Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार के प्रथ *.
प्रति नं०३, पत्र संख्या २०. साइज ११tlx|| इञ्च । इस प्रति में आराधनासार, तत्त्रसार तथा धर्म पंचविंशतिका की गाथायें भी है। प्रारम्भ के तोन पृष्ठ नहीं हैं।
योगसार तत्वप्रदी पका।
रचयिता. प्राचार्य श्री अमितिगति । भा परः संस्कृत । पत्र संख्या ३६. साइज ६x४. इञ्च । प्रत्येक. पृष्ठ पर ६ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २५-२८ अक्षरः । प्रथम पृष्ठ नहीं है।
___ प्रति नं० २. पत्र संख्या ३०. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १५-६. अन्तिम पुष्ट नहीं है।
योग शतक ।
रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत | पृष्ठ संख्या ८. साइज १३४४॥ इञ्च । प्रति अपूर्ण 1 प्रथम और अन्तिम पृष्ठ-नहीं है।.. . योग शास्त्र ।
मूलक -आचार्य श्री हेमचन्द्र । वृत्तिकार श्री अमरप्रभसूरि । केवल योग शास्त्र का चतुर्थ प्रकाश है। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४५. साइज १०x१|| इन् । लिपिसंवत् १६३०.
नविनश्चय ।
रचयिता श्री वेद्यराज' माधत्र | भाषा संस्कृत। पत्र संख्या : १. साइज 201x५ इञ्च । विषयवैदक । लिपि संवत १५४५. अाजकल ग्रह ‘माधव निदान' के नाम से प्रसिद्ध है।
प्रति -पत्रःसंख्या ३ साइज १४५. इञ्च । : . - - . प्रति नं. ३. पत्र संख्या इ. साइज १३४६|| इञ्च । प्रति मूल मात्र है। प्रति न० ४. पत्र संख्या ६१. साइज ११४४ इश्च ' लिपि संवत् १७४६. प्रथम पांच पृष्ट नहीं है।
. रघुवश !
रचयिता महाकवि कालिदास । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २०२. साइज १३४५॥ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ... .. :: ........... ........ ..... -
प्रति नं० २. पत्र संख्या १६०. साइज ११४५ इञ्छ । टोकाकर श्री चरण धर्मगणि। दीकाकार जैन हैं। रत्नकरण्ड श्रावकाचार सटीक .........:...:... ::.:-:---.
मुलकर्ता आचार्य समन्तभद्र । टीकाकार-प्रभाचन्द्राचार्य । भाषा संस्कृती पत्र संख्या ६३. साइज
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एक सौ उन्नीस