Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 221
________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * २७३ सामुद्रिकशास्त्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज १२४४।। इश्च । कि पि संवत् १८३८. प्रति नं०२. पत्र संख्या ७. साइज ११४५ ३श्व । लिपि संवत् १८४४. २७४ सार चतुर्विंशतिका । रचयिता भट्टारक श्री सकलकीर्ति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १२६. साइज १०॥४॥ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ६ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-३६ अक्षर । विषय-स्तुति आदि । लिपि संवत् १८४८, २७५ सार संग्रह। संग्रहको अज्ञात । भाषा प्राकृत-हिन्दी । पत्र संख्या १२. साइज १०४५।। इञ्च । इसमें निम्न लिखित प्रकरण हैं। १ ज्ञानसार। २ तत्वसार। ३ चारित्रमार ४ भावनावत्तीसी। :. : . ५ ढाढसी गाथा। २७६ साईद्वयद्वीपपूजा । रचयिता पं० आशाधर । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २. साईजे १२४७ इश्च । प्रति पूर्ण है। लिखावट सुन्दर तथा स्पष्ट है। २७७ सिंदूर प्रकरण । रचयिता श्री कौरपाल बनारसीदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या २३. साइज |x५ इञ्च । २७८ सुकुमालचरित्र भाषा | : ___ भाषाकार अज्ञात । भाषा हिन्दी गद्य। पत्र संख्या ३२. साइज १०४६ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २४-२८ अक्षर। लिपि संवत् १८६७ प्राषाढ सुदी ६. लिपिस्थान चंपावती। श्री भागचन्दजी के पढने के लिये प्रन्थ की प्रतिलिपि करायी गयी। २७६ सुकुमाल चरित्र भाषा। भाषाकार श्री गोकुल नैन गोलापूर्व । भाषा हिन्दी गद्य। पत्र संख्या ४५. साईज १३४ा इञ्च । प्रति नवीन है लिपि मुन्दर है। दोसौ तेरह

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