Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 224
________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के प्रन्थ * २६१ स्वामिकार्त्तिकेयानुप्रेक्षा । रचयिता भट्टारक श्री शुभचन्द्र । भाषा प्राकृत- संस्कृत | पत्र संख्या १६४ | साइज = ४६ इव । लिपि संवत् १८६४ । तिपिकर्त्ता श्री नानगरामः । २६२ हनुमंतकथा | रचयिता ब्रह्मरायमल | भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ४४. साइज १३४७ ३ष्व । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३४ अक्षर । रचना संवत् १६१६. प्रति पूर्ण है । लिखावट सुन्दर है । प्रति नं० २. पत्र संख्या ६४. साइज १९९४ || इव । लिपि संवत १७८४. लिपिकर्ता पं० दयाराम । २६३ हनुमच्चरित्र | रविता श्री ब्रह्मानित | या संकृत | पत्र संख्या ६४. साइज ११||४६ इन्च | लिपि संवत् १६०४. लिपिस्थान जयपुर । बारह सर्ग है । प्रति पूर्ण है । २६४ हरिवंश पुराण | रचयिता ब्रह्म जिनदास । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २२२ सईजे १२५ | लिपि संवत् १८१६. २०५ हरिवंश पुराण टिपण । टिप्पणी कर्त्ता अज्ञात | भाषा संस्कृत । पन्न संख्या ३८. साइज १०x४ ३श्र्व । लिपि संवत १५५५. उक्त पुराण का सार दे रखा है २६६ होली प्रबन्ध | रचियता श्री कल्याणकोति । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या ४ साइज १०||४|| ३ | लिंपि संवत् १७२५. रचना प्राचीन है । PA २६७ मीनाममाला | रचयिता श्री हेमचन्द्राचार्य | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४७ साइज १२९४ इञ्च । लिपि संवत् १८४६. निपित्थान उणियारा (जयपुर) लिपिकर्त्ता भट्टारक श्री सुरेंद्रकीर्त्ति । दोसौ सोलह 1

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