Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* श्री महावीर शास्त्र भंडार के मन्त्र *
५४ चतुर्विंशति जिन पूजा |
रचयिता श्री बख्तावर सिंह | भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ६७, साइज १९४६ । ज्ञिपि संवत् १६३३ जेठ बुद्धि ३. प्रति जीगांवस्था में है । अन्त में कवि ने अपना अच्छा परिचय दिया है रचना: संवत् १८६२ है । प्रति नं० २. पत्र संख्या ६६. साइज १२४७ इञ्च लिपि संवत् १६०७ प्रथम पृष्ठ नहीं हैन
५५ चतुर्विंशति जिन पूजा ।
रचयिता कविवर श्री वृन्दावन । भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ४५ साउच १२० इन्च | तिपि संवन १६२२. अन्त में लिपि कती ने अपना परिचय दिया है। प्रति पूर्ण है। लिखावट सुन्दर |:: प्रति ०२ पत्र संख्या ५७ साइज ११७ । लिपि संवत् ११३५. ११. वां पृष्ट नहीं है । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ४४ साइज १०४५ || इञ्च । लिपि संवत् १=== लिपि स्थान जयपु लिपिकर्त्ता वसंतरावजी ।
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५६ चतुर्विंशति जिन पूजा |
रचयिता श्री सेवाराम | भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ५५ साइज ६५॥ इ । रचना. संवत् १=५४लिपि संवत् १८७१ प्रति पूर्ण हैं । कवि ने अन्त में अपना परिचय भी दिया है।
प्रति नं० २. पत्र संख्या ४२. साइज ११||४५ च । प्रति पूर्ण है। लिखाबट सुन्दर है ।
५७ चतुर्विशति जिन पूजा ।
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रचयिता अज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४२. साइज १० || ४४ || इञ्च । प्रथम पृष्ठ नहीं है । भाषा सुन्दर तथा सरल है ।
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५८ चतुर्विशति जिन स्तुति सटीक ।
भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ४१. साइज १०||४|| च । वर्तमान चौबीस तीर्थकरों की स्तुति है तथा उसकी वृहद टीका भी है।
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५६ चतुर्विंशति पूजा |
रचयिता श्री चौ० रामचन्द्र । भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ६५, साइज १०x६ || इश्र्व । लिपि संवत् १८५४. लिपि कर्त्ता पं० मिश्रलालजी । प्रति पूर्ण है ।
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प्रति नं० पत्र संख्या ६५. साइज २०४७ इव । लिपि संवत् १६३५ प्रति पूर्ण है ।
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६० चंदना चरित्र |
रचयिता आचार्य शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३२. साइज १०x४ || इव । क्षिपि संवत् १८३१. भट्टारक श्री सुरेन्द्रकी र्ति ने प्रथ की प्रतिलिपि बनायी है।
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एक सौ अस्सी