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________________ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-३ अक्ष | टीका बहुत सुन्दर है । * आमेर भंडार के धन्य प्रति नं० २. पत्र संख्या ४८. साइज ११|| x ६ छ । लिपि संवत १८५६ मा सुदी २. सामुद्रिक शास्त्र । रचयिता पं० नारदेव | भाषा संस्कृत | पृष्ठ संख्या ३७. साइज १०|१८|| उच्च | लिपि सवत् १७७५. श्री राम के पढने के लिये श्री ऋषिराज ने ग्रन्य की प्रतिलिपि बनायी थी। प्रति अपूर्ण है प्रारम्भ के २ नहीं हैं । प्रन्थ के अक्षर मिट गये हैं। सामुद्रिकशास्त्र | रचयिता अज्ञात भाषा संस्कृत | साइज १०x४ । पत्र संख्या १२. प्रत्येक पर १३ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३६-४२ अक्षर लिपि कुछ नहीं । लिपिकार श्री पमसीजी । सामुद्रिक शास्त्र | रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत हिन्दी । पत्र संख्या १०. साइज १३x६ छ । मंगलाचरण- आदिदेवं प्रणम्यादौ सर्वज्ञं सर्वदर्शिनं । सामुद्रकं प्रवक्ष्यामि सौभाग्यं पुरुषस्त्रियोः || १|| सार्द्धद्वयद्वीपपूजा | रचयिता अज्ञात | भावा संस्कृत | पत्र संख्या ६३. साइज १२४५ इञ्च । प्रन्थ में कहीं पर भी कर्त्ता का नाम नहीं दिया हुआ है। सारणी । सार संग्रह | रचयिता अज्ञात | पत्र संख्या १०७. साइज १०४५ | ग्रन्थ ज्योतिष का है i प्रति नं २ पत्र संख्या ३१. साइज १० ।। २५.३३ । सार-संग्रह | रचयिता श्री सुरेन्द्र भूषण । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २१. साइज १०५ इन्च । प्रत्येक पृष्ठ में १९ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-४० र विषय - कालियुग बर्खेन । प्रति अपूर्ण है। रचियिता सुरेन्द्रः भूषण पत्र संख्या २५८ साइज १०४५ | इव । अन्तिम पृष्ठ. घटते हैं । एक सौ उनतालीस
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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