SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - * मेर भंडार के अन्य * अाचारांग सटीक । टीकाकार प्राचार्य श्री शीलाका । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पृष्ठ संख्या १४३. साइज १२ । प्रत्येक पृष्ठ पर २२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ६५-७०, अक्षर। विषय-वार्मिक । लिपि संवत् १६०४. श्री युमरेझमहा दुर्ग में श्री गुण लाभ गरिव ने प्रथ की प्रतिलिपि बनायी। आचासंग सूत्र । । :: । लिपि कर्ता-अज्ञात | भापा प्राकृत । पत्र संख्या ६१. साइज ११४४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। प्रथम तथा अन्तिम पत्र नहीं हैं.। . . . . . . . . आचारसार । रचयिता सिद्धान्त चक्रवर्ति श्री वीरनन्दि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ८३. माइज १० इञ्च ! प्रत्येक पृष्ठ पर ८ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २६-३२ अक्षर । लिपि सवत् १८०४० लिपि स्थान जयपुर । प्रति नम्बर २. पन्न संख्या ६१. साइज १०||४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है दीमक लगी हुई है। आत्म संबोधन काव्य । .. .. - रचयिता अज्ञात । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ४०. साइज १०४४॥ इञ्ज । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पक्ति। और प्रति पंक्ति में २२-२६ अक्षरं । प्रति लिपि संवत् १६०७। प्रारम्भ जयमंगलगारउ वीसभडार उ भुवणसरणकेवलनयां । लोगोत्तम गोत्तमु संजयशोत्तम पाराहमितहो जिणक्यणु।। प्रति नं०२. पत्र संख्या २६. साइज ८४५ इञ्च । लिपि संयत् १४४८. लिपिकत्ता श्री लक्ष्ण प्रथम दो पत्र नहीं है। । प्रति नं० ३. पत्र संख्या २७. साइज १०x४|| दृश्च २२ से २६ तक के पृष्ठ नहीं है। .. ..... ..... प्रति नं० ४. पत्र संख्या ३२. साइज १०x४ इञ्च । प्रत्येक पत्र पर । पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३०४३४ अक्षर लिपि संवत् १५३४।। -
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy