Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
View full book text
________________
३३ कथासंग्रह भाषा ।
भाप कर्त्ता अज्ञात | भाषा हिन्दी गद्य मान = ६ कथाओं का संग्रह है। हिन्दी भाषा विशेष नहीं है
1
३४ कर्मदहन पूजा |
३५ कर्मप्रकृति |
भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १२ साइज ११३६ ।
* श्री महावीर शास्त्र भंडार के अन्य
रचयिता श्री चन्द्राचार्य । भाषा प्राकृत। साइन १२४५ इञ्च । गाथा संख्या १६१. प्रति
प्राचीन है ।
...
प्रांत नं० २. पत्र संख्या १६. साइन २०४२ उच्च लिपि संवत् १= लिपि स्थान जयपुर । लिपि कर्त्ता ने महाराजा जयसिंह का उल्लेख किया है।
प्रति नं० ३ पत्र संख्या २४. सहज १२४२|| च । लिपि संवत् १=२० लिपि स्थान आमेर । लिपि कर्त्ता भट्टारक श्री सुरेन्द्र कीर्त्ति ।
३६ कर्म विशक विचार भाषा ।
भाषाकार अज्ञात / भाषा हिन्दी च । पत्र संख्या १०३ लाई १०६ || ३ | लिपि संवत् १६३१
३७ कल्याण मन्दिर प्रकटन विधि कथा
भाषा हिन्दी पत्र संख्या १५ साउन २४ । संख्या ६२. कल्याण मन्दिर स्तोत्र की किस प्रकार रचना हुई इसकी कहानी बर्णित है ।
का वर्णन ।
३८ कलशविधि |
भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६. साइज ११०५ इञ्च । लिपि संवत् १८६२ श्री चंपालालजी ने उक्त विधि की प्रतिलिपि करवायी । लियट सुन्दर है।
३६ कंधि कर्पटी |
रचयिता कवि श्री शंखद्ध | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ११. साइज १०||४५ इञ्च : लिपि कर्त्ता भट्टारक श्री शुकदेव । प्रांत पूर्ण है ।
४० कविराज चूडामणि ।
रचयिता श्री विष्णुदास | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १०, साइज २०४५ विषय र
एक सौ चोहत्तर