचार्यों की कृतियों का संग्रह है। २१५ ब्रत कथा कोश भाषा । मूल कर्ता आचार्य अतसागर । भाषाकार श्री ........... दास । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या १३७ रचना संवत् १७८७, प्रशस्ति दी हुई है । २४ कथायें हैं। २१६ वर्तमान चौबीसी का पाठ । रचयिता कविवर देवीदास । भाषा हिन्दी पत्र संख्या १०३, साइज १०४६ इश्व ? विषय-पूजा पाठ। .. अन्तिम पत्र पर कागज चिपके हुये होने के कारण लिपि काल वगैरह पढने में नहीं आ सकते हैं। .. प्रति नं० २. पत्र संख्या ६०. साइज १०४५।। इञ्च । रचना संवत् १८२१. पाठ कर्ता ने अन्त में अपना परिचय भी दे रखा है। दोसौ चार Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१७ बद्ध मानपुराण भाषा | मूलकर्ता आचार्य सकलकीर्त्ति। भाषाकार अज्ञात प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति साउन ११ प्राचीन नहीं है। * श्री महावीर शास्त्र भंडार के ग्रन्थ प्रति नं० २. पत्र संख्या १३६. साइज १०llxk इ । लिपि संवत् १६५६ । भाषा हिन्दी गद्यपद्य । पत्र संख्या १२२. ३६-४३ अक्षर । प्रति अपूर्ण है। प्रति ज्यादा २१८ वद्धमानमहाकाव्य | रचयिता महाकवि श्री श्री । भांषा संस्कृत पत्र संख्या १२० साइज १०||४४ | इश्र्व | लिपि संवत् १७३६. पंडिताचार्य श्री तुलसीदास के पढने के लिये आचार्य वर्ष श्री उदय भूषण ने महाकाव्य की प्रतिलिपि बनायी । प्रति जीर्ण हो गयी है ! २१६ व्रतोद्यापन श्रावकाचार | रचयिता पंडित प्रवरसेन । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३१. साइज १०।४४ इञ्च । लिपि संवत् १५४१. प्रशस्ति अपूर्ण है । २२० व्रतोद्यापनश्रावक विधान | रचयिता पं० देव । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २२. साइज ११ || ४ || इच। रचना संवत् १८३६ | प्रन्थ कर्त्ता ने अन्त में अपना परिचय भी दिया है । २२१ वाग्भट्टालंकार | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २५. साइज १०||४|| इञ्च । लिपि संवत् १७२४. लिपिकर्त्ता मुनि श्री रविभूषण | प्रति पूर्ण तथा नवीन है । २२३ विजयपताकायंत्र । २२२ वास्तुपूजा। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६ साइज १०१४४. इव । लिपि संवत् १७६=, लिपिकर्त्ता श्री दोदराज पूजा प्रतिष्ठापाठ में से ली गयी है । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. साइज १५४७ इछ । विषय-मंत्र शास्त्र | मंत्र का चित्र भी दे रखा है। दोसौ पांच Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शान्त्र भंडार के अन्य * २२४ विदग्धमुख मंडन मटीक ! पृष्ठ संख्या ६०. साइज allx३|| इञ्छ । प्रतिा है । लिपि संवत् १७०३. अक्षर मिटने लग गये हैं तथा पढ़ने में नहीं आते है। २२५ विद्यानुवाद। रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ७३. साइज १५१|४७ इञ्च | प्रति अपूर्ण है। ७३ से आग के पृष्ट नहीं हैं । विषय-मन्त्र शास्त्र । २२६ विवानुवाद पूजा समुच्चय । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०), साइज १०४४ इञ्च ! लिपि संयत १४८७. लिपि फनी श्री टीज़ा । प्रशस्ति दी हुई है । ग्रन्थ महात्मा प्रभाचन्द्र को भेंट किया गया था। विषय-मान शास्त्र । २२७ विमानशुद्धि पूजा । रचयिता यति श्री यन्द्रकीर्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११. साइज ||५७ इञ्च । लिपि संवत् १६६०। प्रति नं २ पत्र संख्या १०. साइज १०||४५ इञ्च । लिपि संवान १८५२. लिखावट अच्छी है। २२८ विदा हपटल । लिपिकर्ता पं० रेखा । पत्र संख्या २६. भाषा संस्कृत । साइज १०४५।। ञ्च । लिपि संवत १७०६. लिपिस्थान चाटसू। २२६ विवेक विलास रचयिता श्री जिनदत्त सूरि । भाषा संस्कृत ! पत्र संख्या १०३. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १७.२ प्रति जीण शीर्ण अवस्था में है। २३. वैद्य जीवन । - .:: . .. . र यता श्री लोलम्भिराज | भाषा संस्कृत। पृष्ठ संख्या २१. साइज ११४५ इञ्च । प्रति पूर्ण है। अध्याय पांच हैं। प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ३२. साइज १०४७ इन्च । प्रति पूर्ण है। . . . . -:. दोसौ छः . Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३१ वैद्यमनोत्सवभाषा । भाषाकर्त्ता श्री चैनसुख । भांगा हिन्दी गद्य पृष्ठ संख्या २ साइज १९४५ | लिपि संवत् पूर्ण है ! १८२६. प्रत * श्री महावीर शास्त्र भंडार के मन्थ * २३२ वैराग्य मणिमाला । रचयिता त्रह्म श्री चन्द्र | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. साइज १०||४४ इन्च । पद्य संख्या ७१. २३३ बृहद् गुर्वावली पूजा । रचयिता श्री स्वरूपचंद | भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ३५. साइज १०||४५ इञ्च । प्रति पूर्ण तथा सुन्दर है । २३४ बृहद् शान्तिविधान । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४६. साइज १० ॥ ४४ ॥ इञ्च । लिपि संवत् १८८१. लिपिकर्त्ता ने प्रशस्ति भी लिखी है । श २३५ शब्दभेदप्रकाश | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २०. साइन ११४२ || इ | लिपिकर्त्ता पं० रत्नमुख । प्रति नवीन तापूर्ण है। २३६ शलाका निक्षैहणनिष्कासनविधि | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ७. साइज ११४४ इञ्च प्रति जीर्ण शीर्ण हो चुकी है। २३७ शांतिनाथपुराण ! रचयिता मुनि श्री अशग | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६१. साइज १२४२॥ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३७ ४२ अक्षर । प्रति प्राचीन किन्तु सुन्दर है। श्लोक संख्या २७३१. २३८ शांतिनाथपुराख । रचयिता आचार्य श्री सकलकीर्त्ति। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १७५. साइज २२५ इव । लिपि सवत् १८५२. लिपिकर्ता पं० विद्याधर । दो सात Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के ग्रन्थ * २३६ शान्तिपूजा विधान । नया संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज १०||2|| उच्च । अनेक देवी देवताओं को पूजा में निमन्त्रित किया गया है तथा उनको शान्ति के लिये प्रार्थना को गयी है। प्रति पूर्ण है। लिखावट अच्छी है। २४० शील कथा । रचयिता पं० भारमल । भाषा हिन्दो पद्य । पत्र संख्या ५६. साइज १०||४५ इञ्च । प्रति पूर्ण है। २४१ शीलकथा । भाषा हिन्दी पद्य। पत्र संख्या २१. साइज १२||x७ इञ्च । लिपि संवत् १६८५. प्रति नवीन है। लिखावट सुन्दर है। २४२ श्रावकाचार । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १४. साइज १०x१!! इञ्च । श्रावकाचार के विषय में संक्षेष रूप से वर्णन किया गया है। २४३ श्रावकाचार । रचयिता आचार्य अमितिगति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४२. साइज १२४५।। इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियों तथा प्रति पंक्ति में ४५-४८ अक्षर । लिपि संवत् १६६१. ग्रन्थ पूर्ण है। २४४ श्रीपाल कथा । रचयिता अज्ञात । भापा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ४५. साइज ११४शा इञ्च | लिपि संवत् १६२८, लिपि स्थान जयपुर ! २४५ श्रीपाल चरित्र । __ रचयिता श्री नरसेन । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या ४१. साइज १०||४|| इञ्च । लिपि संवत् १५२३. लिपि स्थान गोपाचल गढ । २४६ श्रीपाल चरित्र । रचयिता श्री कविवर परिमल्ल । भापा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ७. साइज १२८। इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या ३०००. ग्रन्थ कर्ता ने अन्त में अपना परिचय लिखा है। प्रशस्ति में प्रकार के शासन काल का भी उल्लेख किया है । प्रति नव न है । दोसौ आठ Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर भंडार के अन्य * प्रति नं० २. पत्र संख्या ८२. साइज २ixIl- .. ... ... ... प्रति नं० ३. पत्र संख्या ८६. प्रति नवीन है। २४७ श्रीपाल चरित्र । ... रायता भट्टारक श्री सकलकीत्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३१. साइज १०४४|| इञ्च 1 सम्पूर्ण पद्य संख्या १८०४. लिपि संवत् १६४६. श्री पद्मकीत्ति के शिष्य केशव ने ग्रंथ की प्रतिलिपि बनवायो । प्रति पूर्ण है लेकिन जीर्णावस्था में है। २४८ श्रीपाल चरित्र भाषा। __ भाषाकार श्री विनोदीलाल । भाषा हिन्दी (पद्य) पत्र संख्या ८१. साइज ११||४५|| इश्व । सम्पूरा पद्य संख्या १३५४. रचना संवत् १७५०, लिपि संवत् १६१६. प्रति पूर्ण है लेकिन अन्तिम पृष्ठ फटा हुआ है। ग्रन्थ के अन्त में भाषाकार ने एक विस्तृत प्रशस्ति लिखी है जिसमें अपने बंश परिचय के अतिरिक्त तत्कल न बादशाह तथा उसके शासन का भी उल्लेख किया है। .. .... :::: २४६ श्रतस्कंध पूजा। लिपिक श्री मनोहर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइज १०||x५ इन्च । लिपि संयत् १७८५. २५ श्रत मागर व्रत कयाकाष । . ................ .....: रचयिता श्री प्रतसागराचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या . माइज १११४५ इञ्च । लिपि संबन १८२७. लिपिका पं० रायचंद । २४ कथायें हैं। प्रति की अवस्था साधारण है। २५१ श्रेणिक चरित्र ! .......... रचयिता श्री शुभचन्द्राचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२२, साइज ११४४ नश्च । लिपि संबन - १६५२. ग्रन्धकार तथा लिपिकार दोनों के द्वारा ही प्रशस्तियां दी हुई है। ग्रन्थ पूर्ण है। २५२ श्रेणिक चरित्र भाषा । भाषाकार भट्टारक श्री विजयकीर्ति । भाषा हिन्दी (पद्य)। पृष्ठ संख्या १५. साइज १२४५।। इञ्च । रचना संवत १८२७,लिपि संवत् १८६४, प्रशस्ति दी हुई है। प्रति पूरणं तथा - 75 २५३ षट् दर्शनसमुच्चय सटीक । 1... रचयिता श्री हरिभद्रसूरि । टीकाकार श्री गुणरत्नाचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११५. साइज घोसी नो Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर क पन् _ -- - &lixs: । प्रत्येक पृष्ठ पतियां तथा प्रति पंक्ति में ४०-४४ अजर। २५४ पट पाहुद्द सटीक । टीकाकार श्री अतसागर । पत्र संख्या १६४. साइज १:४५ इन्च । लिपि संवत् १८३१. दीवान नंदलाल ने भट्रारक श्री सुरेंद्रकीत्ति जो के लिये प्रन्य की प्रतिलिपि करवायी। लिपि स्थान-जयपुर । प्रति पूर्ण है तथा सुन्दर है। २५५ पार पाहुड । रचयिता कुन्दकुन्दाचार्य । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ६१. साइज १२४५शा इञ्च । संस्कृत में अनुवाद भी है। २५६ पाडसकारणोद्यापन पूजा । . रचयिता श्री सुमतिसागर देव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १६. साइज ११४५ इन्च । : २५७ संग्रहणी मूत्र । रचविता श्री हेमसूर । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ५७. साइज ११४।। इञ्च । लिपि संवत् १७८४. पंथ श्वेताम्बर संप्रदाय का है। अनेक प्रकार के चित्रों के द्वारा स्वर्ग नरक के सिद्धान्तों को समझाया गया है। २५८ सप्तव्यसन कथा। रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३४४. साइज ८४६|| प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां तथा ति पंक्ति में २२-२६ अक्षर । प्रति अपूर्ण है। प्रति सटीक है। सात व्यसनों पर अलग २ कथायें हैं। भापा सुन्दर तथा सरल है। २५ सप्तसयन कया। रचयिता प्राचार्य सोमकीर्ति । भाषा संस्कृत ! पत्र संख्या ३०. साइज ८४६ इञ्च। प्रति अपूर्ण है पन्तिम पत्र नहीं है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ८६. साइज ११४५३। इञ्च । ... २६० सप्तऋपिपूजा। रचयिता भट्टारक श्री विश्वभूषण । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २०. साइज १४|| ३श्च । . . . . ... .......... . .... - - दोसौ दस Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * प्रति नवीन है। प्रति नं० २. संख्या १६. साइज १०x११ इञ्च । प्रति पूर्ण है । इसी पूजा की दो प्रति और है। २६१ समयसारसटीक । मुलका आचार्य कुन्दकुन्' । दीकाकार श्री अमृत चन्द्राचार्य । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या २३५, साइज १८४५||! इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ७ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-३८. अक्षर । प्रति नवीन है। लिखावट सुन्दर है। टीका का नाम श्रात्मख्याति है। २६२ समयसार नाटक । रचयिता महाविता बनारसीदास । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या ७२. साइज ११॥॥४५॥ इश्च । लिपि संवत् १६२७. प्रति पूर्ण है। प्रति नं० २, पत्र संख्या ७६. साइज १६x४।। इञ्च । लिपि संवत् १७१३ माह बुदी १३... प्रत्ति नं० ३. पत्र संख्या =५. साइज Ex-|| इश्च । प्रति प्राचीन है। प्रथम पृष्ठ तथा ७८ से ८५ तक के पृष्ठ नये जोडे गये हैं। प्रति नं० ४. पत्र सग्या २६३. साइज १२।।४६।। इञ्च । पद्यों का गद्य में भी अर्थ है । अक्षर बहुत मोटे हैं। प्रत्येक पृष्ठ पर ४ पंक्तियां ही हैं। लिपि संवत् १६१५. प्रति नं०५. पत्र संख्या ७८, साइज २०||४४ इञ्च । प्रति प्राचीन है। प्रति नं०६. पत्र संख्या १७१. साइज १०||४५ इञ्च । संस्कृत टीका की हिन्दी में अर्थ लिखा गया है । भाषा गद्य में है। लिपि संवत् १७२३. लिपिस्थान चाटसू। २६३ समवसरणविधान । रचयिता पंडित रूपचन्दजो 1 भाषा संकृत । पत्र संख्या ७६. साइज १०x४॥.इश्च । लिपि संवत् १८७६, प्रशस्ति लिपिकत्ता तथा मन्थकर्ता दोनों की लिखी हुई है। प्रति नं० २. पत्र संख्या १८. साइज १०||४५|| इश्व । लिपि संवत् १८८१. .. ... २६४ समाधि शतक । . रायता श्री पूज्यपाद स्वामी । भाषा संस्कृत पत्र संख्या २१. साइज १२४५ इञ्च । प्रति पूर्ण है। २६५ सम्मेद शिखर महात्म्य । रचयिता श्रीमत् दीक्षतदेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११४. साइज १०x४॥ इच। लिपि संवत् १-६७. . दोसौ ग्यारह Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र मंडार के थ २६६ सर्वार्थसिद्धि | रचयिता श्री पूज्यपाद स्वामी । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १४१. साइज १०/१५ इन्च | लिपि संवत् १५७२. प्रशस्ति है । प्रति पूर्ण है। २६७ सहस्रनामजिनपूजा | स्तोत्रकर्त्ता आचार्य जिनसेन । पूजाकर्त्ता श्री धर्म्मभूषण । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ७४. उत्येक पत्र पर १० पंक्तियां तथा प्रतिपक्ति में ३०-४२ अक्षर लिपि संवत् १८८१: लिपिकर्ता पंडित चंपारामजी । प्रति नत्रीन है। २६= सहस्रगुपूजा | रचयिता साधु श्री पी था । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ७० साइज १०५ इश्र्व । प्रति पूर्ण तथा नवीन है । २६६ सागर धर्मामृत | रचयिता महापंडित आशावर । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १४६. साइज १०३४५ ईश्व । लिपि संवत् १८१६. लिकित्ता पं० गुमानीराम प्रति सटीक है । टीका का नाम कुमुदचन्द्रिका है।' 1 3: २७२ सामायिक वनका | ' क प्रति नं० २. पत्र संख्या ६६. साइज १०४५ || इ | लिपि संवत् १६११. प्रति नवीन है । 'लिखावट सुन्दर है। लिपिकर्त्ता द्वारा लिखी हुई । प्रशस्ति भी है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या १२६. साइज २०४७ । लिपि संवत् १७७१. लिपिकर्ता महारक श्री जगत्कीर्त्तिनी । लिपिकर्त्ता ने महाराजा जयसिंहजी जयपुर का उल्लेख किया है। प्रति सटीक है। २७० सामायिकपाठ भाषाकार श्री श्यामलाल । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ३५. साइज ६x४ इञ्च रचना संवत् १०४६. लिपि संवत् १६२१. भाषाकार ने अपना परिचय भी दिया है। २७१ समायिक पाठ भाषा । 50 Rep मूल कर्त्ता श्राचार्य प्रभाचन्द्र । भाषाकार श्री त्रिलोकेंद्रकीति, भाषा हिन्दी गय; रचना संवत् १८११. भाषा विशेष अच्छी नहीं है । प्रति पूर्ण है । I 1pm zeal piss 137 7 भाषा कर्त्ता अज्ञात | हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ६३, लिपि संवत् १७२० लिपि स्थान चाट दोसौ बारह Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * २७३ सामुद्रिकशास्त्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज १२४४।। इश्च । कि पि संवत् १८३८. प्रति नं०२. पत्र संख्या ७. साइज ११४५ ३श्व । लिपि संवत् १८४४. २७४ सार चतुर्विंशतिका । रचयिता भट्टारक श्री सकलकीर्ति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १२६. साइज १०॥४॥ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ६ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-३६ अक्षर । विषय-स्तुति आदि । लिपि संवत् १८४८, २७५ सार संग्रह। संग्रहको अज्ञात । भाषा प्राकृत-हिन्दी । पत्र संख्या १२. साइज १०४५।। इञ्च । इसमें निम्न लिखित प्रकरण हैं। १ ज्ञानसार। २ तत्वसार। ३ चारित्रमार ४ भावनावत्तीसी। :. : . ५ ढाढसी गाथा। २७६ साईद्वयद्वीपपूजा । रचयिता पं० आशाधर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २. साईजे १२४७ इश्च । प्रति पूर्ण है। लिखावट सुन्दर तथा स्पष्ट है। २७७ सिंदूर प्रकरण । रचयिता श्री कौरपाल बनारसीदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या २३. साइज |x५ इञ्च । २७८ सुकुमालचरित्र भाषा | : ___ भाषाकार अज्ञात । भाषा हिन्दी गद्य। पत्र संख्या ३२. साइज १०४६ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २४-२८ अक्षर। लिपि संवत् १८६७ प्राषाढ सुदी ६. लिपिस्थान चंपावती। श्री भागचन्दजी के पढने के लिये प्रन्थ की प्रतिलिपि करायी गयी। २७६ सुकुमाल चरित्र भाषा। भाषाकार श्री गोकुल नैन गोलापूर्व । भाषा हिन्दी गद्य। पत्र संख्या ४५. साईज १३४ा इञ्च । प्रति नवीन है लिपि मुन्दर है। दोसौ तेरह Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८० सुकुमालचरित्र | रविता भट्टारक श्री सकलकीर्त्ति। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३४ साइज १२४५ || इश्र्व । श्लोक संख्या १०० लिपि सं १९०८ मन्य पूर्ण है। श्रम दो पृष्ट नहीं हैं। २८१ सुगन्ध दशमी व्रतकथा | * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य रचयिता ब्रह्मज्ञान सागर भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ७. साइज १x१ इञ्च । पद्य संख्या ४५. २=२ सूक्तिमुक्तावली । रचयिता श्री सोमप्रभाचार्य । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १५. साइज १०९४४ इछ । प्रति पूर्ण है | २=३ भौमचरित्र | रचयिता भट्टारक श्री रत्नचन्द्र । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५१. साइज १०५४ || इञ्च । तिपि पूर्ण है। संवत् १६५८. २=४ मुभाषितरत्नसंदोह । रचयिता अमितिगत्याचार्य । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५७ साइज १०४ ४ || इन्च | प्रति प्रति नं० २. पत्र संख्या ७५. साइज ११४५ इ । प्रति नवीन है । २८५ सुभाषिताव | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६७. साइज १०x४ || इ | लिपि संवत् १६४८, प्रति प्राचीन है । २=६ सूतकविधानं | लिपिकर्त्ता श्री किशनलाल | भाषा हिन्दी | पत्र संख्या २ साइज ६|| ४ || इञ्च | लिपि संवत १६१५. • २८७ स्तोत्र संग्रह | इस संग्रह में निम्न स्तोत्र हैं । स्तोत्र नाम 'चौसठ योगिनी स्तोत्र पार्श्वजिनस्तोत्र पद्मावती स्तोत्र भाषा संस्कृत 12 17 दोसौ चौदह संख्या पत्र १ ६ I 1 Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ऋपिमंडल महास्तोत्र एकीभावस्तोत्र कल्याण मन्दिर स्तोत्र अपराध क्षमा स्तोत्र विपापहार स्तोत्र भक्तामर स्तोत्र सटीक ( 21 पद्मावती पटल समवशरण स्तोत्र एकीभाव स्तोत्र भूधरदास ) २ स्तोत्र संग्रह | * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य मेघ ) ३ विषापहारस्तोत्र ४ घानतराय जी के पद २९० स्वयम्भुस्तोत्र | श्री देउलाल । 19 हिन्दी י संस्कृत हिन्दी संस्कृत ار 12 11 13 ६ > १० ५ २५ संग्रहकर्ता अज्ञात | भाषा हिन्दी | पृष्ठ संख्या १७ । साइज ६४३|| इञ्च | संग्रह में निम्म विषय हैं १ अकृत्रिम चैत्य नय २ भक्तामर स्तोत्र दोसौ पन्दरद ७ = प्रति नं० २ | पत्र संख्या ११ । साइज १२४५|| इञ्च । २ से चार तक के पृष्ठ नहीं हैं। १ ऋषि मंडल स्तोत्र २. लक्ष्मी स्तोत्र ३ पद्मावती स्तोत्र ४ भक्तामर स्तोत्र ५ पन्द्रह का मंत्र .२२ २८६ स्तोत्र संग्रह | संग्रहकर्ता पं० सदासागर | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १७७१ साइज १०४ || इन | संग्रह में स्तोत्र, आदि हैं जिनकी सूची प्रन्थ में दे रखी है। प्रति की अवस्था ठीक है । भाषाकार श्री धानतराय जी । पत्र संख्या ४ । साइज ७४५ ख । लिपि संवत् १६५६ । लिपिकर्ता Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के प्रन्थ * २६१ स्वामिकार्त्तिकेयानुप्रेक्षा । रचयिता भट्टारक श्री शुभचन्द्र । भाषा प्राकृत- संस्कृत | पत्र संख्या १६४ | साइज = ४६ इव । लिपि संवत् १८६४ । तिपिकर्त्ता श्री नानगरामः । २६२ हनुमंतकथा | रचयिता ब्रह्मरायमल | भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ४४. साइज १३४७ ३ष्व । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३४ अक्षर । रचना संवत् १६१६. प्रति पूर्ण है । लिखावट सुन्दर है । प्रति नं० २. पत्र संख्या ६४. साइज १९९४ || इव । लिपि संवत १७८४. लिपिकर्ता पं० दयाराम । २६३ हनुमच्चरित्र | रविता श्री ब्रह्मानित | या संकृत | पत्र संख्या ६४. साइज ११||४६ इन्च | लिपि संवत् १६०४. लिपिस्थान जयपुर । बारह सर्ग है । प्रति पूर्ण है । २६४ हरिवंश पुराण | रचयिता ब्रह्म जिनदास । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २२२ सईजे १२५ | लिपि संवत् १८१६. २०५ हरिवंश पुराण टिपण । टिप्पणी कर्त्ता अज्ञात | भाषा संस्कृत । पन्न संख्या ३८. साइज १०x४ ३श्र्व । लिपि संवत १५५५. उक्त पुराण का सार दे रखा है २६६ होली प्रबन्ध | रचियता श्री कल्याणकोति । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ४ साइज १०||४|| ३ | लिंपि संवत् १७२५. रचना प्राचीन है । PA २६७ मीनाममाला | रचयिता श्री हेमचन्द्राचार्य | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४७ साइज १२९४ इञ्च । लिपि संवत् १८४६. निपित्थान उणियारा (जयपुर) लिपिकर्त्ता भट्टारक श्री सुरेंद्रकीर्त्ति । दोसौ सोलह 1 Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के मन्थ * - - २६८ त्रिकांडशेप। रचयिता श्री पुरुषोत्तम देव । मापा संस्कृत। पत्र संख्या ३५. साइज ११४५।। इञ्च । लिपि संवत १८३४. २६६ त्रिपंचाशक्रिया व्रतोद्यापन । रचयिता श्री विक्रम स्वामी। भाप. संस्कृत । पत्र संख्या २७. साइन ११४५ इञ्च । रचना संत्रत १६४०. प्रथम १० पत्र नहीं हैं। ३०० त्रिलोकपूजा . . . रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २८६. साइन्न १०||x५ इन्च.। सभी तरह की पूजाओं का संग्रह है। लिपि संवत् १६१५. २०१ त्रिलोकसार । __ रचयिता श्री नेमिचन्द्राचार्य। भाषा प्राकृत । पृष्ठ संख्या ७६. साइज १२४५ इश्व.। प्रति पूर्ण है। २,४४,५७ – पृष्ठ पर सुन्दर चित्र है । प्रति प्राचीन है। लिपिका भी स्वरूपचन्द । . प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या १४. साज ६१|४५ इञ्च । प्रारम्भ में लिपिकर्ता ने छोटे २ अक्षर तथा अन्त में मोटे २ अक्षर लिखे हैं। ३०२ बिलोकसारभाषा । भापाका प्रज्ञात । भाषा हिन्दी गद्य। पत्र संख्या ५०. साइज १४शा इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ५० से आगे के पृष्ट नहीं हैं। ३०३ त्रैलोकसार सटीक । टीकाकार माधवचा विद्य। :..षा प्राकृत संस्कृत । पत्र संख्या १७१. साइज १०॥४४॥ इश्च ।। प्रति नवीन है। प्रति नं० २. पत्र संख्या १६५. जाज ११|| ४|| इश्च । लिपि संवत् १६७२. टीकाकार श्री.सागरसेन । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ८१. साइज ११||शा इञ्च । लिपिकर्ता श्री सुरेन्द्रकीति । प्रथम पृष्ठ पर 1 ५ सुन्दर चित्र हैं। - दोसौत्सबद्द Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * 304 त्रिवणाचार / रचयिता अचार्य काल कीति / भान संस्कृत / पत्र संख्या 58. स इज 1845 इञ्च / अधिकार पांच हूँ / लिपि संवत् 1635. लिपिकर्ता बोई लात / प्रति नं० 2. पत्र संख्या 50 साइज 1544|| इञ्च / प्रति अपूर्ण है / 50 से भागे के पृष्ठ नहीं हैं। 305 त्रिवर्णाचार / ... रचयिता अज्ञात / भाषा संस्कृत / पत्र संख्या 24. साइज 10||45 इञ्च / 306 त्रैलोक्य प्रदीप / रचा . ता वामदेव / भाषा सं कृत ; पत्र संख्या 66. अध्याय तीन हैं। लिपि संवत् 1827. वैशाख चुदी 14. प्रति पूर्ण है। प्रति नं० 2. पत्र संख्या 86. साइज 10x4|| इश्व / लिपि संवत 1436. लिपिस्थान योगिनीपुर। लिपिका ने फिरोजशाह तुगलक के शासन काल का उल्लेख किया है / लिखावट सुन्दर है। 307 त्रैलोक्य स्थिति / भाषा संस्कृत / पत्र संख्या 11. साइन 1145 / / ३ञ्च / लिपि संवत् 1823, लिपिकर्ता नैण सागर / तीनों लोकों के आकार प्रकार सम्बन्धी विषय को रेखागणित द्वारा समझाया गया है। 308 ज्ञानार्णवसार / रचयिता प्राचार्य श्रुतसागर / भाषा संस्कृत गद्य / पत्र संख्या 1. साइज 1245 / / इञ्च / लिपि संवत् 1785. लिपिकर्ता पं० मनोहर लाला / लिविस्थान आमेर / संक्षिप्त रूप से ज्ञानार्ण च का सार दिया हुआ है। प्रति न० 2. पत्र संख्या 13. साइज 11||45 इश्च / छाजू लाल सहन दोसौ.अारह