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________________ * आमेर चारके न्य | प्रतिलिपि बहुत प्राचीन होने पर भी सुन्दर और स्पष्ट है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ११३. साइज Ex|| इन्न । प्रत्येक पृउ पर १३ पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति ३३-३७ अक्षर । प्रतिलिपि संवत् १५४२. प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०५. माइज 201ञ्च । प्रतिनिधि संगत १५५... पति प्राचीन है। । बहुत पृष्ठों के अक्षर ए दूसरे से मिल गये हैं। प्रति नं० १. पत्र संख्या १३७. साइज ११|४५ इञ्च । लिपि संवत् १८२६. लिपिस्थान जयपुर । श्री पं० रायनन्दजी के शिष्य श्री सवाईरान ने प्रतिलिपि बतायी। प्रति न०५. पत्र संख्या १६२. साइज १?x11 इन्न । लिपि संवत् १६६१. लिपिस्थान पनवाडा । । श्री ब्रह्मचारी भीचन्द ने श्री लालचन्द के द्वारा प्रतिलिपि वनवायी । प्रति नं० ६. पत्र संख्या १६१. माइज ११||४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण । १६१ से आगे के पृष्ट नहीं हैं। प्रति नं० ७. पत्र संख्या १५७. साइन ११४५ इञ्च । शिपि संयत् १७६६. लिपिस्थान वसवा । प्रारम्भ के ७५ पृष्ठ नहीं हैं। प्रति न० ८. पत्र संख्या १००. साइज १२४६ पञ्च । प्रति अपूर्ण है। १०० से आगे के पृष्ट नहीं हैं। प्रति नं०1. पत्र संख्या -३ साइब १axi इच । प्रतिलिपि संवत् १५५३. प्रति नं० २०. पत्र संख्या १०४. साइज ५२४५।। इञ्च । लिपि संवत २५६६. प्रति ११. पत्र संख्या १३५. साइज || इन्च। जिय संवत् १५७६, जिविस्थान नागपुर । प्रति अभूरा है। प्रथम २ पृष्ठ तथा मध्य के कितने ही गृष्ट नहीं है। प्रति ०१२. पत्र संख्या १२३. साइज १०४४ । प्रति अपूरण है। प्रारम्स के जथा अन्त के पृष्ट नहीं है। पटक र्मराम । नवयता श्री शानभूपण । मापा अपनःश । प्र संख्या ४. साइज :१०।४५ इञ्च । गाथा संस। ५२. प्रति नं२. पत्र खस्न्या ६, साइज ११४५ १ ।। पटय चासिका। - रचयिता अज्ञात । पत्र संख्या १०. भाषा संस्कृत साइन इच। सूत्रों की टीका भी है। सात अध्याय हैं । सिपि संवत् १६३३. विषय-ज्योतिप । पद गाद। । अविता-अमत्त । भाषा संस्कृत..पत्र संख्या ४. साइज .१०||४४ इन। सिपिकर हरिरा-धर्मविमल । एससी अदावन
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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