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________________ * अानेर भंडार के अन्य * ध्यानस्वरूप । रचिता अज्ञात भाषा संस्कृत । मया ५. साइन ११४५ ३ च । विपत्र-वानों के स्वरूप का वर्णन | ग्रन्थ पिस जाते ले अनर मिट गये हैं। वजारोहणविधान। यिता र आशभर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या 2. साइज १४था इञ्च । धातुपाठावनी : ग्य तापदेव । भाषा संस्कृत पत्र संख्या २५. साइज १०|| इञ्च । प्रति२. पत्र संख्या ६८, नाइज 201|| इञ्च । प्रति सटीक है। सटी। राजा श्री देवनान्द । टीकाकार श्री रत्नचन्द्र । पत्र संख्या १०. भाषा सस्कृत । साइन अन्तिम पाह नव्यपुग य देवारदमुनिगिरा। टीके रतनन्द्रा नदिन यस्य निनितः || - प्रति नं. २. पत्र मस्या है, साइज |2|| इव । लिपि नवन् १५३० । जिनि कता श्री रत्नचन्द्र अपिका ने बादशाह कुतुबखां के राज्य का लेख किया है लिपि स्थान-हिसार । दिसंघविरुदावली। रचयिता अज्ञात । पत्र संख्या ५. भाषा संस्कृत । साइज ११५ लिपिकार भट्टारक श्री अभयचन्द्र । मन्दिश्वर अष्टाह्निका कथा । रचयिता--प्राचार्य शुभचन्द्र । भाषा-संस्कृत ! पत्र संख्या १०. साइज-८llx५ इन्च | विषय-अठाई त की कथा । लिपि संवत्त १८०२।। ---- इठन्तर
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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