Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 212
________________ *ओ महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * २१२ बसुनन्दीश्रावकाचार । भपाकार भट्टारक श्री देवेन्द्र कोक्ति । भाषः हिन्दी गद्य । पत्र संख्या ४१. साइन ११४५।। इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३५ अजर । प्रति अपूर्ण है । 2 से आगे के पृष्ठ नहीं है। भ पाकर्ता ने दौलतरामजी की बचनिका का उल्लेख किया है। भाषा स्पष्ट तथा सुन्दर है। प्रति नं० २. पृष्ट संख्या ३७१. साइज १८४५|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है ३७४ से आगे के पृष्ट नहीं है। प्रति नं० ३. संख्या ३३६ ले ३५४. साइज १२४।। इञ्च । ग्रन्थ का अन्तिम भाग है। २१३ व्रत कथा संग्रह । __संग्रह करना अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १५, साइज १०||४५ इञ्च । संग्रह में निम्न कथायें हैं पोडश कारण व्रत कथा मेघमाला व्रत चंदन पष्ठी व्रत लब्धि विधान , पुरंदर विधान २१४ व्रतसार संग्रह। संग्रह का अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २६, साइज १०४२ इश्च । संग्रह में समन्तभद्र, प्रभाचन्द्र, यशः कीर्ति आदि प्राचार्यों की कृतियों का संग्रह है। २१५ ब्रत कथा कोश भाषा । मूल कर्ता आचार्य अतसागर । भाषाकार श्री ........... दास । भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या १३७ रचना संवत् १७८७, प्रशस्ति दी हुई है । २४ कथायें हैं। २१६ वर्तमान चौबीसी का पाठ । रचयिता कविवर देवीदास । भाषा हिन्दी पत्र संख्या १०३, साइज १०४६ इश्व ? विषय-पूजा पाठ। .. अन्तिम पत्र पर कागज चिपके हुये होने के कारण लिपि काल वगैरह पढने में नहीं आ सकते हैं। .. प्रति नं० २. पत्र संख्या ६०. साइज १०४५।। इञ्च । रचना संवत् १८२१. पाठ कर्ता ने अन्त में अपना परिचय भी दे रखा है। दोसौ चार

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