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________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रति नं० २ । पत्र संख्या ११५ ! साइज ?|३४|| इञ्च । प्रथम पत्र नहीं है। प्रति नं० ३ । पत्र संख्या ६६ | सारज ११४४ान । प्रति अपूर्ण है। अन्त के पृष्ट नहीं हैं। जोवधि चार प्रकरण । रचयिता अजरात ! भाग प्र म माया मारत :४ इञ्च । नाथाओं का हिन्दी में अर्थ भी ज्येष्ट जिनवर को कथा । संग्रहकत्ता अज्ञात । भाषा हिन्दी । पत्र १०. नाइज १०४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। उक्त कथा के अतिरिक्त अन्य भी कथायें हैं। ये कथायें व्रत कथा कोष से ली गयी हैं। जैनतपरिभाषा। रचयिता पं० यशोविजयगलि । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १५. साइज १०४४।। इश्श । लिपि संवत् १७८४. लिपिस्थान सितपुर । लिपि कर्ता-मुनि विवेकराज । जन पूजा पाठ संग्रह। संग्रह कत्ता अज्ञान । भारा संस्कृत । पत्र संख्या १८, साइज ११४४इञ्च । ६३ पूजाओं का जैनवैद्यक । रचयिता अशात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १६. साइज १३४५|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है। १८ से आगे के पत्र नहीं हैं। जैनशतक । रचयिता पं० भूधरदासजी । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १४. साइज Ex५ इञ्च । रचना संवत् १७८७. नेन्द्रव्याकरण । - रचयिता श्री पूज्यपादस्वामी । टीकाकार श्री अभयनन्दि भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५७७. साइज Sax६ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-४० अक्षरं । लिपि संवत् १-६६. प्रति लिपि त सुन्दर और स्पष्ट है। चौसठ
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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