Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 206
________________ * श्री महा पोर शास्त्र भंडार के अन्य * १६८ बीस तीर्थकर पूजा। रचयिता श्री छीतरदास । भाषा हिन्दी । पृष्ठ संख्या ६६. साइन १२८ इञ्च । लिपि संवत १६५६, प्रति नयीन है लिखावट मुन्दर है। पूजायें अलग २ हैं। अन्त में मन्यकर्ता ने प्रशस्ति भी लिस्त्रिी है । १६६ बुधजनसतसई। रचयिता पं० बुधजन । भाषा हिन्दी पृष्ठ संध्या ५. साइन १०||४७।। इश्न । १७० भगवती आराधना । रचयिता श्री शिवार्य । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या २४३. साइज १०x४|| इश्च । प्रति नवोन है। १७१ भजनावलि | संग्रहकर्ता श्री दुगालाल । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ६०. साइज १२४५३। इञ्च । अनेक भजनों का संग्रह है। १७२ भट्टारक पट्टायली। पृष्ठ संख्या द. भाषा हिन्दी । भट्टारकों की नामावली दी हुई है। उनके भट्टारक होने का समय स्थान आदि का भी उल्लेख है। प्रति नं०२. पत्र संख्या ११. साइज २०४६ इश्च । प्रति नं०३. पत्र संख्या ३. साइज ११४५ इञ्च । प्रति नं०४. पत्र संख्या ३. साइज ११४५ इञ्च । प्रति नं० ५. पत्र संख्या ११. साइज १०||४५ इञ्च । भट्टारकों का विस्तृत परिचय दिया हुआ है। १७३ भक्तामर स्तोत्र वृत्ति । वृत्तिकार ब्रह्मरायमल्ल । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३८. साइज १०x५ इश्च । प्रत्येक पृष्ट १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-४० अक्षर । प्रति पूर्ण है। १७४ भक्तामरस्तोत्र। प्रति सटीक है । मन्त्रों स'हत है। मन्त्रों के चित्र तथा विधि आदि सभी लिखी हुई है। पत्र संख्या - २५. साइज १०||x७ इश्च । तीसरे पद्य से ४१ वें पय तक है। एक सौ अध्यानवे

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