Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* श्री महावीर शास्त्र भंडार के मन्थ *
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२६८ त्रिकांडशेप।
रचयिता श्री पुरुषोत्तम देव । मापा संस्कृत। पत्र संख्या ३५. साइज ११४५।। इञ्च । लिपि संवत १८३४. २६६ त्रिपंचाशक्रिया व्रतोद्यापन ।
रचयिता श्री विक्रम स्वामी। भाप. संस्कृत । पत्र संख्या २७. साइन ११४५ इञ्च । रचना संत्रत १६४०. प्रथम १० पत्र नहीं हैं। ३०० त्रिलोकपूजा . . . रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २८६. साइन्न १०||x५ इन्च.। सभी तरह की पूजाओं का संग्रह है। लिपि संवत् १६१५. २०१ त्रिलोकसार ।
__ रचयिता श्री नेमिचन्द्राचार्य। भाषा प्राकृत । पृष्ठ संख्या ७६. साइज १२४५ इश्व.। प्रति पूर्ण है। २,४४,५७ – पृष्ठ पर सुन्दर चित्र है । प्रति प्राचीन है। लिपिका भी स्वरूपचन्द । . प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या १४. साज ६१|४५ इञ्च । प्रारम्भ में लिपिकर्ता ने छोटे २ अक्षर तथा अन्त में मोटे २ अक्षर लिखे हैं। ३०२ बिलोकसारभाषा ।
भापाका प्रज्ञात । भाषा हिन्दी गद्य। पत्र संख्या ५०. साइज १४शा इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ५० से आगे के पृष्ट नहीं हैं। ३०३ त्रैलोकसार सटीक ।
टीकाकार माधवचा विद्य। :..षा प्राकृत संस्कृत । पत्र संख्या १७१. साइज १०॥४४॥ इश्च ।। प्रति नवीन है।
प्रति नं० २. पत्र संख्या १६५. जाज ११|| ४|| इश्च । लिपि संवत् १६७२. टीकाकार श्री.सागरसेन ।
प्रति नं० ३. पत्र संख्या ८१. साइज ११||शा इञ्च । लिपिकर्ता श्री सुरेन्द्रकीति । प्रथम पृष्ठ पर 1 ५ सुन्दर चित्र हैं।
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दोसौत्सबद्द