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________________ * आमेर भंडार के अन्य भर ---Trainramer a - e - - मंगलाचरण पंचसंसारनुक्तेश्वः सिद्ध भ्यः खलु सर्वदा । नमस्कृत्वा प्रबन्ये पंचसंतानविरतरं ॥ १ ॥ पंचस्तवनायरि । ििकत्ता अज्ञात । पत्र संख्या ५६. लायज ११४२ । चस्तांत्रों का संग्रह है। सभी स्तोत्रे की टीका भी है। प्रति के पत्र गल गये हैं। सात नं० २. पन संवा ६. माइज ११/४ इञ्च । पंचास्तिकाय । मूलकत्ता आचार्य श्री कुन्दकुन्द । भापा टीकाकत्ती श्री नराज । भाडा प्राकृत हिन्दी । पत्र संख्या १४७. साइज ?|| इञ्च । भाप रचना संबत और लिगलंकन ३६. पंचास्तिकाय नटी। मनकला प्राचार्य श्री कुन्दकुन्द। टीकाकार प्रभा चन्द्र : भापा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या ६५. साइज १०४५ इञ्च ! प्रति नं०२. पत्र संख्या ५६. साइज १२३४५ इञ्च । लिपि संवत् १८२८. लिपिस्थान जयपुर । प्रति नं०३. पत्र संख्या ३६. साइज १०४ इञ्च। प्रति न० ४. पत्र संख्या १४८. साइज १०८ च । टीकाकार छाचात्र अद्वतचन्द्र । लिपि संवत् १६२७. अन्त में लिपि कराने वाले का अच्छा परिचय दिया है। प्रति ०५. पत्र संख्या १६६. साइज ||४५ इञ्च । लिपि संवत् १६३७, लिपिस्थान आगर कोट । टीमकार प्रा० अमृतचन्द्र । प्रति न० ६. पत्र संख्या २६. साइज १०||४५ इञ्च । परमेष्टिप्रकाशमार। रचयिता श्री शतकीत्ति । भापा अपनश। पत्र संख्या १८८. साइज Ellx४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३०-३६ अक्षर । विषय-वार्मिक । प्रारम्भ के २ पृष्ठ तथा अन्त का १८७ वां पष्ट नहीं है। परिभाषा वृत्ति । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०. साइज १०॥४५ इञ्च । . वानवे
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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