________________
* आमेर भंडार के ग्रन्थ
-
-
--
-
-
-
चालयोध।
का अज्ञात । भाषा हिन्दीं। पत्र संख्या ११ । साइज ५ इञ्च । विषय ज्योतिष ।
प्रति नं० २. पत्र संख्या ३८. साइज १०४४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण । प्रथम पत्र और ३८ से आगे के पृष्ठ नहीं है।
. बालबोधक।
र यता श्रीमन् नुजादिल्लत्रिम । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ५७. साइज ||४४ इन्छ । विषयज्योतिष । लिपि संवत् १७८७. प्रति अपूणे-४३ से १५ तक के पृष्ट नहीं हैं। प्रन्य के अन्त में उस समय (१७६०) का अनाज का भाव भी दिया हुआ है। वह इस प्रकार है-गेहूँ १) चणा |||५ जौ ॥३ मसूर ) बाजरा ||४ उडद १२ मौठ ३ वार ।।६ ची सा तेल ४ गुड़ ।१ शकर ३६ टक २६ पके १). बालबोधज्योतिपशाख ।
रचयिता मुजादित्य । भाषा सं कृत । पत्र संख्या २०. साइज lix६ इञ्च । लिपि संवत् १८०८,
प्रति नं० २. पत्र संख्या २० साइज ६४५|| इञ्च । लिपि संवत् १८०८. लिपिकती श्री नाथूराम शर्मा। बाशिठिया बोलरो स्तवन ।
रचयिता श्री कान्तिसागर। भाषा हिन्दो । पत्र संख्या १५. माइक =x४ इञ्च । रचना संवत् १७८२.. सम्पूर्ण पद्य संख्या १७६. चाहुबलि चरित्र।
ग्रन्थका श्री धनपाल । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या २७०. प्रत्येक पृष्ठ पर ६ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३३ से ३७ अक्षर । अन्य साधारण अवस्था में है। कितने ही स्थलों पर लाल पेन्सिल र दी गयी है । प्रतिलिपि संवत् १४८६ व साख नदी ७ बुधवार | ग्रन्थ के अन्त में स्वयं कवि ने अपना परिचय दिया है। अन्य की प्रतिलिपि भट्टारक श्री प्रभाचन्द्र के समय में हुई थी। परिच्छेद १८.
सजा .. प्रति न० २. पत्र संख्या २३७. प्रारम्भ के १३७ पत्र नहीं है। प्रत्येक पृष्ट पर १० पंक्तियों और प्रति पंक्ति में ३-४५ अक्षर । १३८ से १७० तक के पत्र जीर्ण है ! कहीं कहीं फट भी गये है। कागज अंख्या नहीं है। अक्षर अधिक सुन्दर नहीं है लेकिन अभी तक साफ हैं। सम्पूर्ण ग्रन्थ में १८ परिच्छेद है। दो चार जगह संस्कृत के श्लोकं भी हैं। ग्रन्थ के अन्त में स्वयं कवि ने भी एक विस्तृत प्रशास्ति लिख दा हैं जिसपे कवि का वशं और समय जाना जा सकता है। प्रतिलिपि संवत् १५८४ पासीज बुदी । बुधबार है। प्राचार्य प्रभाचन्द्र के समय में यघेखाल वंशोत्पन्न श्री माधो ने अन्य की प्रति लिपि करवाई थीं।
एक सौ चार