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________________ प्रारम्भ के ८ तथा आगे के पृष्ठ नहीं है। विपत्र ज्योतिष । गुटका नं० १ लिपिकार अज्ञात | पत्र संख्या १०० साइज MIX | विषय-सूची - (१) जिन सहस्रनाम ( जिनसेनाचार्य ) (२) अनंत वृत पूजा विधान ( संस्कृत ) (३) चतुर्विंशति तीर्थकरपूजा ( संस्कृत ) ( ४ ) मोक्ष शास्त्र ( ५ ) पूजन संग्रह गुटका नं० २ * आमेर भंडार के प्रथ लिपिकार अज्ञात पत्र संख्या १७५, साइज १०||६|| इव । लिपि संवत् १६०७ । 1 गुटका नं० ३ मुख्य विषय-सूची - ( १ ) त्रिशच्चतुर्दिशति का पूजा ( आचार्य शुभचन्द्र ) (२) नन्द गुर्वावली ( संस्कृत ) (३) जिनयज्ञकल्प, ( पं० आशाधर } ( ४ ) अंकुराण विधि ( संस्कृत ) (५) रूपमंजरी नाममाला (रूपचन्द्रकृत ) ( संस्कृत ) गुटका नं० ४ लिपिकार अज्ञात | पत्र संख्या १५०. साइज ६६.४५ इ । इस गुटके में कोई उल्लेख नीय सामग्री नहीं है । 3 लिपिकार श्री जगानन्द और लिखमीदास । पत्र संख्या १७५. साइज ७४५ इश्र्च। लिपि संवत् १७१० और १७२६. लिपिस्थान नेवटा ( जयपुर ) 50-32 विषय-सूची ( १ ) जिनसहस्रनाम स्तवन ( संस्कृत ) तीस फकी
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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