Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 179
________________ * श्री महावीर शास्त्र संडार के अन्य * १६ इन्द्रजपूजा ... रचयिता श्री विभूषस । थापा संस्कृत । पत्र संख्या ७. साइज १०४५।। च । अलि पूर्ण है लेकिन भीरणा वस्त्रा में है । अन्तिम पृष्ठ पर कागज त्रिपार चुका हुआ है जिससे अन्त की पंक्तियां पढ़ने में नहीं पाती ११ इन्द्रप्रस्थप्रबंध। लिपि कर्ता अज्ञात । भाषा संस्कृल। पत्र संख्या :७, साइज १०-४४]। इञ्च । विषय-इन्द्रमस्थ (देहली) पर शासन करने वाले राज वंशो का परिचय दिया हुआ है। २१ इन्द्रमाला परिक्षारन विधि। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २. साइल ४ इन्च । उक्त पाट लिष्ट्रापाड़ में से लिया गया है। २२ अटोपदेश बटीक । टीका कार कला श्रये निलयचन्द्र मुनि । भाषा, संस्कृत । पत्र संस्था ३६. साइन ११४४ इश्च । लिपि संवत् १५४४१. विपि कर्ता भट्टारक ज्ञान भूपण । लिपि स्थान गिलिपुर । लिपि कर्ता ने राजा गंगादास के नास का उल्लेख किया है। २३ उत्तरपुरखण। रचयिता .महाकवि पुरझदन्न । भाषा प्रपद्म'श। पत्र संख्या ३२६. साइज़ ११||४५ इञ्च । लिपि संवत् १५३६. 'ब्लिपिकर्ता साधू मल्लू । शिरि कर्ता सुलतान बहलोल लोदी के शासन काल का इल्लेख किया है। भति सुन्दर है। लिपिकर्ता के द्रमा लिनी हुई प्रशस्ति भ है। .... ......... ..., २४ उतर पाण वयिता गुणामाचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या म. साइन ११४५ इन्न । लिपि संवत् २५६१०. अन्न कर्ता तथा शिनि कता दोनों के द्वारा प्रशस्तियां लिखी हुई है। प्रति पूर्ण है। . १२.५ अप्रदेश स्तमाला:: . :.::.: . : .. रचयिता प्राचार्य श्री सकल भूषण । भाषा संस्कृत पत्र संख्या ३१. साइज़ EK इन्न । प्रति सिदीक है लिपि संवत १७०२ चैत सुदी १४ वीनार । प्रति पूर्ण है तथा लिखावट अट्टी है। एक सौ इलचर

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