Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 168
________________ * आमेर भंडार के अन्य * प्रति नं०२. पत्र संख्या १०x४ इञ्च । पोडशकावर्णकथा । रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १०. साइज १०॥४४॥ ३ञ्च । 'पद्य संख्या १२६. दश धर्मों की कथायें हैं। पोडशकारण व्रतोद्यापन। रचयिता मुनि श्री ज्ञानसागर । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ३५. साइज १०४५|| इञ्च । हनुमंतकथा । रचयिता ब्रह्मराइमल । भाषा हिन्दी। पत्र संख्या ६०. साइज =!x६ इञ्च । रचना संवत् १६१६. लिपि संवत् १७१६. भविष्यदंत कथा से आगे ६७ ३ पृष्ठ से वह कथा शुद्ध होती है। हनुमच्चरित्र । रचयिता श्री ब्रह्मजित भाषा संस्कृत। पत्र संख्या १००. साइन ११४४!! श्रोल प्रमाए २०००, लिपि संवत १७. प्रति नवीन है। श्री हनुमानजी का जीवन चरित्र बरिणत किया गया है। ... प्रति नं० २. पत्र संख्या ४. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १५७२. ." प्रति न० ३. पत्र संख्या ८१, साइज १ इञ्च । प्रति नं० ४. पत्र संख्या १७. साइज ११४४।। इश्च । . प्रति नं०५. पत्र संख्या १५. साइज ११४५ इञ्च। .. . प्रति न० ६. पत्र संख्या ७३. साइज ११४४ इञ्च । लिपि संवत् १८२६. टौंक नगर में भट्टारक सुरेन्द्रकीति ने प्रतिलिपि बनाया ! प्रति नं० ७. पत्र संख्या १२२. साइज १२॥४४॥ इञ्च । लिपि संवत् १६८०. प्रति सुन्दर और स्पष्ट है। प्रति नं० ८. पत्र संख्या ६७. साइज ११||४५ इञ्च 1 लिपि संवत् १६४६. अषाढ सुदी १३. लिपिस्थान कोटा । अन्य के अन्त में है। हरिवंश पुराण । .. रचयितां श्री खुशालचन्द । भोपा हिन्दी (पद्य)। पत्र संख्या २४८. प्रत्येक ध पर १० पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४४ अक्षर । रचना संवत् १७८०. लिपि संवत् १८६०. एक सौ साठ

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