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________________ आमेर भंडार के ग्रन्थ पद्मपुराण (पउनचरिए) रचयिता महावि स्वयंभू त्रिभुवनत्रयंभू । भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ३५७. साइज ११४४ || इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ३८-४२ अक्षर । लिपि संवत् १५४१. विषय - जैनरामायण । पद्मपुराण ! भाषा अपभ्रंश । स्वविता १० रधू । पत्र संख्या ६०. साइज १०|| ४५ इञ्च । प्रत्येक पर १५ पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में २०-१४ अक्षर | लिपि संवत् १५५१ फाल्गुण सुदी ६. पद्म पुगे । रचयिता भट्टारक श्री सोमसेन । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २३७. साइज १०x१ इञ् । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३० ३६ अक्षर लिपि संवत् १७५१. अन्त में लिपिकार ने प्रशस्ति दे रख दें। प्रतिस्पष्ट और सुन्दर नहीं है ! मंगलाचरण -- पंचकल्याणनायकं । देवदेवादिभिः सेव्यं भव्यवृंद सुखप्रदं ॥१॥ शेषान् सिद्धान् जिनान् सूरीन्, पाठकान् साधु संयुतान् । नव हि पद्मरूप पुराणं गुणसागरं ॥२॥ प्रति नं० २ पत्र संख्या २६७ साइज १०x४ इञ्च । लिपि संवत् १७५१. प्रति नं० ३. पत्र संख्या १५२. माइज ११४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण है । प्रारम्भ के तथा अन्त के पृष्ठ नहीं हैं । 'पद्मपुरण । रचयिता श्री रविपेशाचार्य । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५५४. साइज १३४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४०-४६ अक्षर । प्रति बहुत प्राचीन है । प्रति नं० २. पत्र संख्या ४३०. साइज ११४५ || इञ्च । लिपि संवत् १८३४. प्रति अपूर्ण है । प्रारम्भ के २६६ तथा मध्य के १०० पृष्ठ नहीं हैं । सियासी
SR No.090392
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherRamchandra Khinduka
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size5 MB
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