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________________ * आमेरे भंडार के प्रन्थ * प्रवचनसार भाषा 1. रचयिता अज्ञात भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ६१. साइज १२५५ इव । पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३० - ३८ अक्षर । प्रति अपूर्ण है । ६१ से आगे के पृष्ठ नहीं है। में दोपक लग जाने से ग्रन्थ का कुछ भाग नष्ट होगया है । मंगलाचरण स्वयं सिद्ध करतार करे निज करम सरम निधि | कर सुरूप होई। साधनं सार्द्धं विधि)संप्रदानताघरै आपको आप सम 1 अपादान, आपढ़ें. आपकी, करि थिर, थयै । :अधिकरण होई आधार निज बरते पूर्ण ब्रह्म पर । पट विधिकारक मयं विधि रहिन विविध एक विधि अज अमर hit प्रश्नोत्तरश्रावकाचाकी . प्रत्येक प्रन्थ प्रवचनसार प्राभूतटीका । टीकाकार अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १८२ साइज १०४४५ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर . ११ - पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३६ अक्षर लिपि संवत् १५४३. उक्त टीका मंडलाचार्य श्री रत्नकीर्ति के. शिष्य श्री विमलकीर्ति को भेंट स्वरूप प्रदान की गयी। लिपिकार पं० गोगा । प्रस्ताविक लोक चर्चा ! रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ७६. साईज ११४४ ।। इव । प्रति अपूर्ण है । अन्तिम पृष्ठ नहीं है | प्रारम्भ में ५४ पद्य नहीं है । ग्रन्थ ५५ वें पद्म से शुद्ध किया गया है । ग्रन्थ बहुत प्राचीन म होता है कि ST पृष्ठ पर ७ EN HYP Feis प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या १०६. साइज १२४५। । इव । के प्रशस्त भाष्य | TERESTIN • रच्य श्री प्रशस्त देवाचार्य भाषा संस्कृत पत्र संख्या ७. साइज १०८४॥ इचा केवल द्रव्य पदार्थ का वर्णन है । दसून सित्यानवे कुछ भाग कमेर्सड 9032 20 रचयिता भट्टारक श्री सकलकीति भाषा संस्कृत संख्या प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में २१ - २५. अक्षर | लिपि संवत् १८४४ लिपिस्थान- इन्द्रावती नगरी । प्रशस्ति है । hope Reas सहि ܕ ܘ܃
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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