Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य *
प्रति नं० ३, पत्र संख्या ८२६ साइज १०४५ इञ्च । रचयिता ब्रह्म श्रो जिनदास । लिपि संवत् १६१२. प्रशस्ति है। उक्त पुराण दो वेष्टनों में बंधा हुश्रा हैं। १२६ पद्मपुराण ।
भागाकार अज्ञात । भाषा दिन्दी गद्य । पत्र संख्या २०६. साइज ११॥xथा इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १४ पंक्तियां तथा प्रते परि में ५३-५६ अक्षर । प्रति अपूर्ण है । २८ वें पर्व से आगे नहीं है। - प्रति नं० पत्र संख्या ४५७, साइज १०|x/i इञ्च । प्रति अपूर्ण है।
१२७ पद्मावती स्तोत्र ।
रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ३. साइज १०४५ इन्च । पद्य संख्या ३५. प्रति नं०२. पत्र संख्या.साईज ५ इंश्च । प्रति पूर्ण है। प्रति नं० ३. पत्र संख्या ७. साइज १०||४|| इश्च । उद्यापन की विधि भी दे रखी है।
१२८ परमात्मप्रकाश।
रचयिता अचार्य श्री योगीन्द्र देव । भाषा प्राकृत | पृष्ठ संख्या २७. साइज १०x४|| इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ८ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-३८ अक्षर। लिपि संवत् १६२० कार्तिक सुदी १२ वृहस्पतिवार । आचार्य श्री हेमकोत्ति के सदुपदेश से सेंठ भोवारणी के पढ़ने के लिये ज्योतिषार्च श्री महेश ने अन्ध की प्रतिलिपि बनायी । ग्रन्थ पूर्ण तथा सुन्दर हैं।
१२६ परमात्म प्रकाश
___ भाषाकार--- दौलतरामजी । पत्र संख्या २८६. साइज १०||४५ इञ्च । प्रत्येकं पृष्ठ पर ६ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३१-३५ अक्षर । मूल अन्य की टीका श्री ब्रह्मदेव ने संस्कृत भाषा में बनायी तथा उसी टीका के आधार पर पं० दौलतरामजी ने हिन्दी भाषा में सरल अथं लिखा । लिप संवत १८७१ आषाढ सुदी ३ वृहस्पतिवार ! दीवाण श्री जयचन्दजी बाबड़ा के सुपुत्र श्री ज्ञानचन्द्र तथा उनके सुपुत्र चोखचन्दनी पन्नालालजी ने उक्त ग्रन्थ की प्रतिलिपि बनवायी।
प्रति नं० २. साइज ११||x= इञ्च । पत्र संख्या १३३. लिपि संवत् १६१३. लिंपि स्थान-जयपुर। . . श्री धनजी पाटणा साली वालों ने उक्त मन्थ की प्रतिलिपि बनवायी। ,
१३० पंचकल्याण।
रचयिता भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीर्ति । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या २६. साइज १०||xx11 इञ्च ।
एक सौ इक्यानवे