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________________ २३१ वैद्यमनोत्सवभाषा । भाषाकर्त्ता श्री चैनसुख । भांगा हिन्दी गद्य पृष्ठ संख्या २ साइज १९४५ | लिपि संवत् पूर्ण है ! १८२६. प्रत * श्री महावीर शास्त्र भंडार के मन्थ * २३२ वैराग्य मणिमाला । रचयिता त्रह्म श्री चन्द्र | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. साइज १०||४४ इन्च । पद्य संख्या ७१. २३३ बृहद् गुर्वावली पूजा । रचयिता श्री स्वरूपचंद | भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ३५. साइज १०||४५ इञ्च । प्रति पूर्ण तथा सुन्दर है । २३४ बृहद् शान्तिविधान । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४६. साइज १० ॥ ४४ ॥ इञ्च । लिपि संवत् १८८१. लिपिकर्त्ता ने प्रशस्ति भी लिखी है । श २३५ शब्दभेदप्रकाश | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २०. साइन ११४२ || इ | लिपिकर्त्ता पं० रत्नमुख । प्रति नवीन तापूर्ण है। २३६ शलाका निक्षैहणनिष्कासनविधि | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ७. साइज ११४४ इञ्च प्रति जीर्ण शीर्ण हो चुकी है। २३७ शांतिनाथपुराण ! रचयिता मुनि श्री अशग | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६१. साइज १२४२॥ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३७ ४२ अक्षर । प्रति प्राचीन किन्तु सुन्दर है। श्लोक संख्या २७३१. २३८ शांतिनाथपुराख । रचयिता आचार्य श्री सकलकीर्त्ति। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १७५. साइज २२५ इव । लिपि सवत् १८५२. लिपिकर्ता पं० विद्याधर । दो सात
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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