Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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*श्री पहावीर शास्त्र भंडार के अन्य *
२०५ रौद्रव्रतकथा।
रच पता श्री गरिण देवेन्द्रको ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज १०||४५ इञ्च ।
२०६ लग्नचन्द्रिका।
रचयिता पं० काशीनाथ । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २५. साइज १२x२ इञ्च । लिपि संवत् १८४२. लिपिकर्ता श्री रामचन्द्र ।
२०७ लधुशान्तिविधान।
रचयिता पं० आर पर। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११. साइज ११५ श्च । लिपि संवन् १८७६. लिपिका ने प्रशस्ति में महाराजा सवाई जयसिंह का उल्लेख किया है। लिपिकर्ता श्री नै रणसुख ।
२०८ लब्धिसार।
रचयिता नेमिचन्द्राचार्य । पत्र संख्या १४१. भाषा प्राकृत-संस्कृत | साइन १०४ इञ्च । जयघवला नामक महानन्ध में ले लब्धिसार के विषय को लिया गया है। गाथाओं का अ- संस्कृत में अन्छो तरह दे रखा है। प्रति नत्रीन है । लिपि सबत् १८२३. २०६ लोकनिराकरण रास ।
रचयिता श्री लभूषण । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३१. साइज १४५ च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३६ अक्षर । रचना संवत् १६२७. लिपिसंवत् १७१०. अन्त में ग्रन्धकर्ता ने अपना परिचय दिया है। ग्रन्थ प्राचीन है , ग्रन्थ की हालत विशेष अच्छी नहीं है। .
२१० वज्रकुमार महामुनिकथा ।
रचयिता ब्रह्म श्र ने मिदत्त । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १६. साइजx६ इश्च । २११ वरांगचरित्र ।
रचयित्ता भट्टारक श्री बद्ध मानदेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६८, साइज १०४५ इञ्च । श्लोक संख्या १३८३. सर्ग संख्या १३. चरित्र पूर्ण है तथा सुन्दर लिखा हुआ है।
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दोसौ तोन