Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 197
________________ ११७ न्यायदीपिका | रचयिता धर्मभूपणाचार्य । भाषा संस्कृत पत्र संख्या ३१. साइज १०x४ इन्द्र । लिपि संत् १७१३. लिपिस्थान जयपुर । प्रति नं० २. पत्र संख्या ६७. साइज ११||४५ इञ्च । प्रति नवीन है। अक्षर बहुत नोटे २ लिखे 4207 हुये हैं । ११८ निशिभोजनकथा । सुन्दर है । * श्री महावीर शास्त्र भंडार के ग्रन्थ * र० १० भूरामल | भाषा हिन्दी | पत्र संख्या २८. साइज ६x४|| ३ | लिपि संवत् १६४६. लिखावट अप्रकाशित है। प्रति नं० २. पत्र संख्या १७. साइज १०||४|| इ | ११६ नीतिसार | रचयिता श्री इन्द्रनन्दि भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५. साइज १० ॥ ४४ ॥ इव । ग्रन्थ अभी तक 14 T १२० नेमिनाथपुराण | रचयिता ब्रह्म श्री नेमिदत्त भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १५४ साइज १०४४ || इश्र्च | प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-२८ अक्षर । प्रन्थकर्त्ता तथा लिपिकर्चा दोनों ने ही प्रशस्ति लिखी है । लिपिकर्ता ने तीन पृष्ठ की प्रशक्ति लिखी है। लिपि संवत १७०३ फागुण सुदी पंचमी । प्रति न० २. पुत्र संख्या १५५: साइज ११९५ इव । लिपि संवत् १८६८, लिपि कर्त्ता पं० उदयलाल । १२१ नेमीश्वर गीत रचयिता श्री वल्हव | भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या १५. साइज १०x४ || इच। लिपि संवत् १६५०. दनना प्राचीन है । भाषा हिन्दी से बहुत कुछ मिलती जुलती है । प प १२२ पद संग्रह | -- 3 एक सौ नवासी ܕ ؛ इस संग्रह में निम्न रचनायें हैं ( १ ) वर भजनावलि । रचयिता श्री देवचन्द्र भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ६. साइज ३||४४ इच (२) अढाई रासा । रचयिता श्री विनयकीर्त्ति। भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ४ साइज ६४ इछ । लिपि कर्त्ता तरलाल | संपर

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