Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 191
________________ * श्री महाघोर शास्त्र भंडार के अन्य * ५१३ जिननिव प्रवेशविधि ! भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १. साइज १०x४ इञ्च । उक्त विधि, प्रतिष्ठापाठ में से ली गयी है ! प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ११. साइज १०५४ इव । प्रति पूर्ण है. । विन्ध प्रतिष्ठा विधि भी है। ७४ जिनयज्ञकल्प। .... रचयिता महा पंडित आशाधर ! पाया संस्कृत । पत्र संख्या १३४. साइज ११४४ ५छ । लिपि संवत् १५६४ साबण लुदी ६. लिपि कत्ती ने एक अच्छी प्रशस्ति लिखा है। मंडलाचार्य श्री धर्मचन्द्र के पढने के लिये प्रन्थ की प्रतिलिपि गयी ! प्रति की जीर्णावस्था में है। प्रति नं० २. पत्र संख्या ८६. साइज ११११४४|| इञ्च। लिपि संवत् १६१०. 'डलाचार्य श्री धर्मचन्द्र के शिष्य श्री नेमिचन्द्राचार्य ने अन्य की प्रतिलिपि बनायी। ७५ जीवन्धर चरित्र ! रचयिता भट्टारक शुभचन्द्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२५. साइज १२x६ इञ्च । लिपि संवत् १८६२. प्रशस्ति है। ७६ जैनलोकोद्धारक तत्वदीपक । रचचिता अज्ञात । भाषा हिन्दी गद्य । पत्र संख्या २१. साइज १२x६ इञ्च | विषय-धार्मिक । प्रति नवीन है। ७७ जैनविवाहविधि । " रचयिता पंडित तुलसीराम । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या १७. साइज १२४१|| इन्च। पंडितजी ने लिया है कि विवाह विधि को अन्य जनाजैन विधियों को देखने के वात् बनाया गया है। ७८ जैनविवाहविधि । . . . . रचयिता अज्ञात । भापा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ७२. साइज ६x४ इञ्च । प्रति सुन्दर है। जिल्द बंधी प्रति नं० २. पत्र संख्या ६. साइज ११४५शा इव । वियाह विधि संक्षेप में है। ७६ जैनशान्तिमंत्र। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज १०||x/ इश्व । प्रति पूर्ण है ! अन्तिम पृष्ठ के एक भाग पर पर कुछ कागज चिपका हुआ है। • एक सौ तियासी

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