Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार के अन्य *
शिष्य श्री नलितकी त्ति के समय में साह पूना तथा उनकी स्त्री बाली ने लिखीवाई थी । पत्र.. कुछ गलने लग गये हैं।
प्रति नं १. पत्र संख्या . साइज १०४५ इञ्च ! लिपि संवत् १५८०. प्रति लियी भट्टारक प्रभाचन्द्र के समय में दोदू नामक खण्डेलवाल जैन ने करवाई थीं।
प्रति नं० ६, पत्र संख्या २. साइज ११४५ इञ्च । लिपिसंवत् १६५७, प्रशस्ति नहीं है। ग्रन्थ का है हाशिया दीमक ने खा लिया है। 1 प्रति नं० ७. पत्र संख्या ६१. साइज ११४६ इञ्च । लिपि संवत् नहीं है। प्रशस्ति नहीं है।
प्रति नं. ८. पत्र संख्या ६. साइज ११||५।। इञ्च । लिपि संयत् १७१५. प्रति लिपि आमेर के । भट्टारक नरेन्द्र कीर्ति के शिष्य भट्टारक श्री महेन्द्रकी त्ति ने करवाई।
प्रति नं० ६. पत्र संख्या ४३. साइज १२४५ इञ्च । ग्रन्थ बहुत कुछ जीर्णशीर्ण हो गया है। योगचिंतामणि।
___ संग्रहकर्ता श्री हप की ति। भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ६०.. साइज १०x४ :न्छ । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३--१४ अक्षरा विषय-अायुर्वेद।
प्रति नं० २. पत्र संख्या ३३. साइन १३४६१1३ऋ । विषय-आयुर्वेद । ग्रंथ में पांच अधिकार है । और वे अलग न लेखक के लिखे हुये हैं। योगप्रदीप ।
रचयिता अन्नात । भाषा संस्कृत । पृम संख्या ७. साइज 20x1| इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या १४१. विषय-योगशास्त्र।
योगीरास।।
रंचयिता श्री ब्रह्मजिनदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या साइज २०४४ इञ्च । भगवान आदिनाथ की स्तुति की गयी है।
। योगसार ।
रचयिता श्री मुनि योगचन्द्र ( योगीन्द्रयः)। भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या साइज ११४४|| इन्छ । गाथा संख्या १०८. लिपि संवत्. १७१६. लिपिन्थान जयसिंहपुस । लिपि का पंडित लक्ष्मीदास । .२६ . . . . . प्रतिः ० २. पत्र संख्श ७. साइन १०४ इन्छ ।
एक सौ अठारह