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* आमेर मंडार के अन्य *
सोलह कारण जयमाल |
रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संस्कृत १३. साइज १२||५५।। इश्व ।
प्रति नं० २. पत्र संख्या १२. साइज १२|| || इञ्च । लिपि संवन् १८१३. प्रत्य के एक हिस्से के दीमक ने खा रखा है।
प्रति न० ३ पत्र संख्या २०. साइज १०||x४ इञ्च । लिपि संवत् १७४४. लिपिकार पं० मनोहर! . प्रति नं०४. पत्र संख्या १३. साइज १२४शा इंश्च । प्रति नं० ५. पत्र संख्या ११. साइज १२४५ छ । लिपित्थान सराई जयपुर।
प्रति नं० ६. पत्र संख्या १२. साइज १२४६ इञ्च । सौन्दर्यलहरी ।
रचयिता श्री शंकराचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज १८४५ इञ्च । लिपि संवत् १८३८,
स्तवनसंग्रह ।
संग्रहकर्ता अज्ञात । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ५६, साइज x४! इञ्च । प्रारम्भ के ६ पृष्ठ तथा अन्त में ५८ से आगे के पृष्ट नहीं है। इसमें भिन्न न कवियों के स्तवनों का संग्रह किया गया है। एक साथ चौबीस तीर्थकरों की स्तुति के अतिरिक्त अलग र तीर्थकरों की स्तुतियां की गयी है तीर्थकरों के अलावा सीनधर स्वानी आदि के भी कितने ही स्तनों का संग्रह है। स्तयन अधिकतर खेताम्बर सम्प्रदाय के आचार्यों के हैं। स्तोत्रटीका।
रचयिता श्री विद्यानन्द । टीकाकार श्री आशाबर | मापा संस्कृत । पत्र संख्या ६.-साइज ||४|| इञ्च । ग्रन्थ समाप्ति के बाद इस प्रकार दे रखा है "कृतिरियं वादीन्द्र विशालकीर्ति भट्टारकः प्रियसून पति विद्यानन्दस्य"।
प्रति नं० २. पत्र संख्या 1. साइज १०||४|| इन्न । लिपि संवत् १६२०. स्तोत्रयी सटीक । . ... ... ... . . . . . . . . . . . ... ... ...:
संकलनको अज्ञात। दोकाकार अज्ञात । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ३० साइज १२४५ इच! भूपालस्तोत्र, भक्तामर स्तोत्र और कल्याणमन्दिर स्तोत्र इन तीनों का संग्रह है। जिपि संवत्-१८३८: ---- स्तोत्र संग्रह |
संग्रहका अज्ञात । पत्र संख्या २४. साइज १२४६ इञ्च । भक्तामर स्तोत्र विषापहारस्त्रोत, एकीभाव
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एक सौ अड़तालीस