SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * आमेर भंडार के ग्रन्थ * मंगलाचरण: ज्ञानानंदैकरूपाय विश्वानंतगुणाध्वये । शिवाय मुक्तिबीजाय नमोस्तु परमात्मने ।। १ ।। अन्तिम पद्य: असमगुणनिधानं स्वर्गमाईकमार्ग। ममभयचकितानां सच्छर एवं गरिष्ट । ननुरपतिभिरन्य मानितं भव्यपूर्ण । जयतु जगति जैन शासनं धर्ममूलं ।। १ ।। तत्वार्थ सूत्र । रचयिता श्री उमानामि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ७. साइज १०x४|| इश्च । लिपि संमत १७५ १. लिपिकत्ता श्री चन्दः। तत्त्वार्थ सूत्रीका। दीकाकार आचार्य श्रुतसागर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४४१. साइज १||2|| इञ्च । प्रत्येक प्रत पर : पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३०-३६ अक्षर । प्रतिलिपि नं.२ पत्र संख्या २८३: साइज १० इञ्च । लिपि संवत् १७४७. लिपि स्थान जहानाबाद । भट्टारक श्री कल्याणसागर के शिष्य श्री जयवंत तथा श्री लक्ष्मण ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि बनायी। तधार्थ मूत्र सटीक। भापाकार-अज्ञःत । भाषा हिन्दी गद्य पत्र संख्या १५६. साइज ११||४|| इश्च । लिपि संवत् - १५८२. भाषा शैली अच्छी है । दूसरे अध्याय से शुरू हुई है। प्रति न० २ पत्र संख्या ५५. साइज-२२४५ इञ्च - प्रति अपूर्ण ५२ से श्रागे के पृष्ट नहीं हैं। प्रति ने० ३. पत्र संख्या १०१. साइज ११॥४५ इञ्च । प्रति सुन्दर है। -- - सडसेट
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy