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________________ ४७ गोम्मटसार जीवक एडभापा । 1 भाव कार पं० टोडरमलजी भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ४०१ साइज ११५७ इञ्च । कर्णाटक लिपि से टीका लिखी गयी है। प्रारम्भ में टीकाकार ने अपना विस्तृत परिचय दिया है। हैं। चह प्रति नं० २. पत्र सुख्या ४६५. साइन ११४७ इञ्च । केवत २०२ से ४६५ तक कर्मकांड की प्रति है । * श्री महावीर शास्त्र भंडार -प्रन्थ * ४= गोम्मटसार भोपा । भाषाकार पंडित टोडरमत्तजी । भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ६६% सदन लिपि स्थान १८=२. पंडित घासीरामजी के पढने के लिये उक्त ग्रन्थ की प्रतिलिपि की गयीं। प्रति पूर्ण है। लिखावट सुन्दर है। के ४३ गोम्मटसर वृत्ति । 'भाषा संस्कृत-प्राकृत | पत्र संख्या २५५. साइज ११||४५|| इञ्च | गाथाओं की संस्कृत में दोका है । लिपि संवत् १७४४. लिपि स्थान श्री संग्रामपुर । १४७ से १८६ तक के पृष्ठ नहीं है 1 ध ५० घंटाकर्ण कल्प | १८८६ | J रचयिता श्रज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १६. साइज ६४५ इव । प्रति जीर्ण हो गयी है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ४ साइज १०x४ sa। संस्कृत से हिन्दी अनुवाद है। लिपि संवत् च ५१ चतुर्गति वर्णन | रचयिता अत | भाषा हिन्दी पत्र संख्या = साइज ६५५ इञ्च । गोम्मटसार मुलाचार आदि शास्त्रों के आधार पर चारों गतियों के सुख दुख का वर्णन किया गया है। ५२ चतुभंगो वर्णन । रचयिता अज्ञात | भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या २१३. प्रति अपूर्ण है पृष्ठ संख्या २०० से २१२. तक | गुटका नं० २ । पृष्ठ नहीं है ५३ चतुर्दशी स्तोत्र | "भाष कार श्री रतनलाल । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या २२ साइज १२४८ इञ्च । लिपि संवत् १६६६ प्रति नवीन है। लिखावट सुन्दर हैं। एक सौ उन्यासी
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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