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________________ के भामेर द्वार के अन्य ' पर : पंक्तियां तथा प्रत्येक ३६-४२ अक्षर । ग्रन्थ श्लोक प्रमाण -४५१६. लिपि संवत् १७८६. प्रति २०. पत्र संख्या २०६, साइज ११||x!!। इञ्च । लिपिसंवत १७८६. लिपिस्थान कारंजा। लिपिकर्ता पंडित सुमतिसागर । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ६७. साइज IIxx इञ्च । प्रति अपूर्ण । ६७ से आगे पृष्ठ नहीं है। प्रति नं० १. पत्र संख्या १९७५, नाइज १२४५॥ इन्। लिपिस्थान बसवा। लिपिकार श्री पं० परस. रामजी : प्रति अपूर्ण । प्रारम्भ के ७१ पृष्ट नहीं है। दीमक लग जाने से ग्रंथ का कुछ भाग फट गया है। सिद्धान्तसार संग्रह। रचयिता आचार्य श्री नरेन्द्रसेन । नापा संस्कृत । पत्र संख्या ६३ साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १८०३. अन्य को दीमक ने नष्ट कर दिया है। प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ==. साइज ११४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४०-४६ अक्षर । ग्रन्थ के अन्त में ग्रन्थकर्ता ने प्रशस्ति दी है लिपि संवन १८६४. सीताहरण । रचयिता श्री जयसागर । भाषा हिन्दी पद्य। साइज १०x४।। इश्च । प्रत्येक पृष्ट पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २४-३० अक्षर । पत्र संख्या ११३. रचना संवत १७३२. लिपि संवत् १६.१५. लिपिस्थान देवदनगर। सीता चरित्र । रचयिता अन्नात । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या १२. साइज १:४५ इश्च । प्रति अपूर्ण । ४२ वें पृष्ठ से आगे नहीं है। प्रति नं०२. पत्र संख्या ११७. साइज ११||४५।। इञ्च । प्रति अपूर्ण और त्रटित है। सीताचरित्र । रचयिता श्री रायचंद । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या १४४. साइज ११४५ इञ्च । पद्य संख्या २५४१. रचना संवत् १८०८. लिपिकार पं० दयाराम । सुकुमाल चरित्र । रचयिता भट्टारक श्री सकल कीर्ति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ४५. साइज २४ इश्व । प्रत्येक पृष्ठ पर क्तियां और प्रति पंक्ति में ४४-४८ अक्षर । लिपि संवत् १७८५. ग्रन्थ में सुकुमाल के जीवन चरित्र के अतिरिक्त वृषभांफ कनकध्वज सुरेन्द्रदत्त आदि का भी वर्णन है। एक सौ चवालीस
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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