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________________ प्रति नं० २. ढोकाकार श्री सोमदेव संख्या १४४ साइज १२४५॥ इन । पत्र एक दूसरे के चिप रहे हैं । तचितामणी । रचयिता श्री जयदेवमिश्र । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४६७. साइज २०४४ ।। इच्च । विषय-न्याय । प्रति नं० २. पत्र संख्या ६६. लाइन ११४॥ उ । ग्रन्थ समाप्ति पर "श्री महोपाध्याय श्री गणेशकृते तस्वचितामणौ नत्यः " इस प्रकार श्री गणेश का नाम देखा है। दोनों प्रत्थों में कोई अन्तर नहीं है। तस्वधर्मामृत | रचयिता श्री चन्द्रकीर्त्ति। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २७, साइज १०||२४|| इञ्च । सम्पूर्ण वद्य संख्या ४७७. विषय-विवेचन । लिपि संवत् १५३५ । प्रारम्भ: अन्तिम पाठः * आमेर भंडार के वज्ञान तरंगिणी | शुद्धात्मरूपमापन्नः प्रणिपत्य गुरोः गुरु । तत्त्वमृतं नाम ये संपतः श्रृणु ॥ 11 न तथा रिपु न शास्त्रं न त्रिपोग्नि दारुणो च व्याधि बुद्ध जयति पुरुपं यथा हि कटुकाक्षरा, वाणी ॥२॥ तत्त्वसार । रचयिता श्री देवसेन | भाषा प्राकृत | पत्र संख्या ४. साइज १२x४|| च । गाथा संख्या ७५ प्रति नं० २. पत्र संख्या १०. साइज १०४४|| इञ्च । रचना संवत १६४२ । रचयिता भट्टारक श्री ज्ञान भूषण । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १८. साइज १२४॥ इव रचना संवत् १५६०. लिपि स्थान जयपुर । प्रति नं० २. पत्र संख्या २८. साइन allx६ इव । लिपि संवत् १०८ ਕੈਬਨ
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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