Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 209
________________ * श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य * १८६ मूलाचार भाषा। भाषाकर्ता श्री नन्दलाल और अपभड़ास । भाषा हिन्दी गद्य। पत्र संख्या ७५२. साइज १०||४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर । पक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३१-३५ अक्षर । रचना संवत् १८==. लिप संवत् १६२५. भाषाकर्ता ने अपना विस्तृत परिचय दिया है। जयपुर के दीवान श्री अमरचन्द का भी उल्लेख किया है। १६० मुलाचार प्रदपीक । रचयिता आचार्य श्री सकल कीर्ति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १३७, साइज १६x४|| लिपि संयत् १८८३. लिपिका ने रामपुरा के महाराजा श्री किशोरसिंह का नामोल्लेख किया है । लिपिकत्ता श्री बिरदीचंद । प्रति सुन्दर है। १६१ यशोधर चरित्र । रचयिता महाकवि पुष्पदंत । भाषा अपभ्रंश। पत्र संख्या १०८. साइज ११४५ इञ्च । अपभ्रंश से संस्कृत में भी उल्था दे रखा है। १६२ यशोधर चरित्र । रचयिता श्री वासबसेन । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५१. साइज १०x४॥ इञ्च । प्रति प्राचीन है। १६३ यशोधर प्रदीप । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १५. साइज १०x४।। इश्च । प्राकृत से संस्कृत में टीका है। लिपिकर्ता पं० गेगा। . १६४ यशस्तिलक चम्पू । रचयिता महाकवि श्री सोमदेव । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या आश्वालासाइज इञ्च । प्रति प्राचीन है। __ प्रति नं० २. पत्र संख्या ४६. साइज १२४५ इश्च । प्रति अपूर्ण है। १६५ यशोधरचरित्र भाषा । भाषाकर्ता पंडित लक्ष्मीदास । भापा हिन्दी (पद्य)। पत्र संख्या ६६, साइज १३५६ इञ्च । रचना संवत् १७८१, भाषाकर्ता ने अपना परिचय अन्त में लिखा है। दोसौ एक

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