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________________ * आमेर भंडार के अन्य * - प्रति नं०६ भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३६, माइज १०x४|| इञ्च । लिपि संवत १७७२. लिपिस्थान पाट जो पुत्र । अमर सेन चरित्र । रचयिता श्रीमाणिक क । भाया अपभ्रंश । पत्र संख्या ६६. साइज १०||४|| इञ्च । लिपि संवत् १५७७. प्रति अपूर्ण तथा जीए शीरण हो चुकी है । ५७ पृष्ठ पर एक मोहर है जिसमें अरवी भाषा में शब्द लिव हुये है। अलंकार शेखर । रचयिता न्यायाचार्य श्री केशमिश्र । भाषा संस्कृत ! प नख्या ३४. साइज १०४५।। इंश्च । विषय-अलंकार शास्त्र । लिपि संवत् १७७४. रचयिता अज्ञात । भापा-संस्कृत । पत्र संस्था ३. साइज १०|||| इञ्च । विषय-व्याकरण अस्तिनाम्निविवेकनिगमनिर्णय । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २००. साइज १२x६ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २८ । ३. अतर । अन्ध न्याय शास्त्र का है। २२ अध्याय हैं। अश्व चिकित्सा। रचयिता श्री नकुल । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २०. साइज १०४६ इश्च । प्रति अपूर्ण है। अष्ट कर्म प्रकृति वर्णन ! रचयिता श्री दलराम ! भाषा हिन्दिी ( प ) पत्र संख्या २६. साइज १२||५|| इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या २०५. प्रारम्भ के तीन पृष्ठ नहीं है। प्रति सुन्दर तथा स्पष्ट है। अन्तिम भाग करमकांड पागम अगम बरनें कु कवि एव । कै जाने जिन केवली के जाने गनदेव ।।१।। स्यादवाद् जिनवर अचन सस्य करि गहै सयान । सो भवि कर्म निवारिकै लई मुक्ति पुरथांन ।। २ ।।
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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