Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 213
________________ २१७ बद्ध मानपुराण भाषा | मूलकर्ता आचार्य सकलकीर्त्ति। भाषाकार अज्ञात प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति साउन ११ प्राचीन नहीं है। * श्री महावीर शास्त्र भंडार के ग्रन्थ प्रति नं० २. पत्र संख्या १३६. साइज १०llxk इ । लिपि संवत् १६५६ । भाषा हिन्दी गद्यपद्य । पत्र संख्या १२२. ३६-४३ अक्षर । प्रति अपूर्ण है। प्रति ज्यादा २१८ वद्धमानमहाकाव्य | रचयिता महाकवि श्री श्री । भांषा संस्कृत पत्र संख्या १२० साइज १०||४४ | इश्र्व | लिपि संवत् १७३६. पंडिताचार्य श्री तुलसीदास के पढने के लिये आचार्य वर्ष श्री उदय भूषण ने महाकाव्य की प्रतिलिपि बनायी । प्रति जीर्ण हो गयी है ! २१६ व्रतोद्यापन श्रावकाचार | रचयिता पंडित प्रवरसेन । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३१. साइज १०।४४ इञ्च । लिपि संवत् १५४१. प्रशस्ति अपूर्ण है । २२० व्रतोद्यापनश्रावक विधान | रचयिता पं० देव । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २२. साइज ११ || ४ || इच। रचना संवत् १८३६ | प्रन्थ कर्त्ता ने अन्त में अपना परिचय भी दिया है । २२१ वाग्भट्टालंकार | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २५. साइज १०||४|| इञ्च । लिपि संवत् १७२४. लिपिकर्त्ता मुनि श्री रविभूषण | प्रति पूर्ण तथा नवीन है । २२३ विजयपताकायंत्र । २२२ वास्तुपूजा। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६ साइज १०१४४. इव । लिपि संवत् १७६=, लिपिकर्त्ता श्री दोदराज पूजा प्रतिष्ठापाठ में से ली गयी है । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. साइज १५४७ इछ । विषय-मंत्र शास्त्र | मंत्र का चित्र भी दे रखा है। दोसौ पांच

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