Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* श्रीमवार शास्त्र भंडारे के ग्रन्थ
१३६ प्रतापकाव्य।
: रचयिता भट्टारक श्री शक्रदेव । भाषा संस्कृत । पृष्ट संख्या ११६. साइज १०४५ उच्च । लिख. बट सुन्दर है । जिल्द यं घो हुई है। ११० प्रतिष्ठा पाट सामग्री विधि । | भाषा संस्कृत । पन्न संर या १:३. मंडलाचार्य श्री चन्द्रकीति के उपदेश से प्रतिलिपि की गयी 1.
प्रति में अनेक चित्र भी हैं तथा मन्त्रों के आकार भी दे रखे हैं।
१४० प्रतिष्ठासार ।
रचयिता आचार्य नसुनन्दि। भाषा संस्कृत। पत्र संख्या २७. साइज १०॥४४ इश्च । लिपि संवत् । १५१७ जेठ बुदी : सोमाबार । प्रति की दशा अच्छी है।
१४१ प्रद्य म्न चरित्र ।
रचयिता श्री महासेनाचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०४. साइज १०x४|| इना लिपि संवत १५४८, लिपिकर्ता मुनि रत्नकी त्ति । प्रशस्ति है । दश सगे हैं। १४२ प्रद्युम्नचरित्र । .
रचयिता श्री में सेनाचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०४. साइज ११४४।। इञ्च ! प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३३-३६ अक्षर । सर्ग संख्या १४. लिपि संवत् १५१८. लिविस्थान टोडा। मन्थ, पूर्ण है लेकिन जीर्णावस्था में है। .:. : : .......,
१४३ प्रद्युम्नचरित्र।
रचयिता आचार्य श्री सोमकीति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २१५. साइज १०||४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर.११.पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३५-३८ अक्षर । लिपि संवत् १६११. अन्धकार तथा लिपिकार दोनों के द्वारा ही लिखी हुई प्रशस्तियां हैं। अन्य को हालत विशेष अच्छी नहीं है। .
१४४ प्रमेयरत्नमाला।
रचयिता श्री माणिक्य नन्दि । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या २६. “साइज १२४५ इश्च । लिपि संवत् १५७१, प्रशस्ति है। . . : ..... ... ... ... ... :: ...
प्रति नं० २. पत्र संख्या २१. साइज ११||४इद । प्रति अपूर्ण है।
एक सौ तिरानवे