Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 174
________________ * भामेर भंडार के अन्य * वेपन क्रिया कोश । रचयिता.श्री किशनसिंह । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ९३५. माझ्ज- =॥१x६ इञ्चः। रचना संवत् १५८४. प्रारम्भ के दीमक ने खा रखे हैं । कोश के अन्त में अन्यकर्ता ने अपना परचय भी दे रखा है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ७५. साइज १०४६ इञ्च । लिपि संयत् १८२६. ... वेपनक्रियाकोश। रचयिता अज्ञात । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या ४४. साइज ११४४। इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर २३ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में १४-५० अक्षर । प्रति अपूर्ण है अन्तिम पृष्ट नहीं हैं। ज्ञातृधर्मकयांग । __ भाषा प्राकृत : पृष्ठ संख्या ६०. साइज १२४४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ६१ से पहिले के पृष्ठ नहीं है। लिपि संवत् १६००. जिपिकर्ता श्री अजयगणि। प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ६६. साइज १२||४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण है। ... . ज्ञानीश। रचयिता अज्ञातं । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३. साइज ||xy इञ्च । पद्य संख्या ४०. ज्ञानार्णव भाषा। .. रचयिता श्री विमल गाणं । भाषा हिन्दी (पयो । पत्र संख्या ४७.' साइज १३५६ इंश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति पर ४२-४८ अक्षर । मन्य अपूर्ण है। ज्ञानार्णय । रचयिता आचार्य शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १७५. साइज ||| इच। प्रत्येक विं पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २.२६अक्षर लिविसंघन:५६ : "-- . ; प्रति ने . २. पत्र संख्या ११०. साइज ११४५ इश्च । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ६३. साइज १०||४५ इश्च । - प्रति न पत्र संख्या साईजे १६ इंश्च । लिपि सत्रन १६०३. लिपित्याने अजमेर । श्री ब्रह्म धर्मदास ने अपनी पुत्री हीरा के पढने के लिये प्रति लिपि बनवायी प्रथदीमक ले जाने से जीण शीर्ण हो चुका है। ....... -van पम सौछासठे

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