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________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ ॐ माणुस भव जोब दोहिलों दोहिलो उत्तम वरनरे। अनुज्ञा बारबडी चितवो लोडिने निजमनि मरमरे || १ || (ठादशानुप्रेक्षा) अवनी देशनांहि लविशाल घोष प्रांम छैरूवडोए । ते तीन्ही जीवनुणहीण कुंणबीय छारिते अवतरीयाण ॥ १ ॥ ( लविविधान कथा.) सकल कीति सकल कीर्ति गुरु: पाय प्रणमे विकियो रास में निरमलो। आकाश पंचमि अगो उजलो अभियग्ण सुग्णो तःहे मायमिरमर ।। १ ।। ए राराजे पढे गुणो तेह ने पुण्य 'अपारं । ब्रह्म जिप दास भणी गिरमलो, मन वांछित सुखसार ॥२॥ (आकाश पंचमी व्रत कथा । ) गुटका नं. ५१ लिपिकार अज्ञात । भाषा हिन्दी संस्कृत । पत्र संह ३६. साडेज xजाइश्च । । गुटको नं० ५२ लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या २४५. साइज =४६ इश्च । गुटका जीर्णशीर्ण हो चुका है। एक दून के पृष्ट चिपक गये हैं। विषय-सूची(१) समयसार गाथा (२) परमात्मराज श्लोक (३) साटक (प्राकृत) (४) सुप्रभातो (५) योगफल (६ ) भरत बाहुवलाछंद । रचयिता श्री कुमुदचन्द्र । रचना संवत् १६०० भाषा हिन्दी । (७) ज्ञानांकुश . ( संस्कृत ) . (4) हणुमंत कथा (हिन्दी) अड़तालीस
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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